Read this article in Hindi to learn about:- 1. लुब्रिकेंट का परिचय (Introduction to Lubricant) 2. लुब्रिकेंट के गुण (Properties of Lubricant) 3. प्रकार (Types) 4. उपयोग (Uses).
लुब्रिकेंट का परिचय (Introduction to Lubricant):
वर्कशाप में कई प्रकार की मशीनें प्रयोग में लाई जाती हैं जिनको पॉवर से चलाया जाता है । मशीनें कई प्रकार के पार्ट्स को असेम्बल करके बनाई जाती हैं जिनमें कुछ पार्टस स्थिर और कुछ अस्थिर होते हैं । इसके अतिरिक्त कुछ पार्टस ऐसे होते हैं जो कि एक-दूसरे के साथ लड़कर चलते हैं ।
इन पार्ट्स पर रगड़ के कारण गर्मी उत्पन्न होती है । इसलिए चलते समय ये पार्टस कभी-कभी आवाज भी करते हैं जिससे पार्टस के खराब होने की संभावना रहती है और पॉवर भी अधिक खर्च होती है । इस कमी को दूर करने के लिये एक चिकने पदार्थ का प्रयोग किया जाता है जिसे लूब्रिकेंट कहते हैं । लूब्रिकेंट दो सतहों के बीच में एक चिकनी परत का कार्य करता है जिससे रगड की गर्मी कम उत्पन्न होती है और पार्ट्स फ्री चाल ने सकते हैं ।
लुब्रिकेंट के गुण (Properties of Lubricant):
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अच्छे लूब्रिकेंट में प्रायः निम्नलिखित गुण होने चाहियें:
(1) ऑयलीनैस (Oiliness)- लूब्रिकेंट में चिकनाहट का गुणा चाहिये ।
(2) विस्कॉसिटी (Viscosity)- लूब्रिकेंट के इस गुण में उसके बहाव संबंधी अवरोध का पता लगता है कि विभिन्न तापमानों पर लूब्रिकेंट का बहाव कितना है । इसको विस्कोमीटर के द्वारा मापा जाता है और नंबरों में प्रकट किया जाता है जैसे- S.A.F. – 40, S.A.F. – 50 आदि ।
(3) स्पेसिफिक ग्रेविटी (Specific Gravity)- लूब्रिकेंट के इस गुण में लूब्रिकेंट के भार की तुलना पानी के भार से की जाती है ।
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(4) फ्लैश प्वाइंट (Flash Point)- लूब्रिकेंट के इस गुण में लूब्रिकेंट जिस तापमान पर भाप के रूप में परिवर्तित हो जाता है वह फ्लैश प्वाइंट कहलाता है ।
(5) फायर प्वाइंट (Fire Point)- लूब्रिकेंट के इस गुण में लूब्रिकेंट जिस तापमान पर आग की लपटें पकड़ लेता है वह फायर प्वाइंट कहलाता है । यह तापमान फ्लैश प्वाइंट से लगभग 20°F अधिक होता है ।
(6) पोर प्वाइंट (Pour Point)- लूब्रिकेंट के इस गुण मैं लूब्रिकेंट जिस तापमान पर बहना रुक जाता है वह पोर प्वाइंट कहलाता है ।
लुब्रिकेंट के प्रकार (Types of Lubricant):
लूब्रिकेंट को निम्नलिखित तीन वर्गों में बांटा गया है:
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1. लीक्विड लूब्रिकेंट्स:
ये लूब्रिकेंट्स तरल पदार्थ के रूप में पाए जाते हैं । इनकी उत्पत्ति की प्रकृति के अनुसार इनका वर्गीकरण एनिमल ऑयल, मिनरल ऑयल, सिंथेटिक ऑयल आदि की तरह किया जाता है । इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन द्वारा उत्पादन के अनुसार इनका वर्गीकरण ऑटोमोटिव लूब्रिकेटिंग ऑयल, रेल रोड ऑयल, इंडस्ट्रियल लूब्रिकेटिंग ऑयल इत्यादि की तरह किया जाता है ।
औद्योगिक उद्देश्यों के लिए मशीन टूल्स में प्रायः निम्नलिखित लुब्रिकेंट्स प्रयोग में लाए जाते हैं- टर्बाइन ऑयल, सर्क्यूलेटिंग ऑर हाईड्रोलिक ऑयल, सर्क्यूलेटिंग ऑयल (एंटीवियर टाइप) स्पिंडल ऑयल, गियर ऑयल इत्यादि ।
स्पिंडल ऑयल्स को उनकी विस्कॉसिटी और फ्लैश प्वाइंट के अनुसार ग्रेडों में बांटा जाता है जैसे सवोपिन-2 सवोपिन-22 आदि । गियर ऑयल्स को भी उनकी विस्कॉसिटी और फ्लैश प्वाइंट के अनुसार ग्रेडों में बांटा जाता है जैसे- सर्वोमैश-68, सर्वोमैश-680 इत्यादि ।
2. सेमी लिक्विड लूब्रिकेंट:
इस वर्ग के लूब्रिकेंट में प्रायः ग्रीस आती है । इसकी विस्कॉसिटी तेल की अपेक्षा अधिक होती है ।
ग्रीस प्रायः निम्नलिखित प्रकार की पाई जाती है:
(i) सोडियम बेस ग्रीस (Sodium Base Grease)- इस प्रकार की ग्रीस प्रायः वहां पर प्रयोग में लाई जाती है जहां पर मशीन को अधिक स्पीड पर चलाना होता है ।
(ii) केल्शियम बेस ग्रीस (Calcium Base Grease)- इस प्रकार की ग्रीस प्रायः वहां पर प्रयोग में लाई जाती है जहां पर मशीन को कम स्पीड पर चलाना होता है ।
(iii) एल्युमीनियम बेस ग्रीस (Aluminum Base Grease)- इस प्रकार की ग्रीस प्रायः स्लाइड करने वाली फ्लैट सरफेसों पर प्रयोग में लाई जाती है ।
3. सॉलिड लूब्रिकेंट:
इस प्रकार के लूब्रिकेंट ठोस होते हैं । इनको प्रायः वहां पर प्रयोग में लाया जाता है जहां पर पार्ट्स के बीच में अधिक प्रेशर या तापमान के कारण दूसरे प्रकार के लूब्रिकेंट की परत न बनाई जा सके । प्रायः ग्रेफाइट सॉलिड लूब्रिकेंट के रूप में प्रयोग में लाया जाता है जिसको अकेले या तेल और ग्रीस में मिलाकर प्रयोग करते हैं । इसके अतिरिक्त दूसरे भी सॉलिड लूब्रिकेंट पाये जाते हैं जैसे माइका, टेल्क, वैक्स और सोप स्टोन आदि ।
लुब्रिकेंट का उपयोग (Functions of Lubricant):
लूब्रिकेंट के मुख्य-मुख्य उपयोग निम्नलिखित हैं:
i. पार्ट्स की सरफेस प्रत्यक्ष रूप से संपर्क में नहीं आती है क्योंकि दोनों के बीच में लूब्रिकेंट की पतली परत बन जाती है जिसमें पार्ट्स कम घिसते हैं ।
ii. मशीन को गर्म होने से बचाया जा सकता है ।
iii. मशीन को जंग लगने से बचाया जा सकता है ।
iv. मशीन की स्पीड बढ़ती है क्योंकि लूब्रिकेंट से गति अवरोध कम होता है ।
v. मशीन कम पॉवर खर्च करती है ।
vi. मशीन अधिक उत्पादन करती है ।
vii. मशीन का जीवन बढ़ाया जा सकता है ।