Here is a list of top five oceans around the world in Hindi language.

1. प्रशान्त महासागर (Pacific Ocean):

प्रशान्त महासागर अमेरिका ओर एशिया को पृथक करता है । यह विश्व का सबसे बड़ा तथा सबसे गहरा महासागर है । तुलनात्मक भौगोलिक अध्ययन से पता चलता है कि इस महासागर में पृथ्वी का भाग कम तथा जलीय क्षेत्र अधिक है ।

वैज्ञानिक अन्वेषकों तथा साहसिक नाविकों द्वारा इस महासागर के विषय में ज्ञान प्राप्त करने के अनेक प्रयत्न किए गए तथा अब भी इसका अध्ययन जारी है । सर्वप्रथम पेटरब्युक महोदय ने इसके बारे में पता लगाना आरंभ किया । इसके पश्चात् बैलबोआ, मागेमेनदान्या, हॉरिस, कुकु आदि यूरोपियनों ने प्रयत्न किया ।

द्वितीय विश्व महायुद्ध समाप्त होने पर संयुक्त राष्ट्र ने इसके बारे में खर्च के निमित्त अनेक प्रयास किए, जो सफल व्यापार तथा पूँजी विनियोग के विकास के लिये लाभदायक सिद्ध हुए । अब भी निरंतर प्रशांत महासागर के गर्भ के बारे में ज्ञान प्राप्त करने के लिये अन्वेषण जारी हैं ।

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इसका क्षेत्रफल 6,36,34,000 वर्ग मील, अर्थात अटलांटिक महासागर के दुगुने से भी अधिक है । यह फिलिपींस तट से लेकर पनामा 9,455 मील चौड़ा तथा बेरिंग जलडमरूमध्य से लेकर दक्षिण अंटार्कटिका तक 10,492 मील लंबा है । यह समस्त भू-भाग से ला मील अधिक क्षेत्र में फैला है ।

इसका उत्तरी किनारा केवल 36 मील का बेरिंग जलडमरूमध्य द्वारा आर्कटिक सागर से जुड़ा है । इसका इतने बड़े क्षेत्र में फैले होने के कारण यहाँ के निवासी, वनस्पति, पशु तथा मनुष्यों की रहन-सहन में पृथ्वी के अन्य भागों के सागरों की अपेक्षा बड़ी विभिन्नता है ।

प्रशांत महासागर की औसत गहराई लगभग 14,000 फुट है तथा अधिकतम गहराई लगभग 35,400 फुट है, तब ग्वैम और मिंडानो के मध्य में है । यह महासागर अटलांटिक महासागर का सहवर्ती है । इसके पूर्वी एवं पश्चिमी किनारों में बड़ा अंतर है ।

पूर्वी किनारे पर पर्वतों का क्रम फैला है, या समुद्री मैदान बहुत ही सँकरे है । इसी कारण यहाँ अच्छे-अच्छे बंदरगाहों का अभाव है तथा सभ्यता की भी अधिक उन्नति नहीं हो पाई है । बेरिंग जलडमरूमध्य बर्फ से जमा रहता है, जिससे यातायात में बाधा पड़ती है ।

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इसके विपरीत इस पश्चिमी किनारे पर पर्वत नहीं है । बल्कि कई द्वीप, खाड़ियाँ, प्रायद्वीप तथा डेल्टा हैं । पश्चिमी किनारे पर जापान, फिलिपींस, हिंदेशिया आदि के लगभग 7,000 द्वीप हैं । इस किनारे पर विश्व की बड़ी-बड़ी नदियों इसमें गिरती हैं, जिनके डेल्टाओं में घनी जनसंख्या बसी है तथा अच्छे-अच्छे बंदरगाह हैं ।

प्रशांत महासागर की आकृति त्रिभुजकार है । इसका शीर्ष बेरिंग जलडमरूमध्य पर है, जो घोड़े के खुर की आकृति का है और ज्वालामुखी पर्वतों तथा छोटी-छोटी पहाड़ियों से घिरा हुआ बेसिन बनाता है । अमरीका का पश्चिमी तट प्यूजेट सांउड से अलास्का तक बर्फीली चट्टानों से युक्त है ।

