Read this article in Hindi to learn about the account structure in India.
भारत सरकार और राज्य सरकार के लेखे किस तरह रखे जाएंगे यह संविधान की धारा 150 तय करता है । इस अनुच्छेद में कहा गया है कि महालेखा परीक्षक (CAG) के परामर्श से राष्ट्रपति केन्द्र और राज्य सरकारों के लेखा-प्रारूप को तय करेगा ।
लोकसभा की नियम संख्या 204 में कहा गया है कि लोकसभा में बजट वित्त मंत्रालय द्वारा निर्धारित प्रारूप में प्रस्तुत किया जाएगा । लेखा प्रारूप और बजट प्रारूप में प्रारंभ काफी समानताएं रही लेकिन परम्परागत के स्थान पर निष्पादन बजट पद्धति अपनाने पर यह संतुलन बिगड़ गया ।
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1974 में सरकार ने एक नयी लेखा योजना प्रस्तुत की जिसमें 6 शीर्ष वाला लेखा प्रारूप अपनाया गया:
1. क्षेत्रीय शीर्ष (Sectoral):
इसके अन्तर्गत सरकार के कार्यों को तीन क्षेत्रों में विभक्त किया गया:
i. सामान्य सेवाएं जिसमें 6 उपक्षेत्र शामिल हैं ।
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ii. सामाजिक एवं सामुदायिक सेवाएं ।
iii. आर्थिक सेवाएं जिसमें 7 उपक्षेत्र शामिल हैं ।
कभी-कभी चौथा क्षेत्र सहायता अनुदान और अंशदान का भी इस्तेमाल होता है ।
2. मुख्य शीर्ष (Mayor Head):
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यह सरकार के एक प्रमुख कार्य को दर्शाता है, जैसे- कृषि स्वास्थ्य सेवा आदि । इसमें किसी भी परिवर्तन के लिये CAG की अनुमति अनिवार्य होती है ।
3. गौण शीर्ष (Miner Head):
यह किसी कार्यक्रम विशेष को दर्शाता है, जैसे- कृषि कार्यक्रम, साक्षरता आदि ।
4. उप शीर्ष (Sub Head):
यह कार्यक्रम के अन्तर्गत संचालित योजना को बताता है, जैसे- रोजगार ग्यारंटी योजना ।
5. विस्तृत शीर्ष (Details Head):
यह वेतन, निवेश आदि पर होने वाले, व्यय को दर्शाता है ।
6. विषय शीर्ष (Object Head):
पूर्व के विषय शीर्ष को मदवार खर्च नियन्त्रण हेतु बनाये रखा गया है ।