Read this article in Hindi to learn about the objectives and expansion of kosi project in India.
कोसी परियोजना के प्रमुख उद्देश्य (Major Objectives of Kosi Project):
कोसी परियोजना के प्रमुख उद्देश्य निम्न हैं:
1. भूमि कटाव पर रोक लगाना ।
2. कोसी नदी की बाढ़ को नियन्त्रित करना ।
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3. जल विद्युत का उत्पादन करना ।
4. मत्स्य उद्योग व जल मार्गों का विकास करना ।
5. मलेरिया तथा अन्य बीमारियों पर नियन्त्रण करना ।
6. नहरों का निर्माण कर नदी के अतिरिक्त जल को सिंचाई हेतु प्रयोग में लाना ।
कोसी परियोजना का विस्तार (Expansion of Kosi Project):
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इस परियोजना के अन्तर्गत 86 करोड़ रुपये की लागत से किए जाने वाले निर्माण कार्य निम्नलिखित है:
(1) पुश्ते बाँध (Fasting Tie):
हनुमान नगर बाँध के दाहिने एवं बायीं ओर बाढ़ रोकने हेतु क्रमश: 2.32 किमी. तथा 2.00 किमी. लम्बे दो मिट्टी के बाँध बनाये गये हैं जिनसे नेपाल एवं बिहार की लगभग 3 लाख हेक्टेयर भूमि जलमग्न होने से बच सकती है । बिहार के मैदानी भाग में नदी के प्रवाह मार्ग को स्थिर करने के लिए नदी के दोनों ओर मिट्टी के तटबन्ध बनाये गये हैं ।
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(2) हनुमान नगर अवरोधक बाँध (Hanuman Nagar Blocking Dam):
यह बाँध कोसी नदी के आर-पार नेपाल में हनुमान नगर से लगभग 5 किमी. ऊपर बनाया गया है । सीमेंट तथा कंकरीट से बना हुआ यह बाँध 1.2 किमी. लम्बा तथा 72 मीटर ऊँचा है । इससे निर्मित जलाशय में 3.1 लाख घन मीटर जल एकत्र किया जा सकता है । इस बाँध के पूर्वी किनारे से पूर्वी कोसी नहर निकाली गयी है ।
(3) नहरें (Canals):
परियोजना के अन्तर्गत तीन नहरें तथा एक शक्ति गृह का निर्माण किया गया है ।
जिसका वर्णन नीचे किया जा रहा है:
(i) पश्चिमी कोसी नहर (Western Kosi Canal):
यह नहर हनुमान नगर अवरोधक बाँध के दाहिने किनारे से निकाली गयी है । यह लगभग 115 किमी. लम्बी है तथा इससे बिहार के दरभंगा जिले की 3 लाख हेक्टेयर तथा नेपाल के सप्तारी जिले की लगभग 12 हजार हेक्टेयर भूमि की सिंचाई सम्भव हो सकती है । इस नहर के निर्माण पर 20 करोड़ रुपये व्यय होने का अनुमान है ।
(ii) विद्युत शक्ति गृह (Electric Power House):
पूर्वी कोसी नहर पर कटेया नामक स्थान पर 6 करोड़ रुपये की लागत से एक जल विद्युत गृह स्थापित किया गया है जिसकी उत्पादन क्षमता 20 मेगावाट है । यहाँ से उत्पन्न होने वाली जल-विद्युत का आधा भाग बिहार एवं नेपाल के उपलब्ध होता है । विद्युत शक्ति का उपयोग विभिन्न प्रकार के उद्योगों जैसे- चीनी, आटा पिसाई, जूट, चावल, दाल आदि में किया जाता है ।
(iii) राजपुर नहर (Rajpur Canal):
पूर्वी कोसी नहर के और अधिक विस्तृत किया गया है । राजपुर नहर के रूप में शाखाओं सहित कुल लम्बाई 366 किमी. है । इससे मुंगेर तथा सहरसा जिलों की लगभग 1.6 लाख हेक्टेयर भूमि को सिंचाई प्राप्त होती है । इसके निर्माण पर 7 करोड़ रुपये के व्यय होने का अनुमान है ।
(iv) पूर्वी कोसी नहर (Eastern Kosi Canal):
यह नहर हनुमान जलाशय के बाएँ किनारे से निकाली गयी हैं । इस नहर की प्रधान शाखा की लम्बाई 44 किमी. है । मुरलीगंज (64 किमी.), बान की नगर (82 किमी.), पूर्णिमा (64 किमी.) तथा अररिया (58 किमी.) इसकी चार शाखायें हैं जिनसे लगभग 2725 किमी. शाखाओं एवं उपशाखाओं सहित इस नहर की कुल लम्बाई 3040 किमी. है ।
इसके द्वारा नेपाल के सप्तारी तथा बिहार के पूर्णिया एवं सहरसा जिलों की लगभग 6 लाख हेक्टेयर भूमि की सिंचाई की जाती है जिससे इन जिलों में धान, गन्ना तथा जूट आदि फसलों के उत्पादन में पर्याप्त वृद्धि हुई है ।
इस योजना के पूर्ण हो जाने पर कोसी नदी की भयंकर बाढ़ों पर काबू पा लिया जायेगा जिसके फलस्वरूप 20,000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र की बाढ़ की विभीषिका से छुटकारा मिल सकेगा । मिट्टी के कटाव तथा मलेरिया के प्रकोप को शनै: शनै: कम करके पूरी तरह रोका जा सकेगा ।
पर्यटन, आमोद-प्रमोद, मछली पालन तथा जल-परिवहन आदि के विकास हेतु अनेक सुविधाएँ प्राप्त हो सकेंगी, तथा 20 लाख किलोवाट विद्युत शक्ति प्राप्त हो सकेगी । इस प्रकार इस परियोजना के क्रियान्वयन से उत्तरी बिहार के सूखा एवं बाढ़ पीड़ित अँचलों में आर्थिक विकास के नये आयाम दृष्टिगोचर होंगे तथा यहाँ निवास करने वाले लोगों का समुचित विकास हो सकेगा ।