Read this article in Hindi to learn about the relation between India and Bangladesh. Also learn about the controversies hampering their relation.
भारत व बांग्लादेश के सम्बन्ध (Relations between India and Bangladesh):
पाकिस्तान की ही भांति वर्तमान बांग्लादेश भी अविभाज्य भारत के बंगाल प्रान्त का अंग था । 1947 में देश के विभाजन के समय यह पाकिस्तान का अंग बन गया तथा इसे पूर्वी पाकिस्तान के नाम से जाना जाता था । 1971 में मुजीबुर्रहमान के नेतृत्व में गठित मुक्तिवाहिनी के द्वारा पूर्वी पाकिस्तान में पाकिस्तान से स्वतंत्र होने का आन्दोलन चलाया गया ।
भारत ने इस आन्दोलन का साथ दिया तथा 1971 दिसम्बर में भारत-पाक युद्ध में पाकिस्तान की पराजय के उपरान्त पूर्वी पाकिस्तान बांग्लादेश के रूप में एक स्वतंत्र देश बन गया तथा भारत सहित कई देशों ने उसे तत्काल मान्यता प्रदान कर दी ।
इस प्रकार वर्तमान बांग्लादेश के उदय में भारत की महत्वपूर्ण भूमिका है । अत: भारत व बांग्लादेश के सम्बन्धों की शुरुआत मैत्री व घनिष्ठ सम्बन्धों के रूप में हुई । 1972 में भारतीय प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी ने बांग्लादेश की यात्रा फी तथा दोनों देशों ने मित्रता व सहयोग की दीर्घकालीन सन्धि पर हस्ताक्षर किये ।
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यही सन्धि दोनों के घनिष्ठ सम्बन्धों का आधार है । इमके साथ ही सीमा पर व्यापार बढ़ाने के लिये एक व्यापार समझौते पर भी हस्ताक्षर किये गये । भारत ने नवोदित बांग्लादेश के विकास के लिये आर्थिक सहायता भी प्रदान की । यद्यपि विभिन्न मुद्दों में दोनों देशों ने सहयोगात्मक रवैया अपनाया है, लेकिन कतिपय मामलों में दोनों देशों के मध्य विवाद रहा है ।
भारत व बांग्लादेश के मुख्य विवाद (Controversies Hampering the Indo-Bangladesh Relations):
विवाद के मुख्य बिन्दु निम्नलिखित हैं:
1. गंगा जल विवाद (Ganga Water Controversy):
गंगा नदी भारत से होकर बांग्लादेश में बहती है । 1975 में भारत ने कलकत्ता बन्दरगाह में जहाजों के आवागमन को सुगम बनाने के लिये भारत ने फरक्का बाँध का निर्माण किया था जिसमें गंगा नदी का पानी ले जाया गया था । बांग्लादेश ने इसका विरोध किया क्योंकि उसे गंगा नदी का कम पानी मिल पायेगा ।
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इस समस्या के समाधान के लिये दोनों देशों ने 1977 में एक अन्तरिम समझौता किया था तथा उसके बाद 1996 में स्थायी समझौता करके इस विवाद का समाधान हो गया है । लेकिन तीस्ता सहित अन्य नदियों के जल बँटवारे के सम्बन्ध में अभी समझौते नहीं हो सके हैं ।
2. चकमा शरणार्थियों की समस्या (Problem of Dodge Refugees):
चकमा बांग्लादेश के बौद्ध समुदाय के लोग हैं जो वहाँ शोषण के भय से भारत के त्रिपुरा राज्य में शरणार्थी के रूप में बस गये थे । आरंभ में बांग्लादेश इनको वापस नहीं लेना चाहता था लेकिन 1997 में हुये एक समझौते के द्वारा बांग्लादेश सभी 50,000 चकमा शरणार्थियों को वापस लेने के लिये तैयार हो गया है ।
3. तीन बीघा गलियारा (Three Bigha Corridor):
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178 मीटर लम्बे तथा 85 मीटर चौड़े इस गलियारे को बांग्लादेश भारत से इसलिये लेना चाहता था ताकि उसके दो भागों के बीच आवागमन सुगम हो जाये । 1992 में भारत ने स्थाई पट्टे पर यह गलियारा बांग्लादेश को दे दिया है । लेकिन इस गलियारे में भारत के नागरिक भी आ जा सकेंगे ।
4. सीमा विवाद (Border Dispute):
