Read this article in Hindi to learn about the two major problems of project selection. The problems are:- 1. उद्देश्य फलन (Objective Function) 2. बहुमुखी उद्देश्य (Multiple Objectives).
परियोजनाएं प्राय: एक प्रकार का लाभ अथवा लागत उत्पन्न नहीं करती । फलत: अनेक लागतें और लाभ हो सकते हैं और उनके लिये विभिन्न भार निर्धारित करना अभीष्ट होगा ।
इसके अतिरिक्त, परियोजना की रूप रेखा अनुसार लाभ-मिश्रण में अन्तर हो सकता है, और रूप रेखा, अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों के बीच अथवा आय वर्गों में इसी प्रकार के लाभों के विभाजन के ढंग को प्रभावित कर सकती है । यह सभी विकल्प परियोजना को आकृतिबद्ध करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं ताकि कुल लाभों को अधिकतम बनाया जा सके ।
अत: महत्वपूर्ण समस्याएं हैं:
Problem # 1. उद्देश्य फलन (Objective Function):
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बजट निर्माता परियोजना चयन की इस प्रक्रिया को एक ‘उद्देश्य फलन’ पर आधारित कर सकते है जो सामाजिक कल्याण को परिभाषित करती है W3, जिसका अधिकतमीकरण करना है ।
यह निम्नलिखित रूप ले सकता है:
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जहां पहला पद j किस्म के वास्तविक कल्याण लाभों का वर्णन करता है जो i वर्ग को प्राप्त होते हैं जो सभी j और i के लिये इकट्ठे किये गये हैं दूसरा पद तथा K किस्म की वास्तविक कल्याण हानियों जो i वे वर्ग को मिलती हैं और पुन: K और i के लिये जोड़ी होती हैं, फलत: हानियां होती है जब साधनों को सर्वोत्तम वैकल्पिक प्रयोगों से हटाया जाता है ।
यदि सभी लाभ और हानियां किसी भी प्रकार की हों और किसी को भी प्राप्त होती हों, को समान भारिता की जाती है, उद्देश्य फलन कुल शुद्ध लाभ के अधिकत्तमीकरण पर बल देता है ।
जिसे निम्न अनुसार परिभाषित किया गया है:
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परन्तु सरकार विभिन्न प्रकार के लाभों और हानियों को भिन्न-भिन्न भार देना चाहे गी । Gj और Lk, अथवा व्यक्तियों के विभिन्न वर्गों अथवा अर्थव्यवस्था में विभिन्न क्षेत्रों को प्राप्त होने वाले लाभों और हानियों को भिन्न-भिन्न भार देना चाह सकती है ।
बाद में वर्णित प्रकरण में उद्देश्य फलन जिसका अधिकतमीकरण करना है निम्नलिखित बन जाता है:
जहां I से m व्यक्तियों के लाभों को x भार दिया जाता है, जबकि n से z को β भार दिया जाता है । ग्रुप निर्माण का चयन आय कोष्ठको, क्षेत्रों अथवा जो भी लक्षण सरकार के उद्देश्य फलन के लिये प्रासंगिक हो, की ओर सकेत कर सकती है ।
Problem # 2. बहुमुखी उद्देश्य (Multiple Objectives):
एक व्यय परियोजना मात्र एक प्रकार का लाभ उत्पन्न नहीं करती बल्कि अनेक उद्देश्य पूरे करती है । उदाहरणार्थ, एक विशेष शस्त्र प्रणाली के विभिन्न सुरक्षात्मक तथा आक्रमणकारी प्रयोग हो सकते हैं ।
शिक्षा पर व्यय निरक्षरता दूर करने के साथ वैज्ञानिक उन्नति को प्रोत्साहित कर सकता है, परियोजनाएं अपने वितरणात्मक उलझावों में भिन्न-भिन्न होती है इत्यादि । उदाहरण के लिये कल्पना करें कि तीन बिलियन रुपयों को स्कूलों पर व्यय करना है तथा इस राशि का वितरण प्राथमिक शिक्षा और उच्च शिक्षा में करना है ।
