Here is a list of top seven cutting tools used in industries in Hindi language.
1. ड्रिल (Drill):
ड्रिल एक प्रकार का कटिंग टूल है जिसका प्रयोग गोल आकार के सुराख बनाने के लिये किया जाता है । इसका प्रयोग ड्रिल मशीन की सहायता से किया जाता है ।
मेटीरियल:
ड्रिल प्राय: हाई कार्बन स्टील या हाई स्पीड स्टील से बनाये जाते हैं । हाई कार्बन स्टील के ड्रिल मुलायम धातुओं के लिए और हाई स्पीड स्टील के ड्रिल कड़ी धातुओं के लिये प्रयोग में लाये जाते हैं ।
2. रीमर (Reamer):
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रीमर एक प्रकार का कटिंग टूल है जिसका प्रयोग किये हुए ड्रिल होल को फिनिश करने के लिये और उसका साइज बढ़ाने के लिये किया जाता है । ड्रिल होल के द्वारा जब कोई सुराख किया जाता है तो सुराख शुद्ध साइज में नहीं बन पाता और उसकी फिनिशिंग भी अच्छी नहीं होती है ।
इसलिए जहां पर शुद्ध साइज में और फिनिश सुराख की आवश्यकता होती है वहां पर रीमर का प्रयोग किया जाता है । रीमर के द्वारा किसी सुराख को फिनिश करने या साइज को थोड़ा बढ़ाने की क्रिया को रीमिंग कहते हैं । रीमिंग करते समय रफ रीमिंग के द्वारा 0.1 से 0.15 मि.मी. और फिनिश रीमिंग के द्वारा 0.02 से 0.05 मि.मी. तक धातु को काटा जाता है ।
25 मि.मी. से कम व्यास वाले सुराखों को पहले रफ रीमिंग की जाती है और बाद में फिनिंश रीमिंग करके सुराख को फिनिश किया जाता है । 25 मि.मी. से अधिक व्यास के सुराखों को काउंटर बोर टूल से साइज में बनाकर रफ और फिनिश रीमिंग करनी चाहिये ।
मेटीरियल:
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रीमर प्राय: हाई कार्बन स्टील या हाई स्पीड स्टील के बनाये जाते हैं । अधिक मात्रा में उत्पादन के लिए कार्बाइड टिप वाले रीमर भी प्रयोग में लाये जाते हैं ।
3. टैप (Tap):
टैप एक प्रकार का कटिंग टूल है जिसके द्वारा अंदरूनी चूड़ियां काटी जाती हैं । टैप के द्वारा चूड़ियां काटने के लिए पहले टैप के साइज के अनुसार ड्रिल के द्वारा सुराख करके टैपिंग की जाती है
मेटीरियल:
टैप प्राय: हाई कार्बन स्टील के बनाये जाते हैं और इनकी बॉडी को हार्ड व टेम्पर कर दिया जाता है ।
4. टैप रैंच (Tap Wrench):
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टेप रैंच एक प्रकार का टूल है जिसका प्रयोग हैंड टैपिंग करते समय टैप को पकड़ने के लिये किया जाता है ।
प्रकार:
प्राय: निम्नलिखित टैप रैंच प्रयोग में लाये जाते हैं:
i. सॉलिड टैप रैंच:
इस प्रकार के टैप रैंच में एक या अधिक वर्गाकार खांचे बने होते हैं । एक खांचे वाले टैप रैंच में एक ही साइज का टैप फिट हो सकता है, अधिक खांचे वाले टैप रैंच में अलग-अलग साइज के टैप फिट हो सकते हैं ।
ii. एडजस्टेबल टैप रैंच:
इस प्रकार के टैप रैंच में दोनों ओर हैंडल लगे होते हैं जिनमें एक फिक्स होता है और दूसरा घूम सकता है । टैप रैंच के बीच में दो बांस लगे होते हैं जिनमें एक फिक्स और दूसरा एडजस्टेबल होता है । एडजस्टेबल जा के हैंडल को घुमाने पर इसे आगे पीछे समायोजित किया जा सकता है ।
iii. टी-हैंडल टैप रैंच:
यह एक छोटा एडजस्टेबल चॅक है जिसमें दो जास और एक हैंडल होता है इसे केवल एक हाथ से प्रयोग कर सकते हैं । यह प्रतिबंधित स्थानों के लिए उपयोगी होता है ।
