जॉर्ज बुश के भाषण “आतंक के खिलाफ युद्ध” पर भाषण | Speech of George Bush on “War Against Terror” in Hindi Language!

अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति जॉर्ज वॉकर बुश ने सर 2001 में 20 सितम्बर को अमेरिका ससंद के दोनों सदनों के सयुंक्त अधिवेशन में आतकंवाद के विरुद्ध युद्ध के विषय में यह ऐतिहासिक भाषण दिया:

आज रात्रि में यह देश खतरे से जागा है और आजादी की रक्षा करने की जरूरत है ।

हमारी पीड़ा गुस्से में बदल गयी है और गुस्सा सकल्प में । चाहे हम अपने दुश्मनों को न्याय तक पहुंचाएं या न्याय को दुश्मनों तक दोनों स्थितियों में न्याय होगा । ग्यारह सितम्बर को आजादी के शत्रुओं ने हमारे देश के खिलाफ युद्ध की कार्रवाई की । अमेरिकियों को पहले भी कई युद्धों का सामना करना पड़ा है ।

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लेकिन पिछले 136 सालों में ये सभी युद्ध साल 1941 के एक रविवार के अलावा हमेशा विदेशी धरती पर हुए । अमेरिका का युद्ध से पीड़ित लोगों से भी सम्बन्ध रहा है, लेकिन एक शान्तिपूर्ण प्रभाव में एक महान् नगर के केन्द्र में नहीं ।

आज अमेरिकियों के सामने कई सवाल हैं । अमेरिकी पूछ रहे हैं: ‘किसने हमारे देश पर हमला किया ?’ जो प्रमाण हमने इकट्‌ठे किये हैं, वे सभी एक अदृढू रूप से सम्बद्ध आतंकी संगठन अल कायदा की तरफ इशारा करते हैं । ये उन हत्यारों में से हैं, जो तंजानिया व कीनिया के अमेरिकी दूतावासों तथा यू॰एस॰ए॰ पर बम विस्फोट के उत्तरदायी रहे हैं ।

ये आतंकवादी एक ऐसे चरमपंथी इसलामी गुट से सम्बन्ध रखते हैं, जिसे मुस्लिम विद्वानों और बड़े पैमाने पर मुस्लिम मौलवियों ने स्वीकार नहीं किया है । यह कट्‌टरपंथी आन्दोलन इसलाम के शान्तिपूर्ण उपदेशों को विभत्स या अपूर्ण कर रहा है ।

इन आतंकवादियों को निर्देश है कि वे ईसाइयों व यहूदियों को मृत्यु के घाट उतारें । सभी अमेरिकियों को मार डालें । सैनिकों और नागरिकों में कोई अन्तर न करें-वे नागरिक जिनमें बच्चे और महिलाएं भी सम्मिलित हैं । यह गुट, जिसका मुखिया ओसामा बिन लादेन नाम का एक व्यक्ति है, विभिन्न देशों के कई संगठनों से सम्बद्ध है, जिसमें मिस्र का इसलामी जिहाद उच्चेकिस्तान का इसलामी आन्दोलन आदि सम्मिलित हैं ।

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अल कायदा के मुखियाओं का अफगानिस्तान में बहुत दबदबा है । यह उस देश के बहुत से भाग को अपने नियन्त्रण में रखने के लिए तालिबानी शासन की मदद करता है । हमें अफगानिस्तान में अल कायदा का संसार के प्रति नजरिया दिखायी देता है । अफगानिस्तान के लोगों पर बर्बर अत्याचार हुए हैं ।

बहुत से भुखमरी के शिकार हो रहे हैं बहुत-से देश छोड्‌कर भाग गये अमेरिका अफगानिस्तान की जनता का आदर करता है । हम उसकी मानवीय मदद का सबसे बड़ा स्रोत हैं, लेकिन हम तालिबानी शासन की निन्दा करते हैं । यह न केवल अपने लोगों को पीड़ित कर रहा है, अपितु आतंकवादियों को प्रायोजित करके उन्हें आश्रय देकर और उनकी आपूर्ति करके सब जगह लोगों को खतरे में डाल रहा है ।

हत्यारों को भड़काकर और उनकी मदद करके तालिबानी शासन हत्याएं कर रहा है । आज रात्रि सयुक्त राज्य अमेरिका तालिबान से ये मांगें रखता है:  आपके देश में अल कायदा के जो भी नेता छिपे हुए हैं, उन्हें अमेरिकी अधिकारियों को सौंप दें ।

आपने अमेरिकी नागरिकों सहित जिन विदेशी नागरिकों को अवैध रूप से जेल में बन्द किया हुआ है, उन्हें छोड़ दीजिये । विदेशी पत्रकारों राजनयिकों व सहायता कर्मियों को अपने देश में सुरक्षा प्रदान करें । अफगानिस्तान में जितने भी आतंकवादी शिविर हैं, उन्हें फौरन व हमेशा के लिए बन्द कर दीजिये । प्रत्येक आतंकवादी व उसके सहायक ढांचे को उपयुक्त अधिकारियों को सौंप दीजिये ।

