भारत का पशुधन | Bhaarat Ka Pashudhan | Livestock of India in Hindi!
Read this article in Hindi to learn about the livestock of India as well as the recent trends for developing the same.
भारत का पशु संसाधन (Livestock of India):
भारत में पशुपालन कृषि की सहायक क्रिया है तथा दुग्ध उत्पादन, कर्षण व मालवाहन के कारण कृषकों का मित्र माना जाता है । अतः भारत में पशु सम्पदा ही नहीं संसाधन भी है । भारत पशुओं की कुछ महत्वपूर्ण नस्लों का जन्मदाता माना जाता है, जैसे-कैंक्रेज, राठी, साहीवाल, गिर आदि ।
भारतीय पशु अपनी गठन, ताकत और उष्णकटिबंधीय बीमारियों की प्रतिरोधक क्षमता के लिए विख्यात हैं । परंतु, दुग्ध उत्पादन के मामले में ये घटिया किस्म के हैं, जिन्हें सुधारने के लिए भ्रूण प्रत्यारोपण तकनीक का उपयोग हो रहा है ।
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विश्व में सर्वाधिक मवेशी भारत में है । 3 सितम्बर, 2014 को नई दिल्ली में 19वीं पशुगणना रिपोर्ट 2012 जारी की गई है । यह रिपोर्ट कृषि मंत्रालय के पशुपालन, दुग्धशाला एवं मत्स्यपालन विभाग ने प्रकाशित की है ।
a. देश की 19वीं पशुगणना (2012) के अनुसार भारत में कुल 51.20 करोड़ पशु है । विश्व में सबसे अधिक मवेशी भारत में है । 19वीं पशुधन में वर्ष 2007 में हुई गणना की तुलना में पशुओं की कुल आबादी 3.33% घट गयी है ।
b. हालाँकि, कुछ राज्यों जैसे गुजरात (15.36%), उत्तर प्रदेश (14.01%), असम (10.77%), पंजाब (9.57%), बिहार (8.56%), सिक्किम (7.96%), मेघालय (7.41%) और छत्तीसगढ़ (4.34%) में पशुओं की कुल आबादी में वृद्धि दर्ज की गयी है ।
c. कुल पशुधन के मामले में उत्तर प्रदेश देश में पहले स्थान पर है, उसके बाद क्रमशः राजस्थान एवं आंध्र प्रदेश का स्थान है ।
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d. दुधारू पशुओं जैसे गायों और भैंसों की संख्या 111.09 मिलियन से बढ़कर 118.59 मिलियन हो गयी है, जो 6.75% की बढ़ोतरी दर्शाती है । मादा पशु (यथा-गाय) की कुल संख्या में पिछली पशु गणना (2007) के मुकाबले 6.52% की बढ़ोतरी दर्ज की गयी है तथा मादा पशुओं की कुल संख्या वर्ष 2012 में 122.9 मिलियन हो गयी ।
e. इसी तरह मादा भैंसों की कुल संख्या भी पिछली पशु गणना की तुलना में 7.99% बढ़ गयी है । वर्ष 2012 में मादा भैंसों की कुल संख्या 92.5% रही ।
f. मुर्गीपालन क्षेत्र ने भी पिछली पशु गणना के मुकाबले 12.39% की अच्छी बढ़ोतरी दर्शायी गई है । वर्ष 2012 में देशभर में मुर्गे-मुर्गियों की कुल संख्या 729.2 मिलियन थी । इस मामले में आंध्र प्रदेश पहले स्थान पर है वहीं तमिलनाडु का दूसरा स्थान है ।
g. 19वीं पशुगणना वर्ष 2012 में की गयी थी, जिसमें सभी राज्यों एवं केंद्र शासित क्षेत्रों ने हिस्सा लिया था । इस गणना में देशभर के सभी गाँवों और शहरों/वार्डों को शामिल किया गया था ।
