Read this article in Hindi to learn about:- 1. स्क्रू थ्रेड का अर्थ (Meaning of Screw Thread) 2. स्क्रू थ्रेड का उपयोग (Functions of Screw Thread) 3. प्रकार एवं उपयोग (Types and Uses) 4. स्टार्ट्स (Starts).

स्क्रू थ्रेड का अर्थ (Meaning of Screw Thread):

आधुनिक औद्योगिक युग में स्क्रू थेड बहुत ही उपयोगी सिद्ध हुई है । इसकी सहायता से कई प्रकार के कार्य किये जा सकते हैं जैसे दो या दो से अधिक पार्टस को आपस में जोड़ना, गति को परिवर्तित करना, अधिक शुद्धता में माप लेना और भार उठाना इत्यादि ।

किसी सिलंडर की अन्दरूनी या बाहरी सरफेस पर यूनिफार्म सेवन और हेलिक्स ऐंगल में बने हुए रिज को स्क्रू थ्रेड कहते हैं ।

स्क्रू थ्रेड का उपयोग (Functions of Screw Thread):

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स्क्रू थ्रेड के प्रायः निम्नलिखित उपयोग होते हैं:

i. फास्टनर की तरह स्क्रू:

थ्रेड की सहायता से दो या दो से अधिक पार्ट्स को आपस में आसानी से जोड़ा जा सकता है जैसे नट, बोल्ट, स्क्रू इत्यादि ।

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ii. गति परिवर्तन के लिए:

स्क्रू थ्रेड की सहायता से गति को भी परिवर्तित किया जा सकता है जैसे लेथ मशीन का लीड स्क्रू दायें और बायें व्हील इत्यादि ।

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iii. भार उठाने के लिए:

स्क्रू थ्रेड की सहायता से भारी भार को भी आसानी से उठाया जा सकता है जैसे स्क्रू जैक ।

iv. परिशुद्ध माप लेने के लिए:

स्क्रू थ्रेड की सहायता से शुद्धता में माप भी आसानी से ली जा सकती है जैसे माइक्रोमीटर ।

v. समायोजन के लिए:

स्क्रू थ्रेड की सहायता से समायोजन किया जा सकता है जैसे स्टॉक में फीलट को ।

स्क्रू थ्रेड के प्रकार एवं उपयोग (Types and Uses of Screw Thread):

स्क्रू थ्रेड्स को निम्नलिखित दो वर्गों में बांटा गया है:

A. ‘वी’ थ्रेड्स

B. स्क्वायर एंड स्क्वायर मॉडिफाइड थ्रेड्स

A. ‘वी’ थ्रेड्स:

जो चूड़ियां अंग्रेजी के अक्षर ‘V’ के आकार की होती हैं उन्हें ‘वी’ थ्रेड्स कहते हैं ।

ये चूड़ियाँ प्रायः स्टैंडर्ड साइज में पाई जाती हैं जो कि निम्नलिखित होती हैं:

i. ब्रिटिश स्टैंडर्ड व्हिट वर्थ थ्रेड:

ये चूडियां स्टैंडर्ड साइज की होती हैं । वर्कशाप में प्रायः इस प्रकार की चूड़ियां प्रयोग में लाई जाती हैं । इन चूड़ियों का प्रयोग प्रायः साधारण कार्यों के लिए किया जाता है जैसे नट, बोल्ट इत्यादि ।

कोण = 55°

पिच = 1 / No. of T.P.I.

गहराई = .6403 P

त्रिज्या = 0.1373 P

ii. ब्रिटिश स्टैंडर्ड फाइन थ्रेड:

ये चूडियां चूडियों के समान होती है परंतु अंतर केवल इतना होता है कि इनका पिच फाइन होता है अर्थात् एक ही साइज की चूड़ियों की अपेक्षा चूड़ियों की संख्या अधिक होती है । इन चूड़ियों का अधिकतर प्रयोग प्रायः वहां किया जाता है जहां पर अधिक कंपन होने की संभावना हो । ये चूड़ियां अधिकतर आटोमोबाइल, ऐअर प्लेन और मशीन टूल्स में वहां पर प्रयोग की जाती है जहां फाइन पिच की आवश्यकता होती है ।

कोण = 55°

पिच = 1 / No. of T.P.I.

