बहुउद्देशीय नदी घाटी परियोजनाओं | Multipurpose River Valley Projects in Hindi.

1. उकाई परियोजना (Ukai Project):

यह गुजरात सरकार की प्रमुख बहुउद्देशीय परियोजना है । यह परियोजना सूरत से 116 किमी. दूर उकाई नामक स्थान पर निर्मित है । यहीं पर 4,928 मीटर लम्बा व 69 मीटर ऊँचा एक विशाल बाँध बनाया गया है । इससे निकलने वाली नहरों से भूमि की सिंचाई होती है ।

2. दांतेवाड़ा परियोजना (Dantewada Project):

बनास नदी के जल का समुचित उपयोग के लिए गुजरात सरकार ने बनासकांठा जिले के निकट दांतेवाड़ा में एक बाँध का निर्माण किया है, जिसकी लम्बाई 274 मीटर है । इस परियोजना के अन्तर्गत निर्मित सागर की कुल जल संचयन क्षमता 16.40 अरब घन फुट है ।

इसके जल से 1.10 लाख हेक्टेयर भूमि सिंचित की जाएगी । इस परियोजना के अन्तर्गत एक विद्युत निर्माण गृह की स्थापना की योजना भी है, जिससे 1,000 मेगावाट विद्युत का उत्पादन किया जाएगा ।

3. कोयना परियोजना (Koyna Dam):

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यह परियोजना महाराष्ट्र में कृष्णा की सहायक कोयना नदी पर है । मुंबई-पुणे औद्योगिक क्षेत्र को यहीं से बिजली भेजी जाती है ।

4. बगलिहार परियोजना (Baglihar Project):

यह जम्मू-कश्मीर में चिनाब नदी पर 450 मेगावाट की जल-विद्युत परियोजना है । इस बाँध के निर्माण को पाकिस्तान 1960 ई. के सिंधु जल समझौते का उल्लंघन मानता है ।

यह समझौता विश्व बैंक की मध्यस्थता में हुआ था जिसने हाल ही में भारत के पक्ष को स्वीकार करते हुए बाँध की ऊँचाई 1 मी. घटाने को कहा है । चिनाब नदी पर भारत द्वारा बनाई जा रही दुलहस्ती परियोजना को लेकर भी दोनों देशों में विवाद रहे हैं ।

5. किशनगंगा परियोजना (Kishanganga Project):

यह जम्मू-कश्मीर में झेलम नदी पर 330 मेगावाट की जल-विद्युत परियोजना है । भारत झेलम नदी की इस शाखा के जल को दूसरी शाखा में भेजना चाहता है । इसके लिए 21 किमी. लंबी भूमिगत सुरंग बनाने की भारत की योजना है ।

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पाकिस्तान इसे 1960 ई. के सिंधु जल समझौते का उल्लंघन मानता है । झेलम नदी पर भारत द्वारा बनाई जा रही बुलर बैराज परियोजना को लेकर भी दोनो देशों में विवाद है ।

सितंबर 2011 में अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय ने भारत को बाँध निर्माण व सूखा संचालन की अनुमति दे दी, पंरतु साथ ही यह निर्देश भी दिया है कि भारत इस नदी पर कोई ऐसा स्थाई कार्य नहीं करेगा, जिससे नदी में जल प्रभाव बाधित हो ।

6. परम्बिकुलम-अलियार परियोजना (Parambikulam Aliyar Project):

यह तमिलनाडु एवं केरल की संयुक्त परियोजना है । इस परियोजना के अन्तर्गत अन्नामलाई से निकलने वाली 6 नदियों एवं कार्डेमम पहाड़ी से निकलने वाली 2 नदियों को सुरंगों के माध्यम से जोड़कर अनेक जलाशय बनाए गए हैं । इन जलाशयों से तमिलनाडु के कोयम्बटूर एवं केरल के चित्तूर क्षेत्रों की लगभग 1 लाख हेक्टेयर भूमि की सिंचाई होती है ।

7. पोचम्पाद परियोजना (Pochampad Project):

इस परियोजना के अन्तर्गत गोदावरी नदी पर एक बाँध निर्मित किया गया है । इससे निकाली गई 112.43 किमी. लम्बी नहरों से आंध्र प्रदेश जिलों की लगभग 2.43 लाख हेक्टेयर भूमि की सिंचाई हो सकेगी ।

8. पोलावरम परियोजना (Polavaram Project):

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पोलावरम परियोजना संबंधी विधेयक को संसद में 14 जुलाई, 2014 को स्वीकृति प्रदान की गयी । इसके अंतर्गत 136 गाँवों, 211 छोटे गाँवों और 7 मंडलों का, आंध्र प्रदेश में विलय किया जाएगा, जिसके बाद वे पूर्वी गोदावरी जिले का हिस्सा बन जाएंगे । पोलावरम परियोजना को इंदिरा सागर बाँध परियोजना भी कहा जाता है ।