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h. देश में पशुओं की गणना वर्ष 1919 में शुरू हुई थी और उसके बाद से ही हर पाँच वर्ष में यह गणना की जाती है ।
गाय-बैल (Cattle):
देश में गायों की मान्यता प्राप्त 27 नस्लें हैं । विश्व के कुल गाय-बैलों का 14% भारत में है । गाय-बैल के पालन भारत का अग्रणी राज्य उत्तर प्रदेश है जबकि दूसरा स्थान मध्य प्रदेश का है ।
इनके बाद क्रमशः बिहार, महाराष्ट्र, राजस्थान तथा आंध्र प्रदेश का स्थान आता
है । लेकिन बढ़िया नस्ल के अधिकांश दुधारू, मालवाहक या मिश्रित उद्देश्य वाली मवेशियाँ पंजाब, हरियाणा, गुजरात, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में ही मिलते हैं ।
भैंस (Buffalo):
भारतीय भैंस को जल भैंस (Water Buffalo) कहा जाता है । इसका जीनस ‘बुवेलस’ है । भारतीय नस्ल की भैंसे विश्व में सबसे अच्छी हैं । दूध, मांस व मालवाहन के लिए इनका काफी महत्व है । नर भैंसे भारवहन तथा खेतों के कार्य के लिये उपयोगी होते हैं । भारत में विश्व की लगभग आधी भैंसे मिलती हैं ।
भारत की सबसे अच्छी नस्लों की भैंसों के अंतर्गत मुर्रा (हरियाणा, दिल्ली), भांदवारी (उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्यप्रदेश), जफ्फरावादी व सुरती (गुजरात), नागपुरी व एलिचपुरी (महाराष्ट्र) प्रमुख हैं । भैंसों पर अनुसंधान के लिए केन्द्रीय भैंस अनुसंधान संस्थान, हिसार की स्थापना की गयी है ।
राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान, करनाल (हरियाणा) ने विश्व में पहली भैंस क्लोन (गरिमा) बनाने में सफलता प्राप्त की है । क्लोन भैंस गरिमा-I ने 25 जनवरी, 2013 को कटड़ी (पड़िया) को जन्म दिया ।
उसका नाम गरिमा रखा गया है । गरिमा की महिमा के साथ ही भारत क्लोन तकनीक में भी विश्व का नया रिकॉर्ड बन गया । भारत पहला ऐसा देश है, जहाँ क्लोन से तैयार कटड़ी (पड़िया) ने बच्चा जन्मा है ।
अब तक यह माना जाता रहा है कि क्लोन से तैयार प्राणी प्रायः बांझ होते हैं लेकिन गरिमा-II के माँ बनने के बाद यह मिथक टृट गया । इतना ही नहीं, गरिमा को प्राकृतिक तरीके से गर्भाधान कराया गया । इस उपलब्धि के बाद NDRI- नेशनल डेयरी रिसर्च इंस्टीट्यूट को पूरे विश्व में ख्याति मिली ।
भेड़ (Sheep):
भेड़ों की संख्या के दृष्टिकोण से भारत का विश्व में छठा स्थान है । ये मुख्य रूप से मांस तथा ऊन उत्पादन के लिए पाली जाती हैं । भारत में भेड़ो की 26 नस्ले है । भारतीय भेड़ों की नस्ल सुधारने के लिए उत्तम नस्ल की मेरिनो भेड़ का आयात किया गया । अभी तक देश में बनाई गई वर्णसंकर नस्ल हस्साडेल तथा कोरियाडेल है ।
लोही भेड़ की सर्वाधिक दूध देने वाली नस्ल है । भारत में भेड़ पालन मुखयत: पठारी एवं पहाड़ी क्षेत्रों में किया जाता है । राजस्थान में देश की एक चौथाई भेड़ें पाई जाती हैं । इसके बाद आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, कर्नाटक एवं महाराष्ट्र का स्थान है । औसतन एक भैंस से 1 से 1.5 किग्रा. ऊन प्रतिवर्ष मिल जाता है ।
