Read this article in Hindi to learn about the various measures to overcome new challenges of security in India.
भारत विश्व का दूसरा सबसे बड़ी जनसंख्या वाला देश हे । के अन्य देशों की तरह भारत भी सुरक्षा की नई चुनौतियों का सामना कर रहा है । मौलिक रूप से चुनौतियों दो प्रकार की हैं- बाह्य व आन्तरिक ।
बाह्य चुनौतियों का तात्पर्य उन चुनौतियों से है, जिनकी जड़ें देश के बाहर निहित है, जैसे बाह्य आक्रमण व आतंकवाद से देश की सीमाओं, भू-क्षेत्र तथा नागरिकों की रक्षा । आन्तरिक चुनौतियाँ का स्रोत देश के अन्दर होता है, जैसे प्रकृतिक आपदाएँ अथवा मानवाधिकारों के उल्लंघन की चुनौती ।
महत्त्वपूर्ण तथ्य यह है कि सुरक्षा के बाह्य व आन्तरिक खतरे एक-दूसरे से मिल गये हैं तथा जटिल रूप धारण कर गये हैं । उदाहरण के लिये आतंकवाद व नक्सलवाद आन्तरिक चुनौतियाँ हैं, लेकिन उनकी जड़ें दूसरे देशों में निहित हो सकती हैं ।
ADVERTISEMENTS:
भारत में आतंकवाद पाकिस्तान द्वारा समर्थित है । आरोप है कि भारत के नक्सलवादी नेपाल के माओवादियों से सहयोग व सहायता प्राप्त कर रहे हैं । अंत: बाह्य व आन्तरिक चुनौतियाँ आपस में मिली जुली भी हो सकती है । संक्षेप में भारत की आधुनिक सुरक्षा चुनौतियों में आतंकवाद नक्सलवाद नकली मुद्रा का व्यापार संगठित अपराध साइबर सुरक्षा गरीबी मानवाधिकारों का उल्लंघन. भुखमरी व कुपोषण जैसी चुनौतियाँ शामिल हैं ।
भारत ने इन समकालीन चुनौतियों के समाधान के लिए परम्परागत उपायों के साथ-साथ समय-समय पर नये कदम भी उठाए हैं । सुरक्षा के परम्परागत उपायों के अन्तर्गत सैन्य क्षमता का विकास व उसका आधुनिकीकरण शामिल है ।
सुरक्षा की नई चुनौतियों से निवटने के विभिन्न उपायों का संक्षिप्त विवरण निम्नलिखित हैं:
1. आतंकवाद तथा नक्सलवाद के विरुद्ध नई रणनीति (New Strategy against Terrorism and Naxalism):
ADVERTISEMENTS:
आतंकवाद तथा नक्सलवाद जैसी चुनौतियों से निपटने के लिए भारत में कानूनी प्रशासनिक तथा सैन्य क्षमता का विकास किया है । समय-समय पर आतकवाद से निपटने के लिए टाडा व पोटा जैसे निवारक नजरबन्दी कानून भी बनाये गये हैं । नक्सल प्रभावित राज्यों में अर्धसैनिक बलों को भी तैनात किया गया है ।
सुरक्षा बलों का प्रशिक्षण नये हथियारों व तकनीकि का प्रयोग, गुप्तचर सूचनातंत्र की मजबूती आदि भी शामिल हैं । सैनिक व प्रशासनिक उपायों के साथ-साथ वहाँ सामाजिक-आर्थिक विकास के विशेष कार्यक्रम चलाये गये हैं । आतंकवादी गतिविधियों की जांच के लिये राष्ट्रीय जाँच अभिकरण की स्थापना की गयी है ।
भारतीय संविधान के अनुसार कानून व व्यवस्था राज्य सूची का विषय होने के नाते प्राथमिक तौर पर राज्यों का दायित्व है । फिर भी इन सुरक्षा चुनौतियों की जटिलता व व्यापकता के कारण इनका सामना करने के लिए केन्द्र सरकार की भूमिका अत्यंत महत्त्वपूर्ण है । इस हमले के लिये उत्तरदायी आतंकवादी संगठन के प्रमुख आतंकी मोहम्मद अफजल को 2013 में अदालत के फैसले के बाद फाँसी दे दी गयी थी ।
2. विभिन्न क्षेत्रों व वर्गों का समेकित व संतुलित विकास (Integrated and Balanced Development of Different Areas and Sections):
ADVERTISEMENTS:
नई चुनौतियों से निपटने के लिए भारत की रणनीति में समेकित विकास के साथ-साथ गरीबी निवारण भुखमरी का निदान आदि उपायों को भी शामिल किया गया है । भारत में योजनागत विकास में समेकित विकास को विशेष स्थान दिया है । वर्तमान में चल रही 12वीं योजना में समेकित विकास को ही मुख्य लक्ष्य रखा गया है । 2013 में भारत ने खाद्य सुरक्षा कानून भी पारित किया है ।
इसके साथ ही गरीब लोगों को रोजगार देने के लिए 2005 में राष्ट्रव्यापी मनरेगा कार्यक्रम चलाया गया था । अभी भी सामाजिक न्याय और गरीबी निवारण की दृष्टि से ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में कई कार्यक्रम चल रहे हैं । जनजातियों के विकास के लिए एक अलग जनजातीय योजना लागू की गयी है ।
