स्पैनर्स: प्रकार और दोष | Read this article in Hindi to learn about:- 1. स्पेनर के प्रकार (Type of Spanners) 2. स्पनेर में दोष (Defects in Spanners) 3. सावधानियां (Precautions).
स्पेनर के प्रकार (Type of Spanners):
प्रायः निम्नलिखित प्रकार के बेनर प्रयोग में लाये जाते हैं:
i. सेट स्पेनर:
इस प्रकार के स्पेनर खुले सिरे वाले होते हैं जिनके सिरे अक्ष के साथ 15० पकड़ भी सामान्य होती है । इनका अधिकतर प्रयोग साधारण कार्य करते समय नट व बोल्ट को कसने व ढीला करने के लिए किया जाता है । इसका प्रयोग प्रायः वहां किया जाता है जहां पर नट व बोल्ट को घुमाने के लिए पर्याप्त स्थान हो । ये मेनर इंचों में 1/4” से 1-1/4” तक व मीट्रिक में 6 मि.मी. से 32 मि.मी. तक पाये जाते हैं ।
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सेट स्पेनर प्रायः निम्नलिखित दो प्रकार के होते हैं:
(क) सिंगल ऐण्डिड स्पेनर:
इस प्रकार के स्पेनर का एक ही मुंह होता है जो कि एक निश्चित साइज में बना होता है । इस स्पेनर का प्रयोग केवल एक साइज के नट व बोल्ट को ढीला करने व कसने के लिए किया जाता है ।
(ख) डबल ऐण्डिड स्पेनर:
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इस प्रकार के स्पेनर के दो मुंह होते है । इसके दोनों मुंह अलग-अलग सिरों पर होते हैं और अक्ष से एक दूसरे के विपरीत होते हैं । इनको दो साइज के नट या बोल्ट फिट करने के लिए प्रयोग में लाया जाता हैं ।
ii. रिंग स्पेनर:
इस प्रकार के मेनर के सिरों में सुराख होते है और उनमें प्रायः 12 नोचित् बने होते है । इस प्रकार ये बोल्ट या नट के हैड को चारों ओर से पकड़ लेने हैं जिनके कारण कसते व ढीला करते समय स्पेनर के फिसलने की संभावना नहीं रहती है ।
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इनके दोनों सिरे अलग-अलग साइज के होते हैं । ये भी सिंगल ऐण्डिड या डबल ऐण्डिड वाले पाये जाते हैं । इनका प्रयोग प्रायः वहां किया जाता है जहां पर नट या बोल्ट को घुमाने के लिए कम जगह होती है । ये स्ट्रेट टाइप व क्रेक टाइप में पाये जाते हैं ।
iii. ट्यूब्यूलर बॉक्स स्पेनर:
यह एक खोखला पाइप होता है जो कि अंदर से षट्भुज आकार में बना होता है । ये भिन्न-भिन्न लंबाइयों व साइजों में पाये जाते हैं । इसकी बॉडी पर एक आर-पार सुराख बना होता है जिसमें एक गोल सरिया डाल कर इसे घुमाया जाता है । इनका अधिकतर प्रयोग गहराई में लगे षट्भुज आकार के नट व बोल्ट को कसने व ढीला करने के लिए किया जाता है ।
iv. सॉकेट स्पेनर:
यह स्पेनर ट्यूबलर बॉक्स स्पेनर की तरह का होता है तथा इसका मुंह केवल एक ही सिरे पर बना होता है । जो भिन्न-भिन्न साइजों में पाया जाता है । इसके मुंह में 12 नोचिस बने होते हैं । ये प्रायः सेट में पाये जाते हैं ।
इसके दूसरे सिरे पर चौकोर सुराख बना होता है जिसमें टॉमी बार हैंडल लगाकर इसे घुमाया जा सकता है । इस स्पनेर का प्रयोग प्रायः वहां किया जाता है जहां नट या बोल्ट कुछ कम गहराई में लगा हो और जगह कम हो और अधिक मजबूत पकड़ की आवश्यकता हो ।
