निया के महत्वपूर्ण जनजातियों की सूची | List of Important Tribes of the World in Hindi.
विश्व की जनजातियाँ (World’s Tribes):
1. पिग्मी (Pigmy):
पिग्मी की उपजातियों का एक सम्मिलित नाम आचुआ है । इसकी चार उपजातियाँ है, जिसमें म्बूती, तवा, विंगा, गोसेरा, ये कांगो बेसिन के गैबोन, युगांडा, दक्षिण-पूर्वी एशिया के फिलीपींस के वन क्षेत्रों, अमेटा और न्यूगिनी के वनों में पाए जाते हैं । निवास के लिए ये स्थायी बस्तियाँ नहीं बनाते हैं ।
इनकी अस्थायी झोपड़ियाँ मधुमक्खी के छत्ते की तरह होती हैं । ये काले-नाटे कद के नीग्रिटो प्रजाति के लोग है । इनका कद सामान्यतः 1 से 1.5 मीटर तक होता है, जो विश्व के सभी मानवों में सबसे कम है । ये आखेट करने में कुशल होते हैं तथा यही उनकी अर्थव्यवस्था का आधार है ।
ADVERTISEMENTS:
ये गले में बाँस की बनी सीटी भी लटकाएं रहते हैं, जिससे पक्षियों की बोली की नकल करते हैं व शिकार के समय अपने साथियों के मार्ग की जानकारी रखते हैं । तीर, भाला इनके आखेट के हथियार हैं । कांगो में रहने वाले बटवा (Batwa) हाथी को मारने के लिए खास तीरों का प्रयोग करते हैं । पिग्मी जनजातियाँ केला बहुत पसंद करती हैं ।
2. बोरो (Boro):
पश्चिमी अमेजन बेसिन, ब्राजील, पेरू व कोलंबिया के सीमांत क्षेत्रों में रहने वाली यह जनजाति आदिम कृषक के रूप में जीवन-यापन करती है । शारीरिक गठन की दृष्टि से बोरो अमेरिका के रेड इंडियन के समान हैं । इनकी त्वचा का रंग भूरा, बाल सीधे और कद मध्यम होता है ।
ये लड़ाकू व निर्दय व्यवहार के होते हैं । इनके उत्सवों में मानव हत्या व मांस भक्षण अधिक प्रचलित है । विजय चिन्ह के रूप में वे मानव खोपड़ियों को अपनी झोपड़ियों में लगाते हैं ।
ADVERTISEMENTS:
3. सकाई (Sakai):
मलाया प्रायद्वीप व मलेशिया के वनों में निवास करने वाली यह आदिम जाति साफ रंग, लंबे कद और छरहरे शरीर की होती है । इनका सिर लंबा व पतला एवं बाल काले व घुंघराले होते हैं । ये प्रायः निर्दयी होते हैं ।
प्राचीन आदिम प्रकार की कृषि, बागानी कृषि एवं आखेट इनका प्रमुख व्यवसाय है । सकाई आखेट के लिए फूँक नली (Blow Pipe) का प्रयोग करते हैं । ये एक बाँस की नली होती है । इससे सीकें (बाण के समान) फेंकी जाती है ।
4. सेमांग (Semang):
ADVERTISEMENTS:
ये मलाया के पर्वतीय भागों, अंडमान, फिलीपींस और मध्य अफ्रीका में रहते हैं, जो नीग्रिटो प्रजाति के हैं । इनका कद नाटा, रंग गहरा भूरा, नाक छोटी व चौड़ी, होठ चपटे व मोटे एवं बाल घुंघराले व काले होते हैं । इनका जीवन वनों की उपज और आखेट पर निर्भर करता है । इनका मुख्य भोजन रतालु (Yam) है । ये बाँस का उपयोग करते हैं ।
5. पापुआन (Papuan):
