मेरा देश’ पर निबंध: भारत | Essay on My Country: India in Hindi!
1. प्रस्तावना ।
2. भौगोलिक संरचना एवं प्राकृतिक महत्त्व ।
3. प्राकृतिक वैभव एवं सम्पदा ।
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4. परिवहन एवं व्यापार ।
5. सांस्कृतिक विरासत ।
6. प्रशासनिक ढांचा ।
7. साहित्य, संगीत, नृत्य, कला, भाषा एवं दर्शन की परम्परा
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8. विश्व के पटल पर भारत ।
9. उपसंहार ।
ऊंचा खड़ा हिमालय आकाश चूमता है । नीचे चरण तले पर सिसु झूमता है । गंगा, यमुना, त्रिवेणी नदियां लहर रही हैं । वह पुण्यभूमि मेरी वह स्वर्णभूमि मेरी । वह जन्मभूमि मेरी, वह मातृभूमि मेरी । वह धर्मभूमि मेरी, वह कर्मभूमि मेरी । वह युद्धभूमि मेरी, वह बुद्धभूमि मेरी । वह मातृभूमि मेरी, वह जन्मभूमि मेरी । (सोहनलाल द्विवेदी)
1. प्रस्तावना:
विश्व में क्षितिज पर मेरा देश भारत उस सूर्य की तरह है, जिसने अपनी संस्कृति एवं सभ्यता का प्रकाश समस्त विश्व में आलोकित किया है । आध्यात्मिक ज्ञान का सूरज, जगतगुरु तथा सोने की चिड़िया कहा जाने वाला मेरा देश भारत संसार की सबसे प्राचीन सभ्यता वाला देश है ।
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विज्ञान, गणित, चिकित्सा, धर्म, दर्शन, साहित्य तथा मानवतावादी संस्कृति का शंखनाद मेरे देश भारत से ही हुआ था । विश्व में सबसे पहले शान्ति और अहिंसा का पाठ मेरे देश में ही पढ़ाया था । प्राचीनकाल में इसे आर्यावर्त, हिन्दुस्तान, भारतवर्ष तथा वर्तमान में इसे ‘इण्डिया’ भी कहा जाता है । आज भी ज्ञान-विज्ञान, तकनीकी, सूचना और संचार के क्षेत्र में मेरा देश भारत विश्व के महानतम राष्ट्रों में सम्मान एवं गौरव से जाना जाता है ।
2. भौगोलिक संरचना एवं प्राकृतिक महत्त्व:
विश्व के नक्शे में उत्तरी गोलार्ध में स्थित भारत एक विशाल देश है । 84 उत्तरी अक्षांश तथा 68.7 पूर्वी देशान्तर से 97.25 पूर्वी देशान्तर के बीच फैला हुआ है । उत्तर से दक्षिण तक इसकी लम्बाई 3214 किलोमीटर है और पूर्व से पश्चिम तक इसकी लम्बाई 2933 किलोमीटर है ।
इसका क्षेत्रफल 32,87,263 वर्ग किलोमीटर है । यह कनाडा से 3 गुना, यूरोप से 7 गुना, ब्रिटेन से 13 गुना बड़ा है । अपनी विशालता, विविधता, भौतिक एवं मानवीय परिस्थितियों तथा सीमाओं के कारण यह एक देश न होकर एक उपमहाद्वीप है ।
भारत के उत्तर में हिमालय की बर्फीली चोटियां इस पर चांदी के मुकुट की तरह से सुशोभित होती हैं । देक्षिण के उष्णकटिबंधीय सघन वनों तथा शीतल, मन्द, सुगन्धित मलयानिल से सुरभित इसके तट, पूर्व में बंगाल की खाड़ी, पश्चिम में अरब सागर के बीच में हिन्द महासागर को छूते हैं ।
