Read this article in Hindi to learn about:- 1. जल उद्योग का अर्थ (Meaning of Water Industry) 2. जल उद्योग का अनुप्रयोग (Applications of Water Industry) 3. जल मानक के प्रकार (Types of Water Standards).
जल उद्योग का अर्थ (Meaning of Water Industry):
जल उद्योग, घरेलू और औद्योगिक उपयोग के लिए पेयजल और व्यर्थ जल सेवाएं (मल-जल उपचार सहित) उपलब्ध कराता है । जल आपूर्ति सुविधाओं में शामिल है, वर्षा जल संचय के लिए वाटर वेल्स सिस्टर्न, जल आपूर्ति नेटवर्क, जल शुद्धिकरण सुविधाएं, जल टैंक, जल टावर और जल की पाइपें जिसमें एक्वीडक्ट शामिल है ।
वायुमंडलीय जल जनरेटर का विकास किया जा रहा है । पीने का पानी अक्सर भूमि में कृत्रिम बोरिंग, या कुएँ से निकाल कर लिंग में इकट्ठा किया जाता है । इस प्रकार से उचित स्थानों पर अधिक कुएँ बनाना, जल उत्पादन को बढ़ाने का एक संभावी तरीका है ।
इसके लिए ऐसा माना जाता है कि भूमिगत जल स्रोत एक उपयुक्त प्रवाह उपलब्ध कराते हैं । अन्य जल स्रोत हैं, वर्षा का जल, नदी या झील का जल । इस सतही जल को हालांकि मानव उपभोग के लिए शुद्ध किया जाना चाहिए । इसमें अघुलित पदार्थों, घुलित पदार्थों और हानिकारक सूक्ष्म जीवों को हटाना शामिल हो सकता है ।
ADVERTISEMENTS:
लोकप्रिय तरीकों में से एक है रेत से छानना जिससे केवल अघुलित पदार्थ ही हटाये जाते हैं, जबकि क्लोरीनीकरण और उबालने से हानिकारक सूक्ष्म जीव मर जाते हैं । अधिक उन्नत तकनीकें भी हैं जैसे विपरीत परासरण उपस्थित महासागरों और समुद्रों के पानी का विलवणिकरण अधिक महंगा तरीका है जिसका उपयोग तटीय शुष्क जलवायु में किया जाता है ।
पीने के पानी का वितरण नगर निगम जल प्रणाली के द्वारा या बोतलबंद पानी के रूप में किया जाता है । कई देशों की सरकारों के पास ऐसे कार्यक्रम हैं जिसके द्वारा जरूरतमंद लोगों को मुफ्त में जल वितरित किया जाता है ।
कई अन्य लोगों का तर्क है कि बाजार तंत्र ओर मुक्त उद्यम इस दुर्लभ संसाधन का प्रबंधन करने के लिए उत्तम हैं और ये बांधों ओर जलाशयों के निर्माण तथा कुंओं के बोरिंग के लिए वित्तीय सहायता उपलब्ध कराते हैं ।
पीने के पानी का उपयोग केवल मानव उपभोग के लिए करके इसकी बर्बादी को कम करना एक अन्य विकल्प है । कुछ शहरों जैसे होंग-कोंग में, समुद्री जल का उपयोग शौचालयों में फ्लशिंग के लिए किया जाता है ताकि ताजे जल के स्रोतों को संरक्षित किया जा सके ।
ADVERTISEMENTS:
जल को प्रदूषित करना जल का सबसे बड़ा दुरुपयोग हो सकता है क्योंकि प्रदूषक पानी के अन्य उपयोगों को सीमित कर देता है, यह संसाधन की बर्बादी है, चाहे प्रदूषक कितना ही फायदेमंद हो ।
प्रदूषण के अन्य प्रकार की तरह, यह बाजार की कीमत के मानक खाते में प्रवेश नहीं करता है, यह उन बाहरी कारकों से प्रभावित होता है जिसके लिए बाजार लेखा-जोखा नहीं दे सकता है । इस प्रकार दूसरे लोगों को जल प्रदूषण की कीमत चुकानी पड़ती है, जबकि निजी फार्म के लाभ इस प्रदूषण के स्थानीय शिकार लोगों को पुन: वितरित नहीं होते हैं ।
मानव के द्वारा उपभोग की जाने वाली फार्मास्युटिकल अक्सर जल मार्ग में पहुँच जाती हैं, इनका जलीय जीवन पर हानिकारक प्रभाव होता है, यदि वे जैविक रूप से संचित हो जाएं और ये जैव अपघटनी न हों । व्यर्थ जल सुविधाएं हैं तूफानी नाले ओर व्यर्थ जल उपचार संयंत्र । सतह पर प्रवाहित होने वाले जल से प्रदूषण को हटाने का एक अन्य तरीका है बायोस्वेल ।
जल उद्योग का अनुप्रयोग (Applications of Water Industry):
i. जल उद्योग का औद्योगिक अनुप्रयोग (Industrial Applications of Water Industry):
ADVERTISEMENTS:
जल का उपयोग विद्युत उत्पादन में किया जाता है । पनबिजली या जल विद्युत वह विद्युत है जो जल शक्ति से प्राप्त की जाती है । जल विद्युत शक्ति बनाने के लिए ऊँचाई से पानी को एक जल टरबाइन पर गिराया जाता है, जो एक जनरेटर (जनित्र) से जुड़ा होता है ।
