Read this article in Hindi to learn about the intiatives taken health development since independence.
यह विचार में रख कर कि स्वास्थ्य और पोषण की महत्तता में, सरकार को देखी गई सभी मुख्य समस्याओं के समाधान के लिए पूर्ण ध्यान देना पड़ता है । कार्यक्रम जिन्हें शुरू किया गया था, उनमें स्वास्थ्य की स्थिति में काफी सुधार की जरूरत है । हमने 1951 में नियोजित आर्थिक विकास को शुरू किया था । तालिका 17.3 योजना के पिछले 50 पंच वर्षीय योजनाओं के दौरान स्वास्थ्य सेवाओं की प्रगति के विचार को देती है ।
तालिका 17.3 से पता चलता है कि मैडिकल कॉलेजों की संख्या 1950-51 में 28 से बढ़कर 2013-14 में 412 हो गई । अस्पतालों की संख्या जिसमें डिस्पैंसरियां मौजूद है, की संख्या 1951 में 7269 से बढ़कर 2013-14 1479000 हो गई । 1951 में कोई कम्यूनिटी हेल्थ सेंटर नहीं था, परंतु 2007 में 4510 कम्यूनिटी सेंटर थे ।
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प्राइमरी हेल्थ सेंटरों की संख्या 725 से बढ़ कर 27,355 संख्या शानदार दर पर बड़ी । डाक्टरों की संख्या 2000-01 में 61,840 से 605840 हो गई । अस्पतालों में बैडों की संख्या समान अवधि पर 1.17 लाख से 12.4 विस्तार में स्वास्थ्य सेवाओं में जगह ली यहां तक कि अग्रिम देशों की तुलना में हमारी स्थिति अच्छी नहीं है ।
मैडीसन और होम्योपैथी की भारतीय प्रणाली का नया विभाग तेजी से प्रगति कर रहा है । इसके अतिरिक्त, देश कुछ रोग कुष्ट रोग हटाने के उद्देश्य की और प्रगति कर रही है जिसमें 1% प्रति 10,000 जनसंख्या से कम के लिए प्रसार दर को नीचे लाया गया है ।
शिशु मृत्यु दर जो 2005 में 58 प्रति हजार थी 2011 में 44 तक गिर गई । ग्रामीण परिवारों की संख्या जिन्हें टायलेट सुविधाएं सलाना दी जाती हैं 2002-03 में 6.21 लाख से बढ़कर 2011-12 में 88 लाख हो गई । इसी तरह हैं MPEC 2007-08 में 14.77% से बढ़ कर 2012-13 में 17.39% हो गई जो 2010-11 में 18% सबसे उच्च थी । राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति 2002 को NRHM (National Health Policy) को 2005 में ग्रामीण लोगों को अच्छी स्वास्थ्य सेवा देने के उद्देश्य के साथ पेश किया गया ।
2012-13 में, स्वास्थ्य के लिए योजना का व्यय 13.9% द्वारा रु. 30,447 करोड़ तक बड़ी । राज्य और केन्द्र के आय और पूजी खर्च स्वास्थ्य और जनता के स्वास्थ्य, पानी की पूर्ति और स्वच्छता और परिवार कल्याण पर 2006-07 में 53,057.80 करोड़ से बढ़ कर 2011-12 में रु. 1,18,295.78 करोड़ हो गई ।
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बारहवीं पंच-वर्षीय योजना स्वास्थ्य के लिए केन्द्रीय व्यय 200% द्वारा बढ्कर रु. 3,00,018 करोड़ हो गई । यह ग्यारहवीं पंच-वर्षीय योजना में रु. 99,491 करोड़ की वास्तविक व्यय की तुलना में थे । यह व्यय जनता स्वास्थ्य सेवाओं के लिए किया जायेगा और इसका दीर्घ काल का उद्देश्य सर्व-व्यापी स्वास्थ्य कवरेज की प्रणाली को स्थापित करना था । सरकार ने निम्न को पेश किया ।
राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन [National Rural Health Mission (NRHM)]:
NRHM ने मौजूदा स्वास्थ्य और परिवार कल्याण प्रोग्रामों के लिए व्यापक छाते को प्रदान किया । यह 2005 में पेश किया गया जिसका उद्देश्य ग्रामीण जनसंख्या के अच्छे स्वास्थ्य का सुधार करना और अन्तर सैक्टोरियल अभिसरण को लाना था ।
बढ़िया बुनियादी ढाँचा, मानव शक्ति की उपलब्धता, दवाईयां और उपकरण, विभिन्न स्तरों पर स्वास्थ्य सुविधाओं में स्वास्थ्य मानवीय संसाधनों की वृद्धि का सम्बन्ध, स्वास्थ्य देखभाल करने वाली सेवाओं में सुधार और बाहरी रोगी विभाग और मरीज भर्ती करने वाली विभाग की सेवाओं में वृद्धि, NRHM के अंन्तर्गत 14 लाख स्वास्थ्य मानवीय संसाधनों को सितम्बर 2012 तक देश के गिर्द स्वास्थ्य प्रणाली के साथ जोड़ा गया ।
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अन्य पेश किए जाने वाले कार्यक्रमों में शामिल है-जननी सुरक्षा योजना, National Vector Borne Disease Control Programme, मानवीय संसाधन, बुनियादी विकास । Upgradation of Tertiary Healthcare, प्रधान मन्त्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना, आयुर्वेद, योगा और प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्धा और होम्योपैथी ।
बारहवीं पंच-वर्षीय योजना-रणनीति (Twelfth Five Year Plan – Strategy):
MLEG की सिफारिशों और अन्य हितधारकों की सलाह पर बारहवीं पंच-वर्षीय योजना रणनीति के मुख्य कारकों को रेखित किया गया है । इस रणनीति का दीर्घ चाल उद्देश्य देश में सर्वव्यापी स्वास्थ्य कवरेज की प्रणाली को स्थापित करना है ।
निम्न में 12वीं योजना अवधि रणनीति दी गई है:
(1) क्षेत्र स्वास्थ्य केन्द्र प्रणाली का पर्याप्त विस्तार और मजबूती, उच्च लागत पर निर्भरता से कमजोर जनसंख्या को मुक्त करना और अगम्य निजी क्षेत्र की स्वास्थ्य केन्द्र प्रणाली ।
(2) केन्द्रीय सरकार और राज्य सरकार द्वारा स्वास्थ्य क्षेत्र व्यय, दोनों नियोजित और अनियोजित, बारहवीं पंच-वर्षीय योजना द्वारा पर्याप्त रूप से बढ़ेंगे । यह दसवीं योजना में GDP के 0.94 प्रतिशत से ग्यारहवीं योजना में 1.04% तक बढ़े ।
साफ पीने का जल और स्वच्छता का प्रावधान जो बीमारियों के नियन्त्रण मुख्य कारक है को औद्योगिक देशों के इतिहास से भली-भांति स्थापित किया गया और इसकी संसाधन आबंटन के सम्बन्ध में स्वास्थ्य में उच्च प्राथमिकता होनी चाहिए । स्वास्थ्य पर व्यय को बारहवीं पंच-वर्षीय योजना के अन्त तक GDP के 205 प्रतिशत तक बढाया जाना चाहिए ।
(3) वित्तीय और प्रबन्धकीय प्रणाली को अच्छे स्वास्थ्य नतीजे को प्राप्त करने और मौजूद संसाधनों के कुशल उपयोग को सुनिश्चित करने के लिए दुबारा बनाया जाएगा । क्षेत्र के भीतर और गिर्द सेवाओं की समन्वित सुपुर्दगी, नवीकरण की भावना और बढ़ावा कुछ प्रस्तावित उपाय हैं ।
