Read this article in Hindi to learn about the seven main types of pulley used for power transmission in industries. The types are:- 1. सॉलिड पुली (Solid Pulley) 2. स्प्लिट पुली (Split Pulley) 3. स्टेप पुली (Step Pulley) and a Few Others.
मुख्यतः निम्नलिखित प्रकार की पुलियां पाई जाती है:
1. सॉलिड पुली (Solid Pulley):
यह पुली एक सॉलिड पीस से बनाई जाती है अर्थात् इसमें कोई जोड़ नहीं होता है । इस प्रकार की पुली प्रायः 300 मि.मी. व्यास तक पाई जाती है ।
2. स्प्लिट पुली (Split Pulley):
इस प्रकार की पुली दो पीस में बनी होती है । जब इसका प्रयोग किया जाता है तो दोनों पीसों को आपस में नट व बोल्ट के द्वारा जोड़ा जाता है । सॉलिड पुली की अपेक्षा इस पुली के कई लाभ होते हैं जैसे इस पुली को आसानी से फिट किया जा सकता है, आसानी से खोला जा सकता है और आसानी से उठाकर एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाया भी जा सकता है ।
3. स्टेप पुली (Step Pulley):
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यह प्रायः सॉलिड पीस से बनाई जाती है जिस पर अलग-अलग साइज के दो, तीन या अधिक स्टेप बने होते हैं । इस प्रकार की पुली प्रायः जोड़े में पाई जाती है जिनमें एक ड्राइवर और दूसरी ड़िविन शाफ्ट पर फिट की जाती है । इस पुली के अलग-अलग स्टेपों पर बेल्ट को चढ़ा कर कई स्पीडें ली जा सकती हैं । इसको कोन पुली भी कहते हैं ।
4. ‘वी’ ग्रुव्ड पुली (‘V’ Grooved Pulley):
इस पुली के फेस पर ‘V’ के आकार का ग्रूव बना होता है जिसमें केवल ‘V’ आकार के बेल्ट का प्रयोग किया जाता है । यह पुली सॉलिड या स्टेप पुली के आकारों में पाई जाती है ।
5. चेन या रोप पुली (Chain or Rope Pulley):
इस प्रकार की पुली के फेस पर अर्धवृत्ताकार ग्रूव बना होता है जिसमें चेन या वायर रोप का प्रयोग करके भारी सामानों या मशीनों को उठाया जा सकता ।
6. लुज एंड फास्ट पुली (Loose & Fast Pulley):
इस प्रकार की पुली में लूज और दूसरी फास्ट पुली होती है । फास्ट पुली को मशीन के स्पिंडल के साथ जोड़ दिया जाता है और लूज पुली स्पिंडल पर फ्री घूमती है । मशीन को जब चलाना होता है तो बेल्ट को फास्ट पुली पर चढ़ा दिया जाता है और यदि मशीन को रोकना हो तो बेल्ट को लूज पुली पर खिसका दिया जाता है । इस प्रकार की पुली प्रायः वहां पर प्रयोग में लाई जाती है जहां पर एक मेन शाफ्ट से कई मशीनों को चलाना होता है ।
7. जॉकि पुली (Jockey Pulley):
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पॉवर को ट्रांसमिट करते समय ड्राइवर और ड्रिविन पुलियों के सेंटर से सेंटर तक की दूरी बड़ी पुली के व्यास का 3 गुना से कम नहीं होनी चाहिए और दोनों पुलियों के व्यास में 6 : 1 से अधिक अनुपात नहीं होना चाहिए । यदि किसी कारणवश यह अनुपात बढ़ाया जाता है तो पुली के फेस पर बेल्ट की स्पर्श की चाप कम हो जाती है जिसे बढ़ाने के लिए एक छोटी पुली का प्रयोग किया जाता है । इसे जाकि पुली कहते हैं ।