Read this article in Hindi to learn about:- 1. न्यूमेरिकल कंट्रोल मशीनें का अर्थ (Meaning of Numerical Control Machines) 2. न्यूमेरिकल कंट्रोल मशीनों का कार्यचालन सिद्धांत (Working Principle of N.C. Machines) 3. प्रकार (Types) and Other Details.

Contents:

  1. न्यूमेरिकल कंट्रोल मशीनें का अर्थ (Meaning of Numerical Control Machines)
  2. न्यूमेरिकल कंट्रोल मशीनों का कार्यचालन सिद्धांत (Working Principle of Numerical Control Machines)
  3. न्यूमेरिकल कंट्रोल सिस्टम के प्रकार (Types of Numerical Control System)
  4. न्यूमेरिकल कंट्रोल मशीनों में पोजीशन कंट्रोल सिस्टम (Position Control System of Numerical Control Machines)
  5. न्यूमेरिकल कंट्रोल के मापने वाले सिस्टम (Measuring Systems for Numerical Controls)
  6. कंट्रोल टेप बनाने के लिए प्रोग्रामिंग करना (Programming to Produce a Control Tape)


1. न्यूमेरिकल कंट्रोल मशीनें का अर्थ (Meaning of Numerical Control Machines):

आटोमेटिक मशीनों द्वारा उत्पादन में वृद्धि के साथ-साथ पार्टस कम कीमत व अच्छी क्वालिटी के बनाते है क्योंकि इन मशीनों पर विभिन्न आटोमेटिक कंट्रोल सम्भव होते हैं । आजकल ऐसी विशेष आधुनिक मशीनें भी पाई जाती हैं ।

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जिन पर पार्ट्स के विभिन्न आपरेशनों को न्यूमेरिकल कंट्रोल सिस्टम द्वारा सेट किया जाता है । न्यूमेरिकल कंट्रोल (N.C.) सिस्टम के अन्तर्गत किसी भी मशीन को तैयार किए हुए प्रोग्राम के द्वारा नियंत्रित किया जाता है जिसमें ब्लाकों या नम्बरों की सीरिज होती है । जब न्यूमेरिकल कंट्रोल सिस्टम में कम्प्यूटर प्रयोग किया जाता है तो उसे कम्प्यूटर न्यूमेरिकल कंट्रोल (C.N.C.) कहते हैं ।


2. न्यूमेरिकल कंट्रोल मशीनों का कार्यचालन सिद्धांत (Working Principle of N.C. Machines):

न्यूमेरिकल कंट्रोल में आल्फा न्यूमेरिक निर्देशों को मशीनी भाषा में ट्रांसलेट करके कार्ड या टेपर पर अंकित किया जाता है जिसे बाद में मेग्नेटिक केबिनेट की सहायता से कार्यान्वित किया जाता है । टूल की लम्बाई व दिशा की ट्रेवर्स को सर्वोमकेनिज्म के द्वारा नियंत्रित किया जाता है ।

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एक साधारण न्यूमेरिकल कंट्रोल सिस्टम को निम्नलिखित तीन मुख्य यूनिटों में बांटा गया है:

i. इनपुट मीडियम:

इस युनिट के अन्तर्गत आपरेशन के अनुसार निर्देशों को कार्ड या टेप पर उयुक्त भाषा या कोडों में पंच किया रहता है ।

ii. कंट्रोल यूनिट:

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इस युनिट के अन्तर्गत कंट्रोल टेप को पड़ा जाता है, कोड वाले डाटा को मशीन के निर्देशानुसार ट्रांसलेट किया जाता है तथा आपरशन के लिए उसे मेग्नेटिक केबिनेट में भेज दिया जाता है ।

iii. फीड बैक:

इस यूनिट के अन्तर्गत फीड की लम्बाई और दिशा को रिकार्ड करके निर्देशों को कंट्रोल यूनिट में वापस भेजा जाता है ।


3. न्यूमेरिकल कंट्रोल सिस्टम के प्रकार (Types of Numerical Control System):

न्यूमेरिकल कंट्रोल सिस्टिम मुख्यतः निम्नलिखित दो प्रकार के होते हैं:

A. ओपन लूप सिस्टम

B. क्लोज्ड लूप सिस्टम

A. ओपन लूप सिस्टम:

इस सिस्टम में लूप खुला रहता है तथा फीड बैक नहीं होती है । इस सिस्टम के द्वारा टेबल को ‘x’ या ‘y’ दिशा में चलाया जा सकता है परन्तु इससे चैक नहीं हो पाता कि कंट्रोल दोषरहित है कि नहीं । इस सिस्टम का प्रयोग प्रायः वहां करते हैं जहां पर परिशुद्ध पोजीशनिंग की आवश्यकता नहीं होती है ।

B. क्लोज्ड लूप सिस्टम:

इस सिस्टम में लूप के साथ एक ट्रांसड्यूजर जुड़ा रहता है जो कि निर्देशानुसार लीनियर या रोटेरी मोशन को इलेक्ट्रिक इम्पल्स में बदलता है । यह सिस्टम प्रायः न्यूमेरिकल कंट्रोल सिस्टम की कंटूरिंग के लिए उपयोगी है । यह सिस्टम ओपन लूप सिस्टम की अपेक्षा मंहगा होता है ।


4. न्यूमेरिकल कंट्रोल मशीनों में पोजीशन कंट्रोल सिस्टम (Position Control System of N.C. Machines):

