शीर्ष पंद्रह बहुउद्देशीय नदी घाटी परियोजनाओं | Top 15 Multipurpose River Valley Projects in Hindi.

1. दामोदर घाटी परियोजना (Damodar Valley Project):

यह स्वतंत्र भारत की प्रथम बहुउद्देशीय परियोजना है । झारखंड और पश्चिम बंगाल राज्यों में फैली दामोदर घाटी का संयुक्त राज्य अमेरिका की टेनेसी घाटी परियोजना (1933) के आधार पर संयुक्त विकास के लिए 1948 ई. में दामोदर घाटी निगम (DVC) की स्थापना की गई । दामोदर नदी छोटानागपुर की पहाड़ियों से निकलकर प. बंगाल में हुगली नदी से मिल जाती है ।

इस परियोजना में तिलैया, कोनार, मैथान एवं पंचेत पहाड़ी पर बाँध बनाए गए हैं, जबकि बोकारो, दुर्गापुर, चन्द्रपुर एवं पतरातू में ताप विद्युत गृहों का निर्माण किया गया है । दुर्गापुर में एक बड़ा अवरोधक इसी परियोजना के अंतर्गत निर्मित किया गया है ।

तिलैया बाँध दामोदर की सहायक बराकर नदी पर तथा हजारी बाग जिले में मैथन बाँध भी बराकर नदी व दामोदर नदी के संगम पर बना है जबकि कोनार बाँध कोनार नदी (दामोदर की सहायक नदी) पर बोकारो विद्युत संयंत्र को जल उपलब्ध कराने में सहायक है । पंचेत बाँध मान भूमि जिले में बनाया गया है । देश के कुल कोयला निक्षेप का 60% भाग दामोदर घाटी में ही निहित है ।

2. भाखड़ा-नांगल परियोजना (Bhakra-Nangal Project):

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पंजाब-हिमाचल प्रदेश में सतलज नदी पर बनाई गई यह देश की सबसे बड़ी बहुउद्देशीय योजना है । भाखड़ा बाँध संसार का सबसे ऊँचा गुरूत्वीय बाँध (226 मीटर) है । बाँध के पीछे बनी झील का नाम गोविन्द सागर (हिमाचल प्रदेश) है । हिमाचल प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और केन्द्रशासित प्रदेश दिल्ली को इस परियोजना का लाभ मिला है ।

3. रिहन्द बाँध परियोजना (Rihand Dam Project):

यह उत्तर प्रदेश में सोन की प्रसिद्ध घाटी में उसकी सहायक नदी रिहन्द पर बनाया गया है । इस बाँध के पीछे ‘गोविन्द बल्लभ पन्त सागर’ नामक एक कृत्रिम झील बनायी गई है जो भारत की सबसे बड़ी कृत्रिम झील है । यह मध्य प्रदेश तथा उत्तर प्रदेश की सीमा पर स्थित है ।

4. हीराकुंड बाँध (Hirakud Dam):

यह ओडिशा में संभलपुर के निकट महानदी पर बनाया गया है तथा संसार का सबसे लंबा बाँध है ।

5. गंडक परियोजना (Gandak Project):

यह परियोजना नेपाल के सहयोग से पूरी की गई है । इसमें मुख्य नहर गंडक पर बने वाल्मीकी नगर बैराज से निकाली गई है ।

6. कोसी परियोजना (Kosi Project):

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यह बिहार राज्य में नेपाल के सहयोग से पूरी की गई है । विनाशकारी बाढ़ों के कारण कोसी को ‘उत्तरी बिहार का शोक’ कहा जाता है । मुख्य नहर कोसी पर बने हनुमान नगर बैराज (नेपाल) से निकाली गई है । भविष्य में इस योजना के शक्तिगृहों को दामोदर घाटी परियोजना के शक्तिगृहों से मिलाकर नेटवर्क बनाने की भी योजना है ।

7. इंदिरा गाँधी (राजस्थान नहर) परियोजना (Indira Gandhi (Rajasthan Canal) Project):

इस परियोजना में रावी और व्यास नदियों का जल सतलुज नदी में लाया गया है । व्यास नदी पर पौंग नामक बाँध बनाया गया है । इसका मुख्य उद्देश्य नए क्षेत्रों को सिंचित करके कृषि योग्य बनाना है ।

यह संसार की सबसे लंबी नहर है, जिससे उत्तर-पश्चिमी राजस्थान के गंगा नगर, बीकानेर तथा जैसलमेर जिलों की सिंचाई की जा जाती है । मुख्य नहर को इंदिरा नहर के नाम से जाना जाता है । यह भारत का सबसे बड़ा कमान क्षेत्र विकसित करता है ।

8. चंबल परियोजना (Chambal Project):

यमुना की सहायक चम्बल नदी के जल का उपयोग करने के लिए मध्य प्रदेश व राजस्थान में यह परियोजना संयुक्त रूप से बनाई गई है । इस परियोजना के अन्तर्गत मध्य प्रदेश में गाँधी सागर बाँध तथा राजस्थान में राणा प्रताप सागर बाँध, जवाहर सागर बाँध तथा कोटा बैराज बनाए गए हैं । इस परियोजना का प्रमुख उद्देश्य चंबल नदी की द्रोणी में मृदा का संरक्षण करना है ।

9. नागार्जुन परियोजना (Nagarjun Project):

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यह आंध्र प्रदेश में कृष्णा नदी पर बनाई गई है । बौद्ध विद्वान नागार्जुन के नाम पर इसका नाम ‘नागार्जुन सागर’ रखा गया ।

10. तुंगभद्रा परियोजना (Tungabhadra Project):

यह आंध्र प्रदेश तथा कर्नाटक राज्यों के सहयोग से कृष्णा की सहायक तुंगभद्रा नदी पर मल्लपुरम के निकट बनाया गया है । यह दक्षिण भारत की सबसे बड़ी, बहुउद्‌देशीय घाटी परियोजना है ।

इस बाँध के फलस्वरूप निर्मित पम्पा सागर नामक जलाशय 365 वर्ग किमी. क्षेत्रफल में फैला हुआ है । इससे 3 नहरें निकाली गई हैं, जिनसे 6 लाख हेक्टेयर भूमि की सिंचाई होती है । इस परियोजना के अंतर्गत मुनीराबाद, हम्पी व हॉस्पेट में विद्युत-गृह बनाये गये हैं ।

11. मयुराक्षी परियोजना (Mayurakshi Project):

छोटानागपुर पठार के उत्तर-पूर्वी भाग की एक छोटी नदी मयुराक्षी को मेंसजोर नामक स्थान पर बाँधकर झारखंड को बिजली से और पश्चिम बंगाल को सिंचाई की नहरों से लाभान्वित किया जा रहा है । इसे ‘कनाडा बाँध’ भी कहते हैं ।

12. शरावती परियोजना (Sharavathi Project):

यह कर्नाटक में भारत के सबसे ऊँचे जोग या महात्मा गाँधी जलप्रपात पर बनाया गया है । यहाँ से बंगलौर के औद्योगिक क्षेत्र तथा गोआ और तमिलनाडु राज्यों को भी बिजली भेजी जाती है ।

13. चुटक पनबिजली परियोजना (Chutak Hydroelectric Project):

चुटक पनबिजली परियोजना जम्मु-कश्मीर के कारगिल जिले में स्थित है । इस परियोजना में सुरू नदी के दाहिने किनारे पर भूमिगत पॉवर हाऊस का निर्माण शामिल है । इस परियोजना से 44 मेगावाट विद्युत उत्पादन हो सकेगा ।

उल्लेखनीय है कि जम्मू व कश्मीर राज्य के 70% भू-भाग में विस्तृत यह क्षेत्र समुद्री तल से 2400 से 4500 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है, जो विश्व के सबसे अधिक ऊँचाई पर स्थित जनसंख्या वाले क्षेत्रों में से एक है ।

14. उरी-2 परियोजना (Uri 2 Project):

जम्मू-कश्मीर के बारामूला जिले में स्थित NHBC के 240 मेगावाट क्षमता वाली उरी-2 पॉवर स्टेशन को जुलाई, 2014 में राष्ट्र को समर्पित किया गया । उरी-2 पॉवर स्टेशन बारामूला की उरी तहसील के सलामाबाद गाँव के निकट झेलम नदी पर बना है ।

15. नाप्था-झाकरी परियोजना (Naphtha Jhakri Project):

यह परियोजना हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिले में सतलज नदी पर स्थित है । केन्द्र सरकार एवं हिमाचल प्रदेश की साझेदारी वाली 1500 मेगावाट झमता की यह परियोजना एशिया की सबसे बड़ी जल विद्युत परियोजना है ।