Read this article in Hindi to learn about the hirakud dam project and its format.

(1) विद्युत शक्ति-गृह (Electric Power House):

बाँधों के निकट ही एक 123 मेगावाट क्षमता वाले विद्युत गृह की स्थापना की गयी है, जिस पर 4 विद्युत उत्पादक इकाइयाँ लगाई गयी हैं । यहाँ से उत्पन्न होने वाले जल विद्युत का राऊरकेला के लोहा इस्पात उद्योग, हीराकुंड के एल्युमीनियम कारखाने, राजगंगपुर के सीमेंट उद्योग, बृजराजपुर के कागज तथा सूती वस्त्र उद्योग आदि में उपयोग किया जाता है ।

इसके साथ यहाँ से जल-विद्युत कटक, पुरी, सम्भलपुर, जमशेदपुर, सुन्दरगढ़ आदि स्थानों को पहुँचायी जाती है । द्वितीय चरण के अन्तर्गत इस परियोजना पर 15 करोड़ रुपये व्यय किये गये तथा निम्नलिखित निर्माण कार्य किये गये ।

महानदी के निचले भाग में सिंचाई सुविधाएं उपलब्ध कराने तथा हीराकुंड के जलाशय को सन्तुलित करने हेतु इस नदी पर टीकापारा तथा नराज नामक स्थानों पर दो अन्य बाँध बनाये गये हैं तथा इनसे नहरें निकालकर कटक एवं पुरी जिलों की लगभग 1.5 लाख हेक्टेयर भूमि को सिंचाई सुविधाएँ प्रदान की गयी है ।

ADVERTISEMENTS:

हीराकुण्द से लगभग 27 किमी. दूर दक्षिण में चिपलीमा में 72 मेगावाट क्षमता वाले एक दूसरे शक्ति गृह की स्थापना की गयी है, जिसमें 25 मेगावाट उत्पादन क्षमता वाली प्रति इकाई वाली 3 इकाइयाँ लगायी गयी हैं ।

इसी चरण के अन्तर्गत हीराकुण्द के शक्ति गृह की उत्पादन क्षमता बढ़ाने हेतु उसमें 37.5 मेगावाट क्षमता की प्रति इकाई वाली दो इकाइयाँ और स्थापित की गयीं और इस प्रकार द्वितीय चरण की समाप्ति के उपरान्त इस परियोजना की कुल विद्युत उत्पादन क्षमता 270 मेगावाट हो गयी है ।

इस परियोजना के पूर्ण हो जाने से निम्नलिखित लाभ प्राप्त हुये हैं:

1. महानदी की बाढ़ पर नियन्त्रण पा लिया गया है ।

ADVERTISEMENTS:

2. हीराकुण्द, टीकापारा तथा नराज बाँधों के जलाशयों से निकाली गयी नहरों से सम्भलपुर, बालनगीर, कटक तथा पुरी आदि जिलों की लगभग 4 लाख हेक्टेयर भूमि को सिंचाई सुविधाएं प्राप्त हुई हैं ।

3. परियोजना से 270 मेगावाट विद्युत की प्राप्ति हो रही है । जिससे यहाँ सीमेंट, लोहा, इस्पात, एल्युमीनियम, कागज, कपड़ा उद्योगों को विशेष प्रोत्साहन मिला है ।

4. उप परियोजना से मछली-पालन, मनोरंजन तथा जल यातायात की सुविधाएँ प्राप्त हुई हैं ।

(2) हीराकुण्द बाँध (Hirakund Dam):

प्रथम चरण में इस परियोजना पर 68 करोड़ रुपया व्यय किया गया । इस चरण के अन्तर्गत महानदी पर उड़ीसा के सम्भलपुर जिले में सम्भलपुर रेलवे स्टेशन से लगभग 10 किमी. पश्चिम की ओर हीराकुण्द नामक स्थान पर प्रमुख बाँध बनाया गया है, जो कि 4.8 किमी. लम्बा तथा 61 मीटर ऊँचा है ।

ADVERTISEMENTS:

बाँध को सुरक्षा प्रदान करने हेतु इसके बायीं और दाहिनी ओर क्रमश: 10 किमी. लम्बे मिट्टी के पुश्ते या बाँध बनाये गये हैं । इस प्रकार सम्मिलित रूप से इन तीनों बाँधों की कुल लम्बाई 25 किमी. है ।

इस बाँध द्वारा निर्मित जलाशय का क्षेत्रफल लगभग 750 किमी. है तथा इसमें 8100 लाख घन मीटर जल एकत्र किया जा सकता है इसके द्वारा 25,000 घन मीटर प्रति सेकण्ड की गति से आने वाली बाढ़ों को नियन्त्रित किया जा सकता है । इस बाँध पर निर्माण कार्य 1948 में आरम्भ किया गया था जो 1957 में बनकर पूर्ण हो गया ।

(3) नहरें (Canals):

बाँध के जलाशय से तीन प्रमुख नहरें निकाली गयी हैं । इनमें वरगढ़ नहर बाँध के दाहिने किनारे से तथा सम्भलपुर एवं सेसब नहरें इसके बायें किनारे से निकाली गयी हैं ।

मुख्य नहरों की कुल लम्बाई 147 किमी. तथा इनकी उपशाखाओं की लम्बाई 740 किमी. है । इन नहरों से उड़ीसा के सम्भलपुर तथा बालनगीर जिलों की लगभग 2.5 लाख हेक्टेयर भूमि की सिंचाई सुविधा प्राप्त हुई है ।