Read this article in Hindi to learn about:- 1. डायल टेस्ट इंडिकेटर  के प्रकार (Types of Dial Test Indicator) 2. डायल टेस्ट इंडिकेटर  के ग्रेजुएशनें (Graduations and Uses of Dial Test Indicator) 3. रीडिंग (Reading) and Other Details.

Contents:

  1. डायल टेस्ट इंडिकेटर  के प्रकार (Types of Dial Test Indicator)
  2. डायल टेस्ट इंडिकेटर  के ग्रेजुएशनें (Graduations and Uses of Dial Test Indicator)
  3. डायल टेस्ट इंडिकेटर  के रीडिंग (Reading of Dial Test Indicator)
  4. डायल टेस्ट इंडिकेटर  के चैक करने की तकनीक (Checking Techniques of Dial Test Indicator)
  5. डायल टेस्ट इंडिकेटर  के सावधानियां (Precautions of Dial Test Indicator)


1. डायल टेस्ट इंडिकेटर  के प्रकार (Types of Dial Test Indicator):

ADVERTISEMENTS:

प्रायः दो प्रकार के डायल टेस्ट इंडिकेटर प्रयोग में लाए जाते हैं:

i. प्लंजर टाइप:

इस प्रकार के डायल टेस्ट इंडिकेटर में मूवमेंट का मेग्निफिकेशन एक रैंक और पीनियन मकेनिज्म द्वारा प्राप्त किया जाता है । इस डायल टेस्ट इंडिकेटर से प्राय: 0.01 मि.मी. की सूक्ष्मता में चैकिंग की जाती है । इसकी अंदरूनी रचना में रैक पर 25 मि.मी. लंबाई में 50 दांत बने होते हैं अर्थात् इनका पिच ½ मि.मी. होता है । यह रैक ड्राइवर होता है ।

रैक के साथ 10 दांतों वाली पीनियन को मैश कर दिया जाता है । यह ड्रिविन होती है । इस 10 दांतों वाली पीनियन के स्पिंडल पर एक दूसरी 75 दांतों वाली पीनियन फिट रहती है । यह ड्राइवर होती है । इस 75 दांतों वाली पीनियन के साथ एक 15 दांतो वाली पीनियन को मैश कर दिया जाता है । यह ड्रिविन होती है । इस 15 दांतों वाली पीनियन के स्पिंडल के साथ एक सुई जोड़ दी जाती है जो कि पीनियन के घूमने के साथ-साथ डायल पर घूमती है ।

ADVERTISEMENTS:

इस सुई के चक्करों की संख्या निम्नलिखित सूत्र से निकल सकते हैं:

इस प्रकार रैक का 1 दांत अर्थात् ½ मि.मी. चलने पर सूई डायल पर 172 चक्कर लगाती है । पूरे डायल को 100 बराबर भागों में बांटा होता है और आधा डायल 50 बराबर भागों में बांटा होता है । इस प्रकार ½ चक्कर में सुई 50 डिवीजन कँवर करती है ।

यदि सूई 50 डिवीजन कँवर करती है तो रैक चलता है = ½ मि.मी.

ADVERTISEMENTS:

यदि सूई 1 डिवीजन कँवर करती है तो रैक चलता है = ½ x 1/50

= 1/100 मि.मी. या .01 मि.मी.

अतः मीट्रिक पद्धति में डायल टेस्ट इंडिकेटर से .01 मि.मी. की सूक्ष्मता में चैकिंग की जा सकती है ।

ii. लीवर टाइप:

इस प्रकार के डायल टेस्ट इंडिकेटर में मूवमेंट का मेग्निफिकेशन एक लीवर और स्क्रोल मकेनिज्म द्वारा प्राप्त किया जाता है । इसमें बाल टाइप कांटेक्ट के साथ एक स्टाइलस लगा होता है । इसका प्रयोग प्रायः वहां पर किया जाता है जहां पर प्लंजर टाइप डायल टेस्ट इंडिकेटर का प्रयोग करना मुश्किल हो ।


2. डायल टेस्ट इंडिकेटर  के ग्रेजुएशनें (Graduations and Uses of Dial Test Indicator):

