जोसेफ स्टालिन के भाषण “खून के आखिरी कतरे तक लड़ो” । Speech of Joseph Stalin on “Fight Till Last Drop of Blood” in Hindi Language!
सोवियत संघ के क्रान्तिकारी नेता जोसेफ स्तालिन ने दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान फासिस्ट जर्मनी के भयावह आक्रमण का सामना करने के लिए स्वदेशवासियों का मनोबल बढ़ाने वाला यह ओजस्वी भाषण सन 1941 में 3 जुलाई को दिया था :
साथियो, नागरिको, भाइयो और बहिनो ! हमारी सेना और नौसेना के सेनानियो ! मेरे दोस्तो ! मैं आपको सम्बोधित कर रहा हूं । हिटलर के जर्मनी ने 22 जून को हमारी मातृभूमि पर जो विश्वासघाती हमला किया था वह अब भी जारी है ।
लाल सेना के साहसपूर्ण प्रतिरोध के बाबुजूद और जबकि दुश्मन के सर्वोत्तम डिवीजनों और वायुसेना के यूनिटों को नष्ट-भ्रष्ट कर दिया गया है और युद्धभूमि में उसकी दुर्दशा हो रही है, फिर भी दुश्मन अपने हमलों में नयी कुमुक झोंककर आगे बढ़ रहा है ।
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हिटलर की सेनाएं लिथुआनिया लातीविया के एक बड़े भूभाग बाइलो रूस के पश्चिमी भाग पश्चिमी यूक्रेन के भूभाग पर अधिकार करने में कामयाब रही हैं । वे मुरयानस्क ओर्शा मोगिलेव स्मोलेनस्क कीव और सेबस्टोपोल पर बम-वर्षा कर रही हैं ।
हमारे देश पर भयानक खतरा मण्डरा रहा है । ऐसा कैसे सम्भव हुआ कि हमारी गौरवशाली लाल सेना ने हमारे अनेक नगर और जिले फासिस्ट सेना को समर्पित कर दिये ? जैसा कि फासिस्ट प्रचारक बड़ी-बड़ी बातें कर रहे हैं, क्या सचमुच जर्मन फासिस्ट सेनाएं अजेय हैं ? नहीं बिकुल नहीं ।
इतिहास साक्षी है कि कोई अजेय सेना नहीं होती और न कभी थी । नेपोलियन की सेना को अजेय माना जाता था पर उसे रूसी ब्रिटिश और जर्मन सेनाओं ने हरा दिया । यही बात हिटलर की वर्तमान सेना के बारे में भी कही जानी चाहिए ।
इस सेना को अभी तक यूरोप महाद्वीप में कड़े प्रतिरोध का सामना नहीं करना पड़ा और यदि इस कड़े प्रतिरोध के कारण हिटलर की जर्मन फासिस्ट सेना के सर्वोत्तम डिवीजनों को हमारी लाल सेना ने हरा दिया है, तो इसका तात्पर्य है कि इस सेना को भी नष्ट किया जा सकता है और यह नष्ट होगी ।
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जहां तक जर्मन फासिस्ट सेना द्वारा हमारे भूभाग पर कब्जा करने का प्रश्न है, उसका मुख्य कारण यह है कि सोवियत सैघ के खिलाफ फासिस्ट जर्मनी का युद्ध जर्मन सेनाओं के लिए अनुकूल और सोवियत सेनाओं के लिए प्रतिकूल स्थितियों में शुरू हुआ । उसे कुछ समय के लिए कुछ फायदा हुआ है । लेकिन समस्त संसार के समक्ष एक रक्त-पिपासु आक्रमण के रूप में उसकी राजनीतिक हार हुई है ।
हमारी सारी बहादुर लाल सेना हमारी सारी नौसेना हमारी सारी वायुसेना के बाज, यूरोप, अमेरिका और एशिया के समस्त सर्वोत्तम स्त्री-पुरुष और अन्तत: जर्मनी के सभी स्त्री-पुरुष भी जर्मन फासिस्टों की विश्वासघाती कार्रवाइयों की निन्दा करते हैं ।
उनकी सहानुभूति सोवियत सरकार के साथ है । वे सोवियत सरकार के व्यवहार को उचित मानते हैं । उनका मानना है कि हमारा निमित्त न्यायपूर्ण है, दुश्मन की हार होगी और हम जरूर जीतेंगे । टैंकों और वायुयानों से पूरी तरह लैस दुश्मन के खिलाफ हमारे सैनिक वीरतापूर्वक लड़ रहे हैं ।