उत्तर की ओर अल्यूशैन द्वीप का वृत्तखंड है, जो साइबेरिया के समीपवर्ती भागों से होता हुआ बेरिंग सागर तक चला गया है । मुख्य द्वीप प्रशांत महासागर के पश्चिमी किनारे से होकर कैमचोटका प्रायद्वीप के उत्तर और ऑस्ट्रेलिया के उत्तर-पूर्व की ओर फैले हुए हैं ।

ये हिंदेशिया के वृत्तखंड से जुड़ जाते हैं । भू-विज्ञानियों ने इस बात का पता लगाना चाहा कि इस महासागर का निर्माण प्रारंभ में कैसे हुआ, लेकिन ये कोई भी सर्वमान्य सिद्धांत न निकाल पाए । ज्वार-भाटा यहाँ की मुख्य विशेषता है । यह नौकाओं की यात्रा को प्रभावित करता है ।

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इसका क्रम इस महासागर के विभिन्न तटों पर एक सा नहीं है । इसका प्रभाव और ऊंचाई कहीं अधिक ओर कहीं बहुत कम होती है, जैसे कोरिया के तट पर इसकी ऊँचाई भिन्न-भिन्न स्थलों पर लगभग 15 और 30 फुट के बीच में होती है, जबकि अलास्का तट पर यही ऊँचाई लगभग 45 फुट तथा स्कैगने पर 30 फुट के लगभग तक होती है ।

प्रशांत महासागर का धरातल प्रायः समतल है । सुविधा की दृष्टि से इसे पूर्वी ओर पश्चिमी दो भागों में बाँटा जा सकता है । पूर्वी भाग द्वीपरहित तथा अमरीका के उपांत भाग में है । इसका अधिकतर भाग 18,000 फुट गहरा है ।

इसका अधिकतर गहराई कम (13,000 फुट) है, तथा जिसको एल्बाट्रास पठार कहते थे, दक्षिणी अमरीका के पश्चिमी भाग में स्थित है । इस चबूतरे की अन्य शाखाएँ उत्तर की ओर रियातट तथा पश्चिम में टूआमोटू, द्वीपसमूह, मारकेसस द्वीप तथा दक्षिण में अंटार्कटिका तक फैली हैं ।

इस सागर की सतह, मुख्यतया पश्चिम में, कई बड़ी-बड़ी लंबी खाइयों से भरी पड़ी है । कुछ महत्वपूर्ण खाइयों के नाम तथा गहराइयाँ इस प्रकार हैं- ट्च्यूसीअरोरा 32,644 फुट, रंपा 34,626 फुट, नैरो 32,107 फुट, एल्ड्रिच 30,930 फुट आदि । उत्तरी प्रशांत महासागर में सबसे अधिक गहराई अल्यूशैन द्वीप के पास पाई जाती है, जो 25,194 फुट हैं ।

प्रशांत महासागर का वह भाग, जो कर्क रेखा तथा मकर रेखा के मध्य में है, मध्य प्रशांत महासागर कहा जाता है । कर्क के उत्तरी क्षेत्र को उत्तरी प्रशांत महासागर तथा मकर के दक्षिण स्थित भाग को दक्षिणी प्रशांत महासागर के नाम से संबोधित किया जाता है ।

अंतरराष्ट्रीय जल सर्वेक्षण संगठन द्वारा इसे दो भागों में विभक्त करने के लिये भूमध्य रेखा का सहारा लिया गया है । 1500 प.दे. पूर्वी प्रशांत के उन्हीं भागों के लिये प्रयुक्त होता है जो भूमध्य रेखा के दक्षिण में है ।

इसकी खोज स्पेनवासी बैबैओ ने की तथा इसने प्रशांत महासागर को पनामा नामक स्थान पर दक्षिणी सागर नाम दिया । प्रशांत महासागर के उत्तर, पूर्व एवं पश्चिम से होता हुआ भू-पटल का सबसे कमजोर भाग गुजरता है ।

इसके कारण यहाँ पर अधिकतर भूकंप एवं ज्वालामुखियों के उद्गार हुआ करते हैं । अभी भी यहाँ 300 ऐसे ज्वालामुखी पर्वत हैं, जिनमें से निरंतर उद्गार हुआ करते हैं । इस महासागर में छिटके द्वीपों का उद्भव प्रवालवलय, ज्वालामुखी अथवा भूकंपों के द्वारा हुआ है ।

2. अटलांटिक महासागर (Atlantic Ocean):

