Read this article in Hindi to learn about the causes of landslides.

भू-स्खलन के प्रमुख कारण निम्न प्रकार हैं:

1. भूकंप (Earthquakes):

भूकंप भू-स्खलन का सबसे महत्वपूर्ण कारण है । भूकंप के फलस्वरूप, प्रायः वलनदार पर्वतों में भू-स्खलन होते हैं । ऐसे पर्वतों में हिमालय, राकी, एंडीज, एल्पस, एटलस, पूर्वी एवं पश्चिमी घाट इत्यादि सम्मिलित हैं ।

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2. वर्षा, हिमपात, सहिम वर्षा (Rainfall, Snowfall and Sleet):

भारी तथा लगातार वर्षा तथा हिम पात के कारण भी पहाडों में भू-स्खलन होते रहते हैं । जम्मू-कश्मीर के राजमार्ग पर बटोट रामवन तथा बानिहाल के क्षेत्र में भारी वर्षा और हिमपात के कारण प्रायः वर्षा ऋतु एवं सर्दी के महीनों में भू-स्खलन होते रहते हैं । भू-स्खलन की बारंबारता के कारण इस क्षेत्र को नाशरी (विनाश क्षेत्र) कहा जाता है ।

3. खनन तथा पर्वतों में खडे ढलानों को काटकर सड़कों का निर्माण करना (Mining Quarrying and Road Cutting in Mountains):

लगातार कोयला, इमारती पत्थर तथा अन्य खनिजों का खनन करना तथा पर्वतों के खड़े ढलानों को काटकर राजमार्ग बनाने के कारण भी भू-स्खलन की बारंबारता बढ़ जाती है । इस प्रकार के भू-स्खलन हिमालय, उत्तरी-पूर्वी पहाड़ियों, पूर्वी तथा पश्चिमी घाट की पर्वतमालाओं में देखे जा सकते हैं ।

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4. खतरनाक ढलानों पर भवन निर्माण करना (Construction of House on Vulnerable Slopes):

पर्वतीय नगरी में भारी जनसंख्या वृद्धि तथा अनियोजित आवासों का निर्माण भी भू-स्खलन का एक प्रमुख कारण है । उत्तराखंड के नैनीताल नगर में मालरोड के निकट बहुमंजिली होटलों तथा भवनों का निर्माण किया जा रहा है । इस क्षेत्र की चट्टानें प्रायः चूने पत्थर की हैं । वर्षा के पश्चात चूने की चट्टानें कमजोर पड़ जाती हैं जिसके फलस्वरूप नैनीताल की बहुत-सी इमारतें तथा होटल नीचे की ओर धँस रहे हैं ।

5. वनों का काटना (Deforestation):

जंगलों के काटने, अधिक पशुचरन और अवैज्ञानिक भूमि-उपयोग के कारण भी बहुत-से भू-स्खलन उत्पन्न होते हैं । जम्मू-कश्मीर हिमाचल प्रदेश उत्तराखंड उत्तर-पूर्वी पर्वतीय भागों में जंगल काटने के कारण बहुत से भू-स्खलन होते हैं । पूना जनपद के मालिन गाँव में भू-स्खलन से 44 घर मलबे में दब गये, सैकड़ों लोग मलबे में दब गये कई दर्जन लोगों की मौत हो गई । वनों को काटना इस भू-स्खलन का मुख्य कारण माना जा रहा है ।

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6. झूमींग (Shifting Cultivation):

जंगलों को काटकर तथा उनको जलाकर झूमींग प्रकार की कृषि करने से भी भू-स्खलन की बारंबारता में वृद्धि होती है । भारत के उत्तर पूर्वी पहाड़ी राज्यों में झूमींग प्रकार की कृषि की जाती है जिसके फलस्वरूप बहुत-से भू-स्खलन प्रति वर्ष वर्षा ऋतु में देखे जा सकते हैं ।

7. पर्वतीय क्षेत्रों में औद्योगिकीकरण तथा नगरीकरण (Industrialization and Urbanization on Hilly Areas):

विकास के नाम पर पर्वतीय प्रदेशों में भारी औद्योगिकीकरण तथा नगरीकरण किया जा रहा है । इन कारणों से पारिस्थितिकी तंत्रों में भारी परिवर्तन हो रहा है जो भू-स्खलन का कारण बनते हैं । भारत के उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, सिक्किम तथा अरुणाचल प्रदेश में बहुत-से भू-स्खलन इन कारणों का परिणाम हैं ।

8. बाँध/डैम निर्माण (Construction of Dams):

नदियों पर बड़े बाँध बनाकर बहुउद्देशीय परियोजनाएँ बनाई गई हैं । इस प्रकार की परियोजनाओं का आस-पास की पारिस्थितिकी पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है । भारत में भाखड़ा-नांगल बाँध, टिहरी बाँध आदि इसी प्रकार की परियोजनाएँ हैं जिनके कारण आस-पास के पर्वतीय क्षेत्रों में भू-स्खलन की बारंबारता बढ़ गई है ।

9. अन्य कारण (Other Factors):

भूमि का अवैज्ञानिक उपयोग करने (विशेष रूप से पर्वतीय क्षेत्र में) से भी भू-स्खलन की संभावना बढ जाती है ।