Read this article in Hindi to learn about:- 1. शीट मेटल का परिचय (Introduction to Sheet Metal) 2. सिम्पल डेवलपमेंट और लेइंग आउट (Simple Development and Laying Out) 3. सामान्य कार्यक्रियायें (Common Operations) and Other Details.
Contents:
- शीट मेटल का परिचय (Introduction to Sheet Metal)
- सिम्पल डेवलपमेंट और लेइंग आउट (Simple Development and Laying Out)
- सामान्य शीट मेटल कार्यक्रियायें (Common Sheet Metal Operations)
- ज्वाइंट/सीम के लिए एलाउंस (Allowance for Joint/ Seam)
- शीटों को मोड़ना (Bending of Sheet)
1. शीट मेटल का परिचय (Introduction to Sheet Metal):
शीट मेटल शॉप में पतले गेज की शीटों को हैंड टूल्स और साधारण मशीनों के द्वारा विभिन्न आकारों में काटा, मोड़ा और जोड़ा जाता है । प्रायः 10 से 30 गेज तक की शीटों को प्रयोग में लाया जाता है ।
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शीट मेटल शॉप में मुख्यतः निम्नलिखित शीटें प्रयोग में लाई जाती हैं:
i. जी.आई.शीट:
इसमें लोहे की शीट पर जिंक की कोटिंग कर दी जाती है । इसमें डक्टिलिटी का गुण होता है ।
ii. टिन शीट:
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इसमें लोहे की शीट पर टिन की कोटिंग की जाती है । इसमें साफ्टनैस और डक्टिलिटी का गुण होता है ।
iii. कॉपर शीट:
यह शीट तांबे की बनाई जाती है । इस शीट पर ठंडी दशा में कार्य करने पर यह हार्ड हो जाती है । इसमें मैलिएबिलिटी और डक्टिलिटी का गुण होता है ।
iv. ब्रास शीट:
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यह शीट पीतल की बनाई जाती है । इस शीट पर ठंडी दशा में कार्य करने से यह हार्ड हो जाती है । इसमें मैलिएबिलिटी और डक्टिलिटी का गुण होता है ।
v. लैड शीट:
यह शीट लैड से बनाई जाती है । इसमें मैलिएबिलिटी और साफ्टनैस का गुण होता है ।
vi. एल्युमीनियम शीट:
यह शीट एल्युमीनियम से बनाई जाती है । यह शीट हल्की होती है । इसमें साफ्टनैस, डक्टिलिटी और थोड़ा-सा ब्रिटलनैस का गुण होता है ।
2. सिम्पल डेवलपमेंट और लेइंग आउट (Simple Development and Laying Out):
शीट मेटल शॉप में किसी जॉब को बनाने के लिये पहले उसका डेवलपमेंट किया जाता है और जॉब पर मार्किंग की जाती है । मार्किंग करते समय कार्यक्रिया के अनुसार जॉब पर सही एलाउंस भी दिया जाता है ।
एलाउंस देने से जॉब को सही आकार और साइज में आसानी से बनाया जा सकता है । मार्किंग करने के बाद जॉब को उचित टूल्स की सहायता से सही आकार और साइज में बनाया जाता है ।
पैटर्न डेवलपमेंट:
शीट मेटल में किसी प्रोजेक्ट को शुरु करने से पहले फिनिश की हुई वस्तु की परिशुद्धता के लिए पैटर्न को विकसित करना चाहिए ।
पैटर्न को निम्नलिखित दो विधियों के द्वारा विकसित किया जा सकता है:
I. पैरेलल लाइन विधि:
इस विधि का प्रयोग बॉक्सों, प्रिज्मों और सिलण्डिरों के आकारों के लिए पैटर्न को विकसित करने के लिए किया जाता है ।
II. रेडियल लाइन विधि:
इस विधि का प्रयोग पेरामिस और कोन्स के लिए पैटर्न को विकसित करने के लिए किया जाता है ।
ज्वाइंट:
शीट के टुकड़ों को आपस में जोड़ने को ज्वाइंट या सीम कहते हैं ।
शीट मेटल शॉप में कई प्रकार के ज्वाइंट या सीम लागाये जाते हैं जिसमें निम्नलिखित मुख्य हैं:
a. लैप सीम:
इसे ऐज्ड-ऑन-ज्वाइंट कहते हैं जिसका प्रयोग टॉप और बॉटम को सिलण्ड्रिकल आकर में फिट करने के लिए किया जाता है और अंत में सोल्डर कर दिया जाता है ।
b. ग्रूव्ड सीम:
इसका प्रयोग पतली शीट के स्ट्रेट या कर्वड दो पीसों को जोड़ने के लिए किया जाता है ।
c. सिंगल सीम:
इसका प्रयोग बॉटम को वर्टिकल बॉडी के साथ जोड़ने के लिए किया जाता है और अंतिम रूप में उसकी सोल्डरिंग या ब्रेजिंग कर दी जाती है ।
d. डबल सीम:
यह अधिक स्ट्रांग सीम है जिसका आगे वाला सिरा बॉडी के साथ ऊपर की ओर मुड़ा होता है ।
e. डबल ग्रूव्ड सीम:
यह रूफिंग और पेनलिंग ज्वाइंट के लिए प्रयोग किया जाता है ।
3. सामान्य शीट मेटल कार्यक्रियायें (Common Sheet Metal Operations):
i. कटिंग:
यह एक आपरेशन है जिसमें कोल्ड चीजल, लिप, लीवर शीयर आदि का प्रयोग करके शीट को काटा जाता है ।
ii. बेंडिंग:
यह एक आपरेशन है जिसमें मेटालिक शीट को मोड़ा जाता है । शीट को बैंड रेडियस (R) के साथ मोड़ा जाता है । जिससे बेंडिंग करते समय शीट के बाहरी भाग को खिंचाव से बचाया जा सके ।
क्रेक को विकसित होने से बचाने के लिए दो दिशाओं में समकोण में शीट को मोड़ने के लिए एक छोटा सुराख कर देना चाहिए ।
लीस्ट बेंड रेडियस:
लीस्ट राउण्डनैस के रेडियस को लीस्ट बेड रेडियस कहते हैं । इसे बेड पर इसलिए दिया जाता है कि शीट को बिना क्रैक हुए मोड़ा जा सके ।
यह निम्नलिखित पर निर्भर करता है:
(क) शीट का मेटीरियल
(ख) शीट की थिकनैस
(ग) प्लेन की दिशा
(घ) कार्यकारी तापमान
स्प्रिंग बैक:
बेंडिंग आपरेशन में जॉब में अपने वास्तविक आकार को प्राप्त करने की प्रवृत्ति होती है जिसके कारण बेड कुछ मात्रा में स्टिंग ओपन हो जाता है । मेटीरियल की इस प्रतिक्रिया को स्टिंग बैक कहते हैं ।
यह निम्नलिखित पर निर्भर करती है:
(क) जॉब का मेटीरियल
(ख) शीट की थिकनैस
(ग) कार्य करने की पद्धति
(घ) बेंड रेडियस
(ड.) बेंडिग आपरेशन
iii. पंचिंग:
शीटों में सुराख प्रायः पंचिंग द्वारा किए जाते हैं जिससे सालिड पंचों का प्रयोग किया जाता है । पतली मेटालिक शीट, चमड़े, प्लास्टिक, कोर्क आदि में सुराख करने के लिए पंचों का प्रयोग भी किया जाता है ।
iv. सीमिंग:
मेटालिक शीटों के दो ऐजों को आपस में जोड़ने के लिए सीमिंग की जाती है ।
