Read this article in Hindi to learn about:- 1. कम्प्यूटर न्यूमेरिकल कंट्रोल मशीनें का अर्थ (Meaning of C.N.C. Machine) 2. सी.एन.सी. मशीनों के विशेष लक्षण (Special Features of C.N.C. Machines) 3. कंट्रोल मोड (Control Mode) 4. प्रोग्रामिंग (Programming) and Other Details.
Contents:
- कम्प्यूटर न्यूमेरिकल कंट्रोल मशीनें का अर्थ (Meaning of C.N.C. Machines)
- सी.एन.सी. मशीनों के विशेष लक्षण (Special Features of C.N.C. Machines)
- सी.एन.सी. मशीन के कंट्रोल मोड (Control Mode of C.N.C. Machine)
- सी.एन.सी. मशीनों की प्रोग्रामिंग (Programming of C.N.C. Machines)
- सी.एन.सी. मशीन की सुरक्षा एवं मेंटिनेंस (Care and Maintenance of C.N.C. Machines)
- सी.एन.सी. मशीनों के लाभ व हानियां (Advantages & Disadvantages of C.N.C. Machines)
1. कम्प्यूटर न्यूमेरिकल कंट्रोल मशीनें का अर्थ (Meaning of C.N.C. Machine):
न्यूमेरिकल कंट्रोल मशीनें टेप से संदेश प्राप्त करके मशीन को कंट्रोल करती है परन्तु सी.एन.सी. मशीनों में कम्प्यूटर स्टोर से सीधे निर्देश प्राप्त करें मशीन को कंट्रोल करता है । इन मशीनों का प्रयोग प्रायः जटिल कार्यक्रियाओं के लिए किया जाता है ।
ADVERTISEMENTS:
कम्प्यूटर का प्रयोग कंट्रोल यूनिट में होता है जो प्रोग्राम की सूचना को आगे बढ़ाता है । कि इन मशीनों में प्रोग्राम कंट्रोलर, कंट्रोल केबिनेट, टेकोजनरेटर्ज, मेजरिंग सिस्टम, फीड ड्राइव सिस्टम आदि मूल तत्व होते हैं । सी.एन.सी. मशीनों को मुख्यतः ‘की’ बोर्ड मशीन कंट्रोल पैनल तथा डिस्प्ले स्क्रीन द्वारा कंट्रोल किया जाता है । ‘की’ बोर्ड में प्रोग्राम भरा जाता है ।
मशीन कंट्रोल पैनल में मोड स्लैक्टर, स्विच व ओवर राइड कंट्रोल स्थित रहते हैं । डिस्प्ले स्क्रीन प्रोग्रामिंग तथा मशीनिंग आपरेशन के लिए डाटा दर्शाती है । सी.एन.सी. मशीनों पर कंट्रोल के लिए मुख्यतः तीन अक्षर x, y और z प्रयोग किए जाते हैं ।
‘x’ अक्ष टेबल के दाएं-बाएं मूवमेंट, ‘y’ अक्ष स्पिण्डल हैड के अप-डाउन मुवमेंट तथा ‘z’ अक्ष टेबल के अप-डाउन मुवमेंट के लिए प्रयोग किया जाता है । कार्य की सरफेस को ‘x’ और ‘y’ अक्षों के मानों से निश्चित किया जाता है तथा ‘z’ अक्ष से हल को कट की गहराई दी जाती है । ‘x’ और ‘y’ अक्षों के कटिंग प्वाइंट का समन्वित मान 0,0 होता है अर्थात् x = 0; y = 0 होता है ।
तीर का निशान पाजीटिव दिशा में मुवमेंट दर्शाता है । इस प्रकार तीर की दिशा के सभी मान धनात्मक होते हैं जिन्हें ‘+’ चिन्ह द्वारा दर्शाते हैं तथा विपरीत दिशा के सभी मान ऋणात्मक होते हैं जिन्हें ‘-’ चिन्ह द्वारा दर्शाते हैं ।
ADVERTISEMENTS:
सी.एन.सी. मशीनों पर कार्य करने के लिए कार्य की आकृति के अनुसार उसके ज्यामितीय आकड़ों की जानकारी होनी चाहिए तथा कार्य की आकृति के अनुसार मशीनिंग कर पना आना चाहिए । आपरेटर द्वारा एक प्रोग्राम के रूप में डाटा तैयार करने के बाद सी.एन.सी. मशीन पर उस डाटा का प्रयोग करके मशीनिंग कार्यक्रिया सम्पन्न की जा सकती है ।
2. सी.एन.सी. मशीनों के विशेष लक्षण (Special Features of C.N.C. Machines):
(I) एन.सी. यूनिट:
ADVERTISEMENTS:
