Read this article in Hindi to learn about the cotton textile industries situated in India.
सूती वस्त्र उद्योग भारत के पुराने उद्योगों में से एक है । इस उद्योग से भारत की बड़ी जनसंख्या को रोजगार मिलता है । छोटे-बड़े स्तर पर भारत के हर एक राज्य में सूती वस्त्र उद्योग स्थापित है । सूती वस्त्रों का निर्यात करके भारी मात्रा में विदेशी मुद्रा अर्जित की जाती है । सूती वस्त्र उद्योग में भारत के 18 प्रतिशत लोग रोजगार पाते हैं । भारत के कुल निर्यात में 20% भागीदारी सूती वस्त्रों की है ।
15वीं शताब्दी तक सूती वस्त्र में भारत का एकाधि कार था । भारत के सूती एवं रेशमी वस्त्रों की यूरोपिय देशों में भारी मांग थी । परन्तु ईस्ट इंडिया कम्पनी आने के पश्चात् इस उद्योग का हास हुआ । अंग्रेजों ने भारत से कपास निर्यात करके इंग्लैंड में सूती वस्त्र के कारखाने स्थापित कर लिये और ब्रिटेन के तैयार कपड़े के लिये भारत एक महत्वपूर्ण बाजार बन गया ।
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भारत में सूती वस्त्र का पहला कारखाना सी.एन. देवर (C.N. Dewar) ने 1854 में मुम्बई (तत्कालीन बम्बई) में लगाया था । 19वीं एवं बीसवीं शताब्दी में इस उद्योग में तीव्र गति से उन्नति हुई । इस समय भारत के मुख्य सूती वस्त्र का उत्पादन करने वाले देशों को Fig. 10.29 में दिखाया गया है तथा विभिन्न राज्यों में सूती वस्त्र का उत्पादन तालिका 10.47 में दिखाया गया है ।
तालिका 10.48 के प्रेक्षण से ज्ञात होता है कि सूती वस्त्र का अधिकतम उत्पादन महाराष्ट्र (38.89%) में होता है, जिसके पश्चात गुजरात (34.54%), तमिलनाडु (6.40%) है । सूती वस्त्र का उत्पादन करने वाले अन्य राज्यों में पंजाब, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, राजस्थान पुडुचेरी, कर्नाटक एवं केरल के नाम उल्लेखनीय हैं ।
सूती वस्त्र उद्योग की मुख्य समस्याओं में, कच्चे माल (रूई) की कमी पुरानी मशीनें, ऊर्जा की कमी, हड़ताल. कृत्रिम वस्त्रों से मुकाबला तथा अन्तर्राष्ट्रीय बाजार में मुकाबला है ।