प्रशांत महासागर में स्थित पापुआ न्यूगिनी द्वीप के ये आदिवासी पिग्मी जाति से मिलते-जुलते हैं । इनका कद नाटा, त्वचा का रंग गहरा कत्थई एवं डील-डौल बेतुका होता है । पापुआन की अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार कृषि है । ये गन्ना और पपीता की खेती करते हैं । कुछ पापुआन पशुपालन भी करते हैं । पापुआन खूँखार प्रवृत्ति के एवं अंधविश्वासी लोग होते हैं ।
6. बुशमैन (Bushman):
दक्षिण अफ्रीका के कालाहारी मरूस्थल में निवास करने वाली यह हब्सी प्रजाति की जनजाति अब लेसोथो, नैटाल और जिम्बाब्वे में पाई जाती है । इनकी आँखें चौड़ी व त्वचा काली होती हैं । इस जनजाति की संख्या निरन्तर घटती जा रही है । बुशमैन का मुख्य व्यवसाय आखेट व जंगली वनस्पति संग्रह करना है । दीमक को ‘बुशमैन का चावल’ (Bushmen’s Rice) कहते हैं । ये लोग सर्वभक्षी होते हैं ।
7. बद्दू (Badawins):
अरब के उत्तरी भाग के हमद और नेफद मरूस्थल में कबीले के रूप में चलवासी जीवन व्यतीत करने वाली बद्दू (बेदुयिन्स) जनजाति नीग्रिटो प्रजाति से सम्बंधित हैं । ये ऊँट, भेड़, बकरी व घोड़े को पालने का काम करते हैं । ऊँट पालने वाले बद्दू को ‘रूवाला’ कहा जाता है । जलाशयों के निकट ये कृषि व्यवसाय भी करते हैं । ये लोग तंबुओं में निवास करते हैं ।
8. मसाई (Masai):
टांगानिका, केन्या व पूर्वी युगांडा के पठारी क्षेत्रों में ये घुमक्कड़ी पशुचारक के रूप में जीवन निर्वाह करते हैं । इनमें मेडिटेरियन (भूमध्यसागरीय) और नीग्रोयड प्रजाति के मिश्रण की झलक दृष्टिगत होती है । ये लोग झोपड़ियों में रहते हैं, जिन्हें ‘क्रॉल’ कहा जाता है । ये गाय को पवित्र मानते हैं । यहाँ के पुजारी ‘लैबोन’ कहलाते हैं ।
9. खिरगीज (Khirghiz):
ये मध्य एशिया में किर्गिस्तान में पामीर पठार एवं थ्यानशान पर्वतमाला के क्षेत्रों में निवास करते हैं । दक्षिण और दक्षिण-पूर्व में क्रमशः फरगना, अलाई व श्यानशान पर्वत श्रेणियों से घिरा हुआ तथा उत्तर की ओर साइबेरिया के मैदान से मिला हुआ है ।
किर्गिस्तान 1991 ई. तक तत्कालीन सोवियत संघ का एक राज्य था, किन्तु आज एक पूर्ण स्वतंत्र राष्ट्र है । खिरगीज जनजाति मंगोल प्रजाति के होते हैं ।
इनकी त्वचा का रंग पीला, बाल काले, कद छोटा, शरीर सुगठित एवं आँखें छोटी व तिरछी होती हैं । खिरगीज प्रजाति के लोग ऋतु-प्रवास करने वाले पशुचारक चलवासी होते हैं । ये दूध को सड़ाकर खट्टी शराब बनाते हैं, जिसे ‘कुमिस’ कहते हैं । त्यौहारों पर घोड़े का मांस खाने का प्रचलन है । निवास (अस्थायी) के लिए गोलाकार तंबू का प्रयोग करते हैं, जिसे ‘यूर्त’ (Yurt) कहा जाता है ।
10. एस्किमो (Eskimo):
