प्रत्येक घर में इस्तेमाल किए जाने वाले हैंड टूल्स की सूची | List of Hand Tools Used in Every Household in Hindi.
1. हैमर (Hammer):
वर्कशाप में कार्य करते समय कारीगर को भिन्न-भिन्न प्रकार के कार्य करने पड़ते हैं और प्रायः ऐसे भी कार्य करने पड़ते हैं जिन पर ठोंक-पीट करनी होती है इसलिये चोट लगाने वाले औजार की आवश्यकता पड़ती है जिसकों ‘हैमर’ कहते हैं ।
इसकी बनावट में एक सिरे पर पेन दूसरे सिरे पर फेस और बीच में आई होल बना होता है जिसमें एक हैंडल लगाया जाता है । हैमर प्रायः हाई कार्बन स्टील से बनाये जाते हैं और इसके फेस और पेन को हार्ड वे टेम्पर कर दिया जाता है । कार्य के अनुसार ये भिन्न-भिन्न आकारों और तोल में पाये जाते है ।
वर्गीकरण:
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हैमर का वर्गीकरण उसके पेन के आकार और इसकी तोल के अनुसार किया जाता है जैसे बाल पेन हैमर 0.45 कि.ग्रा. ।
2. वाइश (Vice):
जब वर्कशाप में जॉब को बनाया जाता है तो उनको अच्छी पकड़ की आवश्यकता होती है । क्योंकि हाथ की पकड् से जॉब को सावधानी पूर्वक नहीं बनाया जा सकता है और दुर्घटना होने की संभावना रहती है इसलिए एक ऐसा साधन प्रयोग में लाया जाता है जिसे वाइस कहते हैं । वाइस एक प्रकार का जॉब पकड़ने वाला साधन है जिसमें जॉब को मजबूती से पकड कर उस पर फाइलिंग, मशीनिंग और दूसरे प्रकार के आपरेशन किये जा सकते हैं ।
3. ‘सी’ क्लेम्प (‘C’ Clamp):
यह अंग्रेजी के अक्षर ‘C’ के आकार का बना हुआ क्लेम्प होता है जिसकी बनावट में एक स्क्रू, हैंडल और फ्रेम होते हैं । स्क्रू और हैंडल प्रायः माइल्ड स्टील के बने होते हैं और फ्रेम प्रायः कास्ट स्टील से बनाया जाता है । कार्य के अनुसार ये तीन प्रकार के प्रयोग में लाये जाते हैं । बडे कार्यों के लिये हैवी ड्यूटी, साधारण कार्यों के लिये जनरल सर्विस और छोटे व हल्के कार्यों के लिए लाइट ड्यूटी ‘सी’ क्लेम्प प्रयोग में लाये जाते हैं ।
साइज:
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‘सी’ क्लेम्प में अधिक-से-अधिक जितने साइज का जॉब बांधा जा सकता है उसके अनुसार इसका साइज किया जाता है जैसे 100 मिमी. वाले ‘सी’ फ्लेम्प में 100 मिमी. साइज तक के जॉब बांधे जा सकते हैं ।
उपयोग:
‘सी’ क्लेम्प का अधिकतर प्रयोग मार्किंग, ड्रिलिंग, सोल्डरिंग, ब्रेजिंग इत्यादि करते समय दो या दो से अधिक पार्टस को क्लेम्प करने के लिये किया जाता है ।
4. पैरेलल क्लेम्प (Parallel Clamp):
इस प्रकार के क्लेम्प को टूल मेकर्स क्केम्प भी कहते हैं । इसकी बनावट में दो जॉ होते है जिनके साथ दो स्क्रू लगे रहते हैं । आगे वाला स्क्रू जॉब को कसता है और पीछेवाला तनाव देता है । ये प्रायः माइल्ड स्टील या हाई कार्बन स्टील से बनाये जाते हैं ।
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साइज:
पैरेलल क्लेम्प के जॉ के बीच में अधिक-से अधिक जितने साइज का जॉब बांध सकते हैं, उसके अनुसार उनका साइज लिया जाता है जैसे 50 मि.मी. वाले पैरेलल क्लेम्प में 50 मि.मी. तक साइज के जॉब ही क्लेम्प किये जा सकते हैं ।
उपयोग:
पैरेलल क्लेम्प का प्रयोग प्रायः उन पार्ट्स को पकड़ने के लिए किया जाता है जो समानान्तर और फिनिश किये हुए हों । इनका अधिकतर प्रयोग मार्किंग, ड़िलिंग, मशीनिंग, सोल्डरिंग, बेजिंग इत्यादि करते समय दो या दो से अधिक पार्ट्स को क्लेम्प करने के लिए किया जाता है ।
वाइस क्लेम्प्स या साफ्ट जॉस्:
फिनिश किए हुए जॉब को पकड़ने के लिए साफ्ट जॉस् (वाइस क्लेम्प्स) का प्रयोग किया जाता है जो कार्य की सरफेस को खराब होने से बचाते हैं ।
5. स्पेनर्स (Spanners):