दोनों देशों के बीच अभी तक 65 किलोमीटर सीमा रेखा का निर्धारण नहीं हुआ है । इसके साथ ही भारत के 51 अतः क्षेत्र बांग्लादेश की सीमा के अन्तर्गत तथा बांग्लादेश के 111 अन्त: क्षेत्र भारत की सीमा के अन्दर स्थित हैं । इनके आदान-प्रदान के लिये 1974 में दोनों देशों के मध्य एक समझौता हुआ था लेकिन वह लागू नहीं हो पाया ।
सितम्बर 2011 में भारतीय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की बांग्लादेश यात्रा के दौरान इन क्षेत्रों के आदान-प्रदान व सीमा रेखा के निर्धारण पर पुन सहमति बनी है । भारत में बांग्लादेश से बड़ी मात्रा में बांग्लादेशी शरणार्थी अवैध रूप से आसाम व अन्य पूर्वोत्तर राज्यों में प्रवेश कर जाते हैं । इन्हें रोकने के लिये भारत ने सीमा पर कटीली बाड़ लगाने का फैसला किया है, लेकिन बांग्लादेश इसका विरोध कर रहा है ।
5. बांग्लादेश में भारतीय विद्रोहियों को शरण (Refugees of Indian Rebels in Bangladesh):
भारत के उत्तर-पूर्वी राज्यों विशेषकर आसाम के उल्फा अलगाववादी संगठन के विद्रोही तत्व भारत में कानूनी कार्यवाही से बचने के लिये बांग्लादेश में शरण पाते रहे हैं । यह मुद्दा दोनों देशों के मध्य तनाव का विषय रहा है । लेकिन वर्तमान में इसके समाधान के प्रयास किये गये हैं ।
जनवरी 2010 में बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना की भारत यात्रा के दौरान ऐसे विद्रोही तत्वों को भारत वापस भेजने के लिए समझौता हो गया है । भारत और बांग्लादेश ने 2013 में एक प्रत्यर्पण सन्धि पर हस्ताक्षर किये हैं, जिसके द्वारा दोनों देश एक-दूसरे के यहाँ अपराधी घोषित तत्वों के आदान-प्रदान के लिए कानूनी रूप से बाध्य होंगे ।
वर्तमान स्थिति:
भारत-बांग्लादेश सम्बन्धों की वर्तमान स्थिति के सम्बन्ध में एक तत्व सर्वाधिक महत्वपूर्ण है । वह यह कि बांग्लादेश में दो राजनीतिक दल हैं- आवामी लीग तथा बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी । आवामी लीग का नेतृत्व मुजीब-उर-रहमान की बेटी शेख हसीना के हाथ में है तथा इसी पार्टी ने भारत के सहयोग से स्वतंत्र बांग्लादेश के निर्माण में निर्णायक भूमिका निभाई थी ।
अत: जब भी आवामी लीग बांग्लादेश में शासन में होती है तो भारत और बांग्लादेश के सम्बन्ध अच्छे रहते हैं । इसके विपरीत बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी का नेतृत्व बेगम खालिदा जिया के हाथ में है जो कि वहाँ के सैनिक शासक जिया-उर-रहमान की विधवा है । इस पार्टी का रूख भारत विरोधी है तथा जब भी इस पार्टी का शासन होता है तो भारत और बांग्लादेश के बीच सहयोग की समस्या खड़ी हो जाती है ।
वर्तमान में 2009 से बांग्लादेश में आवामी लीग का शासन है तथा इसकी नेता खालिदा जिया ने जनवरी 2010 में भारत की यात्रा की थी तथा इस यात्रा के दौरान दोनों देशों ने पाँच महत्वपूर्ण समझौतों-आपराधिक मामलों में सहयोग बन्दियों की रिहाई ऊर्जा के क्षेत्र में सहयोग आतंकवाद की समाप्ति तथा सांस्कृतिक आदान-प्रदान समझौता पर हस्ताक्षर किये थे ।
भारत के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने सितम्बर 2011 में बांग्लादेश की अपनी ऐतिहासिक यात्रा सम्पन्न की थी । जो कि किसी भी भारतीय प्रधानमंत्री की 19 साल बाद की गयी पहली यात्रा थी । इस यात्रा के दौरान दोनों देशों ने सीमा विवाद को समाप्त करने तथा विकास के क्षेत्र में भागीदारी को आगे बढ़ाने के लिए समझौतों पर हस्ताक्षर किये थे । तीस्ता नदी के जल आवंटन पर कोई समझौता नहीं हो सका लेकिन आवामी लीग के शासन में भारत और बांग्लादेश के सम्बन्ध सकारात्मक दौर से गुजर रहे है ।