भारत और पड़ोसी देशों की भूगोल | Geography of India and Neighbouring Countries.

भारत उत्तरी-पूर्वी गोलार्द्ध में अवस्थित है तथा हिन्द महासागर में केन्द्रीय अवस्थिति रखता है । भारत का अक्षांशीय व देशातंरीय विस्तार लगभग समान है । इस प्रकार भारत को ‘चतुष्कोणीय देश’ भी कहा जा सकता है । क्षेत्रफल के दृष्टिकोण से भारत विश्व का सातवाँ एवं जनसंख्या के दृष्टिकोण से दूसरा सबसे बड़ा देश है ।

हिन्द महासागर की विभिन्न शाखाओं अर्थात् बंगाल की खाड़ी व अरब सागर के साथ उसकी तटवर्ती सीमा है । मुख्य भूमि की तटीय सीमा 6,100 किमी. लम्बी है । उत्तरी भागों में हिमालय प्राकृतिक सीमा का कार्य करता है ।

भारत के दक्षिण-पूर्वी भागों में इंडोनेशिया, दक्षिणी भागों में श्रीलंका एवं दक्षिण-पश्चिमी भाग में मालदीव की अवस्थिति है । इन तीनों देशों से भारत की समुद्री सीमा मिलती है । सामान्यतः इन तीनों देशों से भारत के सम्बंध मधुर हैं तथा सीमा को लेकर किसी प्रकार के विवाद नहीं है । भारत व श्रीलंका के बीच ‘कच्चातिबू द्वीप’ को लेकर विवाद थे ।

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परंतु सन् 1974 के बाद यह समस्या नहीं उभरी है, क्योंकि भारत ने श्रीलंका को इस द्वीप को सशर्त सौंप दिया है तथा वहाँ भारतीय मछुआरों को भी मत्स्यन की अनुमति दी गई है । दोनों देशों में सम्बंध अच्छे होने कारण श्रीलंका के जाफना के तलैयामन्नार से भारत के रामेश्वरम् क्षेत्र में धनुष्कोण्डि तक के ‘आदम पुल’ को पुनः तैयार करने की बात कही जा रही है ।

दोनों देशों में यद्यपि तमिल उत्पीड़न एवं लिट्‌टे के प्रति सहानुभूति को लेकर विवाद रहे हैं । तमिल उत्पीड़न व लिट्‌टे समस्या को लेकर लम्बे समय से श्रीलंका में चले आ रहे, गृह-युद्ध के हाल ही में समाप्त होने के बाद दोनों देशों के सम्बंधों के प्रगाढ़ होने की संभावना है ।

भारत की स्थलीय सीमा चीन, पाकिस्तान, बांग्लादेश, अफगानिस्तान, नेपाल, भूटान व म्यांमार से मिलती है । अफगानिस्तान से भारत की सीमा प्रत्यक्ष रूप से नहीं मिलती है, क्योंकि यह जम्मू-कश्मीर के पाक अधिकृत क्षेत्र में स्थित है । भारत-पाक सीमा विवाद हल होने के बाद ही भारत के अफगानिस्तान के प्रत्यक्ष क्षेत्रीय सम्बंध संभव है ।

भारत व चीन की समस्या वस्तुतः तिब्बत के चीन द्वारा अधिग्रहण के बाद उभरी है । इसके पहले भारत की सीमा चीन से प्रत्यक्ष नहीं मिलती थी तथा दोनों के बीच तिब्बत एक ‘अंतस्थ राज्य’ (Buffer State) के रूप में था । भारत-चीन की वर्तमान सीमा हिमालय के ‘प्राकृतिक सीमांत’ के मध्य से गुजरती है । सामान्यतः ऐसी सीमा विवाद रहित होती है ।

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पंरतु, भारत-चीन सीमा अत्यधिक विवादास्पद है । अक्साइचिन क्षेत्र में चीन के अवैध कब्जे लगभग सम्पूर्ण अरूणाचल प्रदेश पर दावा, सीमा पर व्यापक सैनिक जमावड़ा, म्यांमार के सितवे नौसैनिक अड्‌डे के उन्नयन में चीनी सहयोग तथा म्यांमार के ही कोको द्वीप में इलेक्ट्रानिक निगरानी तंत्र व मिसाइल लांचिंग पैड की स्थापना आदि भारत व चीन के बीच महत्वपूर्ण विवादास्पद मुद्दे हैं ।

पकिस्तान द्वारा चीन को जम्मू-कश्मीर के अधिकृत भाग में लगभग 5,500 वर्ग किमी. अवैध हस्तांतरण व चीन द्वारा वहाँ सड़क मार्ग का निर्माण भी भारत की भू-सामरिक चिन्ता का कारण है । हाल ही में ब्रह्मपुत्र नदी पर चीन द्वारा बनाया जा रहा ‘मितांग बाँध’ (Mitang Dam) भी दोनों देशों के बीच सामरिक तनाव के रूप में उभरा है ।

