Read this article in Hindi to learn about:- 1. लेथ का अर्थ तथा प्रकार (Meaning and Types of Lathe) 2. लेथ का विवरण (Specification of Lathe) 3. चॅक (Chuck).
लेथ का अर्थ तथा प्रकार (Meaning and Types of Lathe):
लेथ एक प्रकार का मशीन टूल है जिसके द्वारा प्राय: सभी प्रकार की मशीनों के पार्ट्स का उत्पादन किया जाता है । लेथ मशीन पर जो कारीगर कार्य करता है उसे टर्नर कहते हैं । कार्य के अनुसार लेथ मशीन पर विभिन्न प्रकार के कटिंग टूल्स, अटैचमैंट और एक्सेसरीज का प्रयोग करके कई प्रकार की कार्यक्रियायें की जा सकती है ।
लेथ के प्रकार:
लेथ को निम्नलिखित तीन वर्गों में बांटा गया है:
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1. इंजन या सेंटर लेथ
2. प्रॉडक्शन लेथ
3. स्पेशल लेथ
1. इंजन या सेंटर लेथ:
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यह एक बहुत ही सामान्य प्रकार की लैथ होती है । इस प्रकार की लेथ प्राय: सभी वर्कशापों में साधारण कार्यों के लिये प्रयोग में लाई जाती हैं ।
मुख्यतः निम्नलिखित लेथें इस वर्ग के अंतर्गत आती हैं:
(a) बेंच लेथ:
वह छोटे साइज की लेथ होती है जिसका बेंच पर फिट किया जाता है । इस प्रकार की लेथ का प्रयोग प्रायः छोटे-छोटे साइज के जॉब बनाने के लिये किया जाता है । यह लेथ प्रायः टूल रूम में पाई जाती है ।
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(b) एस. एस. एंड एस. सी. लेथ:
इस लेथ का पूरा नाम स्लाइडिंग, सरफेसिंग और स्क्रू कटिंग लेथ है । यह लेथ प्रायः वर्कशाप में पाई जाती है । इस लेथ का अधिकतर प्रयोग साधारण कार्यों के लिये किया जाता है ।
2. प्रोडक्शन लेथ:
इस प्रकार की लेथ उत्पादन कार्यों के लिये प्रयोग में लाई जाती है ।
मुख्यतः निम्नलिखित लेथें इस वर्ग के अंतर्गत आती हैं:
(a) केपस्टन लेथ:
यह लेथ सेंटर लेथ का विकसित रूप है जिसका मुख्य प्रयोग बहु-उत्पादन कार्यों के लिये किया जाता है । इसमें टेल स्टॉक नहीं होता बल्कि 6 मुखी टरिट् हैड होता है जिसमें 6 या अधिक विभिन्न आकार के टूल बांधे जा सकते हैं । सेंटर लेथ की तरह इस पर गियर्ड हैडस्टॉक, बैड और सैडल के ऊपर चौकोर टूल पोस्ट होता है ।
इसके दूसरी ओर रियर टूल पोस्ट भी होता है जिसका प्रयोग फिनिश किये हुए जॉब को रॉड से अलग करने के लिए किया जाता है । इस प्रकार इस लेथ पर कार्य करने से समय की बचत होती हैं क्योंकि बार-बार टूल्स को सेट करने की आवश्यकता नहीं होती । इस लेथ का अधिकतर प्रयोग छोटे और मध्यम कार्यों के लिए किया जाता है ।
(b) टरिट् लेथ:
यह लेथ केपप्टन लेथ के समान होती है जिस पर टेलस्टॉक नहीं होता है बल्कि 6 मुखी टरिट् हैड होता है । इस लेथ का मुख्य प्रयोग बहु-उत्पादन के कार्यों के लिए किया जाता है जिस पर प्रायः लंबे और भारी कार्य किये जाते हैं ।