जल विद्युत एक कम लागत का, गैर-प्रदूषक ओर नव्यकरणीय ऊर्जा संसाधन है । ऊर्जा सूर्य द्वारा आपूर्ति की जाती है । सूर्य की उष्मा जल को वाष्पीकृत कर देती है, जो ऊँचाई पर जाकर वर्षा के रूप में संघनित हो जाता है, जहां से यह नीचे बहता है ।
दबाव युक्त पानी का प्रयोग वाटर ब्लास्टिंग और वाटर जेट कटर में किया जाता है । इसके अलावा, बहुत अधिक दबाव की वाटर गन का उपयोग सटीक कटाई के लिए किया जाता है । यह बहुत अच्छी तरह से कार्य करता है, अपेक्षाकृत सुरक्षित है और वातावरण के लिए हानिकारक भी नहीं है ।
इसका उपयोग अति उष्मन से बचाने के लिए मशीनरी को ठंडा करने में किया जाता है, या यह सॉ-ब्लेड्स को भी बहुत अधिक गर्म होने से बचाता है । जल का उपयोग कई औद्योगिक प्रक्रियाओं ओर मशीनों जैसे- भाप टरबाइन और हीट एक्सचेंजर में किया जाता है, इसके अलावा यह एक रासायनिक विलायक के रूप में भी प्रयुक्त होता है ।
औद्योगिक उपयोग से अनुपचारित जल का निर्वहन प्रदूषण है । निर्वहित विलेय (रासायनिक प्रदूषण) और निर्वहित शीतलक जल (ऊष्मा प्रदूषण) । उद्योग में कई अनुप्रयोगों के लिए शुद्ध जल की आवश्यकता होती है और जल की आपूर्ति और मुक्ति दोनों में कई प्रकार की शुद्धिकरण तकनीकों का उपयोग किया जाता है ।
ii. खाद्य प्रसंस्करण (Food Processing):
जल खाद्य विज्ञान के क्षेत्र में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है । एक खाद्य वैज्ञानिक के लिए महत्वपूर्ण है कि वह खाद्य प्रसंस्करण में जल की भूमिका को समझे, ताकि उनके उत्पादों की सफलता को सुनिश्चित किया जा सके । पानी में पाए जाने वाले विलेय जैसे नमक ओर शर्करा जल के भौतिक गुणों को प्रभावित करते हैं ।
जल का क्वथनांक और गलनांक विलेय से प्रभावित होता है । एक किलोग्राम जल में घुली हुई एक मील सुक्रोज (शर्करा) जल के क्वथनांक को 0.51°C बढ़ा देती है ओर एक किलोग्राम में घुला हुआ एक मोल नमक क्वथनांक को 1.02°C बढ़ाता है । समान रूप से, घुलित कणों की संख्या के बढ़ने से, जल का गलनांक कम हो जाता है ।
जल में विलेय, जल क्रिया को भी प्रभावित करते हैं जो कई रासायनिक क्रियाओं और खाद्य में सूक्ष्म जीवों की वृद्धि को प्रभावित करता है । जल क्रिया को एक विलयन में जल के वाष्प दबाव और शुद्ध जल के वाष्प दबाव के अनुपात के द्वारा वर्णित किया जा सकता है ।
जल में विलेय जल क्रिया को कम कर देते हैं । यह जानना महत्वपूर्ण है क्योंकि अधिकांश जीवाणु वृद्धि जल क्रिया के अल्प स्तर पर रुक जाती है । सूक्ष्म जीवों का विकास न केवल भोजन की सुरक्षा को प्रभावित करता है बल्कि यह संरक्षण और भोजन के शैल्फ जीवन को भी प्रभावित करता है ।
पानी की कठोरता भी खाद्य प्रसंस्करण में एक महत्वपूर्ण कारक है । यह नाटकीय रूप से एक उत्पाद की गुणवत्ता को प्रभावित कर सकती है साथ ही स्वच्छता में एक भूमिका निभाती है । पानी की कठोरता को इसके प्रति गेलन में हटाये जाने योग्य कैल्शियम कार्बोनेट लवण की मात्रा के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है ।
पानी की कठोरता का मापन ग्रेन्स में किया जाता है । 0.064 ग्राम कैल्शियम कार्बोनेट एक ग्रेन कठोरता के तुल्य है । जल को मृदु माना जाता है यदि इसमें 1 से 4 ग्रेन हो तो मध्यम माना जाता है यदि इसमें 5 से 10 ग्रेन हों तो कठोर माना जाता है यदि इसमें 11 से 20 ग्रेन हों ।
वेग जल की कठोरता को एक रासायनिक आयन विनिमय प्रणाली का उपयोग करके बदला जा सकता है या उपचारित किया जा सकता है । जल की कठोरता इसके pH संतुलन को भी प्रभावित करती है जो खाद्य प्रसंस्करण में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है ।