(4) स्वास्थ्य उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए निजी और सार्वजनिक क्षेत्र के स्वास्थ्य केन्द्र प्रदाताओं के बीच सहयोग को बढ़ाना । इसमें अन्तर को भरने के लिए सेवाओं में करार और सार्वजनिक निजी साझेदारी को प्रभावी रूप से प्रबंधित करने के विभिन्न रूपों को शामिल किया जाएगा, जब यह पक्का किया जाता है सुपुर्दगी के मानकों के सम्बन्ध में कोई समझौता नहीं है और यह प्रलोभन ढाँचा स्वास्थ्य की देखभाल उद्देश्यों को कमजोर नहीं करता ।
(5) वर्तमान राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना जिसमें बिना खर्च के रोगी का उपचार किया जाता है । बारहवीं योजना अवधि गरीबी रेखा से नीचे की जनसंख्या को राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना द्वारा कवर किया जाएगा । भविष्य में स्वास्थ्य देखभाल ढांचे की योजना में, सेवाओं के विखंडन के मुद्दे का पता लगाने के लिए ‘सेवाओं के और फीस’ क्रियावली से जानना वांछनीय होता है जो प्राथमिक देखभाल और हानि के निवारण के लिए कार्य करती है और धोखे को भी कम करती है ।
(6) कुशल मानवीय संसाधनों की उपलब्धता की वृद्धि के लिए, मैडीकल स्कूलों, नर्सिंग कॉलेजों का बड़ा विस्तार जरूरी होता है और सार्वजनिक क्षेत्र वाले मैडीकल स्कूलों को प्रक्रिया में मुख्य भूमिका निभानी चाहिए । राज्यों में चिकित्सा शिक्षा को बढ़ाने के लिए विशेष प्रयास करने होंगे । इसके साथ कम्यूनिटी स्तर के स्वास्थ्य कर्मचारियों की भर्ती करना और प्रशिक्षण देना ।
(7) केन्द्रीय क्षेत्र या केन्द्रीय प्रस्तावित स्कीमों की बहुलता राज्यों की लोचता को बनाती है जिससे सबसे कुशल ढंग में उनके संसाधनों की तैनाती की जा सके । स्वास्थ्य प्रणाली के स्तम्भों की मजबूती पर केन्द्रित होना चाहिए ताकि यह अनोखी चुनौतियो को रोक सके, पता लगा सके और प्रबंधित कर सके जिसका सामना देश के विभिन्न भागों में किया जाता है ।
(8) सभी रोगियों को बिना लागत वाली सर्वव्यापी रूप से उपलब्ध जैनटिक दवाओं को सार्वजनिक रूप से उपलब्ध करवाना जो अनिवार्य स्वास्थ्य पैकेज का हिस्सा है ।
(9) चिकित्सा प्रणाली में प्रभावी अधिनियम, जनता स्वास्थ्य, भोजन और दवाईयां जोखिमों और अनैतिक प्रणालियों के विरुद्ध लोगों को सुरक्षित करने के लिए अनिवार्य है । यह विशेष रूप से स्वास्थ्य क्षेत्र में सूचना अन्तरालों को देते हैं जो सही चयनों को करने के लिए व्यक्तियों के लिए यह मुश्किल होता है ।
(10) बारहवीं योजना में स्वास्थ्य प्रणाली सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के प्रदाताओं के मिश्रण को रखेगी । सार्वजनिक क्षेत्र की स्वास्थ्य सेवाओं को लोगों की सेहत से सम्बन्धित और चिकित्सक सेवाओं दोनों को देने के लिए मजबूत होने की जरूरत होती है ।
सार्वजनिक और निजी क्षेत्र की भी देखभाल करने के लिए सहयोग करने की जरूरत होती है । एक मजबूत अधिनियम प्रणाली सुपुर्द की सेवाओं की गुणवत्ता का निरीक्षण करेगी । मानकीकृत उपचार दिशा-निर्देशों को निजी और सार्वजनिक क्षेत्रों में चिकित्सक देखभाल को देना चाहिए ।