Here is a list of fourteen common lathe operations in Hindi language.

मुख्यतः लेथ पर निम्नलिखित कार्यक्रियायें को जाता हैं:

(1) फेसिंग (Facing):

यह एक प्रकार की कार्यक्रिया है जिसको करने के लिये लेथ टूल को क्रॉस स्लाइड की सहायता से बैड के क्रॉस में फीड दी जाती है इस कार्य क्रिया को हैंड फीड या ऑटोमेटिक फीड से किया जा सकता है ।

(2) पैरेलल या स्ट्रेट टर्निंग (Parallel or Straight Turning):

यह एक प्रकार की कार्यक्रिया है जिसमें लेथ पर घूमते हुए जॉब पर टूल को कैरेज के साथ बैड पर लंबाई में चलाकर जॉब के व्यास को बनाया जाता है । यह कार्यक्रिया जॉब के अक्ष के समानान्तर की जाती है । इसलिये इसे पैरेलल या स्ट्रेट टर्निंग कहते हैं । इस कार्यक्रिया को दो चरणों में पूरा किया जाता है ।

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पहले चरण में रफ टूल के द्वारा रफिंग क्रिया की जाती है और दूसरे चरण में फिनिश टूल के द्वारा फिनिशिंग क्रिया की जाती है । टर्निंग क्रिया में अधिक कटिंग स्पीड व फीड पर जॉब की अधिक से अधिक अनावश्यक धातु को काटा जाता है । इसके बाद फिनिशिंग क्रिया में कम कटिंग स्पीड व फीड पर जॉब को फिनिश किया जाता है ।

(3) स्टेप टर्निंग (Step Turning):

इस प्रकार की कार्यक्रिया में जॉब को शोल्डर या स्टेप के साथ बनाया जाता है इसलिए इसे स्टेप टर्निंग कहते हैं । इस क्रिया को भी रफिंग और फिनिशिंग दो चरणों में पूरा किया जाता है ।

(4) फार्म टर्निंग (Form Turning):

इस प्रकार की कार्यक्रिया में फार्म टूल का प्रयोग करके जॉब को बनाया जाता है । इस क्रिया से हैंडल, हैंड व्हील, गोलाकार रिम और अन्य डिजाइन के मशीनी पुर्जे बनाये जाते हैं । इसमें टूल को कार्य की आकृति के अनुसार ग्राइंड किया जाता है ।

(5) टेपर टर्निंग (Taper Turning):

इस प्रकार की कार्यक्रिया में लेथ पर जॉब को टेपर में बनाया जाता है । यह कार्यक्रिया कई विधियों से की जाती है जैसे टेलस्टॉक द्वारा, कम्पाउंड रेस्ट द्वारा, टेपर अटैचमैंट द्वारा ।

(6) इक्सेंट्रिक टर्निंग (Eccentric Turning):

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इस प्रकार की कार्यक्रिया में जॉब को केन्द्र से हटाकर टर्निंग की जाती है । जैसे क्रेंक शाफ्ट को बनाना ।

(7) अंडर कटिंग (Under Cutting):

इस प्रकार की कार्यक्रिया चूड़ी के अंत में या स्टेप के फेस के साथ की जाती है । इसमें लेथ टूल से छोटा सा कट लगाकर गड्‌ढा सा बना दिया जाता है जिससे नट तथा फिटिंग पार्ट्स के फेस आसानी से सेट हो जाते हैं ।

(8) पार्टिंग ऑफ (Parting Off):

इस प्रकार की कार्यक्रिया धातु की लंबी रॉड को टुकड़ों में काटने के लिये और जॉब को बनाने के बाद उसे काटकर अलग करने के लिये की जाती है । इसमें पार्टिंग टूल का प्रयोग किया जाता है ।

(9) थ्रेडिंग (Threading):

इस प्रकार की कार्यक्रिया में थ्रेडिंग टूल की सहायता से जॉब पर स्क्रू थ्रेड काटी जाती है । थ्रेडिंग टूल को स्क्रू थ्रेड के आकार और कोण के अनुसार ग्राइंड करके बनाया जाता है ।

(10) बोरिंग (Boring):

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इस प्रकार की कार्यक्रिया बोरिंग टूल के द्वारा की जाती है । यह क्रिया प्रायः तब की जाती है जब किसी जॉब में ड्रिल किये सुराख को फिनिश करने के लिए उपयुक्त रीमर उपलब्ध न हो ।

(11) ड्रिलिंग (Drilling):

इस प्रकार की कार्यक्रिया में ड्रिल को ड्रिल चॅक और टेलस्टॉक में बांधकर लेथ पर बंधे जॉब पर ड्रिलिंग होल बनाये जाते हैं ।

(12) रीमिंग (Reaming):

इस प्रकार की कार्यक्रिया में लेथ के टेलस्टॉक में रीमर को पकड़कर जॉब पर किये हुए सुराख को फिनिश किया जाता है ।

(13) टैपिंग (Tapping):

इस प्रकार की कार्यक्रिया में लेथ पर जॉब को बांधकर टैप की सहायता से छोटे- छोटे साइज के सुराखों में चूडियां काटी जाती हैं ।

(14) नर्लिंग (Knurling):

इस प्रकार की कार्यक्रिया में जॉब के ऊपर नर्लिंग टूल के द्वारा कटावदार या सीधे उभार बनाये जाते हैं ।

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