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अमेरिका को आतंकवादी शिविरों तक जाने की पूरी सुविधा दीजिये ताकि हम सुनिश्चित कर सकें कि अब वे सक्रिय नहीं हैं । इन मांगों पर किसी प्रकार की बातचीत या समझौता नहीं होगा । तालिबान को अवश्य और फौरन कार्रवाई करनी होगी ।

उन्हें आतंकवादी सौंपने होंगे या फिर उनके परिणाम का सहभागी बनना होगा । आतंकवादी स्वधर्मद्रोही हैं । वास्तव में, उन्होंने इसलाम का अपहरण कर लिया है । हमारे अनेक मुस्लिम दोस्त अमेरिका के दुश्मन नहीं । हमारे अनेक अरब दोस्त हमारे दुश्मन नहीं । हमारा दुश्मन तो आतंकवाद का उग्र तन्त्र और उसे मदद देने वाली प्रत्येक सरकार है ।

आतंक के खिलाफ हमारा युद्ध अल कायदा से शुरू होता है, परन्तु यह उसका समापन नहीं । यह तब तक खत्म नहीं होगा जब तक विश्वस्तरीय प्रत्येक आतंकी गुट का पता लगाकर उसे रोककर धराशायी नहीं किया जाता । अमेरिकन पूछ रहे हैं: ‘वे हमसे नफरत क्यों करते हैं?’ वे नफरत करते हैं; क्योंकि यहां उन्हें एक लोकतान्त्रिक पद्धति से चुनी सरकार दिखायी देती है ।

उनके नेता स्वयंभू हैं । उन्हें हमारी धार्मिक आजादी अभिव्यक्ति की आजादी मत देने की आजादी एक-दूसरे से सहमत न होने की आजादी से नफरत है । यह युद्ध एक दशक पहले हुए इराक युद्ध की भांति न होगा जिसमें एक क्षेत्र को छुड़ाया गया और कम वक्त में निर्णायक परिणाम मिले ।

यह दो साल पहले कोसोवो में हुए नभ-युद्ध के समान भी नहीं होगा जहा थल सेना का प्रयोग नहीं हुआ और एक भी अमेरिकी युद्ध में घायल नहीं हुआ । हमारी कार्रवाई तात्कालिक जवाबी हमले या इक्के-हुक्के आक्रमणों वाली नहीं होगी । अमेरिकियों को एक युद्ध की उगशा नहीं रखनी चाहिए । यह एक लम्बा सैनिक अभियान होगा जैसा हमने पहले कभी नहीं देखा ।

इसमें टेलीविजन पर दिखाये जाने वाले नाटकीय आक्रमण भी होंगे और परिणामों को भी छिपाये रखने वाले छद्‌म आक्रमण भी । हम आतंकवादियों को धनहीन कर देंगे । उन्हें एक-दूसरे के खिलाफ कर देंगे । उन्हें एक स्थान से दूसरे स्थान पर खदेड़ेंगे जब तक उनके पास आसरा या ठहरने के लिए कोई जगह न रहे ।

जो राष्ट्र आतंकवादियों को सुरक्षित आसरा या मदद देते हैं, हम उनका भी पीछा  करेंगे । अब प्रत्येक क्षेत्र में प्रत्येक राष्ट्र को फैसला करना है कि वह या तो हमारे साथ है या आतंकवादियों के साथ । आज के दिन से जो भी राष्ट्र आतंकवाद को प्रश्रय देता है या उसकी मदद करता है, अमेरिका उसे शत्रुतापूर्ण शासन मानेगा । हमारे राष्ट्र को चेतावनी दी गयी है कि हम आक्रमण से निरापद नहीं ।

हम अमेरिकियों की रक्षा के लिए सुरक्षात्मक कदम उठायेंगे । अमेरिका के लिए कार्रवाई करने का वक्त आ गया है और यह हमें महिमायुक्त करेगा । यह अकेले अमेरिका का संघर्ष नहीं है, न ही केवल अमेरिका की आजादी दांव पर है । यह समस्त संसार का संघर्ष है, यह सभ्यता का संघर्ष है । यह उन सभी का संघर्ष है, जो प्रगति बहुलता सहनशीलता और स्वतन्त्रता में भरोसा रखते हैं ।

हम प्रत्येक राष्ट्र को हमारा साथ देने के लिए आमन्त्रित करते हैं । हम अपने सिद्धान्तों के लिए लड़ रहे हैं और हमारा प्रथम उत्तरदायित्व उनका पालन करना है । किसी को भी उसकी नृजातीय पृष्ठभूमि या धार्मिक आस्था के कारण अनुचित व्यवहार या अनुचित वचनों का निशाना नहीं बनाया जाना चाहिए ।

जब तक अमेरिका दृढ़ और शक्तिशाली है, यह युग आतकवाद का युग नहीं बन सकेगा । यहां भी और सम्पूर्ण विश्व में भी स्वाधीनता का युग रहेगा । हमारा देश और हमारी पीढ़ी हमारी जनता और हमारे भविष्य पर मंडराने वाले हिंसा के काले बादलों को मिटा देगी ।  अपने प्रयासों व अपने साहस से हम सम्पूर्ण विश्व को इस उद्देश्य के लिए जाग्रत करके एकजुट कर देंगे ।  हम थकेंगे नहीं, हम घबरायेंगे नहीं, हम असफल नहीं होंगे ।

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