Read this article in Hindi to learn about:- 1. रिवॉटिंग के आवश्यक औजार (Tools Required for Riveting) 2. रिवॉट के साइज और प्लेट की मोटाई में संबंध (Relation between Rivet Size and Thickness of Plate) 3. विधियां (Methods ) and Other Details.

Contents:

  1. रिवॉटिंग के आवश्यक औजार (Tools Required for Riveting)
  2. रिवॉट के साइज और प्लेट की मोटाई में संबंध (Relation between Rivet Size and Thickness of Plate)
  3. रिवर्टिंग की विधियां (Methods of Riveting)
  4. रिवॉटिड ज्वाइंट्‌स (Riveted Joints)
  5. दोषपूर्ण रिवॉटिंग के कारण (Reason for Faulty Riveting)
  6. रिवॉटिंग के लिए कृछ अन्य उपयोगी अनुपात (Some Other Useful Proportion for Riveting)


1. रिवॉटिंग के आवश्यक औजार (Tools Required for Riveting):

ADVERTISEMENTS:

रिवॉटिंग एक प्रकार की कार्यक्रिया है जिसमें रिवॉट के द्वारा ठंडी या गर्म दशा में दो या दो से अधिक पार्टस को आपस में जोडा जाता है ।

i. बाल पेन हैमर:

इसका प्रयोग रिर्वेटिंग करते समय चोट लगाने के लिये किया जाता है ।

ii. रिवॉट सेट:

ADVERTISEMENTS:

यह एक बार होती है जिसके सिरे पर अक्षीय होल ड़िल किया हुआ होता है । इसका प्रयोग रिवॉट की जाने वाली प्लेटों को दबाने के किया जाता है ।

iii. रिवॉट स्नैप:

इसके एक सिरे पर क्लोजिंग हैड के आकार की एक रिसेस बनी होती है । हैमर के द्वारा शैंक के सिरे को अपसेट करने के बाद रिवेंट के हैड को अंतिम रूप देने के लिए इसका प्रयोग किया जाता है ।

iv. डोली:

ADVERTISEMENTS:

रिवॉट की शैंक से हैड बनाते समय रिवॉट के हैड को आश्रय देने के लिए इसका प्रयोग किया जाता है । यह रिवॉट के हैड को खराब होने से बचाती है ।

v. ड्रिफ्ट:

रिवॉट को लगाने से पूर्व होल को अलाइन करने के लिए इसका प्रयोग किया जाता है ।

vi. कॉकिंग टूल:

इसका प्रयोग प्लेटों के एजों और रिवॉट के हैड को अच्छी तरह से बैठाने के लिए किया जाता है । इसके द्वारा की जाने वाली कार्यक्रिया को कॉकिंग कहते हैं ।

vii. फुलरिंग टूल:

इसका प्रयोग प्लेटों को अच्छी तरह से बैठाने और फ्लूइड टाइट ज्वाइंट बनाने के लिए किया जाता है । इसके द्वारा की जाने वाली कार्यक्रिया को फुलरिंग कहते हैं ।

viii. हैंड रिवॉट:

इसमें एक लीवर मकेनिज्य होता है जिसकी सहायता से इसके हैंडल को दबाकर बस के बीच प्रैशर लगाया जा सकता है । इसका प्रयोग प्रायः कॉपर और एल्युमीनियम की रिवटों से रिवटिंग करने के लिए किया जाता है ।

ix. पॉप रिवॉटर:

इसमें ट्रिगर मकेनिज्म होता है जिसकी सहायता से रिवॉट को दबाया जाता है और रिवॉट से मेंड़ल को अलग किया जाता है । इसका प्रयोग पॉप रिवँटों की हाथ द्वारा रिवर्टिंग करने के लिए किया जाता है ।


2. रिवॉट के साइज और प्लेट की मोटाई में संबंध (Relation between Rivet Size and Thickness of Plate):

रिवॉट के साइज और प्लेट की मोटाई के बीच संबंध जानने के लिए निम्नलिखित को ध्यान में रखना चाहिए:

1. प्लेट की मोटाई:

जितनी मोटाई की प्लेटों को आपस में मिलाकर रिवॉटिंग की जाती है उसे प्लेट की मोटाई कहते हैं । जैसे 6 मिमी. और 3 मिमी. मोटी दो प्लेटों को आपस में मिलाकर रिवॉटिंग करनी है तो प्लेट की मोटाई 6+3=9 मिमी. होगी । इसको ग्रिप की लंबाई भी कहते हैं ।

2. रिवॉट का व्यास:

इसमें केवल बिना प्रयोग में लाई हुई रिवॉट का व्यास लिया जाता है ।

रिवॉट का व्यास निकालने के लिये साधारणतया निम्नलिखित सूत्र प्रयोग में लाया जाता है:

3. रिवॉट की लंबाई के लिए एलाउंस:

रिवटिंग करने के लिए रिवॉट की लंबाई ग्रिप की लंबाई से अधिक होनी चाहिए । इसलिए एलाउंस निकालना आवश्यक हो जाता है जिससे रिवटिंग अच्छी की जा सकेगी । इस एलाउंस को ग्रिप की लंबाई में जोड़ देने से रिवॉट की सही लंबाई निकाली जा सकती है ।

