Read this article in Hindi to learn about:- 1. भाखड़ा नागल बाँध परियोजना का प्रारूप (Format of Bhakra-Nangal Project) 2. भाखड़ा नागल बाँध परियोजना के सिंचाई नहर व्यवस्था (Irrigation Canal System of Bhakra-Nangal Project) 3. प्रमुख फायदे (Major Benefits).
भाखड़ा नागल बाँध परियोजना का प्रारूप (Format of Bhakra-Nangal Dam Project):
विद्युत गृहों की पूर्ति हेतु इस योजना के अन्तर्गत निम्नलिखित निर्माण कार्य किये गये हैं:
(i) विद्युत शक्ति गृह (Electric Power House):
नागल विद्युत नहर पर तीन जल विद्युत शक्ति गृह बनाये गये हैं । इनमें पहला नागल बाँध से 19 किमी. दक्षिण में गंगुवाल में तथा दूसरा 20 किमी. की दूरी पर कोटला में बनाया गया है । इन विद्युत गृही में से प्रत्येक की कुल विद्युत उत्पादन क्षमता 77,000 किलोवाट है । तीसरा शक्ति गृह रोपड़ नामक स्थान पर बनाया गया है ।
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इन तीनों जल विद्युत शक्ति गृही में उत्पन्न होने वाली जल विद्युत के 4000 किमी. लम्बे तारों के ग्रिड द्वारा पंजाब से होशियारपुर, जालन्धर, कपूरथला, लुधियाना, पटियाला, संगरूर, अमृतसर, फिरोजपुर आदि जिलों, हरियाणा के अम्बाला, यमुनानगर हिसार, रोहतक, भिवानी, गुड़गाँव आदि जिलों, हिमाचल प्रदेश के शिमला एवं उसके निकटस्थ क्षेत्र, राजस्थान के रतनगढ़ एवं राजगढ़ जिलों तथा दिल्ली संघ राज्य के अनेक नगरों एवं गाँवों में उपयोग हेतु विद्युत भेजी जाती है ।
(ii) नागल जल विद्युत नहर (Naval Hydro Canal):
यह नहर नागल बांध के बाएं किनारे से निकाली गयी है । नागल बाँध द्वारा नदी का जल प्रवाहित किया जाता है । यह नहर 64 किमी. लम्बी है, 42 मीटर चौड़ी, 8 मीटर गहरी है । यह नहर पूरी तरह से सीमेंट कंकरीट से पक्की बनी है तथा नदी के समानान्तर बहती है तथा रोपड़ के निकट यह भाखड़ा नहर से मिल जाती है ।
यह संसार की पक्की लम्बी नहरों में गिनी जाती है । इस नहर का ढाल काफी तेज है । अनुमानत: लगभग 64 किमी. लम्बाई में इसमें 70 मीटर का उतार आ जाता है ।
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(iii) नागल बाँध (Nagal Dam):
सतलज नदी पर भाखड़ा बाँध से 12 किमी. जहाँ यह नदी मैदानी क्षेत्र में प्रवेश करती है, नागल नामक स्थान पर एक अवरोधक बाँध बनाया गया है । इसे नागल बाँध के नाम से जाना जाता है ।
यह 315 मीटर लम्बा, 29 मीटर ऊँचा तथा 121 मीटर चौड़ा है । यह भाखड़ा का सहायक बाँध है जो कि भाखड़ा के जल का सन्तुलन एवं नियन्त्रण करता है । इस बाँध में 3.3 मीटर के चौड़ाई बाले 28 जल निकास द्वार हैं जिन पर लोहे के दरवाजे हैं ।
इनकी सहायता से नदी के जल तल को 15 मीटर ऊँचा उठाया जा सकता है । सभी जल निकासों के खुलने पर यहाँ 30 से 50 हजार क्यूसेक जल प्रवाहित हो सकता है ।
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(iv) भाखड़ा बाँध (Bhakra Dam):
इस परियोजना के अन्तर्गत पंजाब राज्य के रोपड़ जिले में रोपड़ से 80 किमी. ऊपर भाखड़ा नामक स्थान के निकट जहाँ सतलज नदी शिवालिक पहाड़ियों की नैना देवी श्रेणी को काटकर ग्रेनाइट चट्टानों की एक संकरी घाटी से होकर गुजरती है, वहीं नदी के आर-पार भाखड़ा नांगल नामक बाँध बनाया गया है ।
सीमेंट तथा कंकरीट से निर्मित यह बाँध 235 मीटर ऊंचा है तथा संसार में अपनी किस्म के सीधे बाँधों में सबसे बड़ा है । इसकी लम्बाई नदी तल पर 338 मीटर तथा ऊपर चोटी पर 518 मीटर है । इस बाँध के कारण नदी का जल एक 85 किमी. लम्बे तथा 8 किमी. चौड़े जलाशय के रूप में परिवर्तित हो गया है जिसे गोविन्द सागर के नाम से पुकारा जाता है ।
इस कृत्रिम जलाशय में लगभग 2 लाख घन मीटर जल एकत्र किया जा सकता है । बाँध के निर्माण हेतु नदी प्रवाह वेग को कम करने के लिए इसके जल की प्रवाह दिशा को परिवर्तित कर दिया गया है ।