जब मशीन के साथ कंट्रोल को जोड़ा जाता है तो इसे न्यूमेरिकल कंट्रोल यूनिट वाली मशीन कहते हैं । इस मशीन में विभिन्न प्रकार के प्रोग्राम स्टोर किए जाते हैं और एन.सी., यूनिट के अनुसार कंट्रोल और विभिन्न संदेश देते हैं व प्राप्त करते हैं । जिस साधन से एन.सी. यूनिट को बनाया जाता है उसे हार्डवेयर कहते हैं जिसमें सर्किट बोर्ड, लिमिट स्विचें इत्यादि होती हैं ।
सी.एन.सी. मशीन में एन.सी. सिस्टम के साथ एक माइक्रोकम्प्यूटर का प्रयोग मशीन कंट्रोल यूनिट की तरह किया जाता है । सी.एन.सी. मशीन अपने अन्दर स्टोर किए हुए नाजुक प्रोग्राम का प्रयोग करती है । एक साधारण मशीन की सूक्ष्मता 50 माइक्रोन तक होती है ।
(II) कंट्रोल पैनल:
यह सी.एन.सी. मशीन का मुख्य पार्ट है जिसमें प्रोग्राम को इनपुट और कार्यान्वित करने के लिए कीज़/बंटस होते हैं ।
(III) मशीन कंट्रोल:
जैसा कि में दर्शाया गया है मशीन का कंट्रोल एन.सी. टेप से शुरु होकर मशीन की स्लाइड तक जाता है ।
कंट्रोल सिस्टम:
प्रायः निम्नलिखित दो प्रकार के कंट्रोल प्रयोग में लाए जाते हैं:
(क) ओपन लूप सिस्टम:
जब फीड बैक की आवश्यकता नहीं होती तो इस सिस्टम का प्रयोग किया जाता है ।
यह सिस्टम निम्नलिखित तरह से कार्य करता है:
(ख) क्लोज्ड लूप सिस्टम:
यह सिस्टम आधुनिक सी.एन.जी. मशीनों में प्रयोग में लाया जाता है । इस सिस्टम में प्रोग्राम को पंच टेप रीडर के द्वारा सिगनलों में बदला जाता है । सूचना को कम्प्यूटर यूनिट में प्रदान किया जाता है और इसे मेमोरी में स्टोर किया जाता है । इस सूचना का वर्गीकरण एम्लिफायर और प्रोसेसिंग यूनिट के द्वारा किया जाता है ।
इस वर्गीकरण के अनुसार कंट्रोल यूनिट को विभिन्न प्रकार के सिग्नल भेजे जाते हैं और टेबल स्लाइड कंट्रोल यूनिट से ऐक्शन प्राप्त करती हैं । टेबल के मूवमेंट को ट्रांसड्यूजर के द्वारा मापा जाता है और इसे कम्पायलर यूनिट को प्रदान किया जाता है और टेबल के मूवमेंट को फीड बैक की तरह कम्प्यूटर की स्क्रीन पर देखा जा सकता है ।
यह सिस्टम निम्नलिखित तरह से कार्य करता है:
3. सी.एन.सी. मशीन के कंट्रोल मोड (Control Mode of C.N.C. Machines):
सी.एन.सी, मशीन के निम्नलिखित तीन कंट्रोल मोड होते हैं:
I. प्वाइंट-से-प्वाइंट कंट्रोल:
यह सिस्टम ड्रिलिंग, रीमिंग, टैपिंग, बोरिंग इत्यादि आपरेशन करने के लिए प्रयोग में लाया जाता है । यह सिस्टम ड्रिलिंग मशीन में प्रयोग किया जाता है । इस सिस्टम में मूवमेंट को केवल ‘z’ अक्ष के लिए दिया जाता है और आपरेशन किया जाता है । तब मूवमेंट को एक प्वाइंट से दूसरे प्वाइंट पर ट्रांसफर करके ‘x’ अक्षों को तुरन्त फीड दी जाती है ।
II. स्ट्रेट कट कंट्रोल:
यह सिस्टम मिलिंग और टर्निंग में प्रयोग किया जाता है । कार्य की मशीनिंग एक सीधी लाइन में की जाती है । इसलिए यह विधि प्लेन टर्निंग, फेसिंग और प्लेन मिलिंग में प्रयोग की जाती है ।
III. कंटीन्यूअस कंट्रोल:
इस सिस्टम में एक ही समय में दो या तीन अक्षों को फीड दी जाती है । टर्निग में ‘x’ और ‘y’ दोनों अक्षों को फीड देने की आवश्यकता होती है । इसलिए इसका प्रयोग टेपर टर्निग, थ्रेडिंग, रेडियस इत्यादि के लिए किया जाता है । मिलिंग में इसका प्रयोग टेपर मिलिंग, सर्क्यूलर मिलिंग, कॉनकेव मिलिंग, कॉनवेक्स मिलिंग आदि के लिए किया जाता है ।
4. सी.एन.सी. मशीनों की प्रोग्रामिंग (Programming of C.N.C. Machines):