मीट्रिक डायल टेस्ट इंडिकेटर में एक सौंवें डिविजन में ग्रेजुएशनें बनी होती हैं । प्रत्येक 10वें डिवीजन पर 0, 0.1, 0.2 से 0.9 अंकित होता है । इसके स्केल को एक रिंग बैजल के द्वारा घुमाया जा सकता है जिससे इसे जीरो पर आसानी से सेट किया जा सकता है । कुछ डायल टेस्ट इंडिकेटरों में जीरो से क्लॉकवाइज दिशा में प्लस में और ऐंटी-क्लॉंकवाइज दिशा में माइनस में पढ़ा जाता है जिससे प्लस और माइनस रीडिग्स ली जा सकती हैं ।

उपयोग:

डायल टेस्ट इंडिकेटर का प्रयोग प्रायः निम्नलिखित कार्यों के लिए किया जाता है:

1. किसी फ्लैट जॉब की समानान्तर भुजाओं को चैक करने के लिए ।

2. किसी गोल जॉब की संकेंद्रता चैक करने के लिए

3. मास प्रॉडक्शन में एक ही साइज के कार्यों की लंबाई, चौड़ाई, ऊंचाई आदि चैक करने के लिए ।

4. लेथ मशीन पर सेंटरों को अलाइनमेंट में सेट करने के लिए ।

5. मशीन टूल्स को अलाइनमेंट में सेट करने के लिए ।


3. डायल टेस्ट इंडिकेटर  के रीडिंग (Reading of Dial Test Indicator):

रीडिंग लेने के लिए डायल टेस्ट इंडिकेटर को स्टैंड पर फिट कर देना चाहिए । स्टैंड साधारण बेस वाला या चुम्बकीय आधार वाला हो सकता है । प्लंजर के नीचे और जॉब के ऊपर की दूरी को सेट कर लेना चाहिए ।

जॉब को प्लंजर के नीचे सेट करते समय ध्यान रखना चाहिए कि सुई द्वारा डायल पर एक या दो चक्कर लग जाएं । चैकिंग करते समय यदि सुई डायल के जीरो से पीछे रह जाए तो समझना चाहिए कि जॉब (-) में हैं और यदि सूई डायल पर जीरो से आगे बढ़ जाए तो समझना चाहिए कि जॉब (+) में हैं ।

इंडिकेटर स्टैंड्स:

डायल टेस्ट इंडिकेटरों का प्रयोग स्टैंड के साथ किया जाता है ।

प्रायः निम्नलिखित प्रकार के स्टैंड प्रयोग में लाए जाते हैं:

(a) कास्ट ऑयरन बेस के साथ साधारण कार्य वाला स्टैण्ड

(b) यूनिवर्सल क्लेम्प के साथ मैग्नेटिक स्टैण्ड

(c) फ्लेक्सीबल पोस्ट के साथ मैग्नेटिक स्टैण्ड


4. डायल टेस्ट इंडिकेटर  के चैक करने की तकनीक (Checking Techniques of Dial Test Indicator):

(i) चैक करने वाले वर्कपीस को सरफेस प्लेट पर रखे ।

(ii) उपयुक्त स्टैण्डपर डायल टेस्ट इंडिकेटर को लगाएं ।

(iii) प्लंजर के टिप को वर्कपीस की सरफेस के साथ संपर्क में लाएं और देखें कि प्वाइंटर दो या तीन चक्कर लगा लें ।

(iv) प्वाइंटर और रेवोलूशन काउंटर की प्रारंभिक पोजीशन को नोट करें और उसे रिफरेंस के प्वाइंट की तरह प्रयोग करें ।

(v) टिप के नीचे वर्कपीस को आगे-पिछे मूव करें ।

(vi) प्लस या माइनस रीडिंग के लिए डायल टेस्ट इंडिकेटर को पढे ।


5. डायल टेस्ट इंडिकेटर  के सावधानियां (Precautions of Dial Test Indicator):

(i) डायल टेस्ट इंडिकेटर को अन्य कटिंग टूल्स के साथ मिलाकर नहीं रखना चाहिए ।

(ii) इसे झटके के साथ प्रयोग नहीं करना चाहिए ।

(iii) इसे रफ सरफेस पर प्रयोग नहीं करना चाहिए ।

(iv) कार्य करने बाद इसे अच्छी तरह से साफ करके इसके बॉक्स में रख देना चाहिए ।


Home››Industries››Devices››