Read this article in Hindi to learn about the top six features of population in India. The features are: 1. जनसंख्या वृद्धि (Growth of Population) 2. जनसंख्या घनत्व (Density of Population) 3. लिंग अनुपात (Sex-Ratio) 4. आयु संयोजन (Age Composition) 5. भारत की धार्मिक संरचना (Religious Composition of India) 6. भारत की भाषाएं (Languages of India).
Feature # 1. जनसंख्या वृद्धि (Growth of Population):
किसी देश या प्रदेश में जनसंख्या वृद्धि, जन्म दर एवं मृत्य दर पर निर्भर करती है । भारत की 1901 से 2011 की जनसंख्या वृद्धि के आँकड़े तालिका 11.1 में दिये गये हैं |
1901 से प्रत्येक दस वर्ष पर दर्ज की गई भारतीय जनसंख्या को देखने से यह पता चलता है कि 1911-21 के दशक को छोड़कर भारत की जनसंख्या निरन्तर बढ़ी है (तालिका 11.1) ।
1901 से भारत की कुल जनसंख्या 238 मिलियन थी, जो 1951 में 361 मिलियन हो गई तथा 2011 में बढ़कर 1210.19 मिलियन हो गई । तालिका 11.1 में यह देखा जा सकता है कि जनगणना वर्ष 1921, 1951 तथा 1981 में कई महत्वपूर्ण परिवर्तन हुए हैं ।
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भारत की 2001 से 2011 की दशकीय जनसंख्या वृद्धि Fig. 11.1 में दिखाई गई है । Fig. 11.1 के अध्ययन से ज्ञात होता है कि भारत में 2001 तथा 2011 के दशक में सबसे अधिक जनसंख्या वृद्धि बिहार में (25.7%) हुई । बिहार के पश्चात् छत्तीसगढ़ (22.59), झारखण्ड (22.34) का स्थान ।
सब से कम दशकीय जनसंख्या वृद्धि नागालैंड में केवल (0.47%) है । तत्पश्चात् केरल में 4.86 प्रतिशत, गोवा 8.17 प्रतिशत है । उत्तरी भारत के राज्यों की तुलना में दक्षिण भारत के राज्यों में जनसंख्या वृद्धि कम है ।
Feature # 2. जनसंख्या घनत्व (Density of Population):
जनसंख्या घनत्व से मानव तथा भूमि के अनुपात का ज्ञान होता है । जनसंख्या घनत्व जानने के लिये किसी देश की कुल जनसंख्या को उसके कुल क्षेत्रफल से विभाजित किया जाता है ।
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जनसंख्या घनत्व को प्रतिवर्ग किलोमीटर में दिखाया जाता है । भारत के विभिन्न राज्यों के जनसंख्या घनत्व (2001-2011) को तालिका 11.2 में दिखाया गया है ।
Fig. 11.2 को देखने से ज्ञात होता है कि भारत के बड़े राज्यों में बिहार का जनसंख्या घनत्व सबसे अधिक है, जहाँ 1102 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर हैं । बिहार के पश्चात् प. बंगाल (1029), केरल (859) तथा उत्तर प्रदेश (828) का स्थान आता है ।
जनसंख्या का सबसे कम घनत्व अरुणाचल प्रदेश का है जहां केवल 17 व्यक्ति प्रतिवर्ग किलोमीटर रहते हैं । अरुणाचल के पश्चात् मिजोरम में 52 तथा सिक्किम में 86 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर रहते हैं (तालिका 11.2 ) ।
Feature # 3. लिंग अनुपात (Sex-Ratio):
लिंग अनुपात का अर्थ है कि प्रति 1000 पुरुषों पर स्त्रियों की संख्या कितनी है । जनसांख्यिकी तत्व में लिंग अनुपात सबसे महत्वपूर्ण है क्योंकि यह प्रजनन क्षमता, वैवाहिक स्थिति, श्रम-शक्ति, प्रवास प्रतिरूप, जनसंख्या वृद्धि तथा सामाजिक-आर्थिक सम्बन्ध को निर्धारित करता है, इससे एक निश्चित समय पर समाज में स्त्री-पुरुष के बीच संख्यात्मक समानता का आकलन किया जाता है । भारत में स्त्री-पुरुष अनुपात सदैव स्त्रियों के प्रतिकूल रहा है ।
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2011 की जनगणना के अनुसार भारत में लिंग अनुपात 940:1000 था (तालिका 11.3) । इस विपरीत लिंगानुपात का मुख्य कारण स्त्रियों के प्रति भेदभाव तथा उनकी ऊंची मृत्यु दर को माना जाता है ।
तालिका 11.3 के अध्ययन से ज्ञात होता है कि 1901 में भारत में लिंगानुपात 972/1000 था जो 1991 में घटकर 927 रह गया, परन्तु 2001 में लिंगानुपात में छह स्त्री प्रति हजार की वृद्धि हुई तथा लिंगानुपात बढ़कर 933 स्त्री प्रति हजार पुरुष हो गया और 2011 में बढ़कर 940/1000 हो गया ।
Fig. 11.3 के परीक्षण से ज्ञात होता है कि भारत के राज्यों में सबसे अधिक लिंगानुपात 1048/1000 केरल में है, जिसके पश्चात आंध्र प्रदेश में 992, छत्तीसगढ़ में 991, ओड़िशा में 978 तथा झारखण्ड़ में 947 है ।