एस्किमो का शाब्दिक अर्थ है- कच्चा मांस खाने वाला । अमेरिका के अलास्का से ग्रीनलैंड तक के टुंड्रा प्रदेशीय क्षेत्रों में रहने वाले एस्किमो मंगोलायड प्रजाति के हैं । इनका मुख्य व्यवसाय आखेट है । रेंडियर इनका पालतू पशु है । ये वालरस, श्वेत भालू, रेंडियर, सील मछली आदि का शिकार करते हैं । ‘हारपून’ (Harpoon) नामक अस्त्र व ‘उमियाक’ नाव की मदद से ये ह्वेल तक का शिकार कर लेते हैं ।
शिकार की यह शैली माउपोक (Maupok) व इतुआरपोक (Ituarpok) कहलाती है । एक छिद्र के माध्यम से सील मछली के शिकार की शैली ‘माउपोक’ तथा दो छिद्रों के माध्यम से शिकार (आखेट) की शैली को ‘इतुआरपोक’ कहते हैं ।
शिकार में कभी-कभी नावों का प्रयोग किया जाता है, जिसे ‘कायक’ (Kayak) कहते हैं । परिवहन के लिए बिना पहिए की गाड़ी का प्रयोग किया जाता है, जिसे ‘स्लेज’ (Sledge) कहते हैं ।
इनका निवास गृह ‘इग्लू’ (Igloo) बर्फ के टुकड़ों से बना होता है । लगभग 60०-70०C उत्तरी अक्षांश के बीच निवास करने वाली जनजातियों को उत्तरी कनाडा व ग्रीनलैण्ड में एस्किमो उत्तरी यूरोप में (यूराल पर्वत के पश्चिम) लैप्स, उत्तरी साइबेरिया (यूराल के पूरब) में सैमोयेड/सोमायड, तुंगू, याकूत, चक्ची नामों से जाना जाता है ।
11. सेमोयेड्स (Samoyeds):
पश्चिमी साइबेरिया के टुंड्रा प्रदेश के निवासी मंगोलायड प्रजाति के हैं । इनका मुख्य व्यवसाय आखेट व पशुपालन है । ये चलवासी आखेटक हैं, अतः इनका स्थायी निवास गृह नहीं होता ।
12. युकागीर (Yukaghirs):
उत्तर-पूर्वी साइबेरिया के बर्खोयांस्क और स्टैनोवाय पर्वत के मध्य रहने वाले युकागीर मंगोलॉयड प्रजाति के हैं । शिकार व मत्स्यपालन इनकी अर्थव्यवस्था का आधार है ।
13. पुनन (Punan):
यह मध्य बोर्नियो में रहने वाली जनजाति है, जो कृषि व वनों से संग्रहित खाद्य पदार्थ पर निर्भर है ।
14. कज्जाक (Kazaks):
रूसी निवासी यूरोपीय कॉसक्स से पृथकता हेतु कज्जाक को खिरगीज के नाम से भी संबोधित करते हैं । ये तुर्की भाषा-भाषी चलवासी पशुपालन व्यापक रूप से यहाँ मिलते हैं । इसके अलावे कजाकिस्तान व सीक्यांग (चीन) में भी किरगीज जनजाति की तरह पशुचारक चलवासी के रूप में पाए जाते हैं ।
कज्जाक सामान्यतः मंगोलायड जाति है । ये लोग कद में छोटे होते हैं । इनका शरीर सुगठित, त्वचा पीली व बाल काले होते हैं । कज्जाक में तंबू को ‘यूर्त’ कहा जाता है । वधू के पिता द्वारा मध्यस्थों को दिए जाने वाले भेंट ‘खिलत’ (लम्बा चोंगा) कहलाता है । शादी के बाद वर-वधू के लिए बनाए गए तंबू को ‘अकोई’ कहा जाता है ।
15. माया (Maya):
मध्य अमेरिका के आदिवासी इंडियन मूलतः कृषक हैं । मैक्सिको, ग्वाटेमाला और होंडुरास में निवास करते हैं ।
16. माओरी (Maori):
ये न्यूजीलैंड के पोलीनेशियन आदिवासी हैं । इनका प्रमुख व्यवसाय कृषि, आखेट व वनोत्पाद का संग्रह है ।
17. मग्यार (Magyar):
इन्हें ‘हंगेरियन’ कहते हैं, क्योंकि ये हंगेरी भाषा बोलते हैं । ये रूमानिया, यूगोस्लाविया, चेकोस्लोवाकिया और यूक्रेन में निवास करते हैं तथा मूलतः कृषक हैं ।