भारत की सीमा चीन से जम्मू-कश्मीर, हिमाचल, उत्तराखंड, सिक्किम व अरूणाचल प्रदेश राज्यों में मिलती है । 1993 ई. के बाद संयुक्त कार्यदल के गठन से दोनों देशों के बीच सीमा पर तनाव में कमी आई है, सीमावर्ती व्यापार बड़े हैं । उत्तराखंड में ‘लिपुलेख’ और हिमाचल प्रदेश में ‘शिपकीला दर्रे’ से भी भारत-चीन के बीच व्यापार होता है । ‘नाथू-ला दर्रा’ दोनों देशों के बीच स्थल व्यापार का तीसरा मार्ग है ।

यह मार्ग 1962 ई. के युद्ध के बाद से ही बन्द था । ‘सिल्क रूट’ के नाम से विख्यात यह दर्रा 44 वर्ष बाद भारत-चीन व्यापार हेतु जुलाई, 2006 से खुल गया । यह दर्रा वर्ष में 4 माह (जनवरी-सितम्बर) व सप्ताह में 4 दिन (सोमवार-गुरुवार) खुला रहेगा । परंतु जब तक सीमा समस्या का स्थायी हल नहीं निकल जाता, दोनों देशों के बीच क्षेत्रीय सम्बंध पूर्णतः सामान्य नहीं हो सकते ।

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भारत व पाक की सीमा जम्मू-कश्मीर, पंजाब, राजस्थान व गुजरात से मिलती है । भारत-पाक सीमा ‘परवर्ती सीमा’ का उदाहरण है, जो सांस्कृतिक विकास के बाद विकसित हुई है । इस प्रकार की सीमा में दावे-प्रतिदावे होते हैं । द्वि-राष्ट्रवाद के आधार पर भारत व पाक की सीमा निर्धारित की गई थी ।

जम्मू-कश्मीर को छोड़कर यह सीमा (रेडक्लिफ एवार्ड) विवादास्पद नहीं है । वस्तुतः जम्मू-कश्मीर की समस्या भी सीमा समस्या नहीं है, बल्कि इसके सार्वभौम अधिकार की समस्या है । जम्मू-कश्मीर के भारत में विलय से असहमति के कारण दोनों देशों में सम्बंधों में कटुता रही है ।

हाल ही में गुजरात क्षेत्र में सँकरे सागरीय क्षेत्र ‘सर क्रीक’ व कोरी क्रीक को लेकर विवाद हुए हैं । भारत इसके मध्यवर्ती भाग को दोनों देशों की समुद्री सीमा मानता है, जबकि पाकिस्तान इसके दक्षिणी सिरे को सीमारेखा मानने का पक्षधर है ।

UNCLOS (United Nation Convention on Laws of Seas – 1982) ने दोनों को अपनी समुद्री सीमा निर्धारित करने के लिए 2010 ई. का समय दिया था, परंतु अभी भी इसका हल नहीं निकल पाया है । पाक अधिकृत कश्मीर में आतंकवादी प्रशिक्षण शिविर, भारत विरोधी गतिविधियों का समर्थन एवं कश्मीर मसले को बार-बार अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर उठाना भारत व पाक के बीच कुछ प्रमुख विवादास्पद मुद्दे रहे हैं ।

यद्यपि शिमला समझौता, आगरा शिखर सम्मेलन आदि के द्वारा द्वि-पक्षीय सम्बंधों को बेहतर करने के प्रयास किए गए हैं परंतु कश्मीर मसलों का समाधान हुए बिना दोनों देशों के सम्बंधी का सामान्य होना संभव नहीं है ।

भारत व बांग्लादेश की सीमा की सीमा मिजोरम, त्रिपुरा, असम, मेघालय व पश्चिम बंगाल राज्यों में मिलती है । यह ‘रेडक्लिफ एवार्ड’ द्वारा निर्धारित है तथा द्वि-राष्ट्रवाद पर आधारित है । यह भी ‘परवर्ती सीमा’ है तथा दोनों देशों के कुछ क्षेत्र एक दूसरे देश के अंतर्गत आते हैं । ये अन्तः क्षेत्र कहलाते हैं । इस प्रकार भारत-बाग्लादेश सीमा अंतः क्षेत्रों से (Boundary of Enclaves) युक्त है ।

हालाँकि 100वें संविधान संशोधन के माध्यम से दोनों देशों के सीमा सम्बंधी तीन मुद्दो को छोड़कर इसे पूरी तरह क्रियान्वित कर लिया गया है:

1. किमी. की सीमा का निम्न तीन क्षेत्रों में निर्धारण – लाथिरिल्ला-दुआबाड़ी (असम क्षेत्र), दक्षिण बेरूबाड़ी (पश्चिम बंगाल), पुहरू नदी/बेलोनिया (त्रिपुरा क्षेत्र),