v. ऐज स्टिफनिंग:
मेटालिक शीट की स्ट्रेंग्थ बढ़ाने और फिनिंश किए जॉब की दिखावट अच्छी बनाने के लिए ऐज स्टिफनिंग की जाती है । इसे एक हेम बनाने के लिए किया जाता है जिसमें एक ऐज या बार्डर को फोल्डिंग करके बनाया जाता है ।
प्रायः निम्नलिखित प्रकार के हेम्स प्रयोग में लाए जाते हैं:
(क) सिंगल हेम – इसे सिगंल फोल्डिंग द्वारा मेटालिक शीट के ऐज की फोल्डिंग करके बनाया जाता है ।
(ख) डबल हेम – इसमें ऐजों को दो बार फोल्डिंग करके बनाया जाता है ।
(ग) वायर्ड ऐज – इसे गोल व लंबे जॉब पर उसकी स्ट्रेंग्थ बढ़ाने और दिखावट अच्छी लाने के लिए किया जाता है ।
vi. नोचिंग:
इसका प्रयोग नोच बनाने के लिए किया जाता है जो कि ऐजों को जोड़ने के लिए स्पेस होते हैं । अनावश्यक धातु की ओवर लैपिंग बचाने और सीम व ऐज को फूलने से बचाने के लिए नोच सहायक होते हैं । कार्य को आवश्यक आकार व साइज में बनाने के लिए भी नोच सहायक होते हैं ।
प्रायः निम्नलिखित प्रकार के नोच प्रयोग में लाए जाते हैं:
(क) स्ट्रेट नोच – इसे शीट के ऐज पर वहां पर बनाया जाता जहां पर उसे मोड़ना हो ।
(ख) स्क्वायर नोच – इसे तब बनाया जाता है जब आयताकार या वर्गाकार बॉक्स की फर्मिंग करनी होती है ।
(ग) स्लॉट नोच – इसे शीट का कार्नर के 45० पर बनाया जाता है जब एक सिंगल हेम समकोण पर मिलता है ।
(घ) ‘वी’ नोच – इसे शीट के ऐज से दोनों ओर 45० पर काटकर बनाया जाता है जब 90० बेड के साथ जॉब को बनाना हो ।
(ड.) वायर नोच – इसे जॉब पर वहां पर बनाया जाता है जहां पर वायर्ड ऐजस हों ।
इसका कोण प्रायः 30० होता है और जहां से नोच आरंभ होता है वह दूरी वायर के व्यास का तीन गुना होती है ।
4. ज्वाइंट/सीम के लिए एलाउंस (Allowance for Joint/ Seam):
क्रेक होने या ऐंठन से बचाने के लिए और अच्छी फिनिंश लाने के लिए ज़्वाइंट/सीम के लिए एलाउंस देना अनिवार्य होता है । यह फोल्डिड ऐज की चौड़ाई और शीट की मोटाई पर निर्भर करता है ।
I. ग्रूव्ड सीम/ज्वाइंट के लिए एलाउंस:
ग्रूव्ड सीम के लिए एलाउस अर्थात् ‘A’ की लंबाई जो कि फोल्डिड ऐज की सिंगल चौडाई जमा शीट की थिकनैस का तीन गुना होनी चाहिए । A = W + 3T ।
उदाहरण – ग्रूव्ड सीम की ‘A’ की लंबाई की गणना करें यदि W = 15 मि.मी. और T = 0.5 मि.मी. हो ।
हल:
A = W + 3T
= 15+3× 0.5 = 15 + 1.5 = 16.5 मि.मी. उत्तर
II. डबल ग्रूव्ड सीम/ज्वाइंट के लिए एलाउंस:
डबल ग्रूव्ड सीम के लिए एलाउंस अर्थात ‘A’ की पूर्ण लंबाई को फोल्डिड ऐज की चौड़ाई का चार गुना जमा शीट की थिकनैस का चार गुना होनी चाहिए ।
A = 4W + 4T
उदाहरण- डबल ग्रूव्ड सीम की ‘A’ की लंबाई की गणना करें यदि
W = 15 मिमी. और T = 0.5 मि.मी. हो ।
हल:
A = 4W + 4T
= 4 × 15.4 + 4 × 0.5 = 60 + 2 = 62 मि.मी. उत्तर
