जम्मू-कशमीर राज्य के सम्बन्ध में विशेष उपबन्ध । “Specific Provision in Relation to Jammu–Kashmir” in Hindi Language!
अनुच्छेद 370:
जम्मू-कशमीर राज्य भारत राज्यक्षेत्र का एक अभिन्न भाग है, किन्तु कुछ ऐतिहासिक कारणों से उसे अनुच्छेद 370 के अधीन एक विशेष संवैधानिक दर्जा दिया गया है । ऐसा भारत और जम्मू-कशमीर राज्य के बीच हुए समझौते के परिणामस्वरूप है, जिसके अन्तर्गत वहा के तत्कालीन शासक महाराजा हरीसिंह ने भारतीय संघ में शामिल होने का निर्णय लिया था ।
15 अगस्त, 1947 में, भारत की स्वन्त्रता के साथ ही जम्मू-कशमीर भी स्वतन्त्र हो गया था किन्तु जब पाकिस्तानी सेनाओं ने इस राज्य पर आक्रमण किया तो महाराजा हरीसिंह ने भारत से सहायता मांगी और भारत संघ में सम्मिलित होने के लिए 26 अक्टूबर 1947 को अधिमिलन पत्र (Instrument of Accession) पर हस्ता क्षर किये ।
यद्यपि उसी समय जम्मू-कशमीर राज्य भारत का एक अभिन्न भाग बन गया किन्तु इस समझौते की वहां की जनता ने अपनी संविधान सभा के माध्यम से 1957 में पुष्टि की । इस प्रकार भारतीय संविधान के प्रवर्तन के समय इस राज्य की स्थिति अन्य राज्यों से भिन्न थी इसी कारण अनुच्छेद 370 को संविधान में समाविष्ट करने की आवश्यकता पड़ी ।
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यद्यपि जम्मू-कशमीर राज्य भारत का एक भाग है और प्रथम अनुसूची में विनिर्दिष्ट राज्यों की सूची में सम्मिलित है, किन्तु निम्नलिखित मामलों में उसकी स्थिति अन्य राज्यों से भिन्न है:
(1) जम्मू-कशमीर राज्य का अपना संविधान है और उसके उपबन्धों के अनुसार उसका प्रशासन चलता है । अन्य राज्यों के प्रशासन सम्बन्धी उपबन्ध इस राज्य पर लागू नहीं होते हैं ।
(2) इस राज्य के लिए विधि बनाने की संसद की शक्ति संघ सूची और समवर्ती सूची के उन विषयों तक सीमित होगी जिनको राष्ट्रपति उस राज्य की सरकार से परामर्श करके यह घोषित करे कि वे अधिमिलन-पत्र (Instrument of Accession) में विनिर्दिष्ट विषयों के अनुरूप हैं ।
(3) संसद की विधि बनाने की शक्ति संघ सूची और समवर्ती सूची के उन विषयों तक सीमित होगी जो राष्ट्रपति उस राज्य की सरकार की सहमति से आदेश द्वारा विनिर्दिष्ट करे अर्थात् अन्य विषयों पर विधि राज्य सरकार की सहमति से ही बनाई जा सकती है ।
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(4) अनुच्छेद 370 (1) (घ) यह उपबंधित करता है कि ऐसे अन्य उपबन्ध उपर्युक्त के अतिरिक्त ऐसे अपवादों और उपान्तरणों (Modifications) के अधीन उस राज्य में लागू होंगे जो राष्ट्रपति आदेश द्वारा विनिर्दिष्ट करें ।
ऐसे आदेश जो विषयों से सम्बन्धित हैं, उस राज्य की सरकार के परामर्श के बिना तथा जो अधिमिलन-पत्र में विनिर्दिष्ट विषयों से भिन्न विषयों से सम्बन्धित हैं, राज्य सरकार को उन उपान्तरणों के साथ उस राज्य में लागू कर सकता है, जिसे वह उचित समझे । राष्ट्रपति ऐसे उपबन्धों में बाद में भी संशोधन या उपान्तरण कर सकता है ।
(5) अनुच्छेद 370 के अन्तर्गत राष्ट्रपति ने समय-समय पर आदेश जारी करके संविधान के अनेक उपबन्धों को उस राज्य में लागू किया है । सर्वप्रथम राष्ट्रपति ने संविधान (जम्मू-कशमीर को लागू होना) आदेश 1950 जारी किया । इस आदेश को अधिक्रान्त (Supercede) करते हुए संविधान (जम्मू-कशमीर को लागू होना) संशोधन आदेश 1954 जारी किया गया है । इस आदेश में समय-समय पर संशोधन किया जाता रहा है ।
यही आदेश उस राज्य की संवैधानिक स्थिति को विनियमित करता है । इसके द्वारा संघ सूची और समवर्ती सूची के अधिकांश विषयों पर विधि बनाने की संसद की शक्ति को जम्मू-कशमीर राज्य पर भी लागू कर दिया गया है । 1954 के आदेश को समय-समय पर संशोधित करके संविधान के अनेक उपबन्धों को उस राज्य में लागू किया गया है । 1954 के आदेश के मुख्य प्रावधान निम्नलिखित हैं:
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(क) राज्य का अपना संविधान लागू रहेगा जो 26 जनवरी, 1957 को लागू किया गया ।
(ख) जम्मू-कशमीर के उच्च न्यायालय को वे सभी शाक्तियां प्राप्त होंगी जो अन्य राज्यों के उच्च न्यायालयों को प्राप्त हैं, सिवा इसके कि वह ‘अन्य प्रयोजन’ के लिए रिट जारी नहीं कर सकता है ।
(ग) उच्चतम न्यायालय की अधिकारिता (केवल अनुच्छेद 135 और 139 को छोड़कर) उस राज्य पर होगी ।
(घ) संसद संघ सूची के सभी विषयों पर (प्रविष्टि 8, 9, 34, 60, 79 और 97 को छोड़कर) तथा समवर्ती सूची के कतिपय विषयों पर विधि बना सकती है ।
(ड) अनुच्छेद 352 के अधीन आपात सम्बन्ध उस राज्य की सहमति से ही लागू किये जा सकते हैं । अनुच्छेद 356 के उपबन्ध उस राज्य पर भी लागू होते हैं, किन्तु अनुच्छेद 360 वहां लागू नहीं होता है ।
(च) संघ की कार्यपालिका शक्ति जम्मू-कशमीर राज्य पर भी लागू होती है । राज्य अपनी कार्यपालिका शक्ति का प्रयोग केन्द्रीय विधियों के अनुपालन करने में केन्द्र के निदेशानुसार करेंगे ।
(छ) व्यापार वाणिज्य एवं समागम की स्वतन्त्रता लोकसेवाओं और नागरिकता सम्बन्धी सभी उपबन्ध उस राज्य पर लागू होंगे । राज्य में चुनाव का उत्तरदायित्व चुनाव आयोग पर है ।
(ज) अनुच्छेद 368 के अधीन संविधान संशोधन वहां तब तक लागू नहीं होगा जब तक कि राष्ट्रपति आदेश द्वारा उसे लागु न कर दे ।
अनुच्छेद 370 के प्रवर्तन को समाप्त करने की शक्ति:
अनुच्छेद 370 का उपखण्ड (3) यह घोषित करता है कि इस अनुच्छेद के पूर्वगामी उपबन्धों में किसी बात के होते हुए भी राष्ट्रपति लोक अधिसूचना द्वारा यह घोषणा कर सकता है कि यह अनुच्छेद प्रवर्तन में नहीं रहेगा या ऐसे अपवादों और उपान्तरणों सहित ही प्रवर्तन में रहेगा जिसे वह विनिर्दिष्ट करें । परन्तु राष्ट्रपति द्वारा ऐसी अधिसूचना राज्य की संविधान सभा की सिफारिश के पश्चात् ही की जा सकेगी ।