ऊन उत्पादन की दृष्टि से राजस्थान अग्रणी है । वर्ष 2012-13 में 46% मिलियन किग्रा. ऊन का उत्पादन किया गया । जम्मू-कश्मीर, कर्नाटक तथा गुजरात अवरोही क्रम में महत्वपूर्ण ऊन उत्पादन राज्य हैं । किन्तु भारतीय ऊन निकृष्ट किस्म की होती है, जिसे ‘मोटे कालीन वाली ऊन’ कहा जाता है । हरियाणा के हिसार में ‘केन्द्रीय भेड़ प्रजनन संस्थान’ है ।
राजस्थान में अंबिकानगर तथा सूरतगढ़ में ‘केन्द्रीय भेड़ अनुसंधान संस्थान’ स्थापित की गई है । इसके अतिरिक्त देश के विभिन्न भागों में 90 छोटे भेड़ प्रजनन फार्म तथा आंध्र प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, बिहार, मध्य प्रदेश, कर्नाटक. राजस्थान एवं उत्तर प्रदेश में 7 बड़े फार्म स्थापित किये गये हैं ।
बकरियाँ (Goats):
बकरी को ‘गरीबों की गाय’ भी कहा जाता है । बकरियों की संख्या की दृष्टि से चीन के बाद भारत का विश्व में दूसरा स्थान है । बिहार, राजस्थान, पश्चिम बंगाल तथा मध्य प्रदेश में बकरियाँ अधिक संख्या में पाली जाती है । देश की लगभग 90% बकरियाँ देशी किस्म की है ।
इसकी नस्लों में चम्बा व गड्डी (हिमाचल प्रदेश), कश्मीरी व पश्मीना (कश्मीर), बीतल (पंजाब), मारवाड़ी, मोशान व कठियावाड़ी (गुजरात, राजस्थान, मध्य प्रदेश) तथा बरानी, सुरती व दकनी (प्रायद्वीपीय भारत) प्रमुख है । संगाम्भेरी तथा अंगोरा के वर्णसंकर द्वारा मोहेर नामक नई नस्ल तैयार की गई है ।
जमुनापारी (उत्तर प्रदेश) सर्वाधिक दूध देने वाली बकरी है । इनके दूध में वसा कण छोटे-छोटे होते हैं अतएव यह सुपाच्य होता है । बकरी के दूध में आयरन एवं पोटैशियम आदि लवण की प्रचुर मात्रा पायी जाती है । आयरन की मात्रा इसके दूध में गाय की अपेक्षा 10 गुना अधिक होता है ।
सुअर पालन (Piggery):
सुअर ऐसा पशु है, जो अवशिष्ट भोजन तथा घरेलू कचरे पर जीवन निर्वाह करता है । इसका मांस सस्ता और प्रोटीन से भरपूर होता है । विश्व में सुअरों की सर्वाधिक संख्या चीन में पायी जाती है । सुअर औसतन 4-6 बच्चे पैदा करती है । भारत 2012 के अनुसार देश में 139.19 लाख सुअर है, जो वैश्विक अनुक्रम में 10वाँ स्थान है ।
यह वितरण मुख्यतः उत्तर प्रदेश, बिहार, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, असोम, गुजरात, मध्य प्रदेश, राजस्थान और गोवा में पाया जाता है । देशी नस्लों को सुधारने के लिए विदेशी नस्लों से संकरण प्रारम्भ किया गया । इस समय देश में 120 सुअर प्रजनन फार्म हैं । केन्द्र द्वारा प्रायोजित ‘समेकित सुअर पालन विकास के लिये राज्यों को सहायता’ योजना लागू की जा रही है ।
मुर्गी पालन (Poultry):
भारत में मुर्गियों की प्रमुख देसी नस्लें असील (उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश), चिटगांव (पश्चिम बंगाल), घगूस (आंध्र प्रदेश, कर्नाटक) हैं । सबसे अधिक मुर्गीपालन आंध्र प्रदेश में होता है । इसके बाद बिहार, तमिलनाडु, असम, महाराष्ट्र, कर्नाटक आदि का स्थान आता है ।
