भारत का उच्चतम न्यायालय पर निबंध (सर्वोच्च न्यायालय) । Essay on Supreme Court of India in Hindi Language!
1 प्रस्तावना ।
2. सर्वोच्च न्यायालय का गठन ।
3. नियुक्ति और योग्यता ।
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4. कार्यकाल, वेतन तथा भत्ते ।
5. सर्वोच्च न्यायालय का क्षेत्राधिकार ।
6. उपसंहार ।
1. प्रस्तावना:
भारतीय संविधान के अनुसार सुप्रीम कोर्ट, अर्थात् उच्चतम न्यायालय देश का सर्वोच्च न्यायालय है । यह भारतीय संविधान का संरक्षक है; क्योंकि कानूनों की वैधानिकता से वह जांच कर सकता है । वह व्यवस्थापिका द्वारा निर्मित कानूनों तथा कार्यपालिका द्वारा जारी किये गये आदेशों को संविधान के प्रतिकूल होने पर अवैधानिक घोषित कर सकता है । यह एक संघीय न्यायालय है । शेष सभी न्यायालय इसके आधीन है । यह न्यायालय दिल्ली में स्थित है ।
2. सर्वोच्च न्यायालय का गठन:
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वर्तमान में सर्वोच्च न्यायालय में एक मुख्य न्यायाधीश तथा 25 अन्य न्यायाधीश हैं, जिनकी नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है । उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश 65 वर्ष की अवस्था तक अपने पद पर बने रह सकते हैं । वे चाहें, तो इससे पहले भी पदत्याग कर सकते हैं ।
3. नियुक्ति एवं योग्यता:
सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति राष्ट्रपति करता है तथा उसके परामर्श से वह अन्य न्यायाधीशों की नियुक्ति करता है । योग्यता: 1: वह भारत का नागरिक हो । 2. एक या एक से अधिक उच्च न्यायालयों में कम-से-कम 5 वर्ष तक न्यायाधीश रह चुका हो या किसी उच्च न्यायालय में कम-से-कम 10 वर्ष तक अधिवक्ता रह चुका हो ।
4. कार्यकाल, वेतन तथा भत्ते:
सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश का कार्यकाल 65 वर्ष का है । या तो वह त्यागपत्र देकर पद से हट सकता है या फिर अक्षमता के द्वारा उसे महाभियोग लगाकर हटाया जा सकता है ।
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वेतन तथा भत्ते: सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को 33,000 तथा अन्य न्यायाधीशों को 30,000 रुपये वेतन, भत्ते तथा अन्य सुविधाएं मिलती हैं । सेवानिवृत्ति के पश्चात् उन्हें पेंशन मिलती है ।
5. सर्वोच्च न्यायालय का क्षेत्राधिकार:
सर्वोच्च न्यायालय को प्राप्त व्यापक क्षेत्राधिकार निम्नलिखित हैं:
1) प्रारम्भिक क्षेत्राधिकार ।
2) अपीलीय क्षेत्राधिकार ।
3) परामर्श सम्बन्धी क्षेत्राधिकार ।
4) पुनर्विचार सम्बन्धी क्षेत्राधिकार ।
5) अभिलेख न्यायालय ।
6) मौलिक अधिकारों का रक्षक ।
7) संविधान का संरक्षक ।
8) न्यायिक क्षेत्र का प्रशासन ।
प्रारम्भिक क्षेत्राधिकार से तात्पर्य उन विवादों से है, जिनकी सुनवायी भारत के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा ही की जाती है, जिसके अन्तर्गत विषय आते हैं:
1. भारत सरकार तथा एक से अधिक राज्यों के बीच के विवाद ।
2. भारत संघ का कोई राज्य या राज्यों के बीच संवैधानिक विषय से कम्बद्ध कोई विवाद ।
3. दो या दो से अधिक राज्यों के बीच संवैधानिक विषय के कोई विवाद ।
प्रारम्भिक समवर्ती क्षेत्राधिकार के अन्तर्गत मौलिक अधिकारों को लागू करने के सम्बन्ध में उच्च न्यायालय एव सर्वोच्च न्यायालय क्ते प्रदत्त अधिकार आते हैं । इसमें मौलिक अधिकारों के उल्लंघन से सम्बन्धित विवादों की सुनवाई होती है ।