रिवॉट की लंबाई = ग्रिप की लंबाई + एलाउंस अलग-अलग हैड वाली

रिवटों के लिये एलाउंस भी अलग-अलग होता है जिनमें निम्नलिखित मुख्य हैं:

I. बटन हैड रिजेंट के लिए एलाउंस:

II. काउंटर सक हैड रिवॉट के लिए एलाउंस:


3. रिवर्टिंग की विधियां (Methods of Riveting):

रिवटिंग करने के लिये ठंडी या गर्म रिवटिंग कार्य क्रिया प्रयोग में लाई जाती है । बड़े और भारी कार्यों के लिये प्रायः गर्म रिवटिंग करते हैं जिसमें रिवॉट को लाल गर्म करके प्रयोग में लाया जाता है । गर्म रिवटिंग में प्रायः 10 मिमी. से बड़े व्यास की रिवॉटों को प्रयोग में लाया जाता है ।

ठंडी रिवटिंग में रिवॉट को ठंडी दशा में प्रयोग में लाते हैं । यह क्रिया प्रायः हल्के कार्यों पर की जाती है । इसमें प्रायः 10 मिमी. से छोटे व्यास की रिवॉटों का प्रयोग करते हैं ।

(i) हाथ द्वारा रिवटिंग करना:

हाथ द्वारा सही रिवटिंग करने के लिए निम्नलिखित क्रम को ध्यान में रखना चाहिए:

a. होल्स की बर्र वगैरा को साफ करें ।

b. होल्स को अलाइन करें और रिवॉट को उनमें डालें ।

c. डोली के साथ रिवॉट के हैड को आश्रय देना चाहिए ।

d. रिवॉट सेट के द्वारा प्लेटों को आपस में दबाना चाहिए ।

e. रिवॉट की शैंक को फैलाने के लिए उसे लम्बरूप में हैमर से चोट लगाएं ।

f. हैमर के द्वारा सभी ओर से गोलाई में चोट लगाकर रिवॉट के हैड को लगभग आकार के साइज में बनाएं ।

g. रिवॉट स्नैप का प्रयोग करके रिवॉट के हैड को अंतिम रूप में फिनिश करना चाहिए ।

(ii) स्नैप हैड के साथ रिवॉटिंग करना:

a. होल्स की बर्र वगैरा साफ करना चाहिए ।

b. नीचे से रिवॉट को होल में डालना चाहिए ।

c. डोली के साथ रिवॉट को आश्रय देना और रिवेंट सेट के द्वारा प्लेटों को आपस में दबाना चाहिए ।

d. रिवॉट की शौंक को फैलाने के लिए उस पर हैमर से लम्बरूप में चोट मारना चाहिए ।

e. हैमर के द्वारा उसपर सभी ओर गोलाई में चोट मारकर रिवेट के हैड को लगभग आकार में बनाना चाहिए ।

f. रिवॉट स्नैप का प्रयोग करके रिवेंट के हैड को अन्तिम रूप में फिनिश करना चाहिए ।

(iii) काउंटरसिंक हैड के साथ रिवॉटिंग करना:

a. होल्स की बर्र वगैरा साफ करें ।

b. नीचे से रिवॉट को होल्स में डालें और जॉब को फ्लैट सरफेस पर रखें ।

c. रिवॉट सेट के द्वारा प्लेटों को आपस में दबाएं ।

d. हैमर की पेन से रिवॅट की शैंक पर चोट मारकर रफ क्लोजिंग हैड बनाएं ।

e. हैमर की पेन से चोट मारकर क्लोजिंग हैड को कुछ हद तक फिनिश करें ।

f. फ्लैट फाइल से क्लोजिंग हैड को सरफेस के बराबर रगड़कर हैड को पूर्णतया फिनिश करें ।

(iv) न्यूमेटिक रिवेटिंग हैमर के द्वारा रिवॉटिंग करना:

a. सभी आपरेटिंग निर्देशों और सुरक्षार्थ सावधानियों का अध्ययन कर लें ।

b. उपयुक्त रिवॉट का चयन करें । चैक कर लें कि हैमर और एअर होज सही दशा में हैं ।

c. हैमर के बैरेल में रिवटिंग डाई को फिट करें ।

d. वाइस में डोली को क्लेम्प करें और हैमर को वर्टिकली प्रयोग में लाएं ।

e. यदि जॉब वर्टिकली फिक्स है तो हैमर को हारिजांटली प्रयोग में लाया जाता है । इसके लिए सुरक्षित कर लें कि रिवॉट को जॉब के विपरीत डोली का आश्रय ।

स्थापित की हुई रिवॉट को टेस्ट करना:

रिवॉट को फिट करने के बाद चैक कर लेना चाहिए कि वह सही तरह से स्थापित हो गई है कि नहीं । इसके लिए एक हाथ में रिवंट और बेस प्लेट को कसकर पकड़ना चाहिए और दूसरे हाथ से रिवॉट के हैड पर हैमर से हल्की चोट मारनी चाहिए । बिल्कुल सही स्थापित हुई रिवॉट से साफ सुथरी आवाज निकलेगी और लूज स्थापित हुई रिवट से विभिन्न प्रमाणित आवाजें निकलेंगी ।