2. एक-दूसरे के क्षेत्रों का आदान-प्रदान व

3. एक-दूसरे की बस्तियाँ अथवा भूखण्डों का आदान-प्रदान ।

उपर्युक्त बचे मुद्दों को भी दोनों देशों के द्वारा आपसी बातचीत से हल कर लिया जाना अपेक्षित है । गंगा जल-बँटवारा विवाद यद्यपि हल कर लिया गया है, इसके बावजूद समस्या बनी हुई है क्योकि अवसादों की अधिक मात्रा के कारण वास्तविक जल आपूर्ति कम हो पाती है । अतः एक नए मॉडल को बनाने की आवश्यकता है ताकि राष्ट्रीय जलमार्ग-1 नौकागम्य भी रह सके एवं बांग्लादेश को जलापूर्ति भी हो सके ।

मणिपुर के चुराछंदर जिले में बराक एवं तुइवाई नदी के संगम के निकट पनबिजली पैदा करने के लिए भारत द्वारा निर्मित की जा रही ‘तिपाईमुख बाँध परियोजना’ का बांग्लादेश में विरोध हो रहा है ।

भारत व म्यांमार की सीमा भारत के अरूणाचल प्रदेश, नागालैड मणिपुर व मिजोरम राज्य से मिलती है । 24 किमी. के क्षेत्र को छोड़कर यह वास्तविक रूप से निर्धारित है तथा दोनों देश में इस सम्बंध में कोई विवाद नहीं है । परंतु म्यांमार द्वारा नागा उग्रवादियों को समर्थन, चीन को कोको द्वीप का स्थानांतरण आदि दोनों देश के बीच विवाद के प्रमुख मुद्दे हैं ।

नेपाल, भारत व चीन के बीच मध्यस्थ राज्य है । इसकी सीमा उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल व सिक्किम में भारत से मिलती है । सामान्यतः दोनों देशों में सीमा को लेकर कोई विवाद नहीं है । 1953 ई. के आधारभूत विशिष्ट समझौते से दोनों देशों के आर्थिक सम्बंध जुड़े हैं ।

नेपाल का 90% से अधिक अंतर्राष्ट्रीय व्यापार भारतीय मार्गों द्वारा होता है । काली नदी को लेकर दोनों देशों में थोड़े बहुत सीमा विवाद उभरते रहते हैं क्योंकि यह अपरदन से अपने किनारों का खिसकाव करती है । इससे स्थानीय कृषकों में तनाव की स्थिति बन जाती है ।

यद्यपि अब संदर्भ बिन्दु का निर्धारण कर लिया गया है । इससे दोनों देशों में ‘कालापानी’ क्षेत्र को छोड़कर अब सीमा समस्या प्राय नहीं के बराबर है । परंतु भारत विरोधी अंतर्राष्ट्रीय संगठनों की नेपाल में उपस्थिति भारत की चिन्ता का कारण है ।

भूटान, भारत व चीन के बीच अन्तस्थ राज्य है तथा भारत का मित्र राष्ट्र है । दोनों देशों में स्थानीय सम्बंध मधुर हैं, परंतु उल्फा उग्रवादियों एवं पाक समर्थित आंतकवादियों के शिविरों का भूटान में होना भारत की चिन्ता का कारण रहा है । भूटान न्रकार की असमर्थता व्यक्त करने के बाद वहाँ भारतीय सैनिक कार्यवाही होने से स्थिति कुछ बेहतर हुई है ।

भारत समानता व सह-अस्तित्व पर आधारित मधुर सम्बंधों का आकांक्षी रहा है तथा पड़ोसी देशों से इस प्रकार के सम्बंध बनाने के प्रयास किए हैं । नेपाल में राणा विद्रोह (1951), बांग्लादेश स्वतंत्रता आंदोलन (1971), श्रीलंका सैनिक विद्रोह (1964), मालदीव में प्रत्यक्ष सैनिक कार्यवाही (1968 ई. 1986 ई.) आदि में अपनी सक्रिय भागीदारी निभाई है ।

इस संदर्भ में श्रीलंका में शांति सेना भेजने के निर्णय भी शामिल है, जिसमें भारत को काफी क्षति भी हुई थी । इस प्रकार, भारत ने पड़ोसी देशों के सार्वभौमिकता को सुरक्षित करने का हरसंभव प्रयास किया है । भारत दक्षेस का अग्रणी देश है तथा आर्थिक व सांस्कृतिक सम्प्रभुता को ध्यान में रखकर पड़ोसी देशों से मित्रतापूर्ण सम्बंध बनाने का पक्षधर रहा है, ताकि भारत अंतर्राष्ट्रीय व भू-सामरिक दृष्टि से सुदृढ़ स्थिति में आ सके ।

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