देश के विभिन्न क्षेत्रों का असन्तुलित विकास अलगाववादी आन्दोलनों को जन्म देता है । इसीलिये चौथी पंचवर्षीय योजना से ही देश के विभिन्न क्षेत्रों के समुचित विकास की रणनीति भी अपनायी गयी है । इसमें देश के उत्तर-पूर्वी राज्यों जैसे असाम मेघालय मिजोरम अरूणाचल प्रदेश आदि के सामाजिक व आर्थिक विकास के लिए विशेष उपाय किये गये हैं ।
अन्य उपायों के अतिरिक्त इसी कारण देश के विभिन्न क्षेत्रों में अलगाववादी आन्दोलनों को रोकने में सहायता भी मिली है । अब भी असाम तथा जम्मू-कश्मीर में अलगाववादी तत्व सक्रिय हैं । अलगाववाद का तात्पर्य भारत से अलग होकर अलग देश की माँग करना है । यह देश के ही भीतर अलग राज्य की माँग से भिन्न है ।
3. मानवाधिकारों का संरक्षण (Protection of Human Rights):
मानवाधिकारों की रक्षा के लिए भारत द्वारा किये गये प्रशासनिक व कानूनी उपाय उल्लेखनीय हैं । संविधान में मौलिक अधिकारों के अतिरिक्त अनुसूचित जातियों, जनजातियों, अल्पसंख्यकों, महिलाओं बच्चों व अन्य कमजोर वर्गों के लिए विशेष उपाय किये गये हैं ।
1990 में महिला आयोग तथा 1993 में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की स्थापना की गयी । भारत ने मानवाधिकार से संबन्धित सभी अन्तर्राष्ट्रीय सन्धियों का अनुमोदन भी कर दिया है । भारत में मानवाधिकारों के संरक्षण के सबन्ध में गैर-सरकारी प्रयास भी उल्लेखनीय हैं ।
4. पर्यावरण संरक्षण तथा प्रभावी आपदा प्रबन्धन (Environmental Protection and Effective Disaster Management):
पर्यावरण संरक्षण तथा प्रभावी आपदा प्रबन्धन मानव सुरक्षा के लिए आवश्यक है । भारत में 1970 के दशक से ही पर्यावरण संरक्षण के उपायों को अपनाया जा रहा है । 2008 में भारत ने जलवायु परिवर्तन की समस्या के लिए एक राष्ट्रीय मिशन की घोषणा की है । पर्यावरण प्रदूषण को कम करने के लिए ग्रीन ऊर्जा अर्थात् ऊर्जा के गैर परम्परागत साधनों को विकसित किया जा रहा है ।
जिसमें पवन ऊर्जा, सौर ऊर्जा तथा परमाणु ऊर्जा का विकास प्रमुख है । भारत ने 2005 में आपदा प्रबन्धन के लिए एक अधिनियम पारित किया है तथा उसके अंतर्गत राष्ट्रीय प्रादेशिक तथा जिला स्तर पर आपदा प्रबन्धन मशीनरी की स्थापना की है । भारत ने दूसरे देशों में भी प्राकृतिक आपदाओं के समय राहत सहायता प्रदान की है ।
5. सीमावर्ती क्षेत्रों का विकास व प्रबन्धन (Development and Management of Frontier Sectors):
भारत एक बड़ा देश है तथा उसकी लम्बी सीमाओं की सुरक्षा एक बड़ी चुनौती है । भारत की थल सीमा 15,200 किलोमीटर है तथा उसकी समुद्री सीमा 7,516 किलोमीटर है । पाकिस्तान तथा चीन के साथ भारत के सीमा-विवाद लम्बे समय से चल रहे हैं । इन देशों के साथ भारत के सैनिक संघर्ष भी हो चुके हैं । अभी तक इन सीमा-विवादों का समाधान नहीं हो पाया है ।
समकालीन चुनौतियों के आलोक में भारत ने सीमावर्ती क्षेत्रों के विकास तथा उनके प्रभावी प्रबन्धन की नीति अपनाई है । इसके अन्तर्गत जम्मू-कश्मीर नेपाल की सीमा तथा उत्तर-पूर्वी क्षेत्रों में ढाँचागत सुविधाओं तथा निगरानी व्यवस्था का विकास किया जा रहा है ।
पाकिस्तान तथा बांग्लादेश की सीमा पर अवैध आवागमन तथा आतंकवादियों के प्रवेश को रोकने के लिये कटीली बाड़ भी लगाई गयी है । नेपाल के साथ भारत की सीमा खुली हुई है । इस सीमा पर अवैध हथियारों तथा नकली मुद्रा के व्यापार की घटनाएं प्रकाश में आयीं है । अत: भारत ने नेपाल के साथ मिलकर इस सीमा पर आठ एकीकृत निगरानी चौकियों की स्थापना की है ।
इसी तरह समुद्र तटीय क्षेत्रों व द्वीपों की सुरक्षा के लिये विशेष निगरानी तथा आधुनिक सुरक्षा उपायों की व्यवस्था की गयी है । उल्लेखनीय है कि नवम्बर 2008 में पाकिस्तान समर्थित आतंकवादियों ने समुद्री मार्ग से ही प्रवेश कर मुम्बई के ताज होटल पर हमला किया था ।
6. अन्य उपाय (Other Solutions):
भारत में मानव सुरक्षा की नई चुनौतियाँ से निपटने के लिए कतिपय अन्य उपाय किये गये हैं- 2013 में घोषित साइबर सुरक्षा नीति, एड्स तथा अन्य गंभीर बीमारियों पर प्रभावी नियन्त्रण के उपाय, संगठित अपराधों व आतंकवाद के लिए राष्ट्रीय जाँच एजेन्सी की स्थापना, शोध तथा तकनीकी विकास को बढ़ावा, सीमाओं का प्रभावी प्रबन्धन आदि । आर्थिक अपराधों को रोकने के लिए भी प्रभावी प्रशासनिक व कानून व्यवस्थाएँ की गयीं हैं ।