821/2 पूर्वी देशान्तर रेखा इसके मध्य से होकर गुजरती है । क्षेत्रफल की दृष्टि से यह विश्व का सातवां बड़ा देश है । भारत की सीमाएं प्रकृति तथा मानव द्वारा निर्मित हैं । भारत चीन से अपनी प्राकृतिक सीमा, अर्थात् हिमालय द्वारा विभाजित होता है ।
पड़ोसी जिन देशों की सीमाएं भारत से मिलती हैं, वह हैं: अफगानिस्तान, पाकिस्तान, चीन, म्यान्मार (बर्मा), भूटान तथा बांग्लादेश । कैलाश तथा मानसरोवर तीर्थस्थलों का देश तिबत यद्यपि राजनैतिक दृष्टि से चीन का अंग है, किन्तु भारत के साथ इसका सारकृतिक सम्बन्ध है ।
प्राकृतिक दृष्टि से भारत चार भागों में विभाजित है । उत्तर का पर्वतीय एवं पठारी प्रदेश, उत्तर का विशाल मैदान प्राय-द्वीपीय पठारी भाग एवं समुद्रतटीय मैदान । भौगोलिक आकार की विशालता के कारण यहां की मिट्टी की संरचना विशिष्ट प्राकृतिक दशाओं में होती है ।
यहां की प्रमुख मिट्टियों में जलोढ़, काली तथा लाल मिट्टी है । भारत में सामान्यत: मानसूनी जलवायु पाई जाती है । यहाँ की चार ऋतुओं में शीत ऋतु (15 दिसम्बर से 15 मार्च), ग्रीष्म ऋतु (15 मार्च से 16 जून), वर्षा (16 जून से 15 सितम्बर), शरद (16 सितम्बर से 15 दिसम्बर) हैं ।
यहां शीत में शीत लहर, गरमी में लू तथा वर्षा में मानसून का फटना होता है । भारत की प्रमुख पर्वत चोटियां केटू कंचनजंघा, धौलागिरी, नंगा पर्वत, नंदा देवी, नमचा बरबा हैं । प्रमुख झीलें-सांभर, चिल्ला, पुलीकट हैं । यहां के समुद्री तट-मालाबार तट, कोंकण तट, कोरोमण्डल तट हैं । प्रमुख दर्रे-जोजिला दर्रा, काराकोरम, बोमडीला, शिपकी ला, नाथू ला हैं ।
3. प्राकृतिक वैभव एवं सम्पदा:
असमान वर्षा के वितरण वाले इस देश में कहीं कम, तो कहीं अधिक वर्षा होती है । अत: यहां की प्राकृतिक वन सम्पदा एशिया में चौथा तथा विश्व में दसवां स्थान रखती है । यहां 47000 पेड़-पौधों की प्रजातियां पाई जाती हैं । भारतीय वनों में उष्णकटिबंधीय, सदाबहार वन, पतझड़ वन, शुष्क एन, मरुस्थलीय वन, पर्वतीय वन, ज्वारीय वन, समुद्रतटीय वन तथा अल्पाइन वन प्रमुख हैं ।
भारत एक कृषि प्रधान देश है । यहां के 66.52 प्रतिशत लोग कृषि कार्य करते हैं । देश की 80 प्रतिशत जनसंख्या कृषि पर निर्भर है, जो गांवों में रहती है । यहां की प्रमुख फसलें चावल, ज्वार, बाजरा, मक्का, कंपास, जूट, मूंगफली, तिल, तम्बाकू मूंग, उड़द, राई, गेहूं आलू चना जी व दालें हैं । चाय, कहवा यहां की पेय फसलें हैं । खनिज सम्पदा की दृष्टि से यह सम्पन्न देश है ।
खनिज आर्थिक दृष्टि से हमें सम्पन्न बनाते हैं । भारत कोयला, एल्युमीनियम, डोलोमाइट, सोना, मेंगनीज, लोहा, तांबा, अभ्रक, बॉक्साइट, सीसा, संगमरमर, टिन, हीरा, नमक, थोरियम आदि की दृष्टि से सम्पन्न है । यहां के प्रमुख उद्योग-धंधों में सूती, ऊनी, रेशम, पटसन, वनस्पति तेल, रबड़, भारी इंजीनियरिंग, रासायनिक खाद, जहाज निर्माण, गाड़ी के डिब्बे, दवाइयां, लौह इस्पात प्रचलित हैं ।