राष्ट्रीय कृषि शहरी विपणन फेडरेशन मुंबई (NAFED) ने देश में राष्ट्रीय व प्रादेशिक स्तर पर मुंबई, भुवनेश्वर, हैसरघट्टा (बंगलुरु) तथा चंडीगढ़ में ‘केन्द्रीय मुर्गी प्रजजन फार्म’ स्थापित किए गए हैं जहाँ मुर्गीपालन के वैज्ञानिक उपायों से सम्बंधित कार्यक्रमों पर बल दिया जा रहा है ।
भारत में वर्ष 2012-13 में 697 करोड़ अण्डे का उत्पादन हुआ तथा प्रति वर्ष प्रति व्यक्ति उपलब्धता 55 अंडे है । मुर्गी के अण्डे का कवच कैल्शियम कार्बोनट का बना होता है । भारत देशी चिकन मांस उत्पादन के मामले में विश्व में पाँचवाँ स्थान रखता है । 2009-10 में केन्द्र प्रायोजित ‘कुक्कुट विकास योजना’ शुरु की गई ।
3 नवम्बर, 2010 को नई दिल्ली में ‘राष्ट्रीय मांस एवं कुक्कुट प्रसंस्करण बोर्ड’ ने विश्वस्तरीय खाद्य परीक्षण प्रयोगशाला का निर्माण किया है ताकि हितधारकों को सुरक्षित मांस और कुक्कुट उत्पादों की आपूर्ति हो सके । वर्ष 2013-14 में कुक्कुट मीट का उत्पादन 2.68 मि. टन है ।
रेशम उत्पादन (Silk Production):
विश्व में रेशम का प्रचलन सर्वप्रथम चीन से प्रारम्भ हुआ । प्राकृतिम रेशम के उत्पादन में भारत का चीन के बाद दूसरा स्थान है । यहाँ विश्व का 17% रेशम पैदा किया जाता है । विश्व रेशम का उत्पादन रेशम के कीड़ों द्वारा प्राप्त किया जाता है । ये रेशम के कीड़े शहतूत, महुआ, साल, बेर एवं कुसुम आदि वृक्षों की पत्तियों पर पाले जाते हैं ।
मादा कीड़ा एक बार में 500 अण्डे देती है । इन्हें 15०C से 25०C तापमान के कमरे में रखकर सेया जाता है । अण्डों से निकला कीड़ा तेजी से शहतूत की पत्तियां खाता है और अपने मुंह से धागानुमा पदार्थ निकालता है जो उसके शरीर को चारों ओर से लपेट लेता है । इसे कोया कहते हैं । जिसे गरम पानी में उबाल कर रेशम प्राप्त किया जाता है ।
मधुमक्खी (Honey Bee):
मधुमक्खी पालन आय का प्रमुख साधन है । भारतीय कृषि में अतिरिक्त आय का साधन है । शहद में शर्करा 78%, जल 17% तथा एन्जाइम 05% पाया जाता है । भारत में प्रतिवर्ष 100 मिलियन किलोग्राम से अधिक शहद का उत्पादन होता है । शहद के उत्पादन में हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड तथा महाराष्ट्र अग्रणी राज्य है ।
मधुमक्खी के नाच (भाषा) की खोज के लिए प्रो. कार्ल वॉन फिश को नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया था । मधुमक्खियों की उपयोगिता केवल शहद प्राप्ति के लिए ही नहीं अपितु फसलोत्पादन में वृद्धि के लिए भी है । मधुमक्खियां फूलों में निषेचन क्रिया करके उत्तम फलों के विकास में सहायक होता हैं ।
मत्स्यन (Fishery):
भारतीय अर्थव्यवस्था में मत्स्य पालन का महत्वपूर्ण योगदान है । भारत विश्व का दूसरा सबसे बड़ा मत्स्य उत्पादक देश है, जो वैश्विक उत्पादन में 5.54% का योगदान करता है । देश के जीडीपी में मत्स्यपालन का हिस्सा लगभग 1.1% है । वर्ष 2013-14 में कुल मछली उत्पादन 9.58 मि. टन था, जो 2012-13 के 5.96% से अधिक था ।
