भारत पर अनुच्छेद: एक मेगा जैव विविधता राष्ट्र | Paragraph on India: A Mega Biodiversity Nation in Hindi language!
विविधता भारत में भारी भौगोलिक एवं जलवायु में पाई जाती है । भौगोलिक विविधता के कारण भारत के जीव-जंतुओं, पशु-पक्षियों तथा पेड़-पौधों में विविधता पाई जाती है । भारत में एशिया, यूरोप तथा अफ्रीका, तीनों ही प्रकार की जीव-जातियाँ पाई जाती हैं । जैविक-विविधता में भारत का विश्व में बारहवाँ स्थान है ।
भारत एक उपमहाद्वीप है, भारत में दुनिया के लिये अफ्रीका लकड़बग्घा, चिंकारा, यूरोपी भेड़िये, जंगली बकरी तथा कश्मीरी स्टेग, द. पूर्वी एशिया के हाथी, गिबोन आदि पाये जाते हैं । भारत के जैविक-विविधता में काले रंग के भालू, गैंड़ा एक सिंग वाला हिरन तथा नाना प्रकार के साँप सम्मिलित हैं ।
मुख्य चिड़ियों में मोर तथा सारस सम्मिलित हैं । विश्व वनस्पति जगत के 2,50,000 जीव-जातियों में से 15,000 प्रकार के पेड़-पौधे भारत में पाये जाते हैं और पशुपक्षियों की 15 लाख जीव-जातियों में से 75 जीव-जातियाँ भारत में पाई जाती हैं ।
ADVERTISEMENTS:
यद्यपि भारत विश्व के कुल क्षेत्रफल का केवल 2.4 प्रतिशत पर फैला हुआ है फिर भी विश्व के 5.7 प्रतिशत जीव-जंतु तथा ग्यारह प्रतिशत पेड-पौधे भारत में पाये जाते हैं । भारत में 350 प्रकार के स्तनधारी, 1200 प्रकार के पक्षी, 453 रेंगने वाली जीव-जातियाँ पाई जाती है । इनके अतिरिक्त 50,000 प्रकार के कीड़े-मकोड़े, 13,000 प्रकार की तितलियाँ तथा पतंगें पाए जाते हैं ।
एक अनुमान के अनुसार भारत की कुल वनस्पति के 18 प्रतिशत वृक्ष जातियाँ देशज मूल हैं । फूल वाले पौधों में अधिकतर देशज हैं । बहुत-से जलथलीय देशज मूल के हैं । भारत में 153 प्रकार की छिपकलियाँ पाई जाती हैं जिनमें से 50 प्रतिशत देशज मूल की हैं । बहुत जलप्राणी भी देशज मूल के हैं ।
प्राकृतिक वनस्पति तथा जंगली जानवरों के अतिरिक्त, भारत की कृषि में नाना प्रकार की फसलें उगाई जाती हैं । भारत में 30,000 से लेकर 50,000 प्रकार की अनाज की फसलें, घास, फूल, सब्जियाँ तथा मेवे उगाई जाती हैं । भारत के प्राणी जगत एवं वनस्पति में सबसे अधिक विविधता उत्तर पूर्व के राज्यों में पाई जाती है ।
भारत में गाय की 27 नस्लें भारतीय मूल की हैं । 40 नस्लें भेड़ें, 22 प्रकार की बकरियाँ तथा आठ प्रकार की जैसी की नन्हें पाई जाती हैं इनमें से बहुत-सी गाय की नस्लें समाप्त हो रही हैं, जिसका मुख्य कारण भारत में विदेशी मूल की गाय पालने पर बल देना है । बहुत-से क्षेत्रों में विशेषकर पर्वतीय ठंडे भागों में जर्सी तथा होल्स्टीन नस्ल की यूरोपीय गायो को पालने पर प्राथमिकता दी जा रही है ।
ADVERTISEMENTS:
वृक्षारोपण में विदेशी मूल के युकेलिप्टस, तथा पोपलर वृक्षों को अधिक अपनाया जा रहा है । धीरे-धीरे, देशी मूल के पेड़-पौधों का ह्रास हो रहा है । भारत में पक्षियों तथा हवा में उड़ने वाले जीवों की भी बहुतायत है । केवल द. अमेरिका में ही भारत से अधिक प्रकार के परिंदे तथा पतंगे पाये जाते हैं ।