5. डाई (Die):
जिस प्रकार अंदरूनी चूड़ियां काटने के लिये टैप का प्रयोग किया जाता है ठीक उसी प्रकार बाहरी चूड़ियां काटने के लिये डाई का प्रयोग किया जाता है । डाई में ‘V’ आकार की स्टैंडर्ड चूड़ियां बनी होती हैं और कटिंग ऐज बनाने के लिए कुछ फ्लूट्स भी बनाये जाते हैं ।
मेटीरियल:
डाई प्राय: हाई कार्बन स्टील से बनाई जाती है और इसको हार्ड व टेम्पर कर दिया जाता है । इसके अतिरिक्त डाई टूल स्टील या एलॉय स्टील से भी बनाई जाती हैं ।
6. स्क्रेपर (Scraper):
आजकल के औद्योगिक युग में मशीन के कुछ पार्ट्स ऐसे होते हैं जिनकी सरफेस को अधिक शुद्धता में बनाना पड़ता है चाहे वह सरफेस अंदरूनी हो या बाहरी । इन पार्ट्स को जब फाइलिंग, मशीनिंग या ग्राइंडिंग कार्यक्रिया करके बनाया जाता है तो भी इनकी सरफेस पर कुछ हाई स्पॉटत् द्वार रह जाते हैं जो कि साधारणतया आंखों से दिखाई नहीं पड़ते ।
इन हाई स्पॉटस को यदि हटाया न जाये तो ये मशीन की चाल में कुछ रूकावट डाल सकते हैं । जिससे पार्ट्स जल्दी खराब हो सकते हैं । इसलिए इन हाई स्पॉटस को हटाना अति आवश्यक हो जाता है । अत: जिस टूल के द्वारा इन हाई स्पॉटस को हटाया जाता है उसे स्क्रेपर कहते हैं ।
इस प्रकार स्क्रेपर एक कटिंग टूल है जिसका प्रयोग सरफेस से हाई स्पॉट्स को हटाने के लिए किया जाता है जैसे- लेथ मशीन के बैड, सरफेस प्लेट और बुश बियरिंग पर प्राय: स्क्रेपिंग करने की आवश्यकता पड़ती है ।
स्क्रेपिंग कार्य क्रिया के द्वारा धातु को पतले-पतले चिप्स के रूप में खुरचा जाता है । इसलिए स्क्रेपिंग एलाउंस भी कम रखा जाता है । यह एलाउंस स्क्रेप की जाने वाली सरफेस की लंबाई और चौड़ाई या लंबाई और व्यास पर निर्भर करता है ।
भारतीय स्टैंडर्ड (B.I.S.) के अनुसार यह एलाउंस 0.1 मि.मी. से 0.4 मि.मी. तक रखा जाता है । प्राय: एक पास में स्क्रेपर के द्वारा 0.005 मि.मी. से 0.07 मि.मी. तक धातु की तह खुरची जाती है । यदि 25 मि.मी. वर्ग पर 25-30 बियरिंग स्पॉट्स आ जाएं तो सरफेस बहुत ही परिशुद्ध बन जाती है ।
मेटीरियल:
स्क्रेपर प्राय: टूल स्टील से बनाए जाते हैं और इनके कटिंग ऐज को हार्ड कर दिया जाता है । इसके अतिरिक्त पुरानी घिसी हुई रेतियों से भी स्क्रेपर बनाए जा सकते हैं ।
पार्ट्स:
स्क्रेपर के प्राय: निम्नलिखित मुख्य पार्ट्स होते हैं:
i. ढंग,
ii. बॉडी,
iii. हैंडल,
iv. कटिंग ऐज ।
7. ग्राइंडर (Grinder):
पार्ट्स को अधिक शुद्धता में बनाने और फिनिश करने के लिए ग्राइंडर का प्रयोग किया जाता है । कटिंग टूल्स की धार बनाने के लिए भी ग्राइंडर को प्रयोग में लाया जाता है ।
ग्राइंडर के उपयोग:
मुख्यत: ग्राइंडर के निम्नलिखित उपयोग होते हैं:
1. किसी धातु के जॉब से अनावश्यक धातु को हटाने के लिए ।
2. कटिंग टूल्स के कटिंग ऐज की धार लगाने के लिए ।
3. किसी धातु के जॉब की सरफेस को अधिक शुद्धता में फिनिश करने के लिए ।
4. हार्ड धातु की पतली पट्टियों को भिन्न-भिन्न लंबाइयों में काटने के लिए ।
ग्राइंडिंग व्हील:
ग्राइंडिंग व्हील एक प्रकार का कटिंग टूल है जिसके असंख्य कटिंग ऐजस होते हैं । ग्राइंडिंग व्हील एब्रेसिव ग्रेंस और बॉण्ड को मिलाकर बनाए जाते हैं ।