जिला प्रशासन: कार्य, शक्तियां एवं महत्त्व | Jila Prashaasan: Kaary, Shaktiyaan Evan Mahattv | Essay on District Administration: Functions, Powers and Importance in Hindi.
1. प्रस्तावना ।
2. कार्य शक्तियां एवं महत्त्व ।
3. नागरिक सुविधाएं एवं विकास ।
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4. उपसंहार ।
1. प्रस्तावना:
33 लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल में फैले हुए हमारे लोकतान्त्रिक देश की शासन व्यवस्था को सुचारु रूप से चलाने के लिए करोडों, लाखों, हजारों, सैकड़ों कर्मचारियों की आवश्यकता होती है । 28 राज्यों, 7 केन्द्रशासित प्रदेशों में बंटे हुए कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक फैले हुए हमारे देश की सीमा विशाल है ।
भौतिक तथा मानवीय परिस्थितियों में एक उममहाद्वीप की तरह लगने वाले इस देश की सम्पूर्ण शासन-व्यवस्था को प्रत्येक गांव तथा नगर तक चलाने के लिए कई इकाइयां मिलकर कार्य करती हैं । जिले की महत्त्वपूर्ण इकाई के लिए प्रशासन की जो व्यवस्था है, उसे जिला प्रशासन कहा जाता है ।
2. कार्य, शाक्तियां एवं महत्त्व:
जिला प्रशासन के 3 प्रमुख कार्य हैं:
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1. शान्ति और व्यवस्था बनाये रखना ।
2. जिले में विद्यमान भूमि का रिकार्ड रखना और किसानों से भूमि कर वसूलना ।
3. नागरिक सुविधाएं और सेवाएं प्रदान कर सभी क्षेत्रों में जिले का विकास करना । जिले का सर्वोच्च अधिकारी जिलाधीश या कलेक्टर होता है । वह जिले के सभी कार्यो की देखरेख करता है ।
इसके अतिरिक्त डिप्टी कलेक्टर, तहसीलदार, नायब तहसीलदार, राजस्व निरीक्षक, पटवारी, पुलिस सुपरिटेण्डेण्ट, थानेदार, जेलर, सिविल सर्जन, जिला शिक्षा अधिकारी, कृषि जिला अधिकारी इत्यादि कार्य करते हैं । किसी भी कलेक्टर की सफलता का मापदण्ड इस बात पर निर्भर करता है कि वह जिले में शान्ति-व्यवस्था किस प्रकार बनाये रखता है ।
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प्रत्येक जिले में 5 या 6 सर्किल होते हैं । प्रत्येक सर्किल का प्रमुख डिप्टी सुपरिटेण्डेण्ट होता है, जिसमें 10 थाने होते हैं । एक पुलिस इंसपेक्टर इसका प्रमुख होता है । इसके अधीन सबइंसपेक्टर, सिपाही, चौकीदार होते हैं । प्रत्येक जिले में एक जेल होती है, जिसका प्रमुख जेलर होता है । एक डिप्टी जेलर भी होता है ।
जिला प्रशासन का दूसरा प्रमुख कार्य भूमि सम्बन्धी कार्यों की देखभाल व कर वसूली है । तहसीलदार, नायब तहसीलदार, राजस्व निरीक्षक, पटवारी सभी जिला, तहसील, ब्लॉक, गांव आदि की कृषि योग्य भूमि का वर्गीकरण, नाप, पैदा होने वाली उपज, लगान आदि ब्यौरा रखते हैं । पटवारी 3 से 4 गांवों का ब्यौरा रखता है । प्रशासन अकाल, महामारी तथा बाढ़ आदि के समय नागरिकों की सहायता करता है ।
3. नागरिक सुविधाएं एवं विकास:
नागरिक सुविधाओं और विकास के अन्तर्गत जिला प्रशासन दवाखानों का प्रबन्ध करता है । शिक्षा विभाग की देखभाल, निरीक्षण का कार्य जिला शिक्षा अधिकारी का होता है । सरकारी इमारतों का निर्माण व देखरेख की जिम्मेदारी लोकनिर्माण विभाग की है । इसका प्रमुख कार्यपालन यन्त्री होता है । कलेक्टर पंचायती राज तथा अन्य संस्थाओं का प्रबन्ध व नियन्त्रण भी करता है ।
भूमि, सम्पत्ति सम्बन्धी विवाद, दीवानी तथा फौजदारी अदालतों में निबटाये जाते हैं । दीवानी न्यायालयों का सीधा सम्बन्ध जायदाद, रुपयों के लेन-देन से तथा फौजदारी का चोरी, मारपीट, हत्या से होता है । जिला जज दोनों न्यायालयों का निरीक्षण करता है ।
दीवानी न्यायालय में सिविल जज, तो फौजदारी में सेशन जज का न्यायालय सबसे बड़ा होता है । सेशन जज की अदालत के नीचे प्रथम, द्वितीय तथा तृतीय श्रेणी के मैजिस्ट्रेट होते हैं । प्रथम श्रेणी का मैजिस्ट्रेट 2 वर्ष की सजा तथा का जुर्माना कर सकता है ।
द्वितीय श्रेणी का 6 माह की सजा और 200 रुपये का जुर्माना तथा तृतीय श्रेणी का एक माह की सजा और 50 रुपये का जुर्माना कर सकता है । छोटे मुकदमे न्याय पंचायत के माध्यम से सुलझाये जाते हैं । जिले के सभी न्यायालय राज्य के उच्च न्यायालय की देखरेख में कार्य करते हैं ।
4. उपसंहार:
प्रशासनिक दृष्टि से जिला स्तर की इकाई हेतु जिला प्रशासन अत्यन्त ही सुव्यवस्थित शासन व्यवस्था है । शान्ति व्यवस्था तथा नागरिक सेवाओं और सुविधाओं की दृष्टि से यह एक आदर्श कार्यप्रणाली है । भूमि सम्बन्धी रिकार्डों द्वारा राज्य सरकारों को आर्थिक सहयोग भी देती है । जिला प्रशासन की सफलता कर्मचारियों की ईमानदारी एवं कर्तव्यनिष्ठता पर आधारित है । वस्तुत: यह विकेन्द्रीकृत शासन व्यवस्था का लोकतन्त्रात्मक स्वरूप है ।