18. बोअर (Boar):
ये दक्षिण अफ्रीका के औरेंज फ्री स्टेट में रहते हैं, जो पशुपालक व कृषक हैं ।
19. जुलु (Julu):
ये दक्षिण अफ्रीका के नैटाल क्षेत्र के निवासी हैं, जो ‘न्गुनी’ भाषा बोलते हैं । ये मूलतः खाद्यान्न उत्पादक, कृषक व पशुपालक हैं ।
20. कॉकेशस (Cosex):
काला सागर और कैस्पियन सागर के निकटवर्ती उत्तरी भागों में निवास करते हैं । ये पोलैंड, लिथुआनिया, मस्कोवा व रूस में मिलते हैं । ये खूँखार, लड़ाकू व वीर हैं । कृषि इनका प्रमुख व्यवसाय है ।
21. अफरीदी (Afridi):
पाकिस्तान में सफेद कोह से पेशावर तक रहने वाली पख्तूनी आदिवासी जाति जो कुशल योद्धा व वीर होते हैं ।
22. यूपिक (Yupik):
यह पश्चिमी अलास्का व पूर्वी रूस में निवास करते हैं ।
विश्व की विलुप्तप्राय प्रजातियाँ (The World’s Endangered Species):
1. हाज्दा:
तंजानिया में रहने वाली इस जनजाति में व्यक्तियों की संख्या मात्र 200 है । ये बुशमैन के समान बोली बोलते हैं ।
2. कुन्ग:
यह कालाहारी क्षेत्र में रहने वाली जनजाति है । आनुवांशिक साक्ष्यों से इस बात की पुष्टि होती है कि ये अफ्रीका के विशाल क्षेत्र में विस्तृत थे । वर्तमान में इनकी संख्या 1,500 है ।
3. अपाचे:
संयुक्त राज्य अमेरिका के ओक्लाहामा के मैदान में रहने वाली इस जनजाति में व्यक्तियों की संख्या 1,000 है । ये साइबेरिया से प्रवासित होकर यहाँ आए थे ।
4. यनोमनी:
यह वेनेजुएला व ब्राजील की सीमा पर मिलने वाली विलुप्तप्राय जनजाति है ।
5. युकागीर:
साइबेरिया क्षेत्र की इस जनजाति में व्यक्तियों की संख्या मात्र 2000 है । ये रेंडियर का शिकार करने वाले शिकारी लोग हैं ।
6. चुक्ची:
पाल्को एशियाई भाषा बोलने वाली इस जनजाति के लोग उत्तर-पूर्व साइबेरिया व उत्तरी अमेरिका में निवास करते हैं ।
7. ओन्गे:
अंडमान द्वीप में नीग्रिटो प्रजाति की यह जनजाति 100 से भी कम संख्या में निवास करती हैं । द्रुतगति से विलुप्त होती जा रही यह जनजाति हजारों वर्ष पूर्व यहाँ अफ्रीका से प्रवासित होकर आई थी ।
8. सेंटीनली:
यह अंडमान-निकोबार की विलुप्तप्राय जनजाति है ।
9. एक्रा:
ये ब्राजील की विलुप्तप्राय प्रजातियाँ हैं, जो अमेजन जंगलों में पाई जाती हैं ।
Some Other Tribes:
1. एल्गोन्कियाई (Algonkian):
कनाडा में ओटावा नदी घाटी में रहने वाले इंडियन ।
2. एल्कालूफ (Alkaluf):
दक्षिण अमेरिका के दक्षिण में तिएrरा-देल-फुएगो में रहने वाले लोग ।
अमेरिका की एक जनजाति ।
3. एमेरिंड (Amerind):
घाना के एंशाती पठार पर रहने वाली जनजातियाँ ।
4. बंटू (Bantu):
नीग्रीटो जनजातियों के परिवार सदृश्य जो अफ्रीका के भूमध्य रेखीय भागों में रहते हैं । किक्यु, जुलू, गानी, गांडा आदि जनजातियाँ हैं ।
5. बटुवा (Batwa):
अफ्रीका के कसाई प्रदेश में रहने वाले पिग्मी लोग ।
