Read this article in Hindi to learn about ocean deposits and currents.
महासागरीय निक्षेप (Ocean Deposits):
विभिन्न प्रकार के अवसाद में आकर जमा होते हैं । उनको सागरीय निक्षेप कहते हैं ।
सागरीय निक्षेपों के मुख्य स्रोत निम्न हैं:
(i) स्थलजात अवसाद (Terrigenous Sediments):
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महासागरों में अधिकतर निक्षेप स्थल से जा कर जमा होते हैं । रेत, मिट्टी, सिल्ट आदि इसी प्रकार के अवसाद हैं ।
(ii) ज्वालामुखी निक्षेप (Volcanic Deposits):
महासागरों में ज्वालामुखियों के उद्गार होते रहते हैं, जिनसे निकलने वाली राख, कंकड़-पत्थर आदि सागर के नितल पर निक्षेप का रूप धारण कर लेती हैं ।
(iii) जैविक निक्षेप (Biotic Deposits):
ADVERTISEMENTS:
महासागरों में नाना प्रकार के जीव-जन्तु पशु-पक्षी एवं शैवाल, घास-फूस आदि गल-सड़ कर सागर के नितल पर निक्षेपों का रूप धारण कर लेते हैं ।
(iv) अंतरिक्षीय निक्षेप (Cosmogonies Deposits):
अंतरिक्ष से गिरने वाली राख तथा टेकटाईट (Tektite) इत्यादि सागरीय निक्षेपों में बदल जाते हैं । निक्षेपों की मोटाई अलग-अलग सागरों में भिन्न-भिन्न है । निक्षेपों की परत अन्ध महासागर में तथा आधा किलोमीटर मोटी परत प्रशान्त महासागर में है ।
जल धारायें (Ocean Currents):
महासागरों में बहने वाली धाराओं को सागरीय धारा कहते हैं ।
ADVERTISEMENTS:
महासागरी धारायें दो प्रकार की होती हैं:
(i) गर्म जलधारायें तथा
(ii) ठंडी जलधारायें ।
गर्म पानी की जलधारायें उष्णकटिबंध से ध्रुवों की ओर तथा ठंडे पानी की धारायें, ध्रुवीय क्षेत्रों से उष्णकटिबंध की ओर बहती हैं ।
जलधारायें उत्पन्न होने के मुख्य निम्न कारण हैं:
1. स्थल तथा जल (सागर) के तापमान में अन्तर ।
2. स्थाई पवनें (व्यापारिक तथा प्रतिव्यापारिक पवनें) |
3. घूमती पृथ्वी पर केरोलिस प्रभाव ।
4. सागरों का तापमान तथा लवणता में अन्तर ।
5. सागरों के नितल की बनावट ।