Read this article in Hindi to learn about the political system of Switzerland.
स्विट्जरलैंड पश्चिमी यूरोप का एक प्रसिद्ध देश है । इसका क्षेत्रफल 4 हजार वर्ग किलोमीटर से अधिक है, और इसकी जनसंख्या 80 लाख के करीब है । इसकी राजनीतिक व्यवस्था उदार-लोकतंत्रीय (Liberal-Democracy) है और राजनीतिक संरचना संघात्मक है । वस्तुत: इस देश का राजनीतिक नाम ही ‘स्विस परिसंघ’ है ।
स्विट्जरलैंड को कई शताब्दियों से विश्व का प्रमुख तटस्थ देश (Neutral Country) माना जाता है, और इसे इस रूप में अंतर्राष्ट्रीय मान्यता मिली हुई है । अत: यह अनेक अंतर्राष्ट्रीय संगठनों का गढ़ रहा है, और इसकी धरती पर अनेक अंतर्राष्ट्रीय शांति-सम्मेलन आयोजित किए गए हैं । एक समय ऐसा भी था जब यह राष्ट्र संघ का मुख्य कार्यस्थल था, परंतु यह संयुक्त राष्ट्र संगठन का सदस्य 2002 में बना है । यूरोपीय संघ में प्रवेश के लिए भी यहाँ की जनता बिल्कुल तैयार नहीं है ।
स्विट्जरलैंड का समाज पुरुष-प्रधान समाज है । यहाँ 1971 तक स्त्रियों को संघीय चुनाव में वोट देने का अधिकार नहीं था । यही 1984 में पहली बार मंत्रिमंडल में कोई स्त्री रखी गई । उसने 1988 में त्यागपत्र दे दिया, और वहाँ दूसरी स्त्री 1993 में रखी गई ।
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1999 में संघीय सभा ने पहली स्त्री-अध्यक्ष का चुनाव किया । उसी वर्ष यूरोपीय संघ के साथ द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर किए गए । 1999 की एक परिपृच्छा के अंतर्गत ही कामगारों के लिए ‘हड़ताल के अधिकार’ को मान्यता देने के उद्देश्य से सांविधानिक संशोधन किया गया ।
राजनीतिक प्रणाली:
स्विट्जरलैंड अनेक राजनीतिक प्रभागों में बंटा है जिन्हें ‘कैंटन’ कहा जाता है । स्विस परिसंघ ऐसे 20 कैंटनों और 6 अर्ध-कैंटनों का संघ है । स्चिट्जरलैंड का संविधान 1874 से चला आ रहा है । इस संविधान के अंतर्गत संघीय सरकार को विशिष्ट शक्तियाँ प्रदान की गई हैं, और अवशिष्ट शक्तियाँ कैंटनों के पास रहने दी गई हैं ।
प्रत्येक कैंटन का अपना-अपना संविधान, अपनी-अपनी विधानसभा और अपनी- अपनी सरकार है । कैंटनों से निचले स्तर पर 3,000 से ज्यादा ‘कम्यून’ (Communes) हैं । इनकी जनसंख्या 20 से लेकर 3,50,000 तक है । कम्यून-सभाओं और परिपृच्छा के माध्यम से वहाँ ‘प्रत्यक्ष लोकतंत्र’ (Direct Democracy) को बढ़ावा दिया जाता है ।
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स्विस संविधान के अंतर्गत, संघ के स्तर पर संघीय सभा की व्यवस्था की गई है जिसमें दो सदन हैं । निचले सदन को राष्ट्रीय परिषद कहा जाता है, उपरी सदन को राज्य-परिषद या राज्य सभा कहा जाता है । राष्ट्रीय परिषद में 200 सदस्य होते हैं जो सार्वजनीन वयस्क? मताधिकार के आधार पर आनुपातिक प्रतिनिधित्व के सिद्धांत के अनुसार दलीय सूची प्रणाली से चार वर्ष के लिए चुने जाते हैं ।
राज्य-परिषद में 46 सदस्य होते हैं । इनमें प्रत्येक कैंटन के दो-दो प्रतिनिधि और प्रत्येक अर्ध कैन्टन का एक-एक प्रतिनिधि होता है । राज्य परिषद के सदस्य तीन या चार वर्ष के लिए चुने जाते हैं । इनका कार्यकाल संबद्ध कैंटन के अपने संविधान से निर्धारित होता है ।
स्विटजरलैंड में संघीय परिषद के हाथों में रहती है । इसमें सात सदस्य होते है जिन्हें कभी-कभी मंत्री कहा जाता है । ये सदस्य संघीय सभा के द्वारा इसके दोनों सदनों (राष्ट्रीय परिषद और राज्य-परिषद) के संयुक्त अधिवेशन में चार वर्ष के लिए चुने जाते हैं ।