गहराई = .6403 P

त्रिज्या = 0.1373 P

iii. ब्रिटिश स्टैंडर्ड पाइप थ्रेड:

ये चूड़ियां चूडियों के समान होती है परंतु इनका पिच अधिक फाइन होता है । इस प्रकार की चूड़ियां प्रायः पानी, गैस या स्टीम के पाइपों पर काटी जाती हैं ।

कोण = 55°

पिच = 1 / No. of T.P.I.

गहराई = .6403 P

त्रिज्या = 0.1373 P

iv. ब्रिटिश एसोसियेशन थ्रेड:

ये बहुत बारीक चूड़ियां होती हैं जो कि छोटे साइज के पेचों पर काटी जाती हैं । इनका साइज नंबर में पाया जाता है जैसे ये चूड़ियां 0 से 25 नंबर तक होती है परंतु वर्कशाप में 0 से 10 नंबर तक की B.A. चूड़ियां अधिकतर प्रयोग में लाई जाती हैं । 0 नंबर की B.A. चूड़ियों का आउट-साइड डायमीटर 6 मि.मी. होता है । इन चूड़ियों का अधिकतर प्रयोग रेडियो, घड़ियों, कैमरों, टेलिफोनों इत्यादि में किया जाता है ।

कोण = 47 ½°

पिच = 1 / No. of T.P.I.

गहराई = .6 P

त्रिज्या = 2xP / 11

v. शार्प ‘वी’ ग्रेड:

चूड़ियां ‘V’ आकार की बनी होती है जिनके रूट और क्रेस्ट बहुत ही शार्प होते हैं । इसलिए ये चूड़ियां बहुत जल्दी खराब हो जाती है । ये चूडियां प्रायः घड़ी के छोटे-छोटे पेचों पर पाई जाती हैं ।

कोण = 60°

गहराई = .866 P

vi. अमेरिकन नेशनल थ्रेड:

इन चूड़ियों को सेलर थ्रेड भी कहते हैं । ये चूड़ियां प्रायः अमेरिकन मशीनों में पायी जाती हैं । इन चूड़ियों को अमेरिकन स्टैंडर्ड इंस्टीट्‌यूट की मान्यता प्राप्त हैं । ये कोर्स और फाइन दो ग्रेड में पाई जाती है । इनके रूट और क्रेस्ट चपटे होते हैं । कोर्स ग्रेड की चूड़ियों का प्रयोग साधारण कार्यों के लिए किया जाता है और फाइन ग्रेड की चूड़ियां वहां पर प्रयोग की जाती हैं जहां पर अधिक कंपन होती है ।

कोण = 60°

गहराई = .6495 P

फ्लैट की मोटाई = .125 P

vii. इंडियन स्टैंडर्ड थ्रेड:

इन चूड़ियों को ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड से मान्यता प्राप्त है । इसके रूट गोलाई और क्रेस्ट चपटे होते हैं । इंडियन स्टैण्डर्ड के अनुसार ये चूड़ियां 0.25 मि.मी. से 300 मि.मी. तक व्यासों में पाई जाती हैं । इन चूड़ियों को प्रकट करने के लिए ‘M’ अक्षर के साथ चूड़ी का व्यास और पिच लिखते हैं जैसे- M8 x 12.5, M 8 x 1.00 आदि । यदि किसी साइज के साथ पिच न लिखा हो तो समझना चाहिए कि वह कोर्स पिच वाली चूड़ी है जैसे M 8 को M 8 x 1.25 समझना चाहिए ।

कोण = 60°

गहराई = .6134 P

B. स्क्वायर और स्क्वायर मॉडिफाइड थ्रेड्स:

ये चूड़ियां ‘V’ आकार की चूड़ियों की अपेक्षा अधिक मजबूत होती हैं ।

ये प्रायः निम्नलिखित प्रकार की पाई जाती हैं:

i. स्क्वायर थ्रेड:

ये चूड़ियां बहुत ही मजबूत होती हैं । इन चूड़ियों का अधिकतर प्रयोग शक्ति संचरण के लिए किया जाता है । जैसे वाइस के स्पिण्डल, प्रेस व स्क्रू जैक पर इस प्रकार की चूड़ियां प्रयोग में लाई जाती हैं ।