टरिट् और केपस्टन लेथ में अंतर:
टरिट् लेथ :
a. यह प्राय: लंबे व भारी कार्यों के लिए उपयोगी होती है ।
b. इसका मुख्य टरिट् हैड लेथ बैड पर फिट रहता है ।
c. इस पर मुख्य टरिट् हैड को ऑटोमेटिक चाल दी जा सकती है ।
d. इस पर लंबाई में फीड देने के लिए मुख्य टरिट् हैड और सैडल साथ-साथ चलते हैं ।
केपस्टन लेथ:
a. यह केवल हल्के कार्यों के लिए उपयोगी होती है ।
b. इसका मुख्य टरिट् हैड एक सब-बैड पर फिट रहता है ।
c. इस पर मुख्य टरिट् हैड को मेनुअली भी चलाया जा सकता है ।
d. इस पर लंबाई में फीड देने के लिए मुख्य टरिट् हैड और सैडल साथ-साथ या अलग-अलग चलाए जा सकते हैं ।
3. स्पेशल लेथ:
इस प्रकार की लेथ किसी एक प्रकार के स्पेशल कार्य को करने के लिये प्रयोग में लाई जाती है ।
मुख्य: निम्नलिखित लेथें इस वर्ग के अंतर्गत आती हैं:
अ. स्क्रू कटिंग लेथ
आ. रिलीविंग लेथ
इ. कोपिंग लेथ
ई. क्रेक शाफ्ट टर्निंग लेथ
उ. ऑटोमेटिक लेथ
लेथ का विवरण (Specification of Lathe):
लेथ का विवरण मुख्यतः निम्नलिखित के अनुसार किया जाता है:
i. बैड की लंबाई:
लेथ के विवरण में बैड की लंबाई का जानना आवश्यक है । जैसे बैड की लंबाई = 1800 मि.मी. ।
ii. बैड का प्रकार:
लेथ के विवरण में यह जानना आवश्यक है कि बैड किस प्रकार का है जैसे ‘वी’ बैड, समतल बैड अथवा ‘वी’ और समतल मिश्रित बैड ।
iii. हैडस्टॉक का प्रकार:
लेथ के विवरण में यह जानना आवश्यक है कि हैड स्टॉक किस प्रकार का है जैसे कोन पुली हैडस्टॉक अथवा गियर्ड हैडस्टॉक ।
iv. सेंटरों के बीच की दूरी:
लेथ के विवरण में यह जानना आवश्यक है कि दोनों सेंटरों के बीच में अधिक से अधिक कितना लंबा जॉब बांधा जा सकता है । जैसे दोनों सेंटरों के बीच की दूरी = 1000 मि.मी. ।
v. सेंटर की ऊंचाई:
लेथ के विवरण में यह जानना आवश्यक है कि बैड के ऊपरी भाग से सेंटर की ऊंचाई कितनी है । जैसे सेंटर की ऊंचाई = 200 मि.मी. ।
6. बैड के ऊपर कितने बड़े व्यास का जॉब घूम सकता है:
लेथ के विवरण में यह जानना आवश्यक है कि लेथ पर बैड के ऊपर अधिक से अधिक कितने बड़े व्यास का जॉब घूम सकता है जैसे 750 मि.मी. ।
7. स्पिण्डल का बोर साइज:
लेथ के विवरण में यह जानना आवश्यक है कि लेथ स्पिण्डल के बोर का साइज कितना है जैसे स्पिगडल बोर साइज = 50 मि.मी. ।
लेथ चॅक (Lathe Chuck):
लेथ चॅक एक प्रकार का कार्य पकड़ने का साधन है । इसमें जॉब को पकड़ कर विभिन्न कार्यक्रियायें की जाती हैं ।
प्रकार:
मुख्यतः निम्नलिखित प्रकार के लेथ चॅक प्रयोग में लाये जाते हैं:
(I) फोर जॉ चॅक:
इसको इंडिपेंडेंट चॅक भी कहते हैं । इसमें चार जॉस् होते हैं । प्रत्येक जॉ को चॅक की चाबी के द्वारा अलग-अलग चलाया जाता है । इस चॅक के द्वारा जॉब को पूर्ण शुद्धता में पकड़ा जा सकता है । इस चॅक पर प्रत्येक जॉ को उल्टा लगाकर बड़े साइज के जॉब को आसानी से पकड़ा जा सकता है ।