न्यूमेरिकल कंट्रोल मशीनों में पोजीशन कंट्रोल के लिए प्रायः निम्नलिखित सिस्टम प्रयोग किए जाते हैं:

I. प्वाइंट टू प्वाइंट सिस्टम:

यह सिस्टम बहुत ही सरल है जिसमें प्रायः ड्रिलिंग, जिग बोरिंग, स्टेट लाइन मिलिंग इत्यादि कार्यक्रियाएं की जाती हैं । इस सिस्टम में टेप प्रोग्राम बनाने केलिए कम्प्यूटर की आवश्यकता नहीं होती है । इस सिस्टम के प्रोग्राम को आसानी से तैयार किया जा सकता है । यह सिस्टम ऐसा श्रमिक भी आसानी से सेट कर सकता है जो कि मशीनिंग करना जानता हो और इंजीनियरिंग ड्राइंग पड़ सकता हो ।

II. स्ट्रेट कट सिस्टम:

इस सिस्टम को प्वाइंट टू प्वाइंट सिस्टम का विस्तार करके बनाया गया है जिसमें प्राय: फेस मिलिंग, पाकेट मिलिंग, स्टेप टर्निंग इत्यादि कार्यक्रियाएं का जाती है ।

III. कंटीन्यूअस साथ सिस्टम:

यह सिस्टम लगातार, समकक्ष और समकालीन मोशन के लिए उपयोगी है । इसमें प्रत्येक मूव्‌मेंट को फीड बैक मकेनिज्म से कंट्रोल यूनिट की ओर मानीटर और एडजस्ट किया जाता है जिससे सही मूवमेंट और कटर की उपयुक्त स्पीड व फीड को बनाए रखा जा सकता है ।

इस सिस्टम की प्रोग्रामिंग के लिए कम्प्यूटर का प्रयोग किया जाता है । यह सिस्टम जटिल आकारों को कम खर्च में आसानी से बनाने के लिए उपयोगी है क्योंकि इस सिस्टम में जिग्स, फिक्सचर्स, टेम्पलेट इत्यादि का प्रयोग किए बिना जटिल कार्यक्रियाएं की जा सकती हैं ।


5. न्यूमेरिकल कंट्रोल के मापने वाले सिस्टम (Measuring Systems for Numerical Controls):

न्यूमेरिकल कंट्रोल में मापने वाले सिस्टम में प्रायः ट्रांसड्यूजर प्रयोग होते हैं जो कि प्रायः निम्नलिखित प्रकार के हो सकते हैं:

a. एनालोज कंट्रोल सिस्टम:

इसे डिजीटल कंट्रोल भी कहते हैं जो कि उस मात्रा से सम्बंधित होता है जिसे किसी अन्य मात्रा में से निश्चित रूप से लिया गया हो । एनालोज सिगनल लगातार होते हैं जिन्हें संदेश देने के लिए व्यवस्थित किया जाता है और ये टेबल के लगातार मूवमेंट, स्थिण्डल की चाल या स्पिण्डल के मूवमेंट के अनुपात में होता हैं ।

b. एब्सोल्युट कंट्रोल सिस्टम:

इसे इंक्रीमेंट कंट्रोल सिस्टम भी कहते हैं जिसमें रिफ्रेंस प्वाइंट से अगला निर्देश क्रम के अगले आपरेशन का अन्तिम प्वाइंट होता है । यह कंट्रोल सिस्टम प्रायः प्वाइंट टू प्वाइंट मशीनिंग के लिए प्रयोग किया जाता है । यह सिस्टम अपेक्षाकृत सस्ता पड़ता है ।


6. कंट्रोल टेप बनाने के लिए प्रोग्रामिंग करना (Programming to Produce a Control Tape):

कंट्रोल टेप बनाने के लिए प्रायः निम्नलिखित दो प्रकार की प्रोग्रामिंग तकनीकें अपनायी जाती हैं:

(i) मेनुअल प्रोग्रामिंग:

इसमें कम्प्यूटर का प्रयोग नहीं होता है । इसके अन्तर्गत किसी पाई की मशीनिंग करने के लिए आवश्यक डाटा को एक स्पेशल मेनुस्क्रिप्ट के स्टैण्डर्ड फारमेट पर अंकित किया जाता है जो कि एक प्रकार का प्लानिंग चार्ट या निर्देशों की लिस्ट होती है जिसमें पाई को बनाने के लिए आवश्यक निर्देश होते हैं । इस प्रकार की प्रोग्रामिंग प्रायः उन पार्ट्स को बनाने के लिए प्रयोग की जाती है जिन्हें प्वाइंट टू प्वाइंट मशीनिंग करना होता है । इस प्रोग्रामिंग में एब्सोल्युट तथा इंक्रीमेंट विधियां प्रयोग में लाई जाती है ।

(ii) कम्प्यूटर असिस्टिड प्रोग्रामिंग:

जटिल कार्यों के लिए कम्प्यूटर की सहायता की आवश्यकता होती है । कम्प्यूटर का प्रयोग करने से समय की भी काफी बचत होती है । इसमें कम्प्यूटर की भाषा में प्रोग्राम तैयार किया जाता है जिसमें प्रोसैसर की सहायता से टूल की आफसेटिंग, स्पीड, फीड आदि की गणना की जाती है तथा पोस्ट प्रोसेसर की सहायता से संदेश को मशीन में प्रयोग किया जाता है ।


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