अटलांटिक महासागर उस विशाल जलराशि का नाम है जो यूरोप तथा अफ्रीका महाद्वीपों को नई दुनिया के महाद्वीपों से पृथक करती है । क्षेत्रफल और विस्तार में दुनिया का दूसरे नंबर का महासागर है जिसने पृथ्वी का 1/5 क्षेत्र घेर रखा है ।

इस महासागर का नाम ग्रीक संस्कृति से लिया गया है जिसमें इसे नक्शे का समुद्र भी बोला जाता है । इस महासागर का आकार लगभग अंग्रेजी अक्षर 8 के समान है । लंबाई की अपेक्षा इसकी चौड़ाई बहुत कम है ।

आर्कटिक सागर, जो बेरिंग जलडमरूमध्य से उत्तरी ध्रुव होता हुआ स्पिट्‌सबर्जेन और ग्रीनलैंड तक फैला है, मुख्यत: अटलांटिक महासागर का ही अंग है । इस प्रकार उत्तर में बेरिंग जल-डमरूमध्य से लेकर दक्षिण में कीट्‌सलैंड तक इसकी लंबाई 12,810 मील है ।

इसी प्रकार दक्षिण में दक्षिणी जार्जिया के दक्षिण स्थित वैडल सागर भी इसी महासागर का अंग है । इसका क्षेत्रफल इसके अंतर्गत समुद्रों सहित 4,10,81,040 वर्ग मील है । अंतर्गत समुद्रों को छोड़कर इसका क्षेत्रफल 3,18,14,640 वर्ग मील है ।

विशालतम महासागर न होते हुए भी इसके अधीन विश्व का सबसे बड़ा जलप्रवाह क्षेत्र है । उत्तरी अटलांटिक महासागर के पृष्ठतल की लवणता अन्य समुद्रों की तुलना में पर्याप्त अधिक है । इसकी अधिकतम मात्र 3.7 प्रतिशत है जो 20°-30° उत्तर अक्षांशों के बीच विद्यमान है । अन्य भागों में लवणता अपेक्षाकृत कम है ।

3. उत्तर ध्रुवीय महासागर (North Polar Ocean):

पृथ्वी के उत्तरी गोलार्ध में स्थित उत्तरी ध्रुवीय महासागर या आर्कटिक महासागर, जिसका विस्तार अधिकतर आर्कटिक उत्तर ध्रुवीय क्षेत्र में है । विश्व के पांच प्रमुख समुद्री प्रभागों (पांच महासागरों) में से यह सबसे छोटा और उथला महासागर है ।

अंतरराष्ट्रीय जल सर्वेक्षण संगठन (IHO) इसको एक महासागर तजवीज करता है जबकि, कुछ महासागर विज्ञानी इसे आर्कटिक भूमध्य सागर या केवल आर्कटिक सागर कहते हैं और इसे अटलांटिक महासागर के भूमध्य सागरों में से एक मानते हैं ।

लगभग पूरी तरह से यूरेशिया ओर उत्तरी अमेरिका से घिरा, आर्कटिक महासागर आंशिक रूप से साल भर में समुद्री बर्फ के ढका रहता है (और सर्दियों में लगभग पूर्ण रूप से) । आर्कटिक महासागर का तापमान और लवणता, मौसम के अनुसार बदलती रहती है क्योंकि इसकी बर्फ पिघलती ओर जमती रहती है ।

पांच प्रमुख महासागरों में से इसकी औसत लवणता सबसे कम है, जिसका कारण कम वाष्पीकरण, नदियों और धाराओं से भारी मात्रा में आने वाला मीठा पानी और उच्च लवणता वाले महासागरों से सीमित जुड़ाव जिसके कारण यहां का पानी बहुत कम मात्रा में इन उच्च लवणता वाले महासागरों में बह कर जाता है ।

ग्रीष्म काल में यहां की लगभग 50% बर्फ पिघल जाती है । राष्ट्रीय हिम और बर्फ आँकड़ा केन्द्र, उपग्रह आँकड़ों का प्रयोग कर आर्कटिक समुद्री बर्फ आवरण और इसके पिघलने की दर के पिछले सालों के आंकड़ों के आधार पर एक तुलनात्मक दैनिक रिकॉर्ड प्रदान करता है ।

4. हिन्द महासागर (Indian Ocean):

