Read this article in Hindi to learn about how to control pests and diseases of fennel (saunf).
1. मोयला, पर्णजीवी (क्षीण) एवं मकड़ी (बरूथी):
मोयला पौधे के कोमल भाग में रस चूसता है तथा फसल को काफी नुकसान पहुँचाता है । थ्रिप्स कीट बहुत छोटे आकार का होता है तथा कोमल एवं नई पत्तियों से हरा पदार्थ खुरचकर खाता है जिससे पत्तियों पर धब्बे दिखाई देने लगते हैं तथा पत्ते पीले होकर सुख जाते हैं । नियन्त्रण हेतु डाईमिथोएट 30 ई.सी. या मैलाथियॉन 50 ई.सी. या एण्डोसल्फॉन 35 ई.सी. एक मिलीलीटर प्रति लीटर पानी के हिसाब से छिड़कना चाहिये ।
2. छाछया (पाउचरी मिल्डयू):
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इस रोग के लगने पर शुरू में पत्तियों एवं टहनियों पर सफेद चूर्ण दिखाई देता है जो बाद में सम्पूर्ण पौधे पर फल जता है । नियन्त्रण हेतु 20 से 25 किलोग्राम गंधक के चूर्ण का भुरकाव प्रति हैक्टेयर करना चाहिये या कैराथियॉन एल.सी. 1 मिलीलीटर प्रति लिटर पानी में घोल बनाकर छिडकना चाहिये । आवश्यकतानुसार 15 दिन के अन्तराल पर छिड़काव दोहराये ।
3. छाछया (पाउछरी मिल्डयू):
इस रोग के लगने पर शुरू में पत्तियों एवं टहनियों पर सफेद चूर्ण दिखाई देता है जो बाद में सम्पूर्ण पौधे पर फैल जाता है । नियन्त्रण हेतु 20 से 25 किलोग्राम गंधक के चूर्ण का भुरकाव प्रति हैक्टेयर करना चाहिये या कैराथियॉन एल.सी. 1 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़कना चाहिये । आवश्यकतानुसार 15 दिन के अन्तराल पर छिड़काव दोहराये ।
4. जड़ व तना गलन:
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इस रोग के प्रकोप से तना नीचे से मुलायम हो जाता है व जड़ गल जाती है । जडों पर छोटे-बडे काले रंग के स्क्लेरोशिया दिखाई देते हैं ।