अत: इस हेतु बाँध के दोनों ओर नदी के दाहिने एवं बाएँ किनारों से लगभग 1 किमी. लम्बी तथा 15 मीटर व्यास की 2 सुरंगें बनायी गयी हैं, जिनसे होकर नदी का जल पुन: नदी में आकर गिरता है । इस बाँध के निर्माण में 8 लाख टन सीमेंट, 7 लाख टन कंकरीट, करीब 1 लाख टन लोहा लगा है । यह सन् 1963 में बनकर तैयार हुआ था ।
भाखड़ा नागल बाँध परियोजना के सिंचाई नहर व्यवस्था (Irrigation Canal System of Bhakra-Nangal Dam Project):
पंजाब, हरियाणा एवं राजस्थान के कुछ क्षेत्रों में सिंचाई हेतु नहरों का विकास करना इस परियोजना का एक महत्वपूर्ण उद्देश्य है । इस उद्देश्य की पूर्ति हेतु भाखड़ा जलाशय से लगभग 1110 किमी. लम्बी प्रमुख नहरें तथा लगभग 3500 किमी. लम्बी उसकी उप शाखाएँ निकाली गयी हैं ।
इनमें निम्नलिखित नहरें प्रमुख हैं:
(i) नरवाना शाखा नहर (Narwana Branch Canal):
यह भाखड़ा मुख्य नहर से 15 किमी. नीचे निकाली गयी है । यह नहर 104 किमी. लम्बी है तथा पलस्तर युक्त है । यह नहर कई स्थानों पर नदियों के ऊपर से होकर गुजरती है । इस नहर का प्रमुख उद्देश्य सिरसा शाखा को जल प्रदान करना है तथा हरियाणा के करनाल, पानीपत जिलों में सिंचाई सुविधायें प्रदान करना है ।
(ii) सरहिन्द नहर (Sirhind Canal):
इस नहर में पानी की प्रवाह क्षमता को 9000 क्यूसेक प्रति सेकण्ड से बढ़ाकर 12,000 क्यूसेक प्रति सेकण्ड किया गया है । इसी नहर से आगे चलकर सिंधवा शाखा निकाली गयी है । इससे पूर्व पंजाब के अनेक नये क्षेत्रों को सिंचाई की सुविधायें प्राप्त हुई हैं ।
(iii) बिस्त-दोआब नहर (Bint-Doab Canal):
यह नहर सतलज नदी के दाहिने किनारे पर रोपड़ नामक स्थान से निकाली गयी है । इसके द्वारा पंजाब के जालन्धर, होशियारपुर एवं कुछ अन्य जिलों की लगभग 4 लाख हेक्टेयर भूमि की सिंचाई की जाती है । इस नहर की प्रमुख शाखाओं की लम्बाई 1090 किमी. तथा उपशाखाओं की लम्बाई 6500 किमी. है ।
(iv) भाखड़ा नहर (Bhakra Canal):
यह नहर सन् 1954 में बनायी गयी थी । इसकी लम्बाई 173 किमी. है । यह संसार की सबसे लम्बी पलस्तर युक्त नहर है । यह रोपड़ नामक स्थान से आरम्भ होकर पूर्वी पंजाब के क्षेत्रों से गुजरती हुई हरियाणा के हिसार जिले की सीमा तक जाती है । यह दो शाखाओं एक पलस्तर युक्त (भाखड़ा मुख्य शाखा) तथा दूसरी बिना पलस्तर युक्त (फतेहाबाद) में विभाजित हो जाती है ।
भाखड़ा नागल बाँध परियोजना के प्रमुख फायदे (Major Benefits of Bhakra-Nangal Dam Project):
भाखड़ा नांगल परियोजना पंजाब, हरियाणा व राजस्थान राज्यों की सम्मिलित योजना है ।
इसके क्रियान्वयन से निम्नलिखित लाभ प्राप्त हुए हैं:
1. सिंचाई की पर्याप्त सुविधाएं उपलब्ध होने के कारण पंजाब हरियाणा तथा राजस्थान राज्यों में गेहूँ, चावल, गन्ना, कपास, दालें व तिलहन के उत्पादन में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है ।
2. सस्ती दर पर जल विद्युत प्राप्ति के कारण नलकूपों की संख्याओं में भी काफी वृद्धि हुई है ।
3. परियोजना के क्रियान्वित होने से सम्बन्धित क्षेत्र में बाढ़ एवं सूखा की गम्मीर समस्याओं से छुटकारा प्राप्त हो सका है ।
4. इस परियोजना द्वारा लगभग 15 लाख हेक्टेयर भूमि को सिंचाई की सुविधाएँ उपलब्ध हुई हैं । परियोजना द्वारा सिंचित कुल भूमि के अन्तर्गत 38% पंजाब का, 46% क्षेत्र हरियाणा का तथा 16% क्षेत्र राजस्थान का है ।
5. इस परियोजना के अन्तर्गत स्थापित किये गये विद्युत गृहों से लगभग 6 लाख किलोवाट विद्युत शक्ति प्राप्त होती है । जिसका उपयोग पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश तथा दिल्ली आदि राज्यों में प्रकाश करने एवं उद्योग-धन्धों को चलाने के लिये किया जाता है ।