Read this article in Hindi to learn about the types of tides and their effects.

ज्वार के प्रकार (Types of Tides):

समुद्र का जलस्तर एक-सा नहीं रहता । यह नियमित रूप से दिन में दो बार ऊपर उठता है और नीचे उतरता है । समुद्री जलस्तर में इसी बदलाव के कारण से ज्वार एवं भाटा की उत्पत्ति होती है ।

इस जलस्तर के ऊपर उठने को ज्वार एवं नीचे उतरने को भाटा कहते है । सागर स्तर में इसका मुख्य कारण चन्द्रमा एवं सूर्य की गुरुत्वाकर्षण शक्ति के कारण होता है (Fig. 4.11) ।

i. दीर्घ ज्वार (Spring Tide):

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वह ज्वार, जिसकी सीमा (Range) औसत ज्वारीय स्तर से अधिक बढ़ी हुई होती है, दीर्घ ज्वार (Spring Tide) कहलाता है । यह ज्वार प्रत्येक महीने में दो बार अमावस्या (युक्ति) और पूर्णिमा (वियुक्ति) के दिन होता है । यह पृथ्वी के साथ सम्पूरक गुरुत्व प्रभाव के कारण होता है (Fig. 4.11) ।

ii. लघु ज्वार (Neap Tide):

चन्द्रमा की समकोणीय स्थिति के समय होने वाला ज्वार, जब ज्वार उत्पन्न करने वाले बल एक-दूसरे को संपूर्ण नहीं करते, लघु ज्वार परिसर का कारण होता है (Fig. 4.11) ।

ज्वार-भाटा के प्रभाव (Effects of Tides):

ज्वार-भाटा का मानव और समाज के लिये अत्यधिक महत्व है । ज्वार से उथले पत्तनों के जल की गहराई में वृद्धि होती है और कुछ पत्तनों के उथले प्रवेश को जलयानों के लिए सुगम बना देते हैं ।

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इस प्रकार पत्तनों को उच्च ज्वार के समय जहाजों के लिये सुलभ बनाते हैं । इसके अतिरिक्त खाड़ियों के प्रवेश को खुरचते हैं, नगरों तथा उद्योगों से लाये अवशिष्ट पदार्थों को जलमार्ग से हटाते हैं और नदियों द्वारा महासागरों में पंक, अवसाद तथा गाद को वितरित करते हैं ।

यह तटों को काट-छाँट कर मानव के लिये उपयोगी बनाते हैं । विकसित देशों में ज्वार-भाटे से बिजली का उत्पादन भी किया जाता है । संयुक्त राज्य अमेरिका, फ्रांस, ब्रिटेन, जर्मनी, इटली, जापान, ज्वार-भाटा से बिजली उत्पन्न करने वाले प्रमुख देश हैं ।

भारत में खम्भात की खाड़ी (गुजरात तट) में ज्वार-भाटा से बिजली का उत्पादन किया जाता है । बिजली की बढ़ती मांग को देखते हुये, ज्वार-भाटा से बिजली उत्पादन में वृद्धि होने की संभावना है ।

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