हिन्द महासागर दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा समुद्र है और पृथ्वी की सतह पर उपस्थित पानी का लगभग 20% भाग इसमें समाहित है । उत्तर में यह भारतीय उप-महाद्वीप से, पश्चिम में पूर्व अफ्रीकाय पूर्व में हिन्दचीन, सुंदा द्वीप समूह और ऑस्ट्रेलिया, तथा दक्षिण में दक्षिण ध्रुवीय महासागर से घिरा है ।

विश्व में केवल यही एक महासागर है जिसका नाम किसी देश के नाम यानी, हिन्दुस्तान (भारत) के नाम है । संस्कृत में इसे रत्नाकर यानी रत्न उत्पन्न करने वाला कहते हैं, जबकि प्राचीन हिन्दु ग्रंथों में इसे हिन्दु महासागर कहा गया है ।

वैश्विक रूप से परस्पर जुड़े समुद्रों के एक घटक हिंद महासागर को, अंध महासागर से 20° पूर्व देशांतर जो केप एगुलस से गुजरती है और प्रशांत महासागर से 146°55’ पूर्व देशांतर पृथक करती हैं । हिंद महासागर की उत्तरी सीमा का निर्धारण फारस की खाड़ी में 30° उत्तर अक्षांश द्वारा होता है ।

हिंद महासागर की पृष्टधाराओं का परिसंचरण असममित है । अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया के दक्षिणी सिरों पर इस महासागर की चौड़ाई करीब 10,000 किलोमीटर (6200 मील) है और इसका क्षेत्रफल 73556000 वर्ग किलोमीटर (28400000 वर्ग मील) है जिसमें लाल सागर और फारस की खाड़ी शामिल हैं ।

सागर में जल की कुल मात्र 292,131,000 घन किलोमीटर (70086000 घन मील) होने का अनुमान है । हिन्द महासागर में स्थित मुख्य द्वीप हैं । मेडागास्कर जो विश्व का चौथा सबसे बड़ा द्वीप है, रीयूनियन द्वीप कोमोरोसय सेशेल्स, मालदीव, मॉरिशस, श्रीलंका और इंडोनेशिया का द्वीप समूह जो इस महासागर की पूर्वी सीमा का निर्धारण करते हैं ।

5. दक्षिणध्रुवीय महासागर (South Pole Ocean):

दक्षिणध्रुवीय महासागर, जिसे दक्षिणी महासागर या अंटार्कटिक महासागर भी कहा जाता है, विश्व के सबसे दक्षिण में स्थित एक महासागर है, जिसका विस्तार 60° दक्षिण अक्षांश से दक्षिण में है और यह संपूर्ण अंटार्कटिका महाद्वीप को घेरे हुये है ।

यह पाँच विशाल महासागरों में से चौथा सबसे बड़ा महासागर है । इस महासागरीय क्षेत्र में उत्तर की और बहने वाला ठंडा अंटार्कटिक जल, गर्म उप-अंटार्कटिक जल से मिलता है ।

भूगोल विज्ञानियों में दक्षिण ध्रुवीय महासागर की उत्तरी सीमा को लेकर मतभेद हैं यहाँ तक कि कुछ तो इसके अस्तित्व को ही नकारते हैं और इसे दक्षिणी प्रशांत महासागर, दक्षिणी अटलांटिक महासागर या हिन्द महासागर का दक्षिणी हिस्सा मानते हैं ।

कुछ भूगोलविज्ञानी अंटार्कटिक संमिलन को वह महासागरीय क्षेत्र मानते हैं जिसकी उत्तरी सीमा जो इसे अन्य महासागरों से पृथक करती हैं, 60वीं अक्षांश नहीं है, अपितु यह मौसमानुसार बदलती रहती हैं ।

अंतरराष्ट्रीय जल सर्वेक्षण संगठन ने अभी तक 60° दक्षिणी अक्षांश के दक्षिण में उपस्थित महासागरों से संबंधित अपनी 2000 परिभाषा की पुष्टि नहीं की है । इसकी सबसे ताजातरीन 1953 की महासागर परिभाषा में दक्षिण ध्रुवीय महासागर का उल्लेख नहीं है । ऑस्ट्रेलिया के मतानुसार दक्षिण ध्रुवीय महासागर ऑस्ट्रेलिया के दक्षिणी सिरे के ठीक नीचे से शुरू हो जाता है ।

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