Read this article in Hindi to learn about how to control pests of mango.
1. आम का फुदका (Mango Hoppers):
इस कीट का वैज्ञानिक नाम अमैरीटोडस एटकिनसोनी है । ये हैमिप्टेरा गण के सिसीलिडीडी कुल का कीट है ।
पहचान:
इस कीट के नवजात शिशु (निम्फ) फनाकार सफेद रंग के होते हैं । प्रत्येक निर्मोचन के बाद इनका रंग बदल जाता है । ये पीले, पीले हरे, हरे एवं अन्ततः हरे-भूरे रंग में बदल जाते हैं । वयस्क का रंग भी भूरा होता है तथा ये भी आकार में फनाकार ही होते हैं ।
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इनका शीर्ष हल्के पीले रंग का होता है । इनके अग्र पंख, पश्य पंखों की अपेक्षा अधिक मोटे व कांस्य रंग के होते हैं । नर प्रायः 4.2 से 4.8 तथा मादा 4.7 से 5.1 मि. मी. लम्बे होते हैं ।
क्षति:
प्रायः बसन्त के मौसम में इस कीट के असंख्य निम्फ (शिशु) आम के पुष्पक्रम (बौर) पर समूह में रस चूसते हुए देखे जा सकते हैं । इस कीट से प्रभावित पुष्पक्रम सिकुड़कर पीले पड़ जाते हैं एवं अन्ततः झड़ जाते हैं । जब इन पुष्पों से फलों का निर्माण शुरू होने लगता है तो ये इनको छोड़कर पत्तियों व तनों पर चले जाते हैं तथा उनका रस चूसते हैं ।
वयस्क कीट भी झुण्डों में पौधों के कोमल भागों से रस चूसते हैं । इस कीट के ग्रसन से पौधे की बढ़वार रुक जाती है । अत्यधिक ग्रसन के फलस्वरूप उपज में 25 से 60 प्रतिशत की कम आ जाती है । जीवन-चक्र : यह कीट प्राय: साल भर सक्रिय रहता है मगर गर्म मौसम (मई-जून)
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जीवन चक्र:
यह कीट प्रायः साल भर सक्रिय रहता है मगर गर्म मौसम (मई-जून) व सर्द मौसम (अक्टूबर-जनवरी) में हजारों की संख्या में पेड़ों के तनों के अन्दर व दरारों में देखा जा सकता है । मादा अपने तीक्ष्ण अश्व निक्षेपक की सहायता से पुष्पक्रमों व कोमल ऊतकों में अण्डे देती है ।
एक मादा अपने जीवनकाल में 100 से 200 अण्डे देती है । इनसे 4-7 दिनों में निम्फ निकल आता है । ये निम्फ 4-5 बार निर्मोचन करके 14-15 दिनों में पूर्ण विकसित हो जाते हैं । वर्ष में इस कीट की दो पीढ़ियां पायी जाती है ।
समन्वित प्रबन्धन उपाय:
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i. पौधों की अधिक सघनता से बचना चाहिये क्योंकि अधिक सघनता के कारण इस कीट को वृद्धि व जनन के लिये अधिक उपयुक्त वातावरण मिलता है अतः पौधों को सही दूरी पर लगाना चाहिये ।
ii. उद्यान को सदैव स्वच्छ तथा खरपतवार रहित रखना चाहिये ।
iii. पौधों को सही समय पर पानी देना चाहिये क्योंकि अनियमित व बार-बार पानी देने से इस कीट का प्रकोप अधिक होता है ।
iv. उद्यान में जलप्लवन या पानी भरने की स्थिति से बचाना चाहिये ।
v. पेड़ों पर 0.05 प्रतिशत इमिडाक्लोरप्रीड का तीन बार छिड़काव करना चाहिये । प्रथम छिड़काव पुष्पक्रम निकलने के समय, दूसरा पुष्पक्रम के पूर्ण विकसित होने पर व तीसरा फल बनने के समय करना चाहिये ।
(2) आम का तना बेधक (Stem Borer):
इस कीट का वैज्ञानिक नाम बैटासेरा रुफोमैकुलारा है ये कोलियोप्टेरा गण के सिरेम्बीसीडी कुल का कीट है ।
पहचान:
इस कीट की पूर्ण विकसित ग्रब 90 मि.मी. लम्बी, स्थूलकाय, हाथी दाँत जैसे रंग युक्त स्पष्ट खण्ड युक्त होती है । वयस्क था दीर्घ-श्रृंगी होता है जो 50-55 मि.मी. लम्बा होता है । भृंग के अग्रवक्ष में नारंगी रंग के, वृक्क के आकार के दो बड़े धब्बे तथा दोनों ओर शूकिका जैसी मोटी रचनाएँ पायी जाती हैं जो कि इस कीट की मुख्य पहचान है ।
क्षति:
ये कीट आम को आर्थिक दृष्टि से काफी नुकसान पहुँचाता है क्योंकि ये मुख्य तने व शाखाओं को सीधे खाकर उन्हें सुखा देता है एवं पूरा पौधा इसके ग्रसन के कारण सूख जाता है । ग्रब तने में टेढ़ी-मेढ़ी सुरंगें बना देती हैं एवं तने के द्रवीय भाग को खाकर पौधों को सूखा कर मार देती है ।
जीवन-चक्र:
मादा कीट छाल पर समानान्तर रूप से 2.5-4.0 मि.मी. गहराई पर अपने अण्डे देती है । अण्डे का ऊष्मायान काल 7-13 दिनों का होता है । ग्रब को विकसित होने में 140-160 दिनों का समय लगता है । प्यूपाकाल 13-76 दिनों का होता है । प्यूपा से वयस्क में रूपान्तरण के बाद, वयस्क कीट 2-5 दिनों तक प्यूपा कोष में ही रहता है । इस कीट का सम्पूर्ण जीवन चक्र 170-190 दिनों में पूरा हो जाता है ।
समन्वित प्रबन्धन उपाय:
i. ग्रसित शाखाओं को काटकर ग्रब व प्यूपा सहित नष्ट कर देना चाहिये ।
ii. उद्यान में जब कभी वयस्क भृंग दिखाई देवें तो उन्हें एकत्रित कर नष्ट कर देना चाहिये ।
iii. ग्रब द्वारा बनाये गये छिद्रों में तार डालकर उन्हें मारा जा सकता है ।
iv. कीटों द्वारा बनाये गये छिद्रों में 0.02 प्रतिशत डाइक्लोरोवास (DDVP) 5 मि.ली. प्रति छिद्र की दर से इन्जेक्शन की सीरिंज द्वारा डालकर इसे मिट्टी से बन्द कर देना चाहिये ।
(3) फल मक्खी (Fruit Fly):
इस कीट का वैज्ञानिक नाम डेकस डोरसैलिस है । यह डिप्टेरा गण के ट्रिपीडी कुल का कीट है ।
पहचान:
वयस्क मक्खी की लम्बाई 7 मि.मी. होती है । इसका वक्ष लोहमय, पैर पीले, उदर शंकु के आकार का गहरा-भूरा एवं पंख से पंख की लम्बाई लगभग 14 मि.मी. होती है । वयस्क मक्खियाँ बहुत अच्छी तरह से उड़ने की क्षमता रखती हैं तथा ये भोजन की तलाश में 2 कि.मी. तक उड़ती है । मैगट सफेद, अल्पपारदर्शक होते हैं । ये पीले रंग के होते हैं तथा इनके सिर के आगे का भाग तीखा होता है ।
क्षति:
मादा अपने अण्ड्निक्षेपक की मदद से आम के फल की त्वचा के अन्दर अपने अण्डे दे देती है जिस स्थानों पर ये अपने अपढ़ निक्षेपक को घुसाती है वहाँ पर काले रंग के धब्बे बन जाते हैं एवं वहाँ पर सूक्ष्मजीवों के आक्रमण से सड़न उत्पन्न हो जाती है । मैगट फल का गूदा खाकर उसे खराब करता है । यह आम का एक विध्वंसकारी कीट है ।
जीवन चक्र:
मादा अपने एक माह के जीवन काल में 200 अण्डे देती हैं ये अण्डे फल की बाह्य त्वचा के ठीक नीचे 1-4 मि.मी. की गहराई पर दिये जो हैं । इन अण्डे से 1-3 दिनों में मैगट निकल आते है । मैगट अवस्था 6-12 दिनों की होती है । पूर्ण विकसित मैगट फल से बाहर निकलकर भूमि पर कूद कर प्यूपावस्था में चला जाता है । प्यूपाकाल 6-10 दिनों का होता है । इस कीट का सम्पूर्ण जीवन-काल 14-55 दिनों में पूरा होता है व एक वर्ष में अनेक पीढ़ियाँ पूरी होती हैं ।
समन्वित प्रबन्धन उपाय:
i. जमीन पर पड़े सड़े गले आम के फलों को एकत्र कर नष्ट कर देना चाहिये ।
ii. इस कीट का प्रकोप दशहरी, लंगड़ा व बोम्बे ग्रीन किस्मों के आम पर कम होता है । अतः इन्हें लगाना लाभकारी होता है ।