अब कल्पना करें कि खर्च किये गये प्रत्येक एक बिलियन रुपयों का प्राथमिक शिक्षा का व्यय सैकण्डरी शिक्षा की तुलना में साक्षरता के लिये अधिक योगदान करता है, परन्तु तकनीकी प्रगति के लिये उनका योगदान उच्च शिक्षा के योगदान से कम है ।
इस कार्य के लिये हम साक्षरता इकाईयों के बारे में सोच सकते हैं जैसा एक प्रदत्त परीक्षण देने वाले विद्यार्थियों की संख्या से मापा जा सकता है । अत: वैकल्पिक व्यय निर्धारणों का प्रयोग करते हुये, हम यह विकल्प प्राप्त करते है जो तालिका 5.3 में दिये गये हैं ।
तालिका 5.3 में साक्षरता कालम में इकाई लाभ हमें बताते हैं कि व्यय नमूना I, नमूने IV से चार गुणा बड़ा लाभ दर्शाता है और इसी प्रकार आगे भी, इन लाभों के निरपेक्ष मूल्य को डॉलर के रूप में वर्णित नहीं करता । तकनीक में लाभ दिखाने वाले कालम की भी वही स्थिति है, जहां नमूना I नमूना IV की तुलना में 1/5 प्रभावी है ।
यदि एक चुनाव करना है, तो दो प्रकार के इकाई लाभों के लिये मूल्याकरण के साझें मानदण्ड की आवश्यकता होगी, यह GNP में परिणामित वृद्धि के रूप में हो सकता है अथवा इसमें अन्य विचार सम्मिलित हो सकते हैं ।
उदाहरणार्थ शिक्षा में लाभों को सांस्कृतिक आधारों पर महत्व प्राप्त हो सकता है, जो कि परिणामित GNP में वृद्धि से बिलकुल अलग है जैसा कि सरकारी आंकड़ों में मापा गया है और इस लाभ पर एक डॉलर मूल्य डाला जा सकता है । जब नमूना I से नमूना II की ओर बढ़ते हुये, प्रत्येक खोई हुई साक्षरता इकाई के लिये 2 तकनीकी इकाईयों का लाभ प्राप्त होता है ।
नमूना II से III की ओर बढ़ते हुये प्रतिस्थापन अनुपात 1(1/3) है और प्रत्येक खोई हुई साक्षरता इकाई के लिये यह तकनीकी इकाईया हैं । अन्त में नमूना III से IV की ओर बढने के परिणाम में छोड़ी गई प्रत्येक साक्षरता इकाई के लिये केवल 3/4 तकनीकी इकाई का लाभ होता है ।
यदि 1 साक्षरता इकाई का मूल्य 2 तकनीकी इकाई अथवा अधिक रखा जाता है तो नमूना I चुना जायेगा; यदि 1(1/3) तकनीकी और 2 तकनीकी इकाईयों के बीच, नमूना II चुना जायेगा ।
यदि 1 साक्षरता इकाई का मूल्य 3/4 से 1 तकनीकी इकाई के बीच माना जाता है तो नमूना III चुना जायेगा, जबकि, यदि मूल्य 3/4 तकनीकी इकाई से कम दिया जाता है तो शिक्षा कार्यक्रम मिश्रण का नमूना IV चुना जायेगा ।
यह तथ्य रेखा चित्र 5.9 से स्पष्ट है जहां बिन्दु रेखाएं i, iz, K3 आदि साक्षरता तथा तकनीक से सम्बन्धित सामाजिक तटस्थ वक्र हैं । उत्पादन में साक्षरता एवं तकनीकी इकाईयों के बीच व्यापार हमें एक उन्नतोदर “परियोजना बदलाव” सीमा देता है जैसा कि रेखा चित्र 5.9 में बिन्दु I से IV तक वर्णित किया गया है ।
जैसे कि दिखाया गया है नमूना II को वरीयता प्राप्त है, क्योंकि यह हमें उच्चतम सम्भव सामाजिक तटस्थ वक्र in पर स्थापित करता है । इस बिन्दु पर तकनीक इकाईयों का साक्षरता इकाईयों के लिये प्रतिस्थापन का सीमान्त दर सामाजिक मूल्यकरण के रूप में (तटस्थ वक्र in की ढलान स्पर्शिता ।। के बिन्दु पर) शैक्षिक उत्पादन के बदलाव की सीमान्त दर के बराबर होता है (परियोजना बदलाव वक्र का स्पर्शिता के बिन्दु II की ढलान) ।