असंख्य मुश्किलों को पार करते हुए लाल सेना और लाल नौसेना सोवियत भूमि की एक-एक ईच के लिए आत्मोत्सर्ग करते हुए लड़ रही है । लाल सेना की मुख्य टुकड़ियां असंख्य टैंकों और विमानों के साथ युद्धभूमि में उतर आयी हैं । लाल सेना के जवानों ने अद्वितीय शौर्य का परिचय दिया है । दुश्मन के खिलाफ हमारा प्रतिरोध शक्ति और संख्या में बढ़ रहा है ।
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लाल सेना के साथ ही सभी सोवियत जनता स्वदेश की रक्षा के लिए एकजुट हो गयी है । दुश्मन क्रूर और सख्त है । वह हमारे पसीने से सिंचित भूमि हमारे अन्न और तेल को हथियाना चाहता है । वह जमींदारों के नियमों को पुन: स्थापित करना चाहता है । वह सोवियत नागरिकों की राष्ट्रीय संस्कृति और राष्ट्रीय अस्तित्व को खत्म करना चाहता है ।
वह उन्हें जर्मन शासकों और सामन्तों का दास बनाना चाहता है । सोवियत जनता को प्रत्येक प्रकार की असावधानी का त्याग करना होगा । उन्हें अपने हर काम को युद्ध के स्तर पर दोबारा से गठित करना होगा, जिसमें दुश्मन के लिए रहम की कोई जगह नहीं होनी चाहिए ।
इसके अलावा हमारे यहां भीरु या भगोड़ों के लिए कोई जगह नहीं होनी चाहिए । हमारे लोगों को युद्ध में निडर रहना चाहिए । उन्हें हमारे देशभक्तिपूर्ण स्वाधीनता संग्राम में फासिस्ट दास बनाने वालों के प्रतिरोध में बिना किसी स्वार्थ भाव से शामिल होना चाहिए ।
हमें अपने सभी कार्यों को फौरन युद्ध के स्तर पर दोबारा से गठित करना चाहिए । सभी कुछ युद्ध के मोर्चे और दुश्मन को नष्ट करने के काम के समक्ष गौण मानना चाहिए । सोवियत जनता को दुश्मन के खिलाफ खड़े होकर अपने अधिकारों और अपनी भूमि की रक्षा करनी चाहिए ।
लाल सेना नौसेना और सोवियत संघ के हर नागरिक का कर्तव्य है कि वह एक-एक इंच सोवियत भूमि के लिए लड़े हमारे देहातों और शहरों की रक्षा के लिए अपने खून की अन्तिम बूंद तक लड़े और हमारी जनता में अन्तर्निष्ठ बुद्धिमत्ता और साहस का परिचय दे । हमें लाल सेना की मदद के लिए सारी व्यवस्था करनी चाहिए ।
उसकी टुकड़ियों के सबलीकरण और उसकी प्रत्येक जरूरत की अर्शित निश्चित करनी चाहिए । हमें सैनिकों और सैन्य सामग्री के तीव्र परिवहन और घायलों की भरपूर मदद की व्यवस्था करनी चाहिए । हमारे सभी कारखानों को और ज्यादा राइफलें मशीनगनें तोपें गोलियां गोले विमान बनाने के लिए और भी तीव्रता से कार्य करना चाहिए ।
हमें सभी कारखानों विद्युत् स्टेशनों टेलीफोन और टेलीग्राम संचार केन्द्रों की सुरक्षा तथा समस्त क्षेत्रों में वायु सैनिक आक्रमण से प्रभावी सुरक्षा के उपाय करने चाहिए । हमें इस बात का पूरा ध्यान रखना चाहिए कि दुश्मन धूर्त धोखेबाजी में अनुभवी तथा आ अफवाहें फैलाने में माहिर है ।
सामूहिक खेतिहरों को चाहिए कि वे अपने सारे जानवरों और अन्न को सरकारी सुरक्षा में दे दें ताकि उसे बाद में सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा सके । सभी महत्त्वपूर्ण परिसम्पत्तियों जैसे-लौह धातुएं अन्न व ईंधन को जिन्हें पीछे नहीं भेजा जा सकता-जरूर खत्म कर दें ।
साथियो हमारे सैनिक असंख्य हैं, अहंकारी दुश्मन को जल्द ही मूल्य चुकाकर यह बात समझ में आ जायेगी । लाल सेना के साथ-साथ हजारों मजदूर सहकारी किसान बुद्धिजीवी आक्रामक दुश्मन का सामना करने के लिए उठ खड़े हुए हैं ।
हमारी जनता लाखों की संख्या में उनके खिलाफ उठेगी । हमारी समस्त शक्तियां हमारी बहादुर लाल सेना और गौरवशाली नौसेना के साथ हैं । हमारी जनता की सभी शक्तियां दुश्मन को समाप्त करने के लिए सन्नद्ध हैं । हमारी विजय के लिए आगे बढ़ो !