4. परिवहन एवं व्यापार:
किसी भी देश के आर्थिक एवं व्यापारिक विकास में परिवहन के साधनों का विशेष महत्त्व होता है । भारत में परिवहन के चार प्रमुख साधन हैं: सड़कें, रेलमार्ग, जलमार्ग और वायुमार्ग । विश्व की तीसरी विशालतम परिवहन व्यवस्था के अन्तर्गत हमारे देश की सड़कों की कुल लम्बाई 33 लाख कि॰मी॰ है ।
इसमें कच्ची-पक्की सड़कें एवं राष्ट्रीय राजमार्ग शामिल हैं । वर्तमान में देश का कुल यात्री यातायात 85 प्रतिशत एवं माल यातायात 65 प्रतिशत सड़कों के जरिये होता है । हमारे देश में रेलमार्ग की कुल लम्बाई 62,759 कि॰मी॰ है । एशिया की सबसे बड़ी एवं विश्व की दूसरी रेल प्रणाली के लिए मशहूर हमारे देश में प्रतिदिन हजार से भी अधिक रेलगाड़ियां चलती हैं । जलमार्ग भी महत्त्वपूर्ण साधन है ।
यहां के 75,16 कि॰मी॰ लम्बे समुद्रतट पर 12 बड़े तथा 148 छोटे बन्दरगाहों से व्यापार व परिवहन होता है । वायु परिवहन हमारे देश में एयर इण्डिया, इण्डियन एअर लाइन्स, वायुदूत, पवनहंस तथा निजी हवाई सेवाओं के रूप में उपलब्ध है । इसका विस्तार 32 हजार किलोमीटर क्षेत्र है ।
व्यापार: हमारे देश में व्यापार देशी एवं भीतरी विदेशी या बाहरी व्यापार होता है । अधिकांश व्यापार समुद्र द्वारा होता है । भारत से निर्यात होने वाली वस्तुओं में चाय, सूती व जूट का सामान, लोहा, लाख, गरम मसाले तथा कम्प्यूटर चिप्स हैं, जो अमेरिका, रूस, जापान, जर्मनी, आस्ट्रेलिया, कनाद्धा, पाकिस्तान, लंका, ईरान, मध्यपूर्व, दक्षिणपूर्व एशिया और पूर्वी अफ्रीकी राष्ट्रों से होता है ।
5. सांस्कृतिक विरासत:
भारतीय सभ्यता विश्व की प्राचीनतम सभ्यता है । प्राचीन भारत का इतिहास, जो 3000 ईसा पूर्व से 700 ई॰ तक है, यह सिसु घाटी की सभ्यता से प्रारम्भ होता है । खुदान के दौरान यहां {मोहन जोदड़ो और हड़प्पा} की उच्चनगरीय सभ्यता का ज्ञान होता है ।
यहां की वैदिक संस्कृति की प्रमुख शैलियां हैं: गांधार शैली, मथुरा शैली, अमरावती ली गुप्तकाल में शिव के अर्द्धनारीश्वर रूप, विष्णु के दशावतार, बुद्ध की श्रेष्ठ मूर्तियां हैं । दक्षिण भारत में धातु की मूर्तियों का निर्माण व्यापक पैमाने पर हुआ है । पल्लवकालीन मूर्तिकला की विषयवस्तु शिव के परिवार, अलवार, नयनान, सन्तों पर केन्द्रित है । असाधारण क्षमता वाली मूर्ति नटराज की है ।
प्रसिद्ध स्थल: भारतीय शिल्पकला एवं स्थापत्यकला विश्व में अनूठी है । यहां के प्रसिद्ध दर्शनीय स्थलों में दिल्ली स्थित हुमायूं का मकबरा है । कमल की आकृति में अष्टकोणीय दिल्ली की इमारत, जो 1986 में बनी है, जो 21वीं सदी के ताज के रूप में जानी जाती है ।