II. थ्री जॉ चॅक:
इसको यूनिवर्सल चॅक भी कहते हैं । इसमें तीन जॉस् होते हैं । जो कि चॅक की चाबी के द्वारा एक साथ चलते हैं । इस चॅक में जॉब को आसानी से सेंटर में बांधा जा सकता है । इसका अधिकतर प्रयोग छोटे साइज के फिनिश जॉब को पकड़ने के लिए किया जाता है क्योंकि इसमें जकड़ने की क्षमता कम होती है । इस चॅक के साथ रिवर्सिंग जॉस का सेट भी आता है जिसका प्रयोग करके बड़े साइज के जॉब भी इसमें बांधे जा सकते हैं ।
III. मैगनेटिक चॅक:
इस प्रकार के चॅक में जॉब को चुम्बकीय शक्ति द्वारा पकड़ा जाता है इसका प्रयोग प्रायः पतले जॉब पकड़ने के लिये किया जाता है ।
ये मुख्यतः निम्नलिखित दो प्रकार के होते हैं:
a. स्थायी चुम्बकीय चॅक
b. विद्युत-चुम्बकीय चॅक
IV. कॉलेट चॅक:
इस प्रकार के चॅक का प्रयोग छोटे साइज के जॉब और पिनों आदि को पकड़ने के लिये किया जाता है । इसमें बेलनाकार, चौकोर, षट्भुज आकार के जॉब आसानी से बांधे जा सकते हैं । इस चॅक में जॉब आसानी से और जल्दी सेंटर में बंध जाता है । बेलनाकार, चौकोर और षट्भुज आकार के कार्यों के अनुसार अलग- अलग आकार के कॉलेट प्रयोग में लाये जाते हैं जिससे कार्य को पकड़ने में आसानी रहती है । इसमें पकड़ने पर जॉब पर निशान भी नहीं आते हैं ।
लेथ चॅक को चढाना और उतारना:
चॅक को चढ़ाना चॅक को लेथ पर चढ़ाने के लिए निम्नलिखित क्रम को ध्यान में रखना चाहिए:
i. यह चैक कर लेना चाहिए कि चॅक उसी लेथ का है ।
ii. चक के अंदर की चूड़ियों और स्पिण्डल की चूड़ियों को साफ कर लेना चाहिए ।
iii. चक और स्पिण्डल की चूड़ियों पर तेल लगा लेना चाहिए ।
iv. बैक गियर को संलग्न कर लेना चाहिए ।
v. स्पिण्डल के नीचे की ओर बैड के ऊपर लकड़ी का गुटका लगा देना चाहिए ।
vi. लकड़ी के गुटके पर चॅक को रखकर धीरे से स्पिण्डल की सीध में लाकर चॅक को स्पिण्डल के साथ चॅक ‘की’ की सहायता से कस देना चाहिए ।
चॅक को उतारना:
चॅक को लेथ से उतारने के लिए निम्नलिखित क्रम को ध्यान में रखना चाहिए:
i. बैक गियर को संलग्न कर देना चाहिए ।
ii. लकड़ी के गुटके को चॅक के नीचे और बैड के ऊपर रख देना चाहिए ।
iii. चॅक की की सहायता से स्पिण्डल से चॅक को ढीला करके खोल देना चाहिए ।
iv. चॅक को लेथ से उतार कर उसके निजी स्थान पर रख देना चाहिए ।
टूल पोस्ट:
टूल पोस्ट लेथ के कम्पाउंड रेस्ट के ऊपरी भाग पर फिट रहता है । इसका मुख्य प्रयोग लेथ टूल्स को ठीक पोजीशन में अच्छी तरह से पकड़ने के लिए किया जाता है ।
प्रकार:
मुख्यतः निम्नलिखित प्रकार के टूल पोस्ट पाये जाते हैं:
a. पिलर टाइप टूल पोस्ट:
इस प्रकार का टूल पोस्ट प्रायः हल्के कार्यों वाली लेथ पर पाया जाता है । इसमें केवल एक ही टूल बांधा जा सकता है । इसमें टूल को पिलर में बने स्लॉट में और रॉकर आर्म पर रखकर बोल्ट के द्वारा कस कर सेट करते हैं ।