इसका प्रत्येक सदस्य किसी एक संघीय विभाग का अध्यक्ष होता है । संघीय परिषद इनमें से एक-एक सदस्य को एक-एक वर्ष के लिए अपना अध्यक्ष और उपाध्यक्ष चुनती हैं । एक प्रथा के अनुसार, संघीय परिषद के किसी सदस्य को लगातार दो बार अध्यक्ष नहीं चुना जा सकता ।
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एक अन्य प्रथा के अनुसार- अध्यक्ष का कार्यकाल पूरा हो जाने पर पिछले उपाध्यक्ष को नया अध्यक्ष चुन लिया जाता है । फिर, एक अन्य प्रथा के अनुसार, जो व्यक्ति एक बार संघीय परिषद का सदस्य चुन लिया जाता है, वह जब तक चाहे, उसे इस पद के लिए फिर से चुन लिया जाता है । इस तरह इस परिषद के सब सदस्यों को बारी-बारी से उपाध्यक्ष और अध्यक्ष बनने का अवसर मिलता है । संघीय परिषद के अध्यक्ष को ही स्विस परिसंघ का अध्यक्ष या राष्ट्रपति कहा जाता है ।
अपने एक वर्ष के कार्यकाल में संघीय परिषद के अध्यक्ष को अपने छहों सहयोगियों के समकक्ष माना जाता है । उसे कुछ अतिरिक्त वेतन और भत्ते तो मिलते हैं, परंतु वह केवल सांकेतिक राज्याध्यक्ष (Nominal Head of State) की भूमिका निभाता है । उसकी कार्यकारी शक्तियाँ अपने सहयोगियों के समतुल्य होती हैं । यही कारण है कि रिचरन कार्यपालिका को बहुल कार्यपालिका माना जाता है; यह इसकी विलक्षण विशेषता है ।
प्रत्यक्ष लोकतंत्र की संस्थाएँ:
स्विट्जरलैंड की राजनीतिक प्रणाली के अंतर्गत ‘प्रत्यक्ष लोकतंत्र’ के सिद्धांत का सबसे विस्तृत प्रयोग देखने को मिलता है । मूलत: प्रत्यक्ष लोकतंत्र ऐसी व्यवस्था का संकेत देता है जिसमें किसी छोटे समुदाय के सारे नागरिक समय-समय पर स्वयं एकत्र होकर कानून बनाते हैं या सार्वजनिक निर्णय करते हैं ।
प्राचीन यूनान के कुछ नगर-राज्यों में यह प्रथा प्रचलित थी, हालांकि वही नागरिक का दर्जा इने-गिने लोगों को ही प्राप्त था । आधुनिक युग के बड़े-बड़े समुदायों में-जहाँ नागरिक का दर्जा भी राज्य के सभी (वयस्क) सदस्यों के लिए सुलभ है- ऐसी प्रथा व्यावहारिक नहीं होगी ।
अत: लोकतंत्र के वर्तमान रूप के अंतर्गत किसी देश के नागरिक अपने प्रतिनिधियों के माध्यम से ही अपने राजनीतिक अधिकारों का प्रयोग करते हैं । इस व्यवस्था को ‘प्रतिनिधि लोकतंत्र’ कहा जाता है ।
स्विट्जरलैंड में भी ‘प्रतिनिधि लोकतंत्र’ के माध्यम से शासन चलाया जाता है परंतु वहाँ की राजनीतिक प्रक्रिया के अंतर्गत प्रतिनिधि लोकतंत्र में प्रत्यक्ष लोकतंत्र का पुट होने का विस्तत: प्रयत्न किया गया है । वैसे विश्व की अन्य लोकतंत्रीय प्रणालियों में (जैसे कि संयुक्त राज्य अमरीका के कुछ राज्यों, इटली और स्लोवाक गणराज्य में) भी ऐसे प्रयत्न हुए हैं, परंतु स्विट्जरलैंड ऐसे प्रयत्न के लिए विशेष से विख्यात है ।
स्विट्जरलैंड की जनसंख्या अनेक सजातीय और धार्मिक समूहों में बंटी है । वहां मुख्यत: अल्पाइन और नार्डिक जातियों के लोग रहते हैं । इनमें मोटे तौर पर 70% लोग जर्मन भाषा बोलते हैं, 20% फ्रैंच बोलते हैं, और 10% इटैलियन बोलते हैं ।
करीब 47% लोग रोमन कैथोलिक धर्म को मानते हैं; करीब 44% प्रोटेरटेंट हैं, शेष अन्य धर्मों में आस्था रखते हैं । इन तरह के समूहों में भिन्न-भिन्न विषयों पर सहमति होना मुश्किल है परंतु ये लोग अपने मतभेदों पर अत्यधिक बल नहीं देते बल्कि सहवर्तन-मूलक राजनीति (Consociational Politics) में विश्वास करते हैं ।