4. रिवॉटिड ज्वाइंट्‌स (Riveted Joints):

मुख्यतः निम्नलिखित दो प्रकार के रिवंटिड ज्वाइंट प्रयोग में लाए जाते हैं:

1. लैप ज्वाइंट:

इस प्रकार के ज्वाइंट में दो प्लेटों को एक-दूसरे पर रखकर रिवटिंग की जाती है । इस पर कई प्रकार की रिवटिंग की जाती है जैसे सिंगल रिवटिंग लैप ज्वाइंट

डबल (चैन) रिवॉटिड लैंप ज्वाइंट और डबल (जिग जैग) रिवॉटिड लैंप ज्वाइंट जैसे ही एक लाइन में की हुई रिवटिंग को सिंगल रिवॉटिड लैप ज्वाइंट, दो लाइनों में की हुई रिवटिंग को डबल रिवॉटिड लैप ज्वाइंट और अदल-बदल कर दूरी में की हुई रिवॉटिड को जिग-जैग रिवॉटिड लैंप ज्वाइंट कहते हैं ।

2. बट ज्वाइंट:

इस प्रकार के ज्वाइंट में दो प्लेटों के फेसों को एक सीध में सटाकर मिला दिया जाता है और ऊपर से एक या दो प्लेटों को रखकर रिवटिंग की जाती है । इस प्रकार ज्वाइंट में भी कई प्रकार की रिवटिंग की जाती है जैसे एक कॉवर प्लेट के साथ सिंगल रिवटिड बट ज्वाइंट दो कॉवर प्लेटों के साथ सिंगल रिवॉटड बट ज्वाइंट और एक कॉवर प्लेट के साथ डबल (जिग-जैग) रिवॉटिड बट ज्वाइंट ।

रिवॉटिड ज्वाइंट की स्ट्रेंग्थ:

रिवेटिड ज्वाइंट स्ट्रांग होना चाहिए ।

यदि ऐसा नहीं होता तो निम्नलिखित में से किसी एक की तरह वह खराब हो सकता है:

i. रिवॉट की शियरिंग:

ऐसा तब होता है जब प्लेट की थिकनैस की तलना में रिवॉट का व्यास बहुत कम होता है । इसलिए सही व्यास वाली रिवट का चयन करना चाहिए ।

ii. प्लेट की क्रशिंग:

ऐसा तब होता है जब प्लेट की थिकनैस की तुलना में रिवॉट का व्यास बहुत कम होता है । इसलिए सही व्यास वाली रिवट का चयन करना चाहिए ।

iii. प्लेट की स्प्लिटिंग:

ऐसा तब होता है जब रिवॉट होल्स प्लेट के ऐज के बहुत नजदीक हों । इसलिए रिवॉट होल्स प्लेट के ऐज से सही दूरी पर होने चाहिए और सही लैप एलाउंस का प्रयोग करना चाहिए ।

iv. प्लेट की टियरिंग:

ऐसा तब होता है जब रिवॉट होल आपस में बहुत नजदीक हों । इसलिए रिवॉट होल के बीच की दूरी या ‘पिच’ सही होना चाहिए ।


5. दोषपूर्ण रिवॉटिंग के कारण (Reason for Faulty Riveting):

रिवॉटिंग करते समय कुछ दोष आ सकते हैं जिनके निम्नलिखित कारण हो सकते हैं:

(क) होल्स को एक सीध में ड्रिल न करना

(ख) रिवॉटिंग से पहले शैंक को प्लेट के लम्बरूप में न रखना

(ग) रिवॉटिंग एलाउंस कम होना

(घ) रिवॉटिंग एलाउंस अधिक होना

(ड.) प्लेटों और ड्रिल किए होल में बर्र होना

(च) ऐज से रिवंट के सेन्टर के बीच दूरी अधिक होने से गैपिंग हो जाती है

(छ) रिवॉटों का पिच बहुत अधिक हो जाने से बक्कलिंग हो जाती है


6. रिवॉटिंग के लिए कृछ अन्य उपयोगी अनुपात (Some Other Useful Proportion for Riveting):

i. रिवॉट के सेंटर से प्लेट के निकटतम सिरे की न्यूनतम दूरी 2d होनी चाहिए जिसमें में d = रिवॉट का व्यास ।

ii. रिवॉट की पंक्तियों के बीच लम्बवत् दूरी चेन रिवटिंग के लिए 2d + 6 मिमी. और जिग-जैग रिवटिंग के लिए 2d रखी जा सकती तथा अधिकतम लैप-दूरी 4d होनी चाहिए ।

iii. अधिकतम पिच d + 30 मिमी. और न्यूनतम पिच 3d रखा जा सकता है ।

iv. जैसा कि तालिका में दर्शाया गया हैमर का भार और होल का व्यास रिवॉट के व्यास के अनुसार चुनना चाहिए ।


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