जामा मस्जिद, जिसका निर्माण शाहजहां के शासनकाल में हुआ था । सन् 1725 में राजा जयसिंह द्वारा निर्मित प्राचीन वेधशाला है । प्रथम विश्वयुद्ध में 90,000 शहीद भारतीयों की 42 मीटर ऊंची इण्डिया गेट प्रसिद्ध इमारत है । 725 फुट ऊंची लाल पत्थर की इमारत है । 330 एकड़ में फैला हुआ 340 कमरे, 118 सीढ़ियों, 74 लॉबी वाला सरकारी आवास राष्ट्रपति आवास है ।
मीनाक्षी, सुन्दरेश्वर मन्दिर, गेटवे ऑफ इण्डिया, गोल गुबम्द, सांची स्तुप, जगन्नाथ मन्दिर, सूर्य मन्दिर, कोणार्क, विक्टोरिया मेमोरियल, खजुराहो तथा सोमनाथ का मन्दिर, अढ़ाई दिन का झोपड़ा और ताजमहल प्रसिद्ध स्थल हैं । प्राकृतिक दृष्टि से पृथ्वी का स्वर्ग कश्मीर, दार्जिलिंग, ऊटी, राजस्थान का हवा महल, बद्रीनाथ, केदारनाथ, वाराणसी जैसे पवित्र तीर्थस्थान हैं ।
6. प्रशासनिक ढांचा:
वर्तमान समय में भारत देश को प्रशासनिक दृष्टि से राज्यों का संघ माना गया है तथा एक प्रभुत्व सम्पन्न लोकतन्त्रात्मक गणराज्य के रूप में 28 राज्यों और 7 केन्द्रशासित प्रदेशों के रूप में बांटा गया है, जिसमें संसदीय प्रणाली की सरकार है ।
भारतीय संविधान में जो मौलिक अधिकार दिये गये हैं, उनमें प्रमुख हैं: समानता का अधिकार, जिनमें अवसरों की समानता, सामाजिक आर्थिक समानता तथा स्वतन्त्रता शोषण के विरुद्ध अधिकार, उतेक्षण लेख, अधिकार पृच्छा लेख, नीति निर्देशक तत्त्वों के साथ-साथ देश के नागरिकों के लिए मौलिक अधिकार एवं कर्तव्यों को भी महत्त्व दिया गया है ।
नीति निर्देशक तत्त्वों के पीछे न्यायिक शक्ति न होकर नैतिक तथा जनमत की शक्ति है । संविधान में मौलिक कर्तव्यों के रूप में संविधान का पालन, राष्ट्रीय ध्वज व गान का सम्मान करना, देश की एकता व अखण्डता की रक्षा, समानता का भाव, देश की गौरवशाली इमारतों का संरक्षण, भारतीय संविधान में मन्त्रिपरिषद ही वास्तविक कार्यपालिका हैं ।
भारतीय संसद राष्ट्रपति और दोनों सदनों को मिलाकर बनती है । भारतीय संविधान में केन्द्र और राज्यों के बीच शक्ति का बंटवारा किया गया है । भारत के राज्यों के अन्तर्गत वे राज्य आते हैं, जो भारत द्वारा स्वीकृत हैं । इनमें केन्द्रशासित प्रदेश भी हैं । इसका प्रशासन राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त प्रशासकों द्वारा होता है ।
7. साहित्य, संगीत, नृत्य, कला, भाषा एवं दर्शन की परम्परा:
भारत की गौरवशाली एवं समृद्ध सांस्कृतिक विरासत में वेद उपनिषद, महाभारत, गीता, रामायण की रचनाएं, कालिदास, जयदेव, तुलसीदास, सूरदास जैसे कवि तथा पंचतन्त्र, जातक, हितोपदेश की रचनाएं हैं । विभिन्न भाषाओं के साहित्यकारों ने विशिष्ट एवं मौलिक रचनाएं देकर इसे और समृद्ध किया है । कौटिल्य का अर्थशास्त्र, पाणिनी का व्याकरण {अष्टाध्यायी} व्याकरण शास्त्र के शास्त्रीय नियमों के ग्रन्थ हैं ।