6. एबोरिजिन्स (Aborigin):
आस्ट्रेलिया के मूल निवासी ।
7. अचुआ (Achua):
बेल्जियम कागों के पिग्मी लोग ।
8. एटा (Aeta):
फिलीपींस के पर्वतों पर रहने वाले नीग्रीटो लोग ।
9. आइनु (Ainu):
जापान के (काकेशायड) मूल निवासी ।
10. बेजा (Beja):
नील नदी और लाल सागर के मध्य रहने वाले खानाबदोश चरवाहे ।
11. बर्बर (Berber):
उत्तरी अफ्रीका में त्रिपोली के पश्चिम में निवास करने वाले काकेशायड लोग ।
12. ब्लैक फेलो (Black Fellow):
आस्ट्रेलियाई आदिवासी
13. बरयाट्स (Buryats):
मध्य एशिया में रहने वाली जनजाति ।
14. बिन्दुबू (Bindubu):
पश्चिमी आस्ट्रेलिया की जनजाति ।
15. कसैक्स (Cossacks):
दक्षिणी व पूर्वी सीमांत के निवासी ।
16. दयाक (Dayak):
बोर्नियो में रहने वाला एक वर्ग ।
17. फेल्लाह (Fellah):
मिस्र (नील नदी घाटी) का एक खेतिहर मजदूर ।
18. फिन (Fin):
फिनलैण्ड और पम्पास क्षेत्र में रहने वाली जाति ।
19. कम्बा (Kamba):
मध्य कीनिया के बंटू लोग ।
20. फूला (Fula):
अफ्रीकी नीग्रो और भूमध्यसागरीय काकसायड मिश्रित सूडानी लोग ।
21. फूलानी (Fulani):
उत्तरी नाइजीरिया व आस-पास के लोग ।
22. गैबोन (Gaboon):
गैबोन राज्य के नीग्रो लोगों का एक प्रकार ।
23. हाइडा (Haida):
ब्रिटिश कोलम्बिया और प्रिंस ऑफ वेल्स द्वीप के जनजाति ।
24. हक्का (Hakka):
पीली नदी के मैदानी भाग के लोग जो हाका जनजाति के हैं ।
25. हैस्ला (Haisla):
ब्रिटिश जनजाति के किंटल लोग ।
26. हॉन (Han):
हॉन जनजाति, संभवत: चीन के मूल निवासी हैं ।
27. हाउसा (Hausa):
नाइजीरिया के मूल निवासी ।
28. होपी (Hopi):
संयुक्त राज्य अमेरिका के उत्तर पूर्वी एरीजोना प्रान्त में रहने वाले जनजाति के लोग ।
29. हो (Hoh):
संयुक्त राज्य अमेरिका के ओलंपिक प्रायद्वीप में रहने वाले इंडियन लोग हैं ।
30. होटेन्टाट (Hottentot):
दक्षिणी अफ्रीका के वे लोग जो बुशमैन और बंटू लोगों से काफी मिलते-जुलते हैं ।
31. इन्का (Inca):
दक्षिणी अमेरिका क पेरू देश की कुलको घाटी की चवान जाति ।
32. इन्यूट (Innuit):
उत्तर अमेरिका के एस्कीमो ।
33. जैकुंडा (Jacunda):
उत्तरी ब्राजील की जनजाति ।
34. काफिर (Kafir):
दक्षिण अफ्रीका के घास मैदान के निवासी ।
35. कैमसिन (Kamasin):
साइबेरिया के येनीसी नदी के ऊपरी भाग में निवास करने वाले सैमायड लोग ।
36. काराकलपक (Karakalpak):
अरल सागर के समीप रहने वाली एक तुर्की जनजाति ।
37. किक्यू (Kikuyu):
कीनिया के कृषक जनजाति जौ नीग्रो जाति के हैं ।
38. कुबु (Kubu):
सुमात्रा की जनजाति ।
39. कुमाशो (Kumaso):
जापान के क्युशु द्वीप में पाए जाने वाले जनजाति लोग ।
40. कारेनकावा (Karankawa):
संयुक्त राज्य अमेरिका के टेक्सास प्रान्त के खाड़ी तट पर रहने वाली जनजाति ।
41. कुलामन (Kulaman):