इसे केंद्र सरकार से राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा प्राप्त है । यह आंध्र प्रदेश के पश्चिमी गोदावरी जिले में गोदावरी नदी पर स्थित है, जिसमें 83,200 करोड़ घन फुट जल का संग्रह किया जाएगा । इस परियोजना को 25 अक्टूबर, 2005 को स्वीकृति मिली थी ।

इससे आंध्र प्रदेश की 2,32,000 एकड़ अतिरिक्त भूमि की सिंचाई हो सकेगी और 960 मेगावाट विद्युत का भी उत्पादन किया जा सकेगा । आशंका यह है कि पोलावरम बाँध के कारण तेलंगाना, ओडिशा और छत्तीसगढ़ के 360 से अधिक गाँव पूरी तरह डूब जाएंगे और पौने 2 लाख लोग विस्थापित होंगे ।

9. पंचेश्वर बहुउद्देशीय परियोजना (Pancheshwar Multipurpose Project):

15 फरवरी, 2012 को संयुक्त मंत्रिस्तरीय बैठक भारत-नेपाल जल संसाधन आयोग की नई दिल्ली में प्रथम वार्ता हुई । दोनों पक्ष पंचेश्वर बहुउद्देशीय परियोजना लागू करने के लिए पंचेश्वर विकास प्राधिकरण की स्थापना पर सहमत हुए ।

1. सप्त कोसी डैम परियोजना शीघ्र पूरी करने पर सहमति बनी ।

2. सन कोसी स्टोरेज कम डाइवर्जन स्कीम पूरी करने पर सहमति ।

3. 15 किमी. लम्बे कोसी तटबाँध का रख-रखाव भारत सरकार द्वारा किए जाने पर सहमति ।

4. मुजफ्फरपुर-ढालकेबर 400 के.वी. ट्रांसमिशन लाइन को मजबूत करने पर सहमति ।

5. नेपाल से 75 मेगावाट अतिरिक्त बिजली आयात किए जाने पर सहमति ।

6. गंडक परियोजना की मरम्मत व रख-रखाव के लिए जरूरी सामग्री व शुल्कमुक्त उपकरण नेपाल भेजे जाने पर सहमति बनी थी ।

10. बुनाखा परियोजना (Bunakha Project):

सरकारी पनबिजली कंपनी टिहरी हाइड्रो डेवलपमेंट कारपोरेशन ने भूटान की 180 मेगावाट की बुनाखा जल विद्युत परियोजना की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट के उन्नयन के लिए समझौता 25 जून, 2010 को किया है । बुनाखा परियोजना भूटान का 2020 ई. तक 10,000 मेगावाट जल विद्युत विकसित करने की पहल में शामिल है ।

THDC को भूटान की 4,060 मेगावाट की संकोश बहुउद्‌देशीय परियोजना की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार करने का काम भी मिला है । कंपनी ने भूटान के फुनेटशोलिंग तथा बुनाखा व संकोश परियोजना स्थल पर अपने कार्यालय स्थापित किये । 54 मीटर ऊँचे और 366 मीटर लम्बे इस बाँध को 1895 में बनाया गया था । इसके जलाशय की क्षमता 44 करोड़ घन मीटर से भी अधिक है ।

11. रेणुका बाँध परियोजना (Renuka Dam Project):

केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय की वन सलाहकार समिति ने लम्बे समय से प्रतीक्षारत रेणुका बाँध परियोजना को 13 अगस्त, 2014 को स्वीकृति दे दी । इस परियोजना के बनने से दिल्ली में पेयजल की समस्या दूर हो सकती है । इस परियोजना को लेकर लम्बे समय से आदिवासी अधिकार व वन भूमि को लेकर विवाद चल रहा था ।

हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले में यमुना की सहायक नदी गिरि नदी पर बनाई जाने वाली इस परियोजना की लागत 36.000 करोड़ रुपये होगी जिसके लिए 909 हेक्टेयर वन भूमि की दरकार है । इस परियोजना से दिल्ली को 27.5 करोड़ गैलन जल की आपूर्ति की जा सकती है ।

रेणुका बाँध को बचाने के लिए लोगों ने 1986 में तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी के समक्ष गिरी बाँध परियोजना के लिए अन्वेषण का काम शुरू किया । 2006 में हिमाचल पावर कारपोरेशन का गठन हुआ तथा केंद्र द्वारा इसे राष्ट्रीय परियोजना घोषित किया गया ।