यहां की मात्स्यकी तटवर्ती क्षेत्रों तक ही सीमित है किन्तु कुल मत्स्यग्रहण का अधिकाशं भाग अन्तर्देशीय मत्स्य के अन्तर्गत आता है । ताजे जल की मछलियों के उत्पादन में भारत विश्व में चीन के बाद दूसरा स्थान रखता है । इसका सर्वाधिक उत्पादन पश्चिम बंगाल में होता है, उसके बाद क्रमशः आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश व बिहार का स्थान आता है ।
हाल के वर्षों में भारत की मात्स्यकी तकनीक का तेजी से विकास हुआ है । नार्वे ने भारत को तकनीक व प्रशिक्षण में सहयोग देकर अपना योगदान किया है । भारत के कुल समुद्री मछली उत्पादन का 75% भाग पश्चिमी भाग से प्राप्त होता है ।
केरल सबसे बड़ा समुद्री मत्स्य उत्पादक राज्य है । इसके बाद गुजरात, महाराष्ट्र, तमिलनाडु व आंध्र प्रदेश का स्थान आता है । झींगा पालन (श्रिंप फार्मिंग) में आंध्र प्रदेश का भारत में प्रथम स्थान है ।
भारतवर्ष में सबसे प्रमुख मत्स्य पोताश्रय हैं- कोचीन, चेन्नई, विशाखापट्टनम, रायचौक, सुसॉनडॉक (मुम्बई) तथा पारादीप । मछलियों के कुल उत्पादन में पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश, केरल व तमिलनाडु भारत में प्रथम चार स्थान रखते हैं । मत्स्य संसाधनों की खोज के लिए मुम्बई में ‘केन्द्रीय मत्स्य अनुसंधानशाला’ स्थापित किया गया है ।
भारत में खारे जल का कुल क्षेत्र 9.0 लाख हेक्टेयर है । खारे जल में मत्स्य और प्रॉन के विकास के लिए एक योजना बनाई गई है, जिसे ‘ब्रेकिश वाटर ऐक्वाकल्चर स्कीम’ कहते हैं । भारत में पायी जाने वाली मीठे जल की प्रमुख मछलियों में रोहू, कतला, मृगला, लांची, टिंगरा, चित्तल, सुआन, मांगुर, अन्धुला सूप, खार्दा, सिंधी तथा बैदाल प्रमुख है ।
मत्स्य विकास हेतु रणनीति (Strategy for Development of Fisheries):
1. भारत-नार्वे योजना (INP) के तहत पारंपरिक नावों को स्वचालित नावों में पणित किया जा रहा है । इसके लिए सत्पाती, मछावा, लोढ़िया, मालिया, तूतीकोरन नौकायें विकसित की गयी हैं ।
2. सत्पाती (महाराष्ट्र), वेरावल (सौराष्ट्र), कोजन एवं तूथूकूडि (तमिलनाडु) में मछुआरों के प्रशिक्षण हेतु केन्द्र स्थापित किए गए है ।
3. कुड्डालोर, रोयापुरम (तमिलानाडु), कांडला, वेरावल (गुजरात), विजिनजम (केरल), ससून डॉक्स (महाराष्ट्र), कारवाड़ (कर्नाटक) एवं पोर्ट ब्लेयर (अण्डमान) में मत्स्य फार्म पोताश्रय बनाये गये हैं ।
4. भारतीय कृषि शोध परिषद (ICAR) अपने 8 मत्स्य शोध संस्थानों सहित विभिन्न जलीय संसाधनों के विकास हेतु शोध कर रही है ।
5. तट से 200 समुद्री मील तक विस्तृत क्षेत्र को एकान्तिक आर्थिक क्षेत्र (EEZ) घोषित किया गया है ।
6. भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) मत्स्य विकास हेतु देश के विभिन्न क्षेत्रों में 187 कृषि विज्ञान केन्द्रों की स्थापना की है ।
7. हैदराबाद में एक राष्ट्रीय मत्य विकास परिषद के गठन के साथ-साथ 6 बड़े 60 छोटे मत्स्य बंदरगाहों एवं 190 मत्स्य अवतरण केन्द्रों का विकास किया जा रहा है ।
जल-कृषि (Aquaculture):