दक्षिण मिंडनाओ (फिलीपींस) के मूल निवासी हैं ।
42. कुर्द (Kurd):
ईसन, ईराक, आर्मीनिया व अजरबैजान में बड़े पठारी क्षेत्रों मैं रहने वाली एक पशुपालक कृषक ।
43. लाई (Lai):
म्यांमार के चिन पहाड़ियों में रहने वाली जनजाति ।
44. लैप्स (Lapps):
दक्षिण स्कैण्डिनैविया, उत्तरी रूस के कोला प्रायद्वीप की जनजाति जो मत्स्य-संग्रहण, रेंडियर-पालन और शिकार से अपना जीवनयापन करती है ।
45. यांकी (Yankee):
संयुक्त राज्य अमेरिका के न्यू-इंग्लैण्ड प्रान्त के देशज निवासी ।
46. यारूबा (Yaruba):
मध्य पूर्वी गिनी तट के नीग्रो जन । उत्तरी अमेरिका में दक्षिणी-पश्चिमी एरीज, मैक्सिको एवं कैलीफोर्निया में रहने वाले इंडियन लोग ।
47. युगुर (Yugur):
उत्तरी-पूर्वी एशिया के यायावर चरवाहे लोग ।
48. युइत (Yuit):
साइबेरिया एवं अलास्का के सेंट लॉरेंस द्वीप के एस्कीमो लोग ।
49. जेमी (Zemit):
असम और म्यांमार के सीमान्त क्षैत्र में रहने वाले लोग (बैरेल क्षेत्र) ।
50. मंगोलियन:
मंगोलिया के मूल निवासी ।
51. निग्रेटो (Negrito):
ओशिनिया और एशिया के पूर्वी द्वीपसमूहों में पाए जाते हैं । यह छोटे कद के नीग्रायड लोग हैं ।
52. नॉर्डिक (Nordic):
श्वेत प्रजाति समूह, है जो नॉर्वे स्वीडन, डेनमार्क, फिनलैंड और आइसलैन्ड में यह लोग पाए जाते हैं ।
53. नवाहो (Navaho):
अमेरिका के एरीजोना और उत्तरी न्यूमैक्सिको प्रांत में वास करती है ।
54. फोनेशियन (Phoenician):
प्राचीन फोनेशिया के मूल निवासी ।
55. सेमोयाइड (Semoied):
तैमूर प्रायद्वीप श्वेत सागर व उत्तरी सागर के तट और द्वीपों के किनारे निवास करने वाले लोग जो मुख्यत: आखेटक एवं पुशपालक होते है ।
56. क्वीचुआ (Quechua):
मध्यवर्ती पेरू के जनजातीय लोग ।
57. कुंग (Qung):
दक्षिण अफ्रीका के ओमेटैको नदी घाटी की एक जनजाति ।
58. पोकोमो (Pokomo):
केन्या में बंटू सदृश्य लोग ।
59. शान (Shan):
दक्षिण चीन, आसाम, म्यांमार और थाईलैण्ड की एक मंगोलाभ प्रजाति ।
60. स्वाहिली (Swahili):
जंजीबार और निकटवर्ती तट पर रहने वाले लोग ।
61. तातार (Tatars):
साइबेरिया में रहने वाले लोग ।
62. टुंगस (Tungus):
पूर्वी साइबेरिया में रहने वाला यायावर समूह ।
63. उइगुर (Uighur):
तारिम बेसिन के नखलिस्तानों में रहने वाले जनसमुदाय ।
64. उल्वा (Ulva):
निकारागुआ होंडुरास ।
65. वेद्दा (Vedda):
श्रीलंका के दुबले पतले, नाटे मूल निवासी ।
66. जिंका (X-Inca):
अफ्रीका के केप प्रति में जुलू लोगों से संबद्ध लोग ।
67. याकूत (Yakut):
उत्तरी-पूर्वी साइबेरिया के तुर्की लोग जो पशुचारण, शिल्प एवं व्यापार में लगे हुए हैं ।
68. रेड इन्डियन (Red Indian):
उत्तरी अमेरिका के मूल निवासी जो आकार में मंगोलायड प्रजाति से सम्बंधित लगते हैं । यह नाम कोलम्बस (यूरोपीय) द्वारा दिया गया ।