Here is a list of top five limit gauges used in industries in Hindi language.

मास प्रोडक्शन में उत्पादन किए पार्ट्स के साइजों को निर्धारित लिमिट में चैक करने के लिए लिमिट गेजों का प्रयोग किया जाता है ।

प्रायः निम्नलिखित लिमिट गेजें प्रयोग में लाई जाती है:

1. स्नैप गेज (Snap Gauge):

इसको कैलिपर गेज भी कहते हैं । इस गेज का प्रयोग किसी जॉब की बाहरी मापों जैसे किसी शाफ्ट के बाहरी व्यास को चैक करने के लिए किया जाता है ।

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ये कार्य के अनुसार निम्नलिखित तीन प्रकार की पाई जाती हैं:

(क) डबल ऐडिल सालिड स्नैप गेज:

यह गेज छोटे साइजों को चेक करने के लिए प्रयोग में लाई जाती है जिसके ‘Go’ और ‘No Go’ दो छोर होते हैं । यदि ‘Go’ साइज में जॉब चला जाए और ‘No Go’ न जाए तो समझना चाहिए कि जॉब निश्चित साइज में बन गया है । यह गेज प्राय: 2 से 100 से मि.मी. तक साइज को चैक करने के लिए प्रयोग में लाई जाती है ।

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(ख) लिमिट कैलिपर गेज:

यह गेज अंग्रेजी के अक्षर ‘C’ के आकार की होती है जिस पर ‘Go’ और ‘No Go’ साइज बने होते हैं । इसको सिंगल एंडिड प्रोग्रेसिव टाइप कैलिपर गेज भी कहते ०, । यह गेज प्रायः 100 से 400 मि.मी. तक साइज को चैक करने के लिए प्रयोग में लाई जाती है ।

(ग) एडजस्टेबल लिमिट स्नैप गेज:

यह गेज अंग्रेजी के अक्षर ‘C’ के आकार की होती है जिसको प्राय: बड़े साइजों को चैक करने के लिए प्रयोग में लाया जाता है । इसमें दो फिक्स और दो एडजस्टेबल एन्विलस् होती है । इस पर भी ‘Go’ और ‘No Go’ साइज रखे जाते हैं । एन्विलस् के साइज को 3 से 8 मि.मी. तक रेंज में समायोजित किया जा मूकता है इसलिए इस रेंज में एन्विल को समायोजित करके कई साइज चैक किए जाते हैं ।

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(घ) रोलर टाइप थ्रेड स्नैप गेज:

इस गेज का प्रयोग करके एक्सटर्नल थ्रेड्स को लिमिट में चैक किया जा सकता है । इसमें ‘Go’ और ‘No Go’ रोलर्स फिट रहते हैं जिनकी सहायता से जॉब को लिमिट में चैक किया जा सकता है ।

2. रिंग गेज (Ring Gauge):

यह गोल वर्कपीस की बाहरी डायमेंशनें चैक करने के लिए प्रयोग की जाती हैं जो कि मुख्यतः निम्नलिखित प्रकार की होती है:

(क) प्लेन रिंग गेज:

यह गेज गोल आकार की होती है जिसमें गेज के साइज का सुराख बना होता है और बहारी गोल सरफेस पर नर्लिंग की हुई होती है । जॉब को लिमिट में चैक करने के लिए ‘Go’ और ‘No Go’ साइजों वाली रिंग गेज भी पाई जाती है ।

प्रायः ‘Go’ और ‘No Go’ साइजों की रिंग गेज 3 से 70 मि.मी. तक रेंज में 10 स्टेपों वाली और 70 से 250 मि.मी. रेंज में 17 स्टेपों वाली पाई जाती है । ‘No Go’ गेज की पहचान के लिए इसकी बॉडी की नर्ल की हुई सरफेस पर गोलाकार ग्रूव बना होता हैं ।

(ख) टेपर रिंग गेज:

यह गेज गोल आकार की होती है जिसमें स्टैंडर्ड टेपर में सुराख बना होता है और इसकी बाहरी गोल सरफेस पर नर्लिंग की हुई होती है । इस गेज का प्रयोग किसी जॉब के बाहरी टेपर को चैक करने के लिए किया जाता है । ‘Go और ‘No Go’ साइजों की पहचान के लिए इसके टेपर होल के छोटे सिरे पर स्टेप बना होता है ।

(ग) थ्रेड रिंग गेज:

यह गेज आकार में गोल होती है जिसके सेंटर में थ्रेडिड होल होता है । इसका प्रयोग बाहरी थ्रेड की परिशुद्धता चैक करने के लिए किया जाता है । ‘Go’ और ‘No Go’ साइजों के लिए अलग-अलग गेजें प्रयोग की जाती है और ‘No Go’ को एक गोलाकार ग्रूव के द्वारा पहचाना जाता है जो कि नर्ल की हुई बाहरी सरफेस पर बना होता है ।

3. प्लग गेज (Plug Gauge):