साइड = अक्ष के लम्बवत्; गइराई = .5 P

फ्लैट की चौड़ाई = .5 P

स्पेस की चौड़ाई = .5 P

ii. ऐक्मी थ्रेड:

ये चूड़ियां बहुत ही मजबूत होती हैं जिनका अधिकतर प्रयोग पॉवर ट्रांसमीशन में किया जाता है । जैसे लेथ मशीन के लीथ स्क्रू पर इस प्रकार की चूडियां बनाई जाती हैं जिससे स्पिलट नट को आसानी से संलग्न और अलग करके ऑटोमेटिक फीड ली जा सकती है ।

कोण = 29°

क्रेस्ट = .3707 P

रूट = .3707 P – .0052”

गहराई = .5 P + .01”

iii. बटरैस थ्रेड:

इस प्रकार की चूड़ियों की एक साइड अक्ष के लम्बवत् बनाकर लगभग 7° में टेपर कर दी जाती है और दूसरी साइड 45° के कोण में बनी होती है । इस प्रकार की चूडियां प्राय: वहां पर प्रयोग में लाई जाती हैं जहां पर शक्ति को एक ही दिशा में लगाना हो । जैसे क्विक रिलीज वाइस के स्पिंडल पर इस प्रकार की चूड़ियां बनी होती हैं ।

कोण = 45°

गहराई = .75 P

फ्लैट की चौड़ाई = 0.125 P

iv. नक्कल थ्रेड:

इस प्रकार की चूड़ियों के रूट और क्रेस्ट अर्धगोल आकार के होते हैं । इन चूड़ियों का अधिकतर प्रयोग रफ कार्यों के लिए किया जाता है जैसे रेलवे कपलिंग और शीशे की बोतलों के सिरों पर इस प्रकार की चूड़ियां बनाई जाती हैं ।

गहराई = .5 P

त्रिज्या = 0.25 P

लेफ्ट-हैंड और राइट-हैंड चूड़ियां:

अधिकतर चूड़ियां राइट हैंड ही होती है परंतु कार्य के अनुसार कभी-कभी लेफ्ट हैंड चूड़ियां भी बनाई जाती हैं । लेफ्ट हैंड और राइट हैंड चूडियों में उनके कोण, व्यास या आकार का अंतर नहीं होता बल्कि चूड़ियों की चाल की दिशा एक-दूसरे के विपरीत हो जाती है ।

राइट हैंड चूड़ियों में जब बोल्ट के ऊपर नट को सीधी दिशा में घुमाया जाता है तो वह पार्टस को कसता है । परंतु लेफ्ट चूड़ियों में जब बोल्ट पर नट को उल्टी दिशा में घुमाया जाता है तो वह पार्टस को कसता है । इस प्रकार लेफ्ट हैंड और राइट हैंड चूडियों में जब बोल्ट पर नट को एक ही दिशा में घुमाया जाता है तो दोनों एक-दूसरे के विपरीत दिशा में कार्य करते हैं ।

स्टार्ट्स ऑफ थ्रेड (Starts of Thread):

चूड़ियां प्रायः निम्नलिखित स्टार्ट की पाई जाती हैं:

i. सिंगल स्टार्ट थ्रेड:

इस प्रकार की चूड़ियों में चूड़ी केवल एक स्थान से शुरु होकर अंत तक चली जाती है । इसमें चूड़ी की लीड चूड़ी के पिच के बराबर होती है ।

ii. डबल स्टार्ट थ्रेड:

इस प्रकार की चूड़ियों में दो चूड़ियां दो अलग-अलग स्थानों से शुरु होकर अंत तक चली जाती है । इसमें चूड़ी की लीड चूड़ी के पिच का दो गुना हो जाती है ।

iii. मल्टी स्टार्ट थ्रेड:

इस प्रकार की चूड़ियों में तीन या अधिक चूड़ियां अलग-अलग स्थानों से शुरु होकर अंत तक चली जाती हैं । इसमें जितने स्टार्ट की चूड़ियां होगी उसमें लीड उसके पिच का उतने ही गुना हो जाएगी । जैसे तीन स्टार्ट वाली चूड़ी की पिच का तीन गुना लीड होगी और चार स्टार्ट वाली चूड़ी की पिच का चार गुना लीड होगी ।

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