यहां खगोल, गणित, आयुर्वेद से सम्बन्धित अनेक अन्यों की रचनाएं हुई हैं । वैज्ञानिक तथा गणितीय दृष्टि से आर्यभट्ट ने पाई, साइन, कोसाइन की खोज की है, तो शून्य तथा दशमलव पद्धति का अविष्कार किया
है । ब्रह्मगुप्त ने गुरुत्वाकर्षण, नागार्जुन ने रसायन शास्त्र के तरीकों और सिद्धान्तों को खोज निकाला, तो जीवक, चरक, सुश्रुत ने कपाल छेदन शल्यक्रिया एवं सर्जरी का सफल कार्य किया है ।
संगीत: भारतीय संगीत का वर्गीकरण रस, ताल अभिव्यक्ति पर आधारित है, जिसे स्वर, संगीत एवं वाद्य संगीत में मोटे तौर पर बांटा गया है । हिन्दुस्तानी संगीत एवं कर्नाटक संगीत की दो पद्धतियां प्रचलित हुईं ।
सात स्वरों का प्रमुख राग-रागनियों में गाये जाने वाले संगीत को आठ प्रहरों में बांटा गया है । जैसे-प्रातःकाल भैरवी, रात को द्वितीय पहर में विहाग राग गाया जाता है ।
नृत्य-भारत की नृत्य पमपरा में शास्त्रीय एवं लोकनृत्य के विभिन्न रूप एव शैलियों का सौन्दर्य बोध और उनके मूल्य निहित हैं, जिनमें दक्षिण भारत का भरतनाट्यम, कथकलि, कुच्चीपुड़ी प्रसिद्ध हैं । वहीं उत्तर में कत्थक, पूर्व में मणिपुरी तथा ओडिसी नृत्य शैलियां प्रसिद्ध हैं ।
लोकनृत्यों में गरबा, भांगड़ा, बिहू घूमर, सुख, पंडवानी आदि प्रसिद्ध हैं । भारतीय नृत्यकला एक सजीव कला है । यह दृश्य एव श्रव्य अभिव्यक्ति का सशक्त माध्यम है । मुद्रा, रूप सौन्दर्य, भाव, ताल, लय व अभिनय इसके तत्त्व हैं ।
भारत में नाट्यकला: यह प्राचीनकाल से ही प्रचलित है । रूप-सौन्दर्य, परिधान, आभूषण सज्जा द्वारा अभिनेता स्वर्य एक मूर्ति का रूप धारण कर लेता है । अभिनय के साथ-साथ संगीत और नृत्य नाटक के अभिन्न अंग हैं । भारतीय संस्कृति में नाट्यकला के 11 प्रकार के नाटकों का वर्णन भरत के नाट्यशास्त्र में मिलता है ।
मेरा देश गुटनिरपेक्ष राष्ट्रों का संगठनकर्ता है । राष्ट्रमण्डल देशों का सदस्य है । संयुक्त राष्ट्र संघ में इसकी गुटनिरपेक्ष शान्तिपूर्ण छवि इसे स्थायी दावेदारी के योग्य साबित करती है । भारत कम्प्यूटर का सापटवेयर निर्माता है । यह परमाणु शक्ति सम्पन्न विश्व का पांचवां राष्ट्र है । स्वनिर्मित छोटे उपग्रह प्रक्षेपित करने वाला सफल देश है । वह पड़ोसी राज्यों से मित्रता चाहता है ।
8. विश्व के पटल पर भारत:
मेरा देश भारत विश्व का प्रजातान्त्रिक देश है । यह एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र है, जिसका अपना कोई राजधर्म नहीं है । यह तीसरे विश्व का अजुवा राष्ट्र है । जनसंख्या की दृष्टि से विश्व का दूसरा बड़ा राष्ट्र है ।
कहा जाता हे कि विश्व के छह लोगों में एक भारतीय ही होता है । मेरा देश बहुभाषा, बहुसंस्कृति वाला देश है । विश्व की प्राचीनतम संस्कृति एवं सभ्यता का विकास यहीं से हुआ है ।
चित्रकला: भारत में चित्रकला का अस्तित्व सभ्यता के प्रारम्भ से ही है । अजंता चित्रकला और एलोरा के भित्तिचित्र, चोलकालीन चित्रकला विश्व प्रसिद्ध है । चित्रकला की प्रमुख शैलियां हैं-पाल शैली, गुजरात शैली, जैन शैली, गढ़वाल शैली, कांगड़ा शैली, राजपूतकालीन, पहाड़ी चित्रकला, पटना शैली, मधुबनी आदि ।
भारतीय वास्तुकला: यह कला काफी प्राचीन है । हड़प्पा की नगर-योजना से लेकर यह शुंग, सातवाहन, कुषाण काल, चोल, चालुक्य, गुप्त, मुगलकाल तक अपने अनुपम रूप में विश्वविख्यात है । इसकी प्रमुख शैलियां हैं-नागर, द्रविड़, बेसर ।
नागर शैली में पुरी का जगन्नाथ मन्दिर, सूर्य मन्दिर (कोणार्क), खजुराहो, दिलवाड़ा, जैन मन्दिर, बेसर शैली में दशावतार मन्दिर, द्रविड़ शैली में कैलाश मन्दिर, कांची रथ मन्दिर प्रसिद्ध हैं । मुगलकालीन स्थापत्य कला में ताजमहल, लालकिला, कुतुबमीनार, बुलन्द दरवाजा, गोल गुम्बद प्रसिद्ध हैं ।
भारतीय मूर्तिकला-इसका इतिहास स्थापत्य कला से भी प्राचीन है । हड़प्पा संस्कृति से भी मूर्तियां प्रचुर मात्रा में हमें उपलब्ध हुई हैं । ज्ञात होता है कि इसका मूलाधार चार वेद, आरण्यक सूत्र व उपनिषद् हैं । अत: भारतीय संस्कृति का मूलाधार धर्म है । विश्व के सभी प्रमुख धार्मिक सम्प्रदाय यहां पाये जाते हैं । हिन्दू बौद्ध, जैन तथा सिक्स भारत के मूल धर्म हैं ।
इस्लाम, ईसाई, पारसी, यहूदी भारत भूमि के बाहर के धर्म है । यहां की संस्कृति ग्रामीण, नगरीय तथा जनजातीय है । भारतीय संस्कृति में काफी विविधताएं हैं, फिर भी उनमें समन्वयवादिता है, सहिष्णुता है । यहां वसुधैव कुटुम्बकम एवं विश्वबसुत्च की भावना को विशेष महत्त्व दिया गया है ।
भारतीय संस्कृति में धर्म-कर्म पुनर्जन्म, पुरुषार्थ को विशेष रूप से माना गया है । वर्णाश्रम एवं आश्रम व्यवस्था, श्रम विभाजन के रूप में तत्कालीन समय में विशेष महत्त्व थी । समय के अनुसार इसमें काफी कुछ परिवर्तन हुआ है ।
9. उपसंहार:
मेरे भारत देश की पहचान उसकी महान् संस्कृति है । धर्म निरपेक्षता के आदर्शो पर आधारित मेरा देश संसार का सबसे बड़ा लोकतान्त्रिक देश है । यद्यपि पड़ोसी राज्य पाकिस्तान इसकी अखण्डता और एकता के विरुद्ध हमेशा षड़यन्त्र रचता रहा है, तथापि हमारा देश उसका सामना बड़े साहस से कर रहा है । अन्तरिक्ष विज्ञान, शिक्षा, तकनीकी, सभी क्षेत्रों में मेरा देश तेजी से बढ़ रहा है । मुझे अपने देश पर गर्व है ।