इस गेज का प्रयोग प्लेन स्मूथ होल के साइज को चैक करने के लिए किया जाता है ।

कार्य के अनुसार ये निम्नलिखित प्रकार की पाई जाती हैं:

(क) सिंगल एंडिड प्लग गेज:

इस गेज में एक प्लग होता है जिसको साइज में फिनिश किया जाता है । इसके साथ एक षट्‌भुज आकार का या गोल आकार में नर्लिंग किया हुआ हैंडल फिट रहता है इसका प्रयोग किसी होल के साइज को चैक करने के लिए किया जाता हैं ।

(ख) डबल एंडिड प्लग गेज:

इस गेज में दोनों सिर। को साइज में फिनिश किया होता है और बीच में षट्‌भुज या गोल आकार का नर्लिंग किया हुआ हैंडल फिट रहता है । इसमें एक सिरा ‘Go’ और दूसरा ‘No Go’ साइज का होता है । इस गेज सें किसी जॉब के सुराख को लिमिट में चैक किया जा सकता है ।

(ग) प्रोग्रेसिव प्लग गेज:

इस गेज में एक ही सिरे पर ‘Go’ और ‘No Go’ साइज बन होते हैं जिनके साथ षट्‌भुज या गोल आकार का नर्लिंग किया हुआ हैंडल फिट रहता है । इस गेज का प्रयोग जॉब को लिमिट में चैक करने के लिए किया जाता है । ‘Go’ और ‘No Go’ सिरे एक ही ओर होने से चैकिंग करने में आसानी रहती है ।

(घ) टेपर प्लग गेज:

यह गेज स्टैंडर्ड टेपर में बनी होती है जिसके साथ षट्‌मुज ला गोल आकार का नलगा किया हुआ हैंडल फिट रहता है । इस गेज का प्रयोग किमी टेपर सुराख को चैक करने के लिय किया जाता है । ‘Go’ और ‘No Go’ साइजों की पहचान के लिए इसके टेपर के बडे मिरे पर स्टेप को ग्राइंड करके बना दिया जाता है ।

(ङ) थ्रेड प्लग गेज:

इसका प्रयोग अंदरूनी थ्रेड का आकार व उसकी डायमेंशन संबंधी परिशुद्धता को चैक करने के लिए किया जाता है । आसान पहचान के लिए इसका ‘Go’ सिरा ‘No Go’ सिरे की अपेक्षा लंबा होता है । ‘No Go’ सिरे की पहचान के लिए कभी-कभी ‘No Go’ सिरे के नजदीक हैंडल पर एक ग्रूव भी काट दिया जाता है ।

4. डेप्थ गेज (Depth Gauge):

जिस गेज से किसी ब्लाइंड होल, स्लॉट, स्टेप आदि की गहराई मापी व चैक की जाती है उसे डेप्थ गेज कहते हैं । इसकी बनावट में एक नेरो रूल होता है जिस पर मीट्रिक या इंगलिश पद्धति में ग्रेजुएशनें बनी होती है । यह नेरी रूल एक हैड में स्लाइड करता है और लॉक नट से इसे लॉक किया जा सकता है । इस गेज का अधिकतर प्रयोग किसी ब्लाइंड होल, स्लॉट, स्टेप, रिसेस आदि की गहराई को 1/2 मि.मी. या 1/64” की सूक्ष्मता में मापने या चैक करने के लिए किया जाता है ।

5. टेलिस्कोपिक गेज (Telescopic Gauge):

यह एक प्रकार की अप्रत्यक्षमापी गेज है जिसका प्रयोग अंदरूनी साइजों को मापने व चैक करने के लिए किया जाता है जैसे होल, स्लॉट, बोर आदि रीडिंग लेने के लिए इसकी माप को आउटसाइड माइक्रोमीटर पर ट्रांसफर करना पड़ता हैं ।

बनावट:

इसकी बनावट में निम्नलिखित पार्टस होते हैं:

i. फिक्सड लेग

ii. टेलिस्कोपिक लेग

iii. हैंडल

iv. लॉंकिंग स्क्रू

v. स्प्रिंग

साइज:

टेलिस्कोपिक गेज प्राय: 12.7 मि.मी. से 152.4 मि.मी. तक रेंज में पाए जाते हैं जिसमें 5 पीस का सेट होता है ।

प्रयोग विधि:

a. प्लंजर्स को हाथ से दबाकर लॉकिंग स्क्रू से लॉक कर देना चाहिए ।

b. गेज के मापने वाले सिरे को माप लेने वाले सुराख में डाल देना चाहिए ।

c. लाकिंग स्क्रू को ढीला करके सही फीलिंग लेनी चाहिए ।

d. लाकिंग स्क्रू से प्लंजर्स को लॉक कर देना चाहिए ।

e. गेज को बाहर निकाल कर रीडिंग को आउटसाइड माइक्रोमीटर पर ट्रांसफर करके पढ़ना चाहिए ।

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