अस्थाई रूप से फिट किये जाने वाले पुर्जे प्रायः नट और बोल्ट के द्वारा जोड़े जाते हैं जिनको कसने व ढीला करने के लिए प्रकार का टूल प्रयोग में लाया जाता है जिसे स्पेनर कहते हैं । यह कास्ट ऑयरन, कास्ट स्टील, मीडियम कार्बन स्टील, निकल क्रोम स्टील, क्रोम वेनेडियम स्टील व वैनेडियम एलॉय स्टील से बनाये जाते हैं ।
विवरण:
मेनर को उसके आकार और साइज के अनुसार जाना जाता है । इसका साइज प्रायः इसके ऊपर छपा रहता हैं । इसका साइज नट या बोल्ट के हैड के फ्लैट टू फ्लैट दूरी को मनोनीत करता है । जैसे सिंगल एण्डिड मेनर 20 मि.मी. । यह मेनर नट या बोल्ट के 20 मिमी. के हैड पर ही प्रयोग में लाया जा सकता है ।
6. पेंचकस (Screw Driver):
वर्कशाप में कार्य करते समय कारीगर को कई प्रकार के जॉब बनाने पड़ते हैं । कई कार्य ऐसे होते हैं जिनको भिन्न-भिन्न साधनों के द्वारा आपस में जोड़ा जाता है जैसे कभी किसी पेंच को खोलने व कमने की आवश्यकता पड़ती है तो कभी किसी नट व बोल्ट को कसना व ढीला करना पड़ता है ।
इस प्रकार जिस औजार की सहायता से पेंच को कसा रग ढीला किया जाता है उसे पेंचकस कहते है । इनका साइज इनकी शैंक की लंबाई और टिप की चौड़ाई से लिया जाता है । कार्य के अनुसार छोटे पेंचकस 45 मि.मी. लंबे व 3 मि.मी. व्यास में तथा बड़े पेंचकस से 300 मि.मी. लंबे व 10 मिमी. व्यास में पाए जाते हैं ।
मेटीरियल:
पेंचकस की शैंक प्रायः कार्बन स्टील या एलॉय स्टील की बनी होती है और उसके ब्लेड को हार्ड व टेम्पर कर दिया जाता है । ऑफसेट पेंचकस को छोड्कर प्रायः सभी पेंचकसों के हैंडल कड़ी लकड़ी या प्लास्टिक के बनाये जाते हैं ।
पार्ट्स:
पेंचकस के निम्नलिखित मुख्य पार्टस होते हैं:
i. हैंडल
ii. शैंक
iii. ब्लेड
7. प्लायर्स (Pliers):
प्लायर एक प्रकार का टूल है जिसका प्रयोग कार्य करते समय छोट-छोटे कार्यों को पकडने के लिये किया जाता है । यह प्रायः कास्ट स्टील का बनाया जाता है ।
पार्टस:
इसके निम्नलिखित तीन पार्टस होते हैं:
i. हैंडल
ii. रिवॉट
iii. जॉस्
प्रकार:
मुख्यतः निम्नलिखित प्रकार के प्लायर्स होते हैं:
a. साइड कटिंग प्लायर्स:
इसको फ्लैट नोज प्लायर भी कहते हैं । इसके दोनों जॉस् के बीच में कटिंग ऐज बने होते हैं जिससे तार को कटा जा सकता है । इस प्लायर का प्रयोग प्रायः वर्कशाप के सभी विभागों में किया जाता है । बिजली विभाग में प्रयोग में लाये जाने वाले साइड कटिंग प्लायर के हैंडल पर प्लास्टिक का कॉवर चढ़ा होता है ।
b. लांग नोज प्लायर्स:
इस प्रकार के प्लायर के जॉस् लंबे और आगे से नुकीले होते हैं । इसका प्रयोग प्रायः तंग स्थानों पर किसी पार्द को पकड़ने के लिये किया जाता है । इसका अधिकतर प्रयोग बिजली मैकेनिक और रेडियो मैकेनिक द्वारा किया जाता हैं । इसके जॉस् में भी कटिंग ऐज बने होते हैं । जिससे तार को काटा जा सकता है ।
c. स्लिप ज्वाइंट प्लायर्स:
इस प्रकार के प्लायर को दूसरे प्रकार के प्लायर्स की अपेक्षा अधिक चौड़ाई में खोला जा सकता है । इसलिए इससे बड़े साइज के जॉब भी पकड़े जा सकते हैं । इसके जॉस् में कटिंग ऐज बने होते हैं जिससे तार को काटा जा सकता है ।
d. डायगनल प्लायर्स:
इस प्रकार के प्लायर का प्रयोग प्रायः बिजली मैकेनिकों के द्वारा किया जाता है । इससे बिजली की तारों को आसानी से काटा जा सकता है । यह एक प्रकार का स्पेशल प्लायर होता है ।
सावधानियां:
i. जब प्लायर्स का प्रयोग न हो रहा हो तो उनपर हल्का सा तेल लगा कर रखना चाहिए ।
ii. प्लायर्स को टूल बॉक्स में संभालकर रखना चाहिए ।
iii. यदि प्लायर्स पर जंग वगैरा लग गया हो तो उसे फाइन बुल से साफ करना चाहिए ।
iv. प्लायर्स को समय-समय पर लुब्रिकेशन करते रहना चाहिए ।
v. प्लायर्स के कटर्स को साफ रखना चाहिए ।
vi. प्लायर्स के कटर स्क्रूज और जॉस् को चैक करना और टाइट रखना चाहिए ।