v. एडजस्टेबल स्पेनर:
इस प्रकार के मेनर के मुंह के साइज को घटाया बढ़ाया जा सकता है । इसकी बनावट में दो जॉस होते हैं । एक जॉ फिक्स्ड होता है तथा दूसरा मुवेबल । इस प्रकार के स्पेनर का प्रयोग अलग-अलग साइज के नट या बोल्ट को खोलने व
कसने के लिए किया जाता है । इस मेनर की पकड़ने की शाक्ति अन्य स्पेनरों की अपेक्षा कुछ कम होती है । इसलिए इनका प्रयोग हल्के कार्यों के लिए किया जाता है । इनका साइज इनकी लंबाई में लिया जाता है जैसे 150 मिमी. 200 मिमी., 300 मिमी. इत्यादि ।
vi. पिन हुक स्पनेर:
इस प्रकार के स्पेनर का एक सिरा अर्ध गोलाकार होता है जिसके सिरे में एक हुक बनी होती है । इस स्पेनर का प्रयोग गोलाकार नट पर किया जाता है जिसमें एक सुराख बना होता है । स्पेनर की हुक इस सुराख में फंसा दी जाती है और नट को आवश्यकता के अनुसार खोला या कसा जा सकता है ।
स्पनेर में दोष (Defects in Spanners):
सही पोजीशन में आसानी से लगाने के लिए स्पेनर्स के जास् को नट की चौड़ाई से थोड़ा सा बड़ा होना चाहिए । स्पेनर का प्रयोग करते समय यह ध्यान रखना चाहिए कि स्पेनर के जॉस् नट के फ्लैट्स के साथ पूरी तरह से संपर्क में रहें । गलत प्रयोग करने से स्पेनर्स खराब हो सकते हैं । दोषमुक्त स्पेनर्स का प्रयोग करना खतरनाक होता है, इसलिए खराब स्पेनर्स का प्रयोग नहीं करना चाहिए ।
स्पेनर्स में प्रायः निम्नलिखित दोष आ सकते हैं:
i. ओपन ऐण्डिड स्पेनर्स में प्रायः निम्नलिखित दोष आ सकते हैं:
(क) क्रेक
(ख) बांस का खुल जाना
(ग) जॉस् का खराब होना और गोलाई में बन जाना
ii. रिंग स्पेनर्स में प्रायः निम्नलिखित दोष आ सकते हैं:
(क) क्रेक
(ख) अंदरुनी खांचों का खराब होना और गोलाई में बन जाना ।
iii. सॉकेट स्पेनर्स में प्रायः निम्नलिखित दोष आ सकता है:
(क) अंदरूनी खांचों का खराब होना और गोलाई में बन जाना ।
iv. ट्यूब्यूलर बॉक्स स्पेनर में प्रायः निम्नलिखित दोष आ सकते हैं:
(क) किनारे फट जाना ।
(ख) हेक्सागन का खराब होना और गोलाई में बन जाना ।
स्पेनर के उपयोग में सावधानियां (Precautions Taken while Using Spanners):
i. कार्य करते समय नट या बोल्ट के साइज के अनुसार उचित स्पेनर या रेंच का प्रयोग करना चाहिये । यदि सही साइज का स्पेनर प्रयोग में न लाया गया तो वह कार्य करते समय फिसल सकता है व चोट लगने की संभावना भी रहती है ।
ii. स्पेनर या रेंच पर आवश्यकता से अधिक ताकत नहीं लगानी चाहिए ।
iii. नट व बोल्ट को खोलते व कसते समय स्पेनर या रेंच पर हथोड़े की चोट नहीं लगानी चाहिये ।
iv. एडजस्टेबल स्पेनर का प्रयोग करते समय एडजस्टेबल जॉ को उस ओर रखना चाहिए जिधर बल लगाया जा रहा है ।
v. नट व बोल्ट को खोलते समय यदि स्पेनर बड़े साइज का है तो कभी भी हेक्सों ब्लेड या दूसरी पत्ती की पेकिंग नहीं लगानी चाहिये बल्कि सही साइज का स्पेनर प्रयोग करना चाहिये ।