उदाहरण के लिए, कठोर जल साफ पेय पदार्थों के सफल उत्पादन में बाधक है । जल की कठोरता भी स्वच्छता को प्रभावित करती है । बढ़ती कठोरता के साथ, एक स्वास्थ्यकारी के रूप में इसके उपयोग के लिए प्रभाविता में कमी आती है ।
उबालना, भाप देना और लगातार उबालना खाना पकाने के लोकप्रिय तरीके हैं, जिसके लिए भोजन को पानी में या इसकी गैसीय अवस्था भाप में डुबोना जरूरी होता है । खाना पकाने में बर्तन धोने के लिए भी जल का उपयोग किया जाता है ।
iii. जल परिवहन (Water Transport):
परिवहन के क्षेत्र में जल का महत्वपूर्ण स्थान है क्योंकि इसके द्वारा परिवहन अत्यन्त सस्ता पड़ता है । जल परिवहन का अन्तर्राष्ट्रीय साधन है । अब भारत में भी नहरों के द्वारा जल परिवहन की सुविधा के विकास के लिए प्रयास किये जा रहे हैं ।
iv. ऊर्जा उत्पादन (Energy Production):
जल विद्युत ऊर्जा का प्रमुख स्रोत है । विभिन्न संयन्त्रों के द्वारा जल ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में बदला जाता है । इस प्रकार उत्पन्न ऊर्जा, अन्य संसाधनों की तुलना में सस्ती पड़ती है । इसको उत्पाद स्थल से दूरस्थ स्थानों तक पहुँचाना भी सरल है ।
v. सार्वजनिक कार्यों हेतु (For Public Works):
विभिन्न सार्वजनिक कार्यों, जैसे- बस स्टॉप, रेलवे स्टेशन, अस्पताल आदि की धुलाई, पार्क में पौधों के लिए आदि कार्यों में जल की आवश्यकता होती है ।
vi. पर्यटक स्थलों के निर्माण हेतु (For the Construction of Tourist Sites):
जल स्रोतों, जैसे- झील, तालाब आदि के किनारे विभिन्न पर्यटक स्थलों को विकसित किया जा रहा है जो कि पर्यावरण को विकसित करने के साथ-साथ राज्य की आय बढ़ाने में भी सहायक है ।
vii. पशुपालन (Animal Husbandry):
पशु को नहलाने, पिला ने आदि कई कार्यों के लिए जल का उपयोग किया जाता है ।
जल मानक के प्रकार (Types of Water Standards):
i. उद्योगों के लिए निर्धारित जल मानक (Prescribed Water Standard for Industries):
उद्योग के स्वरूप, स्थान, तथा क्रम के कारण इस दिशा में मानकों को निश्चित कर पाना अत्यंत दुरह है । इनके निर्धारित निर्धारण का आधार उत्पादन की विशिष्टता होती है ।
वास्तव में औद्योगिक जल की गुणवत्ता की सबसे बड़ी समस्या है बॉयलर में प्रयुक्त होनेवाला जल, जिसमें उच्च ताप तथा दाब रखना पड़ता है । ऐसी अवस्था में जल में उपस्थित कार्बोनेट तथा सल्फेट निर्धारक लवण हैं ।
भीम जल तथा मृदा के संबद्ध निर्माण उद्योग में सल्फेट महत्वपूर्ण है क्योंकि कंक्रीट के बिगड़ने में इसकी भूमिका होती है, किन्तु अब ऐसे सीमेंट बनाए जा रहे हैं जो सल्फेट को प्रतिरोधी है । इसका प्रभाव यह है कि सल्फेट की भूमिका सदैव बदलती रहती है ।
ii. पशुओं के लिए जल मानक (Water Standard for Animals):
पशुओं के लिए बनाया गया मानदण्ड का आधार उनकी चारण प्रवृत्ति, आकार तथा समूह पर निर्भर करेगा । अमेरिका में जल की विद्युत चालकता (कुल विलेय लवण की मात्रा) को मानदंड माना गया है ।
उदाहरणार्थ 1,000 मिग्रा./ली. (विद्युच्चालकता 1.5 ms cm1) सभी वर्ग के पशुओं तथा पक्षीपालन के लिए उत्तम है । यह मात्रा 3000 (विद्युत चालकता (EC) = 1.5-5) तक बढ़ जाने पर भी संतोषजनक मानी जाती है किंतु अत्यधिक खारा पानी पशु-स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है ।
अन्य यौगिकों की उपस्थिति के मानक इस प्रकार हैं:
मछली उद्योग (Fish Industry):
वर्तमान समय में बढ़ती जनसंख्या की खाद्य जरूरतों को पूरा करने में मछली पालन का विशेष स्थान इसलिए भी है कि निर्यात के क्षेत्र में यह मुद्रा प्राप्ति का एक महत्वपूर्ण साधन है । मछली पालन में जल का अत्यन्त महत्व है ।
जबकि भारत के लिए आवश्यक आदर्श जल की मात्रा मात्र 40 लीटर मानी गयी है । अत: हमें जल का उपयोग करते समय इसका विशेष ध्यान रखना चाहिए ।