मानवाधिकार पर अनुच्छेद | Paragraph on Human Rights in Hindi Language!
प्रत्येक मनुष्य को जीने और अपना विकास करने का अधिकार है । यही विचार मानवाधिकार की नींव है ।
युद्ध की तुलना में सांप्रदायिक, वंशगत संघर्षों तथा आतंकवादी गतिविधियों में अपार जन-धन की हानि होती है । स्त्रियों, बच्चों और उपेक्षित वर्गों का बड़ी मात्रा में शौषण होता दिखाई देता है । ऐसी घटनाएँ विश्व स्तर पर अशांति उत्पन्न करने में कारण बन जाती हैं ।
मानवाधिकारों के प्रति हमारी उदासीनता और तटस्थता के कारण जनहानि में वृद्धि हो रही है । यदि विश्व में व्याप्त आतंकवाद, शोषण और असुरक्षा को समाप्त करना है तो मानवाधिकारों के प्रति हमारी जागरूकता को बढ़ाना चाहिए । हम सभी को मानवाधिकारों के संवर्धन हेतु ठोस प्रयास करने चाहिए ।
मानवाधिकार – स्वरूप और अर्थ:
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प्रत्येक मनुष्य को धर्म लिंग, जाति, वंश और देश के आधार पर किसी भी प्रकार का भेद न करते हुए सम्मानपूर्वक जीने और अपना विकास करने का अधिकार प्राप्त है । इस अधिकार को मानवाधिकार कहते है ।
मानवाधिकार मनुष्य को जन्मत: प्राप्त होते हैं । ये अधिकार किसी शासन, संगठन. अथवा अन्य किसी व्यक्ति द्वारा दिए नहीं जाते हैं । अत: इन्हें छीनने का अधिकार किसी को नहीं है । मानवाधिकार का स्वरूप वैश्विक है ।
कुछ महत्वपूर्ण मानवाधिकार:
जीने का अधिकार:
प्रत्येक मनुष्य को सम्मानपूर्वक जीने का अधिकार प्राप्त है । इसे जीने का अधिकार कहते हैं । मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति होने और अपना विकास करने के लिए अनुकूल परिस्थिति में जीने को सम्मानजनक जीवन जीना कहते हैं ।
विचार, अभिव्यक्ति, धर्म आदि की स्वतंत्रता:
अपना सर्वांगीण विकास सिद्ध करने के लिए प्रत्येक मनुष्य को विचार करने और उन विचारों को अभिव्यक्त करने की स्वतंत्रता होनी चाहिए । मनुष्य विचारशील और बुद्धिनिष्ठ होता है । इसलिए उसे विचार करने तथा उन विचारों को अभिव्यक्त करने की स्वतंत्रता की आवश्यकता है । धार्मिक स्वतंत्रता भी महत्वपूर्ण मानवाधिकार है ।
राष्ट्रीयता प्राप्त करने की स्वतंत्रता:
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प्रत्येक व्यक्ति को अपने देश का नागरिक बनने का अधिकार है । इसे राष्ट्रीयता का अधिकार कहते है । नागरिक के रूप में व्यक्ति को मतदान करना, चुनाव लड़ना जैसे राजनीतिक अधिकार प्राप्त होते हैं । इससे देश के प्रशासन में प्रतिभागी होने का अवसर प्राप्त होता है ।
गिरफ्तारी और स्थानबद्धता से संरक्षण प्राप्त करने का अधिकार:
किसी भी व्यक्ति को अकारण रूप से गिरफ्तार करना और जेल में बंद करना मानवाधिकार के विरुद्ध है । इस मानवाधिकार की रक्षा हेतु प्रत्येक देश में समुचित कानून-व्यवस्था और न्यायप्रणाली होनी चाहिए ।
शिक्षा का अधिकार:
शिक्षा प्राप्त करने से मनुष्य का अज्ञान दूर होता है । उन्नति के अवसर प्राप्त होते हैं । अन्याय और अत्याचार के विरुद्ध संघर्ष करने की सजगता उत्पन्न होती है । अत: शिक्षा के अधिकार को महत्वपूर्ण मानवाधिकार माना जाता है ।
मानवाधिकार और संयुक्त राष्ट्र:
संयुक्त राष्ट्र ने अपने उद्देश्यों में मानवाधिकार को महत्वपूर्ण स्थान दिया है । उसके उद्देश्यों में मानवाधिकार का प्रचार एवं प्रसार एक महत्वपूर्ण उद्देश्य है । १० दिसंबर १९४८ को संयुक्त राष्ट्र द्वारा जारी किए गए मानवाधिकार के घोषणापत्र ने मानवाधिकारों की नींव रखी ।