इसके विपरीत सबसे कम लिंगानुपात हरियाणा में 877 तथा पंजाब में 893 है । केन्द्र शासित प्रदेशों में पुडुचेरी में सबसे अधिक लिंग अनुपात (1038) है तथा दमन एवं दीव में यह सबसे कम (618) है । चंडीगढ़ में भी लिंग अनुपात 818 महिलाएं प्रति हजार पुरुष हैं (2011) ।
तालिका 11.4 में यह देखा जा सकता है कि 20वीं सदी के प्रारंभ में (1901) में लिंग अनुपात 972 था, जो 1941 तक निरंतर घटता गया । स्वतंत्रता के बाद लिंग अनुपात में तेजी से गिरावट आई । 1991 में यह सबसे कम (927) दर्ज की गयी ।
2001 तथा 2011 में लिंगानुपात में वृद्धि हुई जो 2011 में 940 स्त्रियां प्रति हजार हो गया है । सामाजिक-सांस्कृतिक कारक तथा जन्म से पहले भ्रूणों की लिंग जांच देश में घटते लिंग अनुपात का मुख्य कारण है ।
दिलचस्प बात यह है कि अनुसूचित जनजाति, ईसाई मुस्लिम प्रभुत्व वाले क्षेत्रों तथा द. भारत में लिंग अनुपात राष्ट्र स्तर से अधिक है । राज्यानुसार लिंग अनुपात को तालिका 11.4 में दिया गया है ।
तालिका 11.4 में यह देखा जा सकता है कि राज्य स्तर पर लिंग अनुपात में विविधता अधिक है । केरल, जिसका लिंग अनुपात 1048 स्त्री प्रति हजार पुरुष है, एकमात्र राज्य है जहाँ स्त्रियों की संख्या पुरुषों से अधिक है ।
उच्च लिंग अनुपात स्त्रियों के प्रति कम भेदभाव तथा निम्न कन्या शिशु हत्या दर का सूचक है । इसके विपरीत हरियाणा तथा पंजाब में लिंग अनुपात सबसे कम क्रमश: 877 तथा 893 है । ये दोनों राज्य कृषि, उद्योग तथा मानव सूचकांक में काफी विकसित माने जाते हैं ।
Feature # 4. आयु संयोजन (Age Composition):
आयु संयोजन भी जनसंख्या की एक महत्वपूर्ण विशेषता है । इसके द्वारा प्रत्याशित आयु, श्रम-बल तथा निर्भर जनसंख्या (युवा वर्ग वशिष्ठ नागरिक) का निर्धारण किया जा सकता है ।
तालिका 11.7 में यह देखा जा सकता है कि पिछले सदी में जनसंख्या में 37 से 42 प्रतिशत के बीच युवा आयु वर्ग था, श्रम बल 52 से 57 प्रतिशत के बीच था । युवा आयु वर्ग का सबसे अधिक निर्भरता अनुपात वर्ष 1971 में था जब यह बढ़कर 42 प्रतिशत हो गया । वरिष्ठ नागरिक आयु वर्ग में निरंतर बढ़ोतरी हुई है, 1901 में यह 5.1 प्रतिशत था जो 2011 में बढ़कर लगभग 9.5 प्रतिशत हो गया (तालिका 11.7 ) ।
व्यावसायिक संरचना:
2009-10 में भारत की लगभग 50 प्रतिशत जनसंख्या कृषि पर प्रत्यक्ष रूप से आधारित थी । 20 प्रतिशत उद्योगों तथा 30 प्रतिशत सेवा क्षेत्र पर निर्भर थी ।
ग्रामीण तथा नगरीय जनसंख्या:
ग्रामीण तथा नगरीय जनसंख्या किसी देश के औद्योगिक विकास का सूचक माना जाता है । जैसे-जैसे औद्योगिक विकास होता है, किसी देश की नगरीय जनसंख्या में वृद्धि होती जाती है । भारत में विभिन्न दशकों में नगरीय जनसंख्या का अनुपात तालिका 11.8 में दिया गया है ।
ग्रामीण तथा नगरीय वास्तविक जनसंख्या एवं उनका प्रतिशत भाग तालिका 11.9 में दिया गया है ।
तालिका 11.9 के परीक्षण से पता चलता है कि 1901 में 10.8 प्रतिशत जनसंख्या नगरों में रहती थी जो 2001 में बढ़कर 28 प्रतिशत तथा 2011 में 30 प्रतिशत हो गई ।
Feature # 5. भारत की धार्मिक संरचना (Religious Composition of India):
किसी देश में भाषा के साथ-साथ धार्मिक संरचना भी जनसंख्या का महत्वपूर्ण तत्व होता है । सभी समाजों में धर्म और धार्मिक मान्यताओं की आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका होती है ।
भारत में हिन्दू धर्म, बौद्ध धर्म, जैन धर्म और सिख धर्म का जन्म हुआ । इनके अतिरिक्त भारत में यहूदी, ईसाई, इस्लाम और पारसी धर्म के मानने वाले दक्षिण- पश्चिमी तथा मध्य एशिया से आये । विभिन्न धर्मों के पालन का प्रतिशत अनुपात तालिका 11.10 में दिया गया है ।
Feature # 6. भारत की भाषाएं (Languages of India):
भारत एक धर्म-निरपेक्ष देश है । भारत में बहुत-सी भाषायें बोली जाती हैं । भारतीय जनगणना के अनुसार भारत में 187 भाषायें बोली जाती हैं जिनमें से 94 भाषाओं के बोलने वालों की संख्या दस हजार से अधिक है ।
भारत में बोली जाने वाली भाषाओं को निम्न वर्गों में विभाजित किया जाता है:
1. इण्डो-यूरोपीय भाषाएं- भारत की लगभग 73 प्रतिशत जनसंख्या इन भाषाओं को बोलती है ।
2. दविडियन भाषाएं- 20 प्रतिशत ।
3. ऑस्ट्रिक भाषाएं- 4.5 प्रतिशत ।
4. साइनो-तिब्बती भाषाएं- 25 प्रतिशत ।