सी.एन.सी. मशीनों को चलाने के लिए एक प्रकार को विकसित भाषा का प्रयोग किया जाता है जिसे प्रोग्रामिंग कहते हैं । प्रोग्रामिंग में विभिन्न शब्द प्रयोग होते हैं जो कि मशीन को कंट्रोल करते हैं व निर्देश देते हैं । मशीनिंग कार्यक्रियाओं के अनुसार कार्य को विभिन्न स्टेपों में बांटकर प्रोग्रामिंग करके मशीनिंग सम्पन्न की जाती है ।
a. पार्ट प्रोग्रामिंग:
यह एक पार्ट या कम्पोनेंट के उत्पादन के लिए कोड वाली सूचनाओं की सूची है । पार्ट प्रोग्राम को आगे डाटा की अलग-अलग लाइनों में बांटा जा सकता है जिसमें प्रत्येक लाइन मशीनिंग कार्यक्रियाओं के विशिष्ट सेट का वर्णन करती है । क्रमानुसार चलने वाली इन लाइनों को ब्लॉक्स कहते हैं ।
b. मेन प्रोग्राम:
यह एक कंट्रोल करने वाला प्रोग्राम है जोकि अलग-अलग कार्यक्रियाओं में कई छोटे प्रोग्रामों सब-प्रोग्रामों की बुलाता है । इन सब-प्रोग्रामों का प्रयोग प्रायः मेन प्रोग्राम तक कंट्रोल बैक की वापिसी से पहले बार-बार कार्य करने के लिए किया जाता है ।
मेन प्रोग्राम के लिए एड्रैस कोड:
प्रत्येक ब्लॉक या प्रोग्राम लाइनों में नीचे दिए गए क्रम में एड्रैस कोड होते हैं- N, G, X, Y, Z, F, M, S, T
5. सी.एन.सी. मशीन की सुरक्षा एवं मेंटिनेंस (Care and Maintenance of C.N.C. Machines):
(i) स्टार्ट करने से पहले मशीन को साफ करें ।
(ii) मशीन का लुब्रिकेटिंग आयल चैक करें ।
(iii) मशीन की हाइड्रोलिक प्रैशर चैक करें । यदि आवश्यकता हो तो हाईड्रोलिक ऑयल को भरें ।
(iv) यदि किसी ‘की’ के कार्य के बारे में आपको जानकारी न हो तो उसे कभी भी न दबाए ।
(v) मशीन को केवल तभी स्टार्ट करें यदि आप उसको स्टार्ट करने के बारे में जानते हैं ।
(vi) सी.एन.सी. मशीन को स्टार्ट करने से पहले प्रतिदिन रिफरेंस प्वाइंट लें ।
(vii) नए प्रोग्राम को फीड करने के लिए पुराने प्रोग्राम डिलीट करें और तब नए प्रोग्राम को फीड करें ।
(viii) दुर्घटनावश मशीन के रुकने की स्थिति में, पहले इलेक्ट्रिक सप्लाई, अर्थिंग और तीन-फेज लाइनों को चैक करें ।
(ix) यदि मशीन कार्य कर रही होती है तो उसका दरवाजा बंद रखना चाहिए ।
(x) प्रोग्राम का डाटा सावधानीपूर्वक फीड करना चाहिए ।
(xi) मेटीरियल के अनुसार कुलेंट का प्रयोग करना चाहिए ।
6. सी.एन.सी. मशीनों के लाभ व हानियां (Advantages & Disadvantages of C.N.C. Machines):
सी.एन.सी. मशीनों के निम्नलिखित लाभ व हानियां होती हैं:
I. छोटे बैच वाले प्रोडक्शन में अधिक संख्या में उत्पादन सम्भव है ।
II. उत्पादन कम लागत में तैयार होता है ।
III. पार्ट्स परिशुद्धता में बनाए जा सकते हैं ।
IV. अच्छा क्वालिटी कंट्रोल सम्भव होता है ।
V. अतिरिक्त जिग्स व फिक्सचर्स की आवश्यकता नहीं होती है ।
VI. पार्ट्स का डिजाइन वगैरा बदलना अति आसान होता है ।
VII. पार्ट्स की लागत की गणना करना अति आसान होता है ।
VIII. प्रोडक्शन का कंट्रोल अति आसान होता है ।
हानियां (Disadvantages):
I. अन्य परंपरागत मशीनों की अपेक्षा सी.एन.सी. मशीनों की प्रारंभिक लागत अधिक पड़ती है ।
II. सी.एन.सी, मशीनों पर केवल प्रशिक्षण प्राप्त कारीगर से ही कार्य लिया जा सकता है ।
III. सीएन-सी. मशीनों को रखने के अतिरिक्त स्थान की आवश्यकता होती है जो कि धूलरहित हो ।