b. क्विक चेंज टूल पोस्ट:
इस प्रकार का टूल पोस्ट आधुनिक लेथों पर प्रयोग में लाया जाता है । मुख्य लाभ यह है कि इसमें टूल को शीध्रता से बदली किया जा सकता है ।
c. ओपन साइड टूल पोस्ट:
इस प्रकार का टूल पोस्ट हल्के और भारी दोनों तरह का कार्य करने वाली लेथ मशीनों पर पाया जाता है । यह टूल पोस्ट एक ओर से खुला होता है जिसमें टूल को बैठाकर बोल्टों के द्वारा कसा जाता है । इसमें टूल की ऊंचाई को समतल पट्टियां लगाकर सेट किया जाता है ।
d. टरिट् या मल्टी टूल पोस्ट:
इसको चौकोर टूल पोस्ट भी कहते हैं । इस टूल पोस्ट पर चारों ओर अलग-अलग चार टूल बांधे जा सकते हैं । इस प्रकार कार्यक्रियाओं के अनुसार एक के बाद दूसरा टूल प्रयोग में लाया जा सकता है । इस टूल पोस्ट को किसी भी कोण में आसानी से सेट किया जा सकता ।
टर्निंग करने के लिये कार्य को पकड़ना:
1. कार्य को फोर जॉ चॅक में पकड़ना:
कार्य को फोर जॉ चॅक में पकड़ने के लिए निम्नलिखित क्रम को ध्यान में रखना चाहिए:
i. कार्य के साइज के अनुसार चारों जॉस् को चॅक की कंसेंट्रिक सर्कल लाइन पर अंदाज से समायोजित कर देना चाहिए ।
ii. कार्य को चॅक में रखकर हल्के से कस देना चाहिए ।
iii. लेथ बैड पर सरफेस गज को रखकर इसके स्क्राइबर को जॉब के साथ सेट कर देना चाहिए ।
iv. धीरे से चॅक को घुमाकर चैक करना चाहिये कि कार्य कहां से ऊंचा है और कहां से नीचा है । इसके बाद जॉस को समायोजित करके कार्य को सेंटर में कर लेना चाहिये ।
v. जब कार्य पूरी तरह से सेंटर में हो जाये तो चॅक के जॉस को अच्छी तरह से कस लेना चाहिये ।
vi. चॅक को पूरी तरह से कसने के बाद भी चैक कर लेना चाहिये कि कार्य सेंटर में है कि नहीं ।
vii. जब कार्य अच्छी तरह से सेंटर में बंध जाये तो टर्निंग कार्यक्रिया करनी चाहिये ।
2. कार्य को सेंटरों के बीच में बांधना:
कार्य को सेंटरों के बीच में बांधने के लिये निम्नलिखित क्रम को ध्यान रखना चाहिए:
a. कार्य के दोनों सिरों पर काउंटर संक होल बना लेने चाहिये ।
b. कार्य के दोनों सिरों के काउंटर संक होल और डैड सेंटर पर ग्रीस लगा देनी चाहिये ।
c. कार्य के साइज के अनुसार कैरियर का चयन कर लेना चाहिये ।
d. कार्य को कैरियर के साथ दोनों सेंटरों के बीच में पकड़ लेना चाहिये ।
e. कार्य को बांधते समय ध्यान रखना चाहिये कि वह न अधिक ढीला हो और न अधिक टाइट रहे । इसके लिये जॉब को हाथ से घुमाकर चैक कर लेना चाहिये ।
f. कैरियर को कार्य पर ठीक पोजीशन में लगाकर कस देना चाहिये जिससे कार्य हैडस्टॉक स्पिण्डल के साथ घूम सके ।
g. कार्य को बांधने के बाद टूल को टूल को पोस्ट में सही पोजीशन में बांधकर टर्निंग कार्यक्रिया करनी चाहिये ।