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यह घोषणापत्र ३० सूत्र है । संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्य राष्ट्रों से यह अपेक्षा की जाती है कि वे अपने देश के नागरिकों को ये अधिकार प्रदान करें ।
इनमें से कुछ महत्वपूर्ण सूत्र इस प्रकार हैं:
(१) व्यक्ति किसी भी लिंग, धर्म और वर्ण का हो परंतु उसे मानवाधिकार का उपयोग करने का अधिकार प्राप्त है ।
(२) प्रत्येक व्यक्ति को संचरण की स्वतंत्रता प्राप्त है ।
(३) यदि व्यक्ति अपने देश में स्वयं को असुरक्षित मान रहा हो तो उसे विश्व के किसी भी भाग में रहने का अधिकार प्राप्त है ।
(४) प्रत्येक व्यक्ति को अवैध गिरफ्तारी से अपना बचाव करने की स्वतंत्रता प्राप्त है ।
(५) प्रत्येक व्यक्ति को संपत्ति रखने का अधिकार है ।
(६) प्रत्येक व्यक्ति को वैचारिक एवं धार्मिक स्वतंत्रता प्राप्त है ।
(७) प्रत्येक व्यक्ति को संगठन बनाने की स्वतंत्रता है ।
(८) प्रत्येक व्यक्ति को मतदान का अधिकार प्राप्त है ।
(९) सभी स्त्री-पुरुषों को श्रम करने और विश्राम करने का अधिकार प्राप्त है ।
(१०) प्राथमिक शिक्षा, कला और साहित्य का आस्वादन प्राप्त करने का अधिकार प्राप्त है ।
(११) प्रत्येक व्यक्ति को व्यवसाय करने की स्वतंत्रता है ।
(१२) प्रत्येक व्यक्ति को अपना निजी जीवन, प्रतिष्ठा और गरिमा को अबाधित रखने का अधिकार प्राप्त है ।
मानवाधिकारों का संरक्षण करने तथा इन अधिकारों पर होनेवाले आक्रमणों को दूर करने के लिए संगठन और आंदोलन प्रारंभ होंगे; तभी मानवाधिकारों की रक्षा प्रभावशाली ढंग से हो सकती है । इस विषय में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कुछ स्वयंसेवी संगठन कार्य कर रहे हैं । जैसे- एम्नेस्टी इंटरनैशनल, हयूमन राइट्स वाच आदि ।
भारत और मानवाधिकार:
जब भारतीय संविधान निर्माण का कार्य चल रहा था; उसी समय संयुक्त राष्ट्र का मानवाधिकार घोषणा पत्र जारी हुआ । हमारे संविधान में इस घोषणापत्र के उद्देश्यों का समावेश किया गया है । संविधान के मौलिक अधिकारों तथा मार्गदर्शक सिद्धांतों में मानवाधिकारों का समावेश दृष्टिगोचर होता है ।
राष्ट्रीय मानवाधिकार:
मानवाधिकारों का संरक्षण करने हेतु भारत ने अनेक प्रकार की उपाय योजनाएँ की है । ई.स. १९९३ में स्थापित राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की मानवाधिकार स्थापना उनमें से एक उपाय योजना है ।
संरचना:
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में एक अध्यक्ष और अन्य छह सदस्य होते है । आयोग के अध्यक्ष के रूप में उच्चतम न्यायालय के अवकाश प्राप्त न्यायाधीश की नियुक्ति की जाती है । उच्चतम न्यायालय, उच्च न्यायालय के विद्यमान अथवा अवकाशप्राप्त न्यायाधीश इस आयोग के सदस्य होते है ।
राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के और राष्ट्रीय महिला आयोग के अध्यक्षों को भी राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की सदस्यता दी जाती है । मानवाधिकार संरक्षण के क्षेत्र में प्रत्यक्ष कार्य किए हुए दो अनुभवी विशेषज्ञ भी इस आयोग के सदस्य होते हैं ।
कार्य:
देश में कहीं भी मानवाधिकारों का उल्लंघन हो रहा हो तो यह आयोग उसकी जाँच करता है । मानवाधिकारों का संरक्षण करना इस आयोग का महत्वपूर्ण कार्य है । महाराष्ट्र राज्य ने भी मानवाधिकार आयोग की स्थापना की है ।