iii. इस कीट के वयस्क दिखाई देते ही मिथाइल यूजीनाल ट्रेप की सहायता से इन्हें कम किया जा सकता है (मिथाइल यूजीनाल 4 बूंदें + डाक्लोरोवॉस 4 बूंदें के मिश्रण में डूबा रुई का टुकड़ा या स्पंज ट्रेप के रूप में काम में लाया जा सकता है) ।
iv. आम के बगीचे के आस-पास या अन्दर काली तुलसी उगा कर उस पर फेनट्रेथीयान 0.1 प्रतिशत का प्रत्येक 15 दिन के अन्तराल पर छिड़काव कर नर मक्खियों को आकर्षित करके नष्ट करा जा सकता है ।
v. विष चुग्गे का छिड़काव करना काफी लाभप्रद रहता है । विष चुग्गे को शीरा 150 ग्राम + मैलाथियान 100 मि.ली. + 100 लीटर पानी में घोलकर बनाया जा सकता है । इसे बड़ी-बड़ी बूंदों के रूप में पेड़ों पर व आसपास उगी घास पर छिडकना चाहिये ।
(4) आम का चूर्णी मृत्कुण (Mango Mealy Bug):
इस कीट का वैज्ञानिक नाम ड्रोसिका मैन्जीफेरी है ये हेमीप्टेरा गण के काक्सीडी कुल का कीट है ।
पहचान:
इस कीट के निम्फ व वयस्क मोम की तरह सफेद, चपटे, अण्डाकार कीट होते हैं । इसे कई बार कवक जाल भी समझ लिया जाता है । मादा वयस्क पंखविहीन होती है जब की नर दो पंख वाले, गहरे लाल रंग के मृत्कुण होते हैं ।
क्षति:
निम्फ व वयस्क मादा कीट पौधों को काफी नुकसान पहुँचाते हैं । ये पुष्पक्रमों, कोमल पत्तियों, शाखाओं व फलों पर चिपककर उनसे रस चूसते हैं अत्यधिक प्रकोप की दशा में प्रभावित भाग सूख जाता है, मुरझा जाते हैं व झड़ जाते हैं । रस चूसने के अतिरिक्त ये कीट मधुरस भी उत्सर्जित करता है जो काली कवक को आकर्षित करता है जो प्रकाश संश्लेषण क्रिया में विघ्न उत्पन्न करती है ।
जीवन-चक्र:
मादा कीट पेड़ों से उतरकर भूमि के अन्दर 300-400 अण्डे देती है एवं उन्हें अपने शरीर से उत्सर्जित पदार्थ के कोष में सुरक्षित रखती है । ये अण्डे निष्क्रिय अवस्था में भूमि में ही दबे रहते हैं व नवम्बर के अंत में इनसे निम्फ निकलते हैं जो जनवरी माह तक निकलते रहते हैं ।
निम्फ तीन अवस्थाओं से गुजरता है जोकि मादा में क्रमशः 45-70, 18-38 व 15-26 दिनों तक होता है । जब की नर में प्रथम दो अवस्थाएँ मादा के समान होती हैं मगर तीसरी अवस्था 5-10 दिनों की होती है । नर व मादा का जीवन चक्र क्रमशः 67-119 व 77-135 दिनों में पूर्ण हो जाता है । एक वर्ष में इसकी केवल एक ही पीढ़ी पूरी होती है ।
समन्वित प्रबन्धन उपाय:
i. ग्रीष्म ऋतु में पौधों के आधार के पास गुड़ाई या जुताई करनी चाहिये जिससे अण्डे बाहर आकर सूर्य की तेज धूप व ताप में नष्ट हो जाते हैं ।
ii. बाग के चारों ओर उगने वाले खरपतवारों व अन्य जंगली पौधों को जला देना चाहिये ।
iii. पौधों के तने के चारों ओर भूमि की सतह से 300 मिमी. की ऊँचाई पर 300 मि.मी. चौड़ी अलकाथीन शीट बांधकर कीट का प्रभावी नियंत्रण किया जा सकता है । इस पट्टी को दिसम्बर के अन्तिम सप्ताह में लगानी चाहिये । इस परटी के कारण अंडे से निकलने के बाद शिशु ऊपर नहीं चढ़ पाते हैं और पट्टी के नीचे ही एकत्रित हो जाते हैं । इनको हाथों से मारा जा सकता है या मोनोक्रोटोफॉस (0.1 प्रतिशत) का छिड़काव करके नष्ट किया जा सकता है ।
iv. जब कभी भी पेड़ों के ऊपर शिशु दिखाई देवें तो मोनोक्रोटोफॉस (0.04 प्रतिशत) का छिडकाव करना चाहिये ।