समस्त जलीय जीव-जन्तुओं व वनस्पतियों, यथा- मछली, झींगा, केकड़ा, शम्बुक, डैम्स, शुक्ति, समुद्री घास, शैवाल आदि को जल के अंदर पालना अथवा उत्पादित करना जल-कृषि कहलाता है । उभयचर प्राणियों अर्थात् जल व थल दोनों पर रहने वाले जीव, जैसे मेढक, मगरमच्छ, घड़ियाल, कछुआ आदि को जल-कृषि में सम्मिलित नहीं किया जाता ।
अकूट प्रोटीन भंडारों से युक्त जलीय उत्पादों का आज भोजन के अतिरिक्त अन्य व्यावसायिक गतिविधियों जैसे औषधि निर्माण, बायोगैस, रसायन उद्योग, सीप-मोती निर्माण आदि में भी व्यापक सम्मिलित किया जाता है ।
ऑपरेशन फ्लड (श्वेत क्रांति) (Operation Flood):
भारत में दुग्ध व्यवसाय के विकास के लिए कृषि व सहकारिता विभाग द्वारा ‘ऑपरेशन फ्लड’ नामक एक अभियान चलाया गया । श्वेत क्रांति की सहायता से भारत 2010-11 में विश्व का सबसे बड़ा दुग्ध उत्पादन में 17% योगदान है । इसके जनक वर्गीस कुरियन हैं । इसके अन्तर्गत गुजरात के खेड़ा जिले में ‘आनन्द सहकारी समिति’ का विकास किया गया ।
ऑपरेशन फ्लड एक समेकित दुग्ध विकास कार्यक्रम है, जो दुग्ध सहकारिताओं पर आधारित है । इसका प्रमुख उद्देश्य ग्रामीण दुग्ध उत्पादकों को लाभकारी कीमत प्रदान करना है, जो नगरों जैसे उपभोक्ता क्षेत्रों को आपस में जोड़कर किया जा सकता है ।
इस कार्यक्रम की एक महत्वपूर्ण उपलब्धि ‘राष्ट्रीय दुग्ध ग्रिड’ का निर्माण है । इससे दूध के संग्रह व वितरण के कार्यों में क्षेत्रीय तथा मौसमी असमानताएँ दूर हुई है ।
अब तक ऑपरेशन फ्लड-I (जुलाई, 1970-मार्च, 1981) ऑपरेशन फ्लड-II (अप्रैल, 1981-मार्च, 1985) ऑपरेशन फ्लड-III (अप्रैल, 1985-मार्च, 1995) तथा ऑपरेशन फ्लड-IV (अप्रैल, 1995-मार्च, 2000) पूरा हो चुका है । यह ऑपरेशन फ्लड की सफलता का ही परिणाम है कि कुल दुग्ध उत्पादन का 17% उत्पादित कर भारत विश्व में प्रथम स्थान प्राप्त कर चुका है ।
भारत में वर्ष 2012-13 के दौरान कुल दुग्ध उत्पादन 132.24 मि. टन था । 2012-13 में भारत में प्रति व्यक्ति दुग्ध की उपलब्धता 281 ग्राम प्रतिदिन था । दुग्ध उत्पादन में उत्तर प्रदेश का भारत में प्रथम स्थान है । उसके बाद पंजाब, आंध्र प्रदेश, राजस्थान व गुजरात का स्थान आता है ।
राष्ट्रीय डेयरी योजना (NDP) (National Dairy Plan):
देश में दूध उत्पादन को बढ़ाने के उद्देश्य से केन्द्र सरकार ने 6 मई, 2012 को 17 हजार करोड़ रूपये की लागत से राष्ट्रीय डेयरी योजना शुरू की है । वर्ष 2010-11 में देश में लगभग 12 करोड़ 28 लाख टन दूध का उत्पादन हुआ ।
इस योजना के पहले चरण का उद्देश्य अगले कुछ वर्षों में दूध के उत्पादन में 4% से अधिक की वार्षिक वृद्धि सुनिश्चित करना है । इसके तहत् देश में 7 करोड़ छोटे दुग्ध उत्पादकों को संगठित दूध प्रसंस्करण क्षेत्र तक पहुँच आसान बनाई जाएगी ।
NDP देश के 14 प्रमुख दूध उत्पादक राज्यों आंध्र प्रदेश, बिहार, गुजरात, हरियाणा, कर्नाटक, केरल, महाराष्ट्र, ओडिशा, पंजाब, राजस्थान, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल में शुरू की जाएगी । यह छः वर्षीय योजना
