जलवायु परिवर्तन पर अनुच्छेद | Paragraph on Climate Change in Hindi language!
पृथ्वी के धरातल तथा समय में होने वाले तापमान एवं वर्षा की विसामान्यता को जलवायु परिवर्तन कहते हैं । वास्तव में यदि दीर्घकाल में पृथ्वी के तापमान एवं वर्षण के प्रतिरूपों में सार्थक परिवर्तन पाया जाये तो उसको जलवायु वर्तमान समय में जलवायु परिवर्तन एक शोध का विषय बना हुआ है ।
जलवायु परिवर्तन के संबंध में वैज्ञानिकों ने बहुत-सी अवधारणाएँ प्रस्तुत की है परंतु इनमें से कोई भी अवधारणा जलवायु परिवर्तन के कारणों की पूर्ण व्याख्या नहीं करती । कुछ विद्वानों का विचार है कि पृथ्वी और सूर्य की उपस्थिति और कोण में अतर आ रहा है, परंतु जलवायु परिवर्तन एक जटिल समस्या है क्योंकि मानव के द्वारा किया गया प्रदूषण और गर्म हानिकारक गैसों के उत्सर्जन को भी जलवायु परिवर्तन का प्रमुख कारण माना जाता है ।
मानव भारी मात्रा में ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन कर रहा है । नगरों में मानव का जलवायु पर प्रभाव साफ तौर पर देखा जा सकता है ।
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पृथ्वी पर प्रकाश और ऊष्मा का प्रमुख स्रोत सूर्य है । सूर्य के बाह्य भाग का तापमान लगभग 5438०C है, परंतु इस तापमान में थोडा-बहुत परिवर्तन होता रहता है । वैज्ञानिकों के एक अनुमान के अनुसार यदि सूर्य से आने वाली ऊष्मा में दो प्रतिशत की कमी हो जाये और यह कमी पचास वर्ष तक बनी रहे तो पृथ्वी पर हिम युग आ सकता है और यदि तापमान में 5 प्रतिशत की कमी हो जाये तो पृथ्वी के बहुत-से भागों पर हिमनद फैल सकते हैं ।
मानव इतिहास में बहुत-से प्रमाण मिलते है जिससे जलवायु परिवर्तन का पता चलता है । इन प्रमाणों में ऐतिहासिक रिकार्ड, डायरियाँ, भवन, इमारतें, कपड़े आदि सम्मिलित हैं ।
जलवायु परिवर्तन एक निरंतर प्रक्रिया है और जलवायु परिवर्तन पृथ्वी की उत्पत्ति (4.6 बिलियन वर्ष) से लेकर आज तक होता रहा है । जलवायु परिवर्तन एक चक्र में होता है और यह चक्र बार-बार दोहराया जाता है । पृथ्वी के प्राचीन काल में बार-बार हिम युग और गर्म जलवायु युग आते-जाते रहे हैं ।