Read this article in Hindi to learn about how to control pests of tomato.

(1) फल बेधक सूँडी (Tomato Fruit Borer):

इस कीट का वैज्ञानिक नाम हेलियोधिस आर्मिजेरा है तथा यह लेपिडोप्टेरा गण के नीक्टुईडी कुल का कीट है ।

पहचान:

वयस्क कीट मध्यम आकार का पीले-भूरे रंग का होता है । इसकी लम्बाई लगभग 15 से 16 मि.मी. और पंखों की फैली अवस्था में चौड़ाई 30 से 40 मि.मी होती है । अगले पंखों पर भूरे रंग की कई धारियाँ होती हैं और उन पर सेम के आकार के भिन्न-भिन्न नापों के काले धब्बे पाये जाते है ।

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इसके निचले पखों का रंग सफेद होता है जिनकी शिराएँ स्पष्ट रूप से काली दिखाई देती हैं और बाहरी किनारों पर चौड़ा धब्बा होता है । इसकी पूर्ण विकसित इल्ली लगभग 35 मि.मी. लम्बी होती है और इसका रंग ऊपरी सतह पर हल्का हरा तथा निचल सतह पर चमकदार सफेद होता है ।

क्षति:

इस कीट की इल्लियाँ टमाटर को भारी क्षति पहुँचाती है । ये कच्चे तथा पके टमाटरों में छेद करके उनके अन्दर का गूदा खा जाती हैं । ऐसे टमाटर खाने योग्य नहीं रहते । कीट के मल-मूत्र के कारण उसमें सड़न उत्पन्न हो जाती है । फलों की परीक्षण क्षमता व बाजार भाव कम हो जाता है जहाँ पर इस कीट का प्रकोप होता है वहाँ 50 प्रतिशत तक फल क्षतिग्रस्त हो जाते हैं ।

जीवन-चक्र:

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मादा कीट पत्तियों की निचली सतह पर हल्के पीले रंग के अण्डे देती है । इन अण्डों का ऊष्मायन काल 3-10 दिन होता है । अण्डों से निकलते ही लारवा पत्तियों को खाना आरम्भ कर देती है एवं बाद में फलों पर आक्रमण करती है । ये लारवा 10-15 दिनों में पूरी तरह से विकसित हो जाती है । इसके बाद ये भूमि में जाकर प्यूपा में बदलती है प्यूपाकाल 8-12 दिनों का होता है । इस कीट का पूरा जीवन-चक्र 6 सप्ताह का होता है । एक साल में इस कीट की लगभग 8 पीढ़ियाँ पाई जाती है ।

समन्वित प्रबन्धन उपाय:

i. सीमित क्षेत्र में हाथ से पकड़कर सूँडी को नष्ट करना एक व्यवहारिक प्रयास है ।

ii. फसल लेने के पश्चात् खेत की गहरी जुताई करने से भूमिगत प्यूपा बाहर आ जाने से जैविक व अजैविक कारकों के प्रभाव से नष्ट हो जाते हैं ।

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iii. इस कीट का नियंत्रण पीले-नारंगी रंग की गेंदा की अफ्रीकन लम्बी प्रजाति पाश फसल के रूप में उगाकर भी किया जा सकता है । टमाटर व गेंदा की 14:1 कतारें उगाकर इस कीट द्वारा होने वाली हानि को कम किया जा सकता है ।

iv. टमाटर की पारकर, बोनस, ए.सी. 95, पंजाब छुहारा, पंजाब केसरी में इस कीट के प्रति प्रतिरोधक क्षमता पायी गयी है । अतः इनका प्रयोग करें ।

v. फेरामोन ट्रेप की सहायता से लगातार सर्वेक्षण करते रहना चाहिये ।

vi. प्राकृतिक शत्रुओं जैसे ट्राइकोग्रामा ब्रैसिलिएन्सिस, 2,40,000 प्रति हैक्टर छोड़ने चाहिये ।

vii. न्यूक्लियर पीलीहेड्रेसिस वायरस, का 250 एल.ई. फलबेधक के विरुद्ध छिड़कना चाहिये ।

viii. कीट नियमन के लिये एण्डोसल्फान 35 ई.सी. 1.0 लीटर का छिड़काव करें ।

(2) सफेद मक्खी (White Fly):

इस कीट का वैज्ञानिक नाम बेमिसीया टैबेसाई है । ये हेमीप्टेरा गण के एल्यूरोडीडी कुल का कीट है ।

पहचान:

इसके शिशु जूँ की भांति मुलायम, पीले रंग के होते हैं जो पत्तियों की निचली सतह पर चिपके रहते हैं । वयस्क पंखदार 1.0 से 1.5 मि.मी. लम्बे तथा पीले रंग के होते हैं । इनके पंख चमकीले सफेद रंग के होते हैं । थोड़ी-सी आहट पाकर यह तुरन्त उड़ने लगते हैं ।

क्षति:

यह कीट पत्तियों से रस चूस कर पौधों को क्षति पहुँचाता है । निम्फ व वयस्क दोनों ही अवस्थाओं में यह कीट नुकसानदायक होता है । रस चूसने से पौधों की वृद्धि मारी जाती है व पत्तियाँ पीली पड़ जाती हैं । इसके अतिरिक्त यह कीट टमाटर में विषाणु रोग भी संचारित करता है । इस रोग के फलस्वरूप पौधों की पत्तियां छोटी रह जाती हैं और नीचे की ओर मुड़ जाती है । ऐसे पौधों में कोई फल नहीं लगता है । इस रोग को सामान्यतः ”माथा बंधना” कहते हैं ।

समन्वित प्रबन्धन उपाय:

टमाटर में सफेद मक्खी का प्रकोप रोकने के लिये पौध शाला की क्यारियों को 40 मेश नायलोन की जाली (3 मीटर लम्बी, 1.2 मीटर चौड़ी व 0.3 मीटर ऊँची) का उपयोग किया जा सकता है । इस जाली की क्यारी/भूखण्ड में लगभग 1 माह तक लगाए रखना चाहिये तथा फसल की रोपाई के पश्चात् 10 दिन के अन्तराल पर मोनोक्रोटोफास (0.05 प्रतिशत) का 4 बार छिड़काव करना चाहिये । कीट नियंत्रण की उक्त विधि को अपनाकर टमाटर की ‘माथा बंधना’ का संक्रमण 5 सप्ताह तक रोका जा सकता है । 2. 0.03 प्रतिश डाइमेथोएट के छिड़काव से इस कीट की संख्या कम की जा सकती है ।

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