है । इस योजना को मुख्य रूप से विश्व बैंक से ऋण प्रदान किया जाएगा और राज्यों की सम्बंधित एजेंसियाँ इसे क्रियावित करेगी ।
देश में दुग्ध व्यवसाय के लाभकारी प्रशिक्षण व जानकारी के लिए तीन प्रशिक्षण केन्द्र खोले गए हैं:
1. राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (NDDB), करनाल
2. मानसिंह इंस्टीट्यूट ऑफ ट्रेनिंग, मेहसाना
3. जी. देसाई ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट, पालनपुर (बनासकांठा), सिलीगुड़ी, जालंधर तथा इरोड में प्रादेशिक केन्द्र स्थापित किए गए हैं । गाय, बैल और भैसों के विकास के लिए सरकार ने चार प्रजनन क्षेत्रों रोहतक, अहमदाबाद, ओंगोल और अजमेर में केन्द्रीय रेवड़ पंजीकरण इकाइयों की स्थापना की है ।
देश में सात केन्द्रीय पशु प्रजनन फार्म हैं । ये सूरतगढ़ (राजस्थान), चिपलीमा और सुनबेडा (ओडिशा), धमरोड़ (गुजरात), हैसरघट्टा (कर्नाटक), अल्माडी (तमिलनाडु) और अंदेश नगर (उत्तर प्रदेश) में स्थित है जो गाय, बैल और भैसों के प्रजनन के लिए ऊँची नस्ल के सांड़ और प्रशीतित वीर्य के उत्पादन में लगे हैं ।
केन्द्रीय प्रशीतित वीर्य उत्पादन और प्रशिक्षण संस्थान, हैसरघट्टा बंगलुरु, (कर्नाटक) में स्थित है, जो ऊँची नस्ल के गाय एवं भैसों का वीर्य उपलब्ध कराता है ।
पशु पोषण एप्लीकेशन का शुभारंभ (Launching of Animal Nutrition Application):
राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड (National Dairy Development Board, NDDB) ने किसानों के लिए एक मोबाइल एप्लीकेशन ‘पशु पाषण’ का शुभारंभ 7 जुलाई, 2015 को किया । इसका उद्देश्य दुग्ध उत्पादन को बढ़ाकर और भोजन की लागत में कटौती करके डेयरी किसानों की आय को बढ़ावा देना है ।
यह एप्लीकेशन वेब और एंड्रॉयड दोनों प्लेटफार्म पर उपलब्ध है । राष्ट्रीय डेयरी योजना के अंतर्गत चल रहे आहार संतुलन कार्यक्रम के द्वारा पशु के सामान्य स्वास्थ्य में सुधार हुआ है, दूध देने की अवधि बढ़ी है तथा प्रजनन क्षमता में सुधार हुआ है ।
इस एप्लीकेशन की मदद से किसानों को आहार संतुलन के बारे में जानकारी मिलेगी तथा वो अपने पशुओं को उनकी आवश्यकता के हिसाब से खिला पायेंगे । पिछले कुछ एक वर्षों में मोबाइल फोन ने लोगों के जीवन को सरल बनाया है, अब यह सरलता से पशु के आहार का फार्मूला भी बनाएगा ।
देश का पहला रोबोटिक डेयरी प्लांट (The Country’s First Robotic Dairy Plant):
भारत की सबसे बड़ी दुग्ध प्रसंस्करण (डेयरी) कम्पनी गुजरात कोऑपरेटिव मिल्क फेडरेशन लिमिटेड ने एक रोबोटिक दुग्ध प्रसंस्करण संयंत्र (डेयरी प्लांट) का आरम्भ 31 अक्टूबर, 2013 को मुम्बई से 50 किलोमीटर दूर विरार क्षेत्र में किया गया ।
प्रचालन हेतु पूरी तरह से रोबोट पर आधारित यह संयंत्र देश का पहला रोबोटिक दुग्ध प्रसंस्करण संयंत्र है । गुजरात कोऑपरेटिव मिल्क फेडरेशन लिमिटेड को मुख्य रूप से सबसे चर्चित ब्राण्ड अमूल के नाम से जाना जाता है ।