III. सिंगल सीम/ (पेंड डाउन ज्वाइंट) के लिए एलाउंस:
सिगंल सीम के लिए एलाउंस अर्थात ‘A’ की लंबाई को फोल्डिड ऐज की चौड़ाई का दोगुना जमा शीट की थिकनैस का दोगुना होनी चाहिए ।
A = 4W + 4T
उदाहरण:
सिगल सीम की ‘A’ की लंबाई की गणना करें यदि W =15 मि.मी. और T = 0.5 मि.मी. हो ।
हल:
A = 2W + 2T
= 2 × 15.2 + 2 × 0.5 = 30 +1 = 31 मि.मी. उत्तर
IV. डबल सीम (नॉक्ड-अप ज्वाइंट) के लिए एलाउंस:
डबल सीम के लिए एलाउंस अर्थात A की लंबाई को फोल्डिड ऐज की चौड़ाई का दोगुना जमा शीट की थिकनैस का तीन गुना होनी चाहिए ।
A = 2W + 3T
उदाहरण:
डबल सीम की ‘A’ की लंबाई की गणना करें यदि W = 15 मिमी. और T= 0.05 मिमी. हो ।
हल:
A = 2W + 3T
= 2 × 15 + 3 × 0.5 = 30+1.5=31.5 मिमी. उत्तर
5. शीटों को मोड़ना (Bending of Sheet):
शीटों को मोड़ने की प्रायः निम्नलिखित विधियां प्रयोग में लाई जाती हैं:
I. शीट को हाथ द्वारा मोड़ना:
(i) बेंड के अनुसार स्ट्रिप पर मार्किंग करें । मोड़ के अन्दर की ओर स्ट्रिप की थिकनैस का लगभग 0.5 से 0.8 मिमी. एलाउंस दें ।
(ii) स्ट्रिप को मार्किंग लाइन के साथ बेंच वाइस में क्लेम्प करें । बेड फेसिंग की लाइन फिक्ख जॉ के लेवल में होनी चाहिए ।
(iii) स्ट्रिप के पूरे ऊपरी भाग पर फिक्सड जॉ की दिशा में मैलेट से यूनिफार्म चोट मारें । इसके बाद बेंड को आकार में बनाने के लिए लोहे के हैमर का प्रयोग करें ।
(iv) मुड़ी हुई स्ट्रिप की परिशुद्धता चैक करने के लिए टेम्पलेट, स्टील रूल का प्रयोग करें ।
(vi) यदि बेंड 90० के अलावा किसी अन्य कोण में है तो स्ट्रिप पर मोड़ की पोजीशन की मार्किंग करें ।
(vii) स्ट्रिप को मेंडल के साथ बेंच वाइस में क्लेम्प करें । ध्यान रखें कि मार्किंग की हुई लाइन मेंड़ल के ऊपरी सिरे से 0.5 मिमी. ऊपर होनी चाहिए । तब हैमर से चोट मारकर मेंड़ल पर स्ट्रिप को निश्चित कोण में मोडे ।
II. शीट को जिग में सीधा करना:
(i) शीट को सीधा करने के लिए हैंड-आपरेटिड जिग का प्रयोग किया जा सकता है ।
(ii) शीट को रोलरों के बीच में लगाएं ।
(iii) रोलरों को ऐसे समायोजित करें कि वे एक दूसरे पर बहुत अधिक प्रैशर न डाल सकें ।
(iv) हैंडल को घुमाकर शीट को रोलरों के बीच से गुजारे । इस कार्यक्रिया को शीट के बिल्कुल सीधा होने तक करते रहें ।
III. शीट को थ्री-रोलर बेंडिंग मशीन में मोडना:
(i) सुनिश्चित कर लें कि बेंडिंग मशीन अच्छी हालत में है ।
(ii) रोलरों के बीच स्ट्रिप के अनुसार गैप को समायोजित करें ।
(iii) स्ट्रिप को रोलरों के बीच में रखें ।
(iv) स्ट्रिप को निश्चित गोलाई में मोड़ने के लिए उसे कई पासों में, प्रत्येक पास में ऊपरी रोलर पर प्रैशर बढ़ाते हुए मोड़ें ।
(v) बेंड को परिशुद्धता में चैक करने के लिए टेम्पलेट का प्रयोग करें ।