Read this article in Hindi to learn about the air transport system and airports in India.
हवाई यातायात (Air Transport):
यातायात का सबसे तेज साधन हवाई यातायात है । भारत में हवाई यातायात के विकास के लिए कई अनुकूल परिस्थितियां हैं जैसे देश का बड़ा आकार, सही पर्यावरण, साफ वातावरण, अत्यधिक समतल सुविधाजनक लेंडिंग कार्य । 1914 की एशिया की सबसे पहली हवाई सेवा को शुरू करने का श्रेय भारत को जाता है जिसमें डाक और टेलीग्राफ विभाग द्वारा गंगा नदी में इलाहाबाद से नैनी तक डाक पहुँचाई गई । परन्तु असल प्रगति दूसरे विश्व युद्ध के दौरान हुई ।
बटवारे के समय, देश में 10 हवाई जहाज कम्पनियां कार्य कर रही थीं । उनके बीच प्रतियोगिता के कारण, उनकी कार्यात्मक लागतें निषेधात्मक बन गई और उन्होंने भारी नुक्सानों का सामना किया । 1950 में, हवाई यातायात पड़ताल कमेटी को नियुक्त किया गया था । इस कमेटी की सिफारिशों पर, 1953 में हवाई यातायात को राष्ट्रीयकृत किया गया और तीन कार्पोरेशनों को स्थापित किया गया ।
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(1) एयर इंडिया इंटरनेश्नल कार्पोरेशन (Air India International Corporation):
इसे भारत को पूरे विश्व के साथ जोड़ने के लिए स्थापित किया गया था । इसमें 26 हवाई जहाज थे जो विश्व के 28 देशों में संचालन करते थे । Air India Ltd. के 2000-01 में ₨.174 करोड का नुक्सान हुआ ।
(2) इंडियन एयरलाइन कार्पोरेशन (Indian Airline Corporation):
इसे देश के विभिन्न शहरों और पडोसी देशों को हवाई सेवाएँ देने के लिए स्थापित किया था । इसमें 59 विभिन्न प्रकार के हवाई जहाज थे जिसमें 27 बोइंग जेट थे । 2000-01 में भारतीय एयरलाइनों ने पिछले आठ सालों से हानि वहन करने के बाद ₨.19 करोड़ का लाभ अर्जित किया । 1995-96 में वायुदूत सेवा को भारतीय एयरलाइन के साथ जोड़ा गया । 2000 में, 57 लाख यात्रियों को इसकी हवाई सेवाएं दी गई ।
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(3) निजी एयरलाइनें (Private Airlines):
1955 से, निजी एयरलाइनों को देश में अपनी हवाई सेवाएँ देने के लिए आज्ञा दी गई । वर्तमान में, 7 निजी एयरलाइनें अपनी सेवाएं दे रही हैं । उनके पास 34 हवाई जहाज हैं । उनका हवाई सेवा में हिस्सा 41% है । कई यांत्रियों को निजी हवाई सेवाओं की संख्या 2000-01 में 68.14 लाख से बढ़ कर 2004-05 में 76.06 लाख हो गई ।
हवाई अड्डे (Airports):
बंटवारे के बाद, भारत के पास पांच मुख्य बंदरगाहें रह गई थीं जिनके नाम कलकत्ता, बम्बई, मद्रास, कोचि और विशाखापट्टनम है । तब से, सात ज्यादा हवाई अड्डों को जोड़ा गया तीन नई बनाई गई (गुजरात में कांडला), कलकत्ता के पास हल्दिया और बम्बई के पास न्हावा शेवा और कई छोटी बंदरगाहों को अपग्रेड किया गया ।
गोवा के उदारीकरण के बाद मर्मागो को जोड़ा गया । National Harbour Board को 1950 में स्थापित किया गया जो केन्द्रीय और राज्य सरकारों को बंदरगाहों के प्रबंध और विकास की सलाह देता था । न्हावा शेवा के मुख्य प्रोजेक्ट की लागत ₨.592 करोड़ थी ।
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सिविल विमानन के विकास की समीक्षा (Overview of Development of Civil Aviation):
तालिका 18.5 – 1960-61 से सिविल विमानन के विकास की विस्तारित जानकारी प्रदान की गई है:
तालिका 18.5 में, Total Fleet Strength 1960-61 में 101 थी जो समय बीतने पर भी यही रही । मगर आय और यात्रियों की संख्या तेजी से बड़ी । इसी तरह Cargo Handled थी आय अर्जित टन-कि.मी. हाल ही में 2010-11 में ₨.368 करोड़ से 2013-14 में ₨.4168 करोड़ तक कम हुआ ।