अपीलीय क्षेत्राधिकार के अन्तर्गत सर्वोच्च न्यायालय को अन्तिम अपीलीय न्यायालय माना जाता है । समस्त राज्यों के उच्च न्यायालयमें के विरुद्ध अपील यहां सुनी जाती है । इस क्षेत्राधिकार के अन्तर्गत सर्वोच्च न्यायालय को निम्न अधिकार प्राप्त हैं:
क. संवैधानिक:
यदि उच्च न्यायालय यह प्रमाणित कर दे कि अमुक विवाद में संविधान की व्याख्या से सम्बन्धित कानून का कोई महत्त्वपूर्ण प्रश्न निहित है, तो उच्च न्यायालय के निर्णय की अपील सुनने की अनुमति दी जाती है ।
ख. दीवानी:
इसमें ऐसे सभी दीवानी मामलों की अपील की जा सकती है, जिनमें उच्च न्यायालय ने यह प्रमाणित कर दिया है कि इस विवाद में कानून की व्याख्या से सम्बन्धित सारपूर्ण प्रश्न अन्तर्निहित है ।
ग. फौजदारी:
इसके अन्तर्गत उच्च न्यायालय के विरुद्ध जो अपीलें की जाती हैं, वह हैं:
1.उच्च न्यायालय ने निम्न न्यायालय के ऐसे किसी निर्णय को रह करके अभियुक्त को मृत्युदण्ड दे दिया है, जिसमें नीचे के न्यायालय ने अभियुक्त को अपराध मुक्त कर दिया हो ।
2. उच्च न्यायालय ने अधीनस्थ न्यायालय से अभियोग विचारार्थ अपने पास मंगवाकर अभियुक्त को प्राणदण्ड दिया हो ।
3. उच्च न्यायालय यह प्रमाणित कर दे कि विवाद सर्वोच्च न्यायालय द्वारा विचार योग्य है, अपील की जा सकती है ।
4. विशिष्ट सर्वोच्च न्यायालय को यह अधिकार प्राप्त है कि वह सैनिक न्यायालय को छोड़कर भारत के किसी अन्य न्यायालय या न्यायमण्डल के निर्णय के विरुद्ध सर्वोच्च न्यायालय में अपील करने की अनुमति प्रदान करे । इस तरह अपीलीय न्यायालय की दृष्टि से भारत का सर्वोच्च न्यायालय विश्व में सर्वाधिक शक्तिशाली है ।
परामर्श सम्बन्धी क्षेत्राधिकार: राष्ट्रपति सार्वजनिक महत्च के किसी’ विषय पर सर्वाच्च न्यायालय से परामर्श मांग सकता है । न्यायालय के परामर्श को मानना या न मानना राष्ट्रपति के विवेक पर निर्भर करता है ।
पुनर्विचार सम्बन्धी क्षेत्राधिकार: सर्वोच्च न्यायालय स्वयं द्वारा दिये गये आदेश या निर्णय पर पुनर्विचार कर उसमें आवश्यक परिवर्तन कर सकता है ।
अभिलेख न्यायालय: इस न्यायालय में सभी निर्णयों को अभिलेखों के रूप में सुरक्षित रखा जाता है । इसके निर्णय सब जगह प्रामाणिक स्वीकृत होते हैं ।
मौलिक अधिकारों का रक्षक: यदि किसी नागरिक के मौलिक अधिकारों का हनन होता है, तो वह सर्वोच्च न्यायालय की शरण ले सकता है ।
संविधान का संरक्षक: सर्वोच्च न्यायालय संविधान का संरक्षक इसीलिए है; क्योंकि वह कानूनों की वैधानिकता से जांच कर सकता है । वह संघीय संसद एवं विधानमण्डलों के कानून को अवैधानिक घोषित कर सकता है । न्यायालय की शक्ति को न्यायिक पुनरावलोकन कहा जाता है । यह सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण शक्ति है । इसके माध्यम से वह शासन को मर्यादित करता है ।
न्यायिक क्षेत्र का प्रशासन: सर्वोच्च न्यायालय को अपने कर्मचारियों की नियुक्ति तथा उसकी सेवा शर्त निर्धारित करने की शक्ति प्राप्त है । वह उच्च न्यायालयों को भी न्यायिक निर्देश दे सकता है ।
7. उपसंहार:
इस प्रकार स्पष्ट है कि सर्वोच्च न्यायालय को बहुत अधिक व्यापक क्षेत्राधिकार प्राप्त हैं । सर्वोच्च न्यायालय संघीय व्यवस्था तथा मौलिक अधिकारों का रक्षक है । वह संविधान का संरक्षक है । इसके कार्यक्षेत्र की व्यापकता को देखकर यह कहा गया है कि यह संयुक्त राज्य अमेरिका की शक्तियों से व्यापक है ।