Read this article in Hindi to learn about:- 1. दामोदर घाटी परियोजना के प्रमुख लक्ष्य (Main Aim of Damodar Dam Project) 2. दामोदर घाटी परियोजना के महत्वपूर्ण उपलब्धियाँ (Significant Achievements of Damodar Dam Project) 3. स्वरूप (Nature) 4. प्रमुख विशेषतायें (Key Features).
दामोदर घाटी परियोजना के प्रमुख लक्ष्य (Main Aim of Damodar Dam Project):
दुर्दम्य दामोदर नदी को वश में करने तथा घाटी में बार-बार होनेवाली भयंकर बाढ़ से होने वाली क्षति को नियंत्रित करने के लिए डीवीसी की स्थापना हुई । यह टेनिसी वैली कॉर्पोरेशन के प्रतिमान पर आधारित है ।
डीवीसी के प्राथमिक उद्देश्य निम्नलिखित हैं:
1. बाढ़ नियंत्रण व सिंचाई,
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2. विद्युत का उत्पादन, पारेषण व वितरण,
3. पर्यावरण संरक्षण तथा वनीकरण,
4. दामोदर घाटी के निवासियों का सामाजिक-आर्थिक कल्याण,
5. औद्योगिक ओर घरेलू उपयोग हेतु जलापूर्ति ।
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दृष्टि (Vision):
अपने अन्य उद्देश्यों की जिम्मेदारियों को पर्याप्त रूप से निर्वाह करते हुए पूर्वी भारत में एक सबसे बड़े विद्युत युटिलिटी के रूप में डीवीसी को स्थापित करना ।
दामोदर घाटी परियोजना के महत्वपूर्ण उपलब्धियाँ (Significant Achievements of Damodar Dam Project):
दामोदर घाटी परियोजना हमारे लिये निम्न प्रकार लाभकारी सिद्ध हुआ है:
1. मैथन में भारत का प्रथम भूमिगत पनविद्युत केन्द्र ।
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2. डीवीसी भारत सरकार द्वारा शुरू की जानेवाली प्रथम बहूद्देशीय नदी घाटी परियोजना ।
3. कोयला, जल तथा तरल ईंधन तीनों स्रोतों से विद्युत उत्पादन करनेवाला भारत सरकार का प्रथम संगठन ।
4. मेजिया इकाई जीरो कोल रिजेक्ट हेतु सेवा में ट्यूब मिलों सहित पूर्वी भारत में अपने प्रकार की प्रथम ।
5. विगत शताब्दी के पचावें दशक में बोकारो राष्ट्र का वृहत् तापीय विद्युत संयंत्र ।
6. चंद्रपुरा में उच्च ताप प्राचलों का प्रयोग करते हुए भारत की प्रथम री-हिट इकाइयाँ ।
7. बीटीपीएस बॉयलर ईंधन फर्नेस में अनटैप्ड निम्न स्तर कोयला जलाने में प्रथम ।
झारखण्ड राज्य में दामोदर नदी विशेष महत्वपूर्ण हैं यह ऐसी नदी है जो इसके पलामू जिले में छोटा नागपुर पठार की 610 मीटर ऊंची पहाड़ियों से निकलकर इस राज्य में 290 किमी. की लम्बाई में प्रवाहित होने के उपरान्त पश्चिम बंगाल की सीमा में प्रवेश कर जाती है, जहाँ यह 240 किमी. की यात्रा तय करके कोलकाता से 50 किमी. नीचे हुगली नदी में मिल जाती है ।
दामोदर नदी में प्राय: बाढ़ आती रहती है जिसके कारण वहाँ की फसलें काफी प्रभावित होती रहती है । जमुनिया, बाराकर, कोनार तथा बोकारो इसकी प्रमुख सहायक नदियाँ हैं । इसकी ऊपरी घाटी झारखण्ड के पलामू हजारी बाग, राँची, सिंहभूम तथा संथाल परगना के जिलों में तथा निचली घाटी पश्चिम बंगाल के बाकुंडा, बर्दवान, मिदनापुर तथा हावड़ा जिलों में फैली हुई हैं ।
वर्षाकाल में ऊपरी घाटी में अधिक वर्षा के कारण तीव्र कटा होता है जिससे निचली घाटी में मृदा बढ़ने से बाढ़ आ जाती है, परिणामत: पूरा क्षेत्र जल मग्न हो जाता है जिससे व्यापक हानि होती है । इस प्रकार यह नदी अपनी घाटी के लगभग 20,000 वर्ग किमी. क्षेत्र के निवासियों के आर्थिक जनजीवन को पूरी तरह अस्त-व्यस्त कर देती है ।
बाढ़ के विकराल रूप एवं गम्भीरता का अनुमान इस बात से लगाया जा सकता है कि सामान्य बाढ़ के समय बर्दवान जिले में रोहन्दिया नामक स्थान के समीप इस नदी का जल-प्रवाह 2,50,000 क्यूसेक रहता है ।
सन् 1923 से 1943 के बीच इस नदी में 16 बार भीषण बढ़ें आयीं जिनमें 1913, 1919, 1935 तथा 1943 की बाढ़ें अत्यन्त भयानक थीं । उस समय बाढ़ के जल का प्रवाह 6,50,000 क्यूसेक अनुमानित किया गया है ।
नदी की विध्वंसात्मक कार्यवाही से होने वाले आपार जन-धन की हानि को ध्यान में रखते हुये सन् 1948 में भारत सरकार द्वारा दामोदर घाटी निगम की स्थापना की गयी ।
इस निगम का मुख्य उद्देश्य झारखण्ड एवं पश्चिम बंगाल के घाटीवर्ती क्षेत्र का आर्थिक विकास करना एवं यहाँ के निवासियों के जीवन-स्तर को ऊँचा करने के लिए निम्नलिखित उद्देश्यों की आपूर्ति हेतु आवश्यक कार्यवाही तथा विभिन्न प्रणालियाँ लागू करना था:
1. बाढ़ पर नियन्त्रण ।
2. भूमि-क्षरण को नियन्त्रित करना ।
3. वन क्षेत्रों में वृद्धि करना ।
4. जल परिवहन तथा नौकारोहण की सुविधाएँ विकसित करना ।
5. सिंचाई हेतु नहरों का निर्माण करना तथा आवश्यक जल की आपूर्ति ।
6. जल-विद्युत उत्पन्न करके उद्योगों के लिए शक्ति उपलब्ध कराना तथा नहरों एवं ग्रामीण क्षेत्रों में प्रकाश हेतु विद्युत आपूर्ति करना ।
भारत के सर्वाधिक सम्पन्न क्षेत्र में दामोदर घाटी सर्वाधिक धनी है । देश के कुल लोहे के 10%, कोयले के 90%, अभ्रक के 70% तथा मैगनीज के 10% भण्डार इसी क्षेत्र में हैं ।
इसके अतिरिक्त उपरोक्त संसाधनों के उचित दोहन-हेतु दामोदर घाटी परियोजना को क्रियान्वित किया गया तथा इस बात का ध्यान रखा गया है कि इस परियोजना का विकास संयुक्त राज्य अमेरिका की टैनेसी घाटी परियोजना के आधार पर विकसित किया जाये ।
दामोदर घाटी परियोजना का स्वरूप (Nature of Damodar Dam Project):
सम्पूर्ण परियोजना के अन्तर्गत 8 बाँध, एक अवरोधक बाँध, बाँधों के निकट जल-विद्युत उत्पादन केन्द्रों के अतिरिक्त बोकारो, चन्द्रपुरा तथा दुर्गापुर में तीन तापीय विद्युत-गृह तथा लगभग 2500 किमी. नहरों का निर्माण किया गया है । साथ ही विभिन्न आर्थिक एवं तकनीकी कारणों की वजह से परियोजना के दो चरणों में पूर्ण किया गया है ।
प्रथम चरण के अन्तर्गत 4 बाँध, तिलैया, कोनार, मैथन ओर पंचेत पहाड़ी, दुर्गापुर के अवरोधक बाँध बोकारो, चन्द्रपुरा ओर दुर्गापुर में तापीय विद्युत-ग्रहों का निर्माण तथा लगभग 1300 किमी. लम्बी विद्युत वितरण करने वाली तार लाइनें खींचने का कार्य किया गया ।
दामोदर घाटी परियोजना के अन्तर्गत निम्नवत परियोजनाएं व बाँध आते हैं:
(1) बोकारो तापीय विद्युत-गृह (Bokaro Thermal Electricity House):
सन् 1955 में हजारी बाग जिले में बोकारो नामक स्थान पर 150 मेगावाट क्षमता (तीन इकाइयों 50 मेगावाट प्रति इकाई) वाला एक तापीय विद्युत-गृह स्थापित किया गया है । सन् 1967 में यहाँ 75 मेगावाट विद्युत क्षमता की एक और इकाई की स्थापना की गयी । इनके निर्माण पर 200 लाख रुपया व्यय हुआ है ।
(2) दुर्गापुर तापीय विद्युत-गुरु (Durgapur Thermal Power-Guru):
दुर्गापुर तापीय विद्युत-गृह बर्दवान जिले में कोलकाता से 161 किमी. की दूरी पर ओंगरिया रेलवे स्टेशन के निकट दुर्गापुर नामक स्थान पर स्थापित किया गया है । यहाँ सन् 1961 में 150 मेगावाट विद्युत शक्ति (75 मेगावाट प्रति इकाई) स्थापित की गयी है ।
(3) चन्दुपरा तापीय विद्युत-गृह (Chandrapura Thermal Power Station):
यह विद्युत-गृह हजारी बाग जिले में कलकत्ता में 306 किमी. की दूरी पर चन्द्रपुरा नामक स्थान पर स्थापित किया गया है । यहाँ 104 मेगावाट प्रति इकाई की क्षमता वाली तीन इकाइयों लगायी गयी हैं ।
(4) बोकारो बाँध (Bokaro Dam):
यह बाँध बोकारो नदी पर बनाया गया है तथा इसके निकट ही एक विद्युत-गृह भी स्थापित किया गया है ।
(5) अय्यर बाँध (Iyer Dam):
यह बाँध दामोदर नदी पर बनाया गया है । बाँध के निकट ही 45,000 किलोवाट विद्युत क्षमता वाला एक विद्युत शक्ति गृह स्थापित किया । इसके निकट ही 45,000 किलोवाट विद्युत क्षमता वाला एक विद्युत शक्ति गृह स्थापित किया गया है ।
(6) बर्मो बाँध (Barmo Dam):
यह बाँध भी दामोदर नदी पर बनाया गया है । इस पर क्रमश: 28,000 किलोवाट जल विद्युत शक्ति वाला तथा 1 लाख किलोवाट तापीय विद्युत शक्ति उत्पन्न करने वाली विद्युत उत्पादन इकाइयाँ स्थापित की गई हैं ।
(7) बाल पहाड़ी बाँध (Hair Hill Dam):
यह बाँध बाराकर नदी पर गिरिडीह के दक्षिण-पूर्व में बनाया गया है तथा इस पर 20,000 किलोवाट क्षमता का एक विद्युत-गृह भी स्थापित किया गया है ।
(8) मैथान बाँध (Maithan Dam):
यह बाँध धनबाद जिले में बाराकर नदी पर आसनसोल से 25 किमी. उत्तर में दामोदर के संगम से कुछ ही ऊपर बनाया गया है । इस बाँध की लम्बाई 4.4 किमी. तथा ऊंचाई 56 मीटर है तथा इसके द्वारा निर्मित जलाशय की जल संग्रहण क्षमता 1357 लाख धन मीटर है । यह बाँध प्रमुख रूप से बाढ़ नियन्त्रण हेतु बनाया गया ।
बाँध के निकट ही 60,000 किलोवाट क्षमता वाले जल-विद्युत गृह का निर्माण किया गया है । इसकी स्थिति मध्य में है, जिसके कारण औद्योगिक इकाइयों के साथ-साथ सिन्द्री तथा चितरंजन के कारखानों को इसी से विद्युत-आपूर्ति की जाती है ।
(9) पंचेत पहाड़ी बाँध (Panket Hill Dam):
इस बाँध का निर्माण तीन बाँधों को मिलाकर किया गया है । इसका प्रमुख उद्देश्य बाढ़ की रोकथाम करना है । यह बाँध बिहार के धनबाद तथा पश्चिम बंगाल के पुरूलिया जिलों की सीमा पर दामोदर तथा बाराकर नदियों के संगम से 50 किमी. ऊपर दामोदर पर बनाया गया है ।
यह 2.5 किमी. लम्बा व 45 मीटर ऊंचा है तथा इसके निर्मित जलाशय की जल संग्रहण क्षमता 1497 लाख घन मीटर है । बाँध के निकट एक 40,000 किलोवाट क्षमता वाला जल-विद्युत गृह भी स्थापित किया गया है । 191 लाख रुपये के परिव्यय से निर्मित यह बाँध सन् 1959 में बनकर तैयार हो चुका है ।
(10) तिलैया बाँध (Tilaiya Dam):
यह बाँध बिहार राज्य के हजारी बाग जिले में दामोदर की सहायक बाराकर नदी पर पूर्वी रेलवे लाइन के कोडरमा स्टेशन से 22 किमी. दक्षिण में बनाया गया है । यह 320 मीटर लम्बी तथा 33 मीटर ऊँची है । बाँध द्वारा निर्मित जलाशय में 395 लाख टन घन मीटर जल एकत्र किया जा सकता है ।
इसके निकट ही एक जल-विद्युत शक्ति-गृह की स्थापना की गयी है, जिसकी तीन इकाइयों की कुल क्षमता 60,000 किलोवाट है । इस बाँध के निर्माण में 37 लाख रुपया व्यय हुआ ।
(11) दुर्गापुर अवरोध बाँध (Durgapur Block Dam):
सन् 1955 में दुर्गापुर के निकट दामोदर नदी पर एक अवरोध बाँध बनाया गया है । जो लगभग 1 किमी. लम्बा तथा 12 मीटर ऊँचा है । इस बाँध के दाहिने एवं बायीं ओर क्रमश: 64 किमी. तथा 137 किमी. लम्बी दो नहरें निकाली गयी हैं, जिनसे बर्दवान, बागुड़ा, हावड़ा तथा हुगली जिलों में लगभग 4 लाख 17 हजार हेक्टेयर भूमि की सिंचाई की जाती है । इसके बाएँ किनारे से निकाली गयी नहर आन्तरिक जल परिवहन के लिये प्रयोग में लायी जाती है ।
(12) कोनार बाँध (Konar Dam):
बिहार के हजारी बाग जनपद में कोनार नदी पर बने होने के कारण इसे कोनार बाँध कहते हैं । दामोदर संगम के उत्तर-पश्चिम में 25 किमी. की दूरी पर यह बाँध निर्मित है ।
3.5 किमी. लम्बे तथा 49 मी. ऊँचे इस बाँध द्वारा निर्मित जलाशय में 337 लाख धन मीटर जल एकत्र किया जा सकता है । यहाँ 40,000 किलोवाट क्षमता वाला एक भूमि जल-विद्युत गृह भी स्थापित किया गया है । इस बाँध के निर्माण पर 97 लाख रुपये का परिव्यय हुआ है ।
दामोदर घाटी परियोजना की प्रमुख विशेषतायें (Key Features of Damodar Dam Project):
दामोदर घाटी परियोजना के प्रमुख लाभ निम्नलिखित हैं:
1. पर्यटन एवं मनोरंजन की सुविधायें भी प्राप्त हुई है ।
2. इस परियोजना के अन्तर्गत स्थापित किये गये विद्युत-गृहों से देश की लगभग 10% विद्युत शक्ति का उत्पादन होता है ।
3. बाँधों से निर्मित जलाशयों में मछली-पालन उद्योग का विकास किया गया है ।
4. दामोदर नदी की निचली घाटी में लगभग 2000 वर्ग किमी. क्षेत्र की जल निकास व्यवस्था में सुधार सम्भव हो सका है ।
5. दामोदर एवं उसकी सहायक नदियों में आने वाली बाढ़ों को बड़ी सीमा तक नियन्त्रित कर लिया गया है ।
6. नदियों पर बनाये गये बाँधों से निर्मित कृत्रिम जलाशयों में संग्रहीत जल से लगभग 4.2 लाख हेक्टेयर भूमि को सिंचाई की सुविधायें उपलब्ध हो सकी हैं जिससे फसलों का पर्याप्त उत्पादन संभव हो सका ।
7. जल निष्कासन से यहाँ के निवासियों को मलेरिया आदि रोगों से छुटकारा प्राप्त हो सका है ।
8. कोलकाता तथा पश्चिम बंगाल के कोयला क्षेत्रों के मध्य नौगम्य नहर का निर्माण होने से आन्तरिक जल परिवहन की सुविधायें प्राप्त हुई हैं । जिससे रानीगंज, झरिया, बोकारो तथा कर्णपुरा आदि मैं स्थित कोयला क्षेत्रों का विकास सम्भव हो सका है ।