Read this article in Hindi to learn about the sensory process observed in an individual.

मानव जगत में मानव अपने व्यवहार प्रदर्शन के लिए दैनिक क्रियाएँ एवं प्रतिक्रियाओं में स्वयं को संलग्न रखता है । आपने देखा होगा कि मनुष्य अपने आस-पास के पर्यावरण के लिए अत्यन्त सजग रहता है । वह सोचता विचार करता है, देखता है, सुनता है, तुलना करता है, ध्यान देता है आदि प्रकार की क्रियाएँ जो कि स्वयं ही होती रहती हैं ।

ऐसा क्यों? ऐसा इसलिए कि प्रत्येक मनुष्य के साथ में कुछ ज्ञानेन्द्रियाँ सदैव सक्रिय रहती हैं, जिन्हें हम संवेदना ज्ञानेन्द्रियों के नाम से जानते हैं । उदाहरण के लिए हम अपने घर में विभिन्न स्थानों से सम्बन्धित वस्तुओं को देखते हैं, उनकी आकृति रंग आकार के विषय में ध्यान देते हैं, और उन वस्तुओं का जब-तब तुलनात्मक संग्रह भी करते हैं, क्योंकि ऐसा मनुष्य के व्यवहार में सम्मिलित है, कि वह जो देखता, सुनता व समझता है, वैसा प्राय: स्वयं करने का मन बनाता है ।

मनुष्य को ऐसा करने के लिए कोई प्रयास नहीं करना पड़ता यह उसके स्वभाव में सम्मिलित है, और इसी कारण से अनेक अनुभवों का ज्ञान मानव को होता रहता है ।

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इसके लिए आवश्यक है, कि जगत् के ज्ञान की अवधारणा को स्पष्ट किया जाए:

जगत् का ज्ञान (Knowledge of World):

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मनुष्य को अपने आस-पास के वातावरण का बोध ज्ञानेन्द्रियों (Sense Organs) की क्रियाशीलता के द्वारा होता है । प्राणी जहाँ भी होता है, उसके आस-पास विभिन्न प्रकार के उद्दीपक उपस्थित होते हैं, जिनके द्वारा वह प्रभावित होता है । वास्तव में ज्ञानेन्द्रियाँ, उदाहरणार्थ-नाक, कान, आँख, जीभ तथा त्वचा किसी द्रव्य से उत्तेजना प्राप्त करके उसे निबन्धित (Registration) करती हैं, जिससे प्राणी उत्तेजित (Sensation) होता है ।

किसी भी उद्दीपक या द्रव्य को निबन्धत होने के लिए यह जरूरी है, कि वह प्राणी के ध्यान को अपनी ओर आकृष्ट करे । जब निबन्धत सूचनाओं को मस्तिष्क में भेजा जाता है, तो उसका एक अभिप्राय ग्रहण किया जाता है, और उससे मानसिक चित्र (Perception) की प्रक्रिया सुदृढ़ हो जाती है ।

स्पष्टत: यह कहा जा सकता है, कि तब संवेदन (Sensation), अवधान (Attention) तथा प्रत्यक्षण की प्रक्रिया परस्पर अंतर्बद्ध होती है और जिससे प्राणी को अपने जगत् का बोध होता है ।

इन प्रक्रियाओं को एक उदाहरण के द्वारा इस प्रकार समझाया जा सकता है । जैसे कि आप जिस कक्षा में बैठकर पढ़ रहे हैं, वहाँ विभिन्न उद्दीपक (Stimulus) जैसे- बल्व, पंखा, मेज, कुर्सी, किताब आदि मौजूद हैं । किन्तु आपका ध्यान सिर्फ किताब पर है, जिसे आप पढ़ रहे हैं ।

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आपकी आँख किताब के पन्ने तथा अन्य उद्दीपकों को लेकर उनका निबन्धन कर रहा है, तथा उस पंजीकरण की सूचना मस्तिष्क को भेज रहा है, जिनके द्वारा व्यक्ति को किताब में लिखी गई पंक्तियों का अभिप्राय समझ में आ रहा है ।

अन्य उद्दीपकों में से केवल पुस्तक पर ध्यान देना अवधान (Attention) का उदाहरण है, तथा पुस्तक के पन्नों पर लिखी गई पंक्तियों से आपकी आँखों में उत्तेजन का पैदा होना संवेदन (Sensation) का उदाहरण है, तथा फिर उन उत्तेजनों का अर्थपूर्ण बोध होना मानसिक